O Mere Humsafar - 30 in Hindi Drama by NEELOMA books and stories PDF | ओ मेरे हमसफर - 30

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ओ मेरे हमसफर - 30

(प्रिया अपने परिवार के सम्मान और कुणाल के प्यार के बीच उलझी है। वैभव उसकी सुरक्षा को लेकर चिंतित है, क्योंकि ललिता ने जेल में बंद टोनी को छुड़ा लिया है, जो पहले प्रिया से जबरन शादी करना चाहता था। वैभव डरता है कि यह शादी किसी साजिश का हिस्सा न हो। वहीं प्रिया परिवार को भरोसा देने की कोशिश करती है कि वह कमजोर नहीं है। ऑफिस में प्रिया कुणाल से अपने प्यार का इजहार करती है और कुणाल अब चेताता है कि वह उसे खुद से कभी दूर नहीं होने देगा। दोनों सब भूलकर गले लगते हैं। अब आगे)

दिल और दायित्व

कुणाल संभाला और बाहर निकल गया। उसे बाहर निकलते हुए तमन्ना केबिन की अंदर भागी "क्या हुआ? सब ठीक हैं न ?"
प्रिया खोई हुई थी । तमन्ना ने उसे जोर से कहा "प्रिया..आ"
प्रिया ने खुशी और उत्साह के मारे तमन्ना को जोर से पकड़कर हिलाया और अपने चेयर को घूमाते हुए शर्माने लगी।
तमन्ना ने सिर पीटते हुए कहा "लोग प्यार में निकम्मे हो जाते हैं। तुम तो पहले ही.."
प्रिया का जैसे ध्यान टूटा "क्या कहा?"
तमन्ना ने कहा "आपको याद है कि आज कुणाल सर ने क्या काम दिया था ?"
प्रिया ने बैग उठाया और भागते हुए कहा "बैंकों मे जाकर कस्टमर को होम लोन के अवेलेबल करने के लिए बात करनी थी। बाय बाय।"
....
रिया अपनी किताबों में खोई हुई थी। कुमुद ने धीरे से उसके हाथ में चाय का कप थमाया।
"कितने दिन के लिए आई हो?" उसने पूछा।

"चार दिन के लिए," रिया ने चाय की सिप लेते हुए जवाब दिया।
कुमुद ने हैरानी से कहा, "बस चार दिन?"

रिया ने मुस्कुराते हुए कहा, "हां, इस बार मुझे यह परीक्षा किसी भी हालत में क्लियर करनी है। और आप सब बहुत याद आ रहे थे, इसलिए…"

कुमुद ने गंभीर स्वर में कहा, "अच्छा है, लेकिन प्रिया ने कहा है कि कुणाल को बिल्कुल नहीं बताना कि तुम कहाँ पढ़ाई कर रही हो।"

रिया ने हल्का सा सिर हिलाया, "चाची! कुणाल वैसा नहीं है।"

कुमुद ने गहरी सांस ली, "हमने और प्रिया ने तेरे लिए बहुत ग़लत किया। आदित्य जैसा…"

रिया ने बीच में टोका, "आप लोगों को तो कुछ भी पता ही नहीं था। आदित्य से शादी मेरी जिद थी। आप लोग बार-बार समझाते रहे कि… खैर, पुरानी बातें भूल जाइए। वैसे ललिता आंटी को प्रिया के काम करने से कोई एतराज़ नहीं होगा।"

कुमुद ने चिंता भरी नजरें रखते हुए कहा, "प्रिया जिद्दी है। प्यार से कहोगे तो जान भी दे देगी। और अपमान के बदले… पता नहीं। ललिता जी का अहंकार और प्रिया की जिद, रिश्तों को कहाँ तक सहज पाएगी।"

रिया ने मन ही मन सोचा कि कहीं प्रिया को कुणाल के लिए मनाना सही तो नहीं किया गया।
कुमुद ने मुस्कुराते हुए कहा, "ठीक है, तू पढ़ाई कर। मैं थोड़ी देर टहलने चली जाऊँगी।"
...
शाम को प्रिया घर लौट आई और रिया के कपबोर्ड की ओर चली गई।
"दीदी, आपके कपड़े देख रही हूँ। ये मुझे ठीक लगेंगे या नहीं?" उसने उत्सुकता से पूछा।

रिया ने हँसते हुए कहा, "ओह्हो! तो मैडम को पुरानी प्रिया वाला लुक चाहिए।"

प्रिया ने चिढ़ते हुए जवाब दिया, "इस लुक में क्या प्रॉब्लम है?"

रिया पास आई और मुस्कुराई, "पुराने कपड़े तो स्टाइल के साथ आएँगे, लेकिन ये बाल… तूने कुणाल के वियोग में छोटे कर लिए…"

प्रिया चौंकी, "कौन सा योग?"

रिया ने कंधा मारते हुए कहा, "वियोग मतलब—बिछड़ना, यादों में रोना, तड़पना।"

प्रिया गुस्से में बोली, "हैलो! मैंने बाल कम से कम ढंग से कटवाए हैं। आप अपने आप को देखो, कितना वजन बढ़ गया है आपका। लगता है पढ़ाई से ज्यादा खाना खाने में समय बीतता है आपका !"

रिया चौकी "क्या ?" और भागकर आईने के सामने खुद को देखने लगी। प्रिया जोर से हँसी और कमरे से बाहर भाग गई।
...

प्रिया का पीछा करते हुए रिया बोली, "रूक! बताती हूँ, प्रिया की बच्ची!"
प्रिया सामने देख चौंकी—कुणाल खड़ा था। उसने तुरंत रिया को अपने पीछे छुपा लिया।

कुणाल ने चौंकते हुए कहा, "रिया दी! आप ?"
कुछ पल बाद उसने ध्यान हटाया और रिया को इग्नोर कर प्रिया के सामने टेबल पर फाइल रख दी।
"तुम कार में भूल गई थी। सोमवार को मीटिंग है, इसे पढ़ लेना।"

रिया प्रिया के पीछे से निकल बोली  "बैठोगे नहीं? आज बहुत दिनों बाद मिल रहे हैं। मैं बहनोई के लिए चाय लेकर आती हूँ। तुम प्रिया से बात करो।"

कुणाल ने प्रिया को घूरते हुए कहा, "तरुण बता रहे थे कि तुम ओनरशिप छोड़ रही हो। क्यों? कुछ हुआ क्या?"
प्रिया ने हंसते हुए कहा, "मैं इसकी हकदार नहीं हूँ।"
कुणाल मुस्कुराया, "जो मेरा है, वो तुम्हारा है।"
प्रिया ने गहरी सांस ली, "हाँ, पर मैं कंपनी की ओनरशिप अपने दम पर पाना चाहती हूँ। और मुझे पता है तुम मेरा पूरा साथ दोगे। है ना?"
कुणाल सिर हिलाकर मुस्कुराया।

उसकी नज़र सामने पड़ी किताब पर और उत्साहित होकर बोला, "तुम IAS की पढ़ाई कर रही हो!"
पहला पन्ना खोलते ही कहा, "ओह! यह तो रिया दी का है… यानि कि वह…"

तभी रिया चाय लेकर खड़ी थी और प्रिया इधर-उधर देख रही थी।
रिया ने चाय दी और कुणाल ने सिप ली।
"कैसी है?" रिया ने पूछा।
कुणाल उत्साहित होकर बोला, "अच्छी है! लेकिन आप IAS की पढ़ाई कब से कर रही हैं? यह तो गर्व की बात है।"
रिया ने तुरंत जवाब दिया, "पिछले तीन साल से।"
प्रिया जोर से चिल्लाई, "चुप रहिए!"
रिया को याद आया—यह बात कुणाल को नहीं बतानी थी।
कुणाल को प्रिया का चिल्लाना अच्छा नहीं लगा।
"लगता है मुझे यह सवाल नहीं पूछना चाहिए था," उसने मुस्कुराते हुए कहा।

चाय खत्म करके कुणाल बाहर निकल गया। वह उम्मीद कर रहा था कि प्रिया उसे रोकेगी, पर उसने ऐसा कुछ नहीं किया और कार की तरफ बढ़ गया।
....
1. क्या प्रिया सच में अपनी ज़िंदगी और करियर में खुद की पहचान बनाए रख पाएगी, या कुणाल के साथ उसका प्यार उसे किसी नए मोड़ पर ले जाएगा?

2. रिया की IAS की पढ़ाई का राज़ अगर कुणाल को पता चल गया तो प्रिया और रिया के बीच कैसे स्थिति बनेगी?

3. क्या प्रिया का खुद पर भरोसा और जिद्द ललिता और बाकी परिवार के अहंकार के साथ टकराएगी, या सभी रिश्ते सहजता से बन पाएंगे?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "ओ मेरे हमसफ़र"