Don't throw Stones again in Hindi Fiction Stories by Tarkeshwer Kumar books and stories PDF | दुबारा पत्थर मत मारना।

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दुबारा पत्थर मत मारना।

बड़ी बड़ी घटनाओं को और बड़ी बड़ी कहानियों को और बड़े बड़े जानवरों को अपने में समेटे हुए रहता हैं जंगल।
कई अनसुने राज भी होते हैं जंगल में और ना जाने क्या क्या बलाएं रहती हैं जंगल में।


ऐसे ही एक शहर था नदी किनारे बसा हुआ खूबसूरत सा शहर।सवेरे होते ही भाग दौड़ में लग जाते थे लोग,बच्चे स्कूल जाने की तैयारी में तो दुकानदार अपने दुकान खोलने की तैयारी में लग जाते हैं।मंदिरों की घटियां बजने लग जाती हैं और चिड़ियों की चहचहाहट भी शामिल हो जाती हैं इस भाग दौड़ की जिंदगी में।


वहीं कुछ दूर पर शहर से एक बड़ा सुनसान जंगल था। मानो अपने में पूरी दुनियां की शांति समेट ली हो
दिन में ही मानो सूरज को खा कर अंधेरा कर के बैठा हो।
स्कूल जाते वक्त रास्ते में पड़ता था वो जंगल पर चारों और से दीवार से घेर दिया गया था जिससे बच्चे अंदर न जाएं और जंगली जानवर बाहर ना आ पाएं।


वहीं छोटी सी दुकान कर के रास्ते में अकडू काका बैठा करते थे।बच्चों के लिए टॉफी हाजमोला और चिप्स के पैकेट लिए हुए।


एक दिन तारक अपने दोस्तों के साथ स्कूल के लिए निकला तो रास्ते में टॉफी खरीद के मजे से खाते हुए जा रहा था।
तभी उसकी नजर जंगल के तरफ दीवार पर पड़ी। वहां छोटी सी बिल्ली बैठी हुई थी। वो आगे बढ़ा और पीछे पलट के देख तो बिल्ली गिलहरी का रूप धारण कर के बैठी हुई थी।


तारक थोड़ा सहमा पर जैसा कि बच्चा बुद्धि था तो एक पत्थर का टुकड़ा उठा के उसके तरफ चला दिया।फिर अपनी मस्ती में झूमते हुए आगे बढ़ गया और स्कूल चला गया।


स्कूल से आते वक्त देखा उस दीवार पर कुछ नहीं था।पर अकडू काका सब जानते थे उन्होंने तारक को डांटा के आज के बाद पत्थर मत मारना। और बिना टोके हुए निकल जाना।


टोकना या मारना भारी पड़ जाता हैं।
अकडू काका ने शहर में जाके तारक और उसके साथ जाने वाले बच्चों के माता पिता से पता नहीं क्या कह के आएं के उनके परिवार वाले बच्चों को साथ लाने ले जाने लगें।
तारक ने पूछा क्यों ऐसा क्यों पापा आप लोग हमें अकेले क्यों नहीं आने जाने दे रहें हों।
पापा बोले कुछ नहीं छोड़ो जाने दो।


तारक और बच्चों ने अकडू काका को घर के पास रोक कर कहां के आपने ऐसा क्या कह दिया हैं की घर वाले अकेले नहीं आने देते।


अकडू काका ने कहां के जब भी दीवार पे कोई जानवर दिखता हैं तब कोई न कोई बच्चा गायब हो जाता हैं शहर से।और तुमने जो पत्थर मारा था वो अच्छा नहीं किया था।
बच्चे बहुत डर गए। तब जाके कहानी सामने आई सबके की साल में एक बार कुछ हैं जो जानवर का रूप बनाके दीवार पे बैठ के आते जाते बच्चों में से कोई एक बच्चा चुनती हैं और उन्हें अपने साथ ले जाने की कोशिश में लग जाती हैं।


एक रात बहुत तेज आंधी आई और बारिश भी, रात का समय था। कुछ लोग जंगल की और से आ रहे थे।
उन्होंने देखा कि एक बच्चा सफेद कपड़ा पहने दीवार पे बैठा हैं और जोर जोर से चिल्ला रहा हैं।


लोगों ने सोचा के चल के पूछते हैं कि कौन हैं।
तभी पीछे से अकडू काका आवाज लगाते हैं।नहीं। नहीं।
आगे मत जाना।मत टोकना कुछ मत कहना।
लोग डर के पीछे हट जाते हैं।


और अकडू काका से पूछते हैं क्या हुआ।
काका बोलते हैं जल्दी चलो मेरे साथ। और जाके तारक के पड़ोस में और तारक के परिवार से बोलते हैं आज की रात कोई मत सोना।


और तारक को बोलते हैं आज के बाद दुबारा पत्थर मत मारना।
और ये बोलते हुए अपने घर को चले जाते हैं।
तभी आधी रात को तारक के घर के दरवाजे पे दस्तक होती हैं।


खट खट। खट खट


दरवाजा जोर जोर से पीटने लगता हैं कोई।
आस पड़ोस में सब डर जाते हैं।
तभी फोन आता हैं तारक के घर पड़ोसी काका का।
दरवाजा मत खोलना।


आज कोई न कोई बच्चा जायेगा।
तभी खिड़की का पर्दा हटा के सब देखते हैं अपने अपने घर से।


तो देखते हैं सफेद कपड़ा पहने एक छोटा बच्चा अपने हाथ में खूब सारे गुब्बारे लिए हुए हैं।
और बोल रा हैं गुब्बारे ले लो बच्चों।भारी आवाज और चीखते हुए बोल रा हैं।


आओ मेरे साथ खेलो।चलो मेरे साथ मेरे घर चलो।
और पत्थर जिसने मारा था वो बच्चा मुझे बहुत पसंद हैं।
पूरे इलाके में डर का माहौल बन गया था।
वो तारक को ले जाने के लिए बेताब था क्योंकि तारक ने पत्थर मार के टोक दिया था।


हवा और बारिश दोनों तेज होते जा रहीं थीं।
और रात भर वो बच्चा वहां खड़ा रहा और एकदम सवेरे चला गया।


सवेरे होते हैं सारे पड़ोस वाले इकट्ठा हो गए की क्या हुआ था।
तभी अकडू काका ने बताया के बहुत पहले खेलते खेलते उस जंगल की और एक बच्चा चला गया था। और खो गया था और अपने मां पापा को ढूंढते ढूंढते वहीं जंगल में आखिरी सांस लिया। तब से उस जंगल के बाहर दीवार बना दी गईं।


और हर साल एक बच्चे को अपने साथ ले जाता हैं और फिर वो बच्चा कभी वापस नहीं आता और ना मिलता हैं।
और आज फिर वो आएगा।


या कुछ दिन बाद आयेगा। या रूप बदल के हमला करेगा।
तारक और उसका परिवार सब डर में थे।
तभी अकडू काका ने बोला के एक तरीका हैं जिससे उसे आने से रोका जा सकता हैं।


अगर किसी तरह तारक का मारा हुआ पत्थर लाके मंदिर में रख दिया जाए तो वो इस साल किसी को नहीं ले जा पाएगा।
क्योंकि जो टोकता हैं वो उसी को ही ले जाता हैं।
सब उस दीवार की और दिन में गए और पत्थर ढूंढने लग गए।


पर उस पत्थर को ढूंढेंगे कैसे किसी ने पूछा।
काका बोला एकदम लाल हो गई होगी वो पत्थर खून के जैसे।


तभी उन्होंने देखा कि वैसा पत्थर दीवार के उस पार हैं।
अब उस पत्थर को लाया कैसे जाएं।


क्योंकि वो दीवार पार करना मौत को दावत देना हैं।
अकडू काका बोले कोई सच्चा शिव भक्त ही इसे ला सकता हैं। क्योंकि शिव जी की कृपा ही इस दीवार को पार करने में सहायता कर सकती हैं।


तभी गले में रुद्राक्ष पहने भोला आता हुआ दिखाई दिया जो रोज मंदिर में दिन रात महादेव की पूजा किया करता था।
उसे सब बोले कि तुम इस दीवार के पार जा सकते हो क्या हम सब यहीं खड़े हैं और गेट से तुम्हे देखते रहेंगे।
सूरज ढलता जा रहा था। रात होने को थी।


तभी काका बोले कल वो आया था आज ही हमे पत्थर निकलना होगा तभी पड़ोस के एक व्यक्ति उस दीवार पे टॉर्च लेके चढ़ गया और दीवार पे चढ़ते ही किसी अदृश्य शक्ति ने उन्हें धकेल दिया और वो नीचे गिर गए।
लोगों ने उन्हें उठाया और वापस ले गए।


तभी भोला महादेव का नाम लेके दीवार पे चढ़ गया और देखा के सामने पेड़ पर वो बच्चा बैठा हैं और वहां से वो उड़ के हमला करने आया लेकिन भोला के पास पहुंचने से पहले ही वो गायब हो गया।


रुद्राक्ष की शक्ति उसे भोला के पास नहीं आने दे रहीं थीं।
तभी भोला दीवार के उस पार कूद गया और पत्थर ढूंढने लगा।


वो आत्मा अलग अलग जानवर का रूप बनाके भोला को डराने लगीं।
लेकिन भोला को वो पत्थर ढूंढना था।
कई साल से ना जाने कितने बच्चे गायब हो चुके थे।
आज उनका बदला लेने के लिए महादेव ने भोला को भेज दिया था।


तभी पत्थर मिल गईं और भोला दीवार पे चढ़ते लगा और भोला का रुद्राक्ष अचानक गिर गया।
तभी वो आत्मा भोला के पैर पकड़ लेती हैं और घसीटने की कोशिश करती हैं।


तभी भोला मंत्र पढ़ने लगता हैं। महा मृत्युंजय मंत्र और शिव तांडव।


वो आत्मा कमजोर पड़ने लगती हैं।
भोला रुद्राक्ष उठाता हैं और दीवार पे चढ़ जाता हैं।
और सब लोगों के साथ जाने लगता हैं।
पीछे से वो बच्चा चिल्लाने लगता हैं और भोला के बगल से एक आदमी को हवा में उड़ा देता हैं और गिरा देता हैं।
सब लोग भोला का हाथ पकड़ लेते हैं।और भोला मंत्र और जोर से पढ़ने लगता हैं।


शिव मंदिर के पास पहुंच के।।काका पत्थर लेके मंदिर में जाने वाले होते हैं तभी वो आत्मा थोड़ी दूर आके बोलते हैं के ऐसा किया तो मार दूंगा तुम्हें।पर भोला ने रुद्राक्ष काका के हाथ में दे दिया होता हैं।


इसलिए आत्मा उनके पास नहीं आतीं।
काका मंदिर में जाके पत्थर रख देते हैं महादेव के शिव लिंग के पास और पत्थर का रंग लाल से दुबारा पहले जैसा हो जाता हैं और वो आत्मा फिर से जाके दीवार पे बैठ जाती हैं और गायब हो जाती हैं।


काका तारक को बुलाते हैं और बोलते हैं तुम बच गए बेटा इस बार। और शायद इस बार सारे बच्चे बच गए। पर ध्यान रखना होगा।
और सारे बच्चों को समझाते हैं और तारक से भी बोलते हैं।

बोलते हैं।


"दुबारा पत्थर मत मारना।"