Ch - 1 परिचय और शुरुआत
मुम्बई के एक छोटे से कॉलोनी में 15 साल की प्रिया अपने पिता और छोटे भाई रोहन के साथ रहती थी। उसके पिता बस ड्राइवर थे और मां कुछ साल पहले ही दुनिया छोड़ गई थी। घर का खर्च बहुत तंग था, लेकिन प्रिया का सपना बड़ा था—वह देश की सबसे बड़ी वैज्ञानिक बनना चाहती थी।
प्रिया स्कूल से लौटते समय भी किताबें पढ़ती रहती। उसकी सहेली मीरा अक्सर कहती,
“प्रिया, इतना पढ़ाई क्यों करती हो? हम तो खेलने जाते हैं।”
प्रिया मुस्कुराकर जवाब देती,
“खेलने का मज़ा बाद में भी आएगा, मीरा। मुझे पहले अपने सपने पूरे करने हैं।”
परंतु कॉलोनी के कई लोग उसके इस जज़्बे को नहीं समझते थे। अक्सर लोग कहते,
“इतनी मेहनत किस काम की? घर का खर्च भी मुश्किल से चलता है। बड़े सपने छोड़ो।”
प्रिया की आँखों में हमेशा चमक रहती। वह जानती थी—सपने देखने से डरना नहीं चाहिए।
Ch - 2 संघर्ष और मेहनत
एक दिन स्कूल में विज्ञान प्रतियोगिता का ऐलान हुआ। प्रिया ने तय किया कि वह इसमें हिस्सा लेगी। उसका प्रोजेक्ट था—“सौर ऊर्जा से चलने वाली छोटी कार।”
सहपाठी हँस रहे थे,
“प्रिया, ये सब पढ़ाई से क्या होगा? हमारे लिए मस्ती ही काफी है।”
लेकिन प्रिया ने ध्यान नहीं दिया। उसने घर में छोटे-छोटे सामान से कार बनाई और रातों-रात प्रयोग किया।
प्रतियोगिता का दिन आया। प्रिया ने अपना प्रोजेक्ट प्रस्तुत किया। जज उसकी मेहनत और नवाचार से प्रभावित हुए। परिणाम घोषित हुआ—प्रिया ने टॉप किया!
लेकिन खुशी के साथ एक कठिनाई भी आई। उसी हफ्ते, उसके पिता की तबीयत अचानक बिगड़ गई। डॉक्टर ने बताया कि उन्हें आराम की ज़रूरत है और घर का खर्च भी मुश्किल में है।
Ch - 3 जिम्मेदारी और चुनौती
प्रिया ने हार नहीं मानी। उसने कॉलोनी के पास की किताबों की दुकान में पार्ट-टाइम काम करना शुरू किया। हर शाम स्कूल और पढ़ाई के बाद वह दुकान में किताबें व्यवस्थित करती।
उसने ऑनलाइन scholarship के लिए आवेदन किया। कई बार उसे रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। हर बार रोहन उससे पूछता,
“दीदी, क्या तुम हार नहीं मानोगी?”
प्रिया मुस्कुराकर कहती,
“नहीं रोहन, मुश्किलें हमें मजबूत बनाती हैं। बस थोड़ा और धैर्य चाहिए।”
धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाने लगी। एक दिन उसे देश की एक बड़ी संस्था से scholarship मिली।
Ch- 4 सफलता की ओर
Scholarship से प्रिया की पढ़ाई आसान हुई, लेकिन IIT में प्रवेश का pressure बढ़ गया। उसने दिन-रात मेहनत की। उसके दोस्त उसे प्रेरित करते, लेकिन कई बार पढ़ाई और घर की जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो गया।
एक रात रोहन ने कहा,
“दीदी, तुम बहुत थक गई हो। थोड़ा आराम कर लो।”
प्रिया ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुराई,
“रोहन, अगर मैं अब रुक गई तो मेरे सपने अधूरे रह जाएंगे। बस एक आखिरी कोशिश और।”
सभी परीक्षाओं और कठिनाइयों के बाद, प्रिया IIT में प्रवेश पाने में सफल हुई। उसके पिता की आँखों में गर्व और खुशी की चमक थी।
Ch - 5 Resolution और सीख
प्रिया की कहानी अब कॉलोनी में बच्चों के लिए प्रेरणा बन गई। सब कहते,
“अगर प्रिया कर सकती है, तो हम क्यों नहीं?”
प्रिया अपने छोटे भाई रोहन को समझाती,
“जिंदगी में मुश्किलें आएंगी, रोहन। पर अगर मेहनत और विश्वास साथ हों, तो कोई भी सपना दूर नहीं होता।”
उसकी उड़ान अभी शुरू हुई थी। IIT और आगे की पढ़ाई केवल पहला कदम था। प्रिया ने साबित कर दिया कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, अगर दिल में जज़्बा और हौसला हो, तो कोई मंज़िल मुश्किल नहीं।
सीख: सपनों की उड़ान के लिए मेहनत, हिम्मत और आत्मविश्वास सबसे बड़ा पंख होते हैं।