(मुस्कान, पिता चौबे की कठोरता और समाज के तानों से जूझती हुई, अपनी पहचान की तलाश में है। कॉलेज में सबके सामने रौनक उसे नकली गर्लफ्रेंड बना लेता है, जिससे मुस्कान उलझन में पड़ जाती है। शीना को सबक सिखाने के बाद उसका आत्मविश्वास बढ़ता है, पर एक कार का पीछा उसे असुरक्षित महसूस कराता है। रौनक, अपने पारिवारिक तनावों के बावजूद, मुस्कान के प्रति आकर्षित है और उसे लाइब्रेरी ले जाकर उसके लिए सदस्यता कार्ड बनवाता है। मुस्कान को पहली बार पढ़ाई में सच्चा सहारा मिलता है। घर लौटकर भी वह रौनक की याद और लाइब्रेरी कार्ड को लेकर शरमा उठती है। अब आगे)
दिल की उलझन या प्यार की सुलझन
वरूण ने चौंकते हुए कहा "क्या , डेट पर तू उसे लाइब्रेरी ले गया। क्लासिक लव स्टोरी है तेरी।"
रौनक ने कहा "मैं बस चाहता हूं कि वह अपने सपने पूरे करें। और ..''
वरूण ने छेड़ते हुए कहा "तु उसका सपना बन जाए।"
रौनक ने गंभीर होकर कहा "सपना नहीं, हकीकत बनूंगा मैं उसका। बस वह एक बार मान जाए ''
तभी उसकी नज़र सामने पड़ी । एक लड़का लड़की को छेड़ रहा था , अचानक ही रौनक का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। रौनक गुस्से से आगे बढ़ा और उस लड़के को एक घूंसा मार दिया । वरूण को कुछ समझ ही नहीं आया। रौनक ने उस लड़के के गर्दन को पकड़ लिया, उसके आंखों में खून उतर आया "लड़की को अगर उसकी मर्जी के बिना हाथ भी लगाया तो लाश मिलेगी तेरी यहां?''
और उसकी पकड़ टाइट होती गयी । तभी उसकी नज़र सामने पड़ी । सारे लोगों के साथ मुस्कान भी उसे देख रही थी। मुस्कान को देख उसकी पकड़ ढीली हो गयी। और वह लड़का भाग खड़ा हुआ। उसे होश आया कि अभी अभी वह कोई और बन गया था। उसने शर्म के मारे मुस्कान की तरफ पीठ कर लिया।
मुस्कान हैरानी से रौनक की ओर बढ़ी लेकिन तभी बेल बजी और मुस्कान क्लास की ओर बढ़ी। मुस्कान ने पलटकर देखा तो अभी रौनक की पीठ मुस्कान की तरफ थी। मुस्कान ने चुपचाप जाना ही ठीक समझा।
रौनक क्लास तो ले रहा था, पर उसका ध्यान कहीं और ही था। क्लासेस खत्म होने के बाद वह फुटबाॅल ग्राउंड में मुंह छिपाकर बैठ गया जैसे उसने बहुत ग़लत किया । तभी वहां एक लड़की आई "हाय, मैं प्रगति। थैंक यू, मेरी मदद करने के लिए।"
रौनक ने कहा "थैंक्स कहने की जरूरत नहीं, मैंने वही किया जो मुझे करना चाहिए था।"
लड़की दो ड्रिंक आगे कर दी " यह मेरी तरफ से। "
रौनक ने हैरानी से कहा "दो किसलिए?''
लड़की ने कहा ''एक आपके लिए और दूसरा आपकी गर्लफ्रेंड के लिए।"
रौनक ने चौंककर कहा "क्या, किसके लिए?''
तभी वहां मुस्कान ने आकर वह ड्रिंक ले लिया "तुम्हारी गर्लफ्रेंड के लिए " और गहरी सांस लेकर कहा "यानि मेरे लिए।" और वह थैंक्स कहकर पीने लगी।
रौनक ने हैरानी से मुस्कान को देखा और प्रगति मुस्कुराती हुई चुपचाप चली गयी।
रौनक ने मुस्कान को देखकर कहा "मुझे लगा कि तुम मुझसे बात नहीं करोगी, मुझसे नाराज़..?''
मुस्कान ने ड्रिंक का सिप लेते हुए कहा "मैं नाराज़ होना चाहती थी, पर तुम्हें देखकर लगा नहीं कि इस बार तुम मुझे मनाओंगे।"
रौनक को हंसी आ गयी। मुस्कान ने रौनक के पास आकर कहा "अब लग रहा है कि तुम रौनक हो।''
रौनक हंस दिया और बोला ''यू आर टू मच।"
...
मुस्कान और रौनक दोनों बैठकर ड्रिंक पी रहे थे और दूर से शीना देख जल भुन रही थी।
रौनक बार बार मुस्कान के हाथ को देख रहा था क्योंकि वह उसे छूना चाहता था, पर मुस्कान का सारा ध्यान ड्रिंक के स्वाद मे था।
शीना ने चिढ़ते हुए कहा "क्या है उस लड़की में?''
तभी चंचल भागते हुए आयी "मुझे कबीर के कांसर्ट की टिकट मिल गयी । मैं और तरूण जा रहे हैं।"
मुस्कान ने एक्साइटिड होकर कहा "और मेरे लिए?''
चंचल ने कहा "दो ही टिकट है।"
मुस्कान को गुस्सा आ गया " पर हर साल तु कबीर के कांसर्ट में मेरे साथ जाती है और आज तरूण के साथ?''
चंचल ने कहा "सोरी यार।"
रौनक ने कहा "हैलो। मैडम मुस्कान! आपको प्रोजेक्ट बनाना है। भूल गयी।"
चंचल ने हंसते हुए कहा "all the best" और वहां से चली गयी।
मुस्कान ने रौनक को गुस्से से देखा और पैर पटकते हुए चली गयी।
रौनक ने हंसते हुए कहा "घरवालों ने क्या देखकर इसका नाम मुस्कान रखा है? गुस्सा तो नाक में रहता है इसके।"
....
रात को मुस्कान ने दुखी होकर यूट्यूब में कबीर के गाने चलाए और सुनने लगी। थोड़ी देर बाद वह सो गयी।
सपने में उसने देखा कि वह और कबीर दोनों किसी गाने मे रोमांस कर रहे थे और तभी मुस्कान ने पलकें झपकाईं तो कबीर रौनक में बदल गया और मुस्कान जोर से चीखी।
मुस्कान की आंख खुली तो देखा कि कबीर के गाने चल रहे थे। उसने गुस्से से गाना बंद किया और वापस सो गयी।
सुबह उठकर हाॅल में आई तो पापा कसरत कर रहे थे।
पापा ने कहा "वाह! आज जल्दी उठ गयी। आजा , कसरत करते हैं।"
मुस्कान कुछ कहती ,उससे पहले ही पापा ने उसे डम्बल पकड़ा दिए।
पर मुस्कान अपने हाथ में डम्बल नहीं संभाल पा रही थी।
पापा ने कहा "आज लग रहा है कि तू संजय चौबे की बेटी है।
मुस्कान को न चाहते हुए भी कसरत करनी पड़ी।
...
मुस्कान किताबों में डूबी हुई थी, लेकिन बार-बार अपने कंधे को दबा रही थी। शायद सुबह की कसरत का असर था।
चंचल उसके पास आकर बैठी और बोली –"तू ठीक है?"
मुस्कान ने भौंहें चढ़ा लीं –"तू तरुण की चिंता कर, मेरी नहीं।"
चंचल मुस्कुराई – "अरे, नाराज़ क्यों होती है! चल तेरे लिए भी एक टिकट का जुगाड़ कर दूंगी… बस।"
इतना सुनते ही मुस्कान की आंखें चमक उठीं। उसके होंठों से बिना सोचे निकल पड़ा –"एक रौनक के लिए भी।"
जैसे ही शब्द निकले, वह चौंक गई। "ये… मैंने क्या कह दिया?" उसके गाल हल्के गुलाबी हो गए।
चंचल ने शरारती अंदाज़ में आंखें मटकाईं –"ओके! अब समझी मैं… मुस्कान जी को मनाने की कीमत भारी चुकानी पड़ेगी।" कहकर वह ठहाका लगाती हुई वहां से चली गई।
मुस्कान अकेली रह गई। किताब खोले बैठी थी, पर अक्षर धुंधले से लग रहे थे। होंठों पर अनजानी मुस्कान थी और दिल में बेचैनी।
"लगता है… मुझे रौनक से… नहीं, नहीं! मुझे वो पसंद नहीं ।"
वह झल्लाकर किताब पर झुक गई, जैसे पढ़ाई से ही अपने दिल को मनाने आई हो।
..
1. मुस्कान का दिल रौनक को अपना मान चुका है, यह बात मुसकान कब स्वीकारेगी?
2. रौनक का जूनूनी रूप कुछ देर के लिए था या मुस्कान उसकी भारी कीमत चुकाएंगी?
3. चौबे और मुस्कान के नटखट रिश्ता हमेशा ऐसा ही रहेगा या उसको किसी की नजर रखेगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "तुम मेरे हो।"