The Quest Of The Philosophers Stone - 1 in Hindi Fiction Stories by Krishna Prajapati books and stories PDF | पारस पत्थर की रहस्यमयी खोज - भाग 1

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पारस पत्थर की रहस्यमयी खोज - भाग 1

पारस पत्थर की रहस्यमयी खोज
 

एक ऐसी दुनिया में जो हमारी कल्पना से भी परे थी, तीन मुसाफिर एक महान सफर पर निकले। इनमें से दो थे हेडन और एलेक्स, जिनकी भुजाओं में तूफानों से लड़ने की ताकत थी, और एक थी व्रीना, एक नाजुक लड़की जिसकी ताकत उसकी हिम्मत में छुपी थी। उनका लक्ष्य था उस आसमान को छूते पर्वत पर चढ़ना, जिसके सीने में दफ्न था एक रहस्य - पारस पत्थर! कहते हैं, जिसे भी वो पत्थर मिल जाए, वो दुनिया का मालिक बन सकता है, उसकी हर ख्वाहिश पूरी हो सकती है।

 
पहाड़ की चोटी बादलों से बातें करती थी, जहाँ वो जादुई पत्थर किसी सितारे की तरह टिमटिमा रहा था। लेकिन उस तक पहुँचने का रास्ता काँटों से भरा था। खड़ी चट्टानें ऐसी थीं मानो कोई दानव मुँह फाड़े खड़ा हो, और फिसलन भरे पत्थरों पर हर कदम मौत को दावत देने जैसा था। हवा में एक अनजाना खतरा घुला हुआ था, और परछाइयों में ज़हरीले नाग और आदमखोर पौधे अपने अगले शिकार का इंतज़ार कर रहे थे।

 
 

अध्याय 1: पहला कदम और अतीत का दलदल
 

"इस बार तो मैं चोटी पर पहुँच कर ही रहूँगा!" हेडन ने घमंड से कहा। "पारस पत्थर मेरे कदमों में होगा और मेरे पास होगी बेहिसाब दौलत और ताकत! मेरी ज़िंदगी एक ख्वाब जैसी होगी!"

 
एलेक्स ने ताना मारते हुए कहा, "कहते तो तुम हमेशा यही हो, पर तुम्हारी मेहनत बस एक-दो घंटे की होती है। तुम्हारे 'कल करूँगा' वाले वादे कभी पूरे नहीं होते।"

 
"अपना मुँह बंद रखो!" हेडन चिढ़कर बोला।

 
तभी व्रीना की धीमी आवाज़ गूंजी, "भले ही ये नामुमकिन लगे, पर मुझे यकीन है कि ये सफर मुझे बहुत कुछ सिखाएगा।"

 
एलेक्स ने मुस्कुराकर कहा, "हाँ, चुनौतियाँ तो बहुत होंगी, पर ये सफर यादगार रहेगा!"

 
लेकिन उनका पहला ही कदम उनकी रूह कंपा गया। उनकी पिछली गलतियों ने एक ऐसा दलदल बना दिया था जिसमें वे फँस गए थे। उस दलदल से पहाड़ आसमान छूता हुआ एक ऐसा दैत्य लग रहा था जिसे जीतना नामुमकिन था। पर जैसे ही उन्होंने हिम्मत करके अपना पहला कदम बढ़ाया, एक करिश्मा हुआ! पहाड़ का गुरूर टूटने लगा और उसकी ऊँचाई कम होने लगी, मानो कोई जादुई शक्ति उनके लिए रास्ता बना रही हो।

अध्याय 2: ख्वाबों की मायावी दुनिया
 

कुछ दूर चलने पर उनकी आँखों को चौंधिया देने वाला एक दरवाज़ा प्रकट हुआ, जो हीरों से जड़ा था। दरवाज़े के भीतर से शहद जैसी मीठी आवाज़ आई, "अंदर आ जाओ, भविष्य के बादशाहों! मैं तुम्हें वो सब कुछ दूँगी जो तुमने चाहा है, वो भी बिना किसी मेहनत के!"

 
जैसे ही उन्होंने दरवाज़े के अंदर कदम रखा, दुनिया ही बदल गई। व्रीना ने देखा कि उसका सपनों का राजकुमार उसके सामने खड़ा था, जो पलक झपकते ही खूबसूरत और बुद्धिमान बन गया था। हेडन ने अपनी आँखों के सामने पारस पत्थर को पाया और अपनी ताकत का दिखावा करने लगा। एलेक्स हैरान था कि सब कुछ इतनी आसानी से कैसे मिल गया।

 
"यह... यह सच कैसे हो सकता है?" व्रीना ने काँपती आवाज़ में पूछा। "कहीं यह कोई भ्रम तो नहीं?" तभी उसकी नज़र कोनों में पड़े कंकालों पर गई, जिन्हें अपनी ख्वाहिशों के नशे में कोई नहीं देख रहा था। उसकी रीढ़ में एक सिहरन दौड़ गई। एलेक्स के शब्द उसके कानों में गूंजे, "अगर हम अपनी यात्रा पर ध्यान दें, तो यह भ्रम की दुनिया खुद-ब-खुद जलकर राख हो जाएगी।" जैसे ही उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ, वो मायावी दुनिया गायब हो गई और उन्होंने खुद को वापस उसी कीचड़ भरे दलदल में पाया।