सूरज की पहली किरणें पहाड़ों के ऊपर से झांक रही थीं, और हवा में सुबह की ठंडक के साथ एक नई उम्मीद की खुशबू थी। अर्जुन अपने बैग में जरूरी सामान भर रहा था। आज वह अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा एडवेंचर शुरू करने वाला था। उसकी योजना थी—एक रहस्यमयी जंगल में जाकर उस पुराने खजाने की खोज करना, जिसके बारे में उसके दादा ने उसे बचपन में बताया था।
जंगल के पास पहुँचते ही अर्जुन ने अपने चारों ओर घने पेड़ों और अजीब आवाज़ों को महसूस किया। पक्षियों की चहचहाहट के बीच कहीं दूर से भालू की गर्जना सुनाई दी। उसने खुद से कहा, “डरना नहीं, यह तो बस एडवेंचर का हिस्सा है।”
जंगल के अंदर का रास्ता उतना आसान नहीं था। पेड़ों की जड़ें रास्ता रोक रही थीं, और कीचड़ उसके जूतों को फंसाता जा रहा था। लेकिन अर्जुन ने हिम्मत नहीं हारी। थोड़ी दूर चलने के बाद उसे एक छोटी नदी मिली। नदी पार करना आसान नहीं था। पत्थर फिसल रहे थे और पानी ठंडा और तेज़ बह रहा था। उसने गहरी सांस ली और धीरे-धीरे नदी पार करना शुरू किया। अचानक उसके पैर फिसल गए, लेकिन उसने हाथ से एक बड़ी लकड़ी पकड़ ली और खुद को बचा लिया। उसकी धड़कन तेज हो गई थी, लेकिन आँखों में चमक और बढ़ गई थी।
नदी पार करने के बाद अर्जुन ने जंगल में और गहराई से कदम रखा। उसने देखा कि कुछ दूरी पर एक पुराना पुल था, जो आधा टूटा हुआ था। पुल पर चलना जोखिम भरा था, लेकिन वह खजाने के करीब पहुँचने के लिए तैयार था। जैसे ही उसने पहला कदम रखा, लकड़ी की कड़ियाँ चरमराईं। उसकी सांस रुकने जैसी हो गई। अचानक उसने महसूस किया कि पीछे कोई आवाज़ आ रही है। उसने पलटा तो देखा—एक छोटा बंदर उसे खेल-खेल में पीछा कर रहा था। अर्जुन ने हँसते हुए खुद को संभाला और ध्यान केंद्रित किया।
जंगल के बीच में पहुँचते-पहुँचते सूरज तेज़ हो गया और गर्मी बढ़ गई। अर्जुन को भूख और थकान लग रही थी। उसने अपनी जेब से थोड़ी रोटियां और ड्राय फ्रूट निकाले और खा लिए। खाना खाते समय उसकी नज़र कुछ अजीब पर पड़ी—एक झरने के पास जमीन पर कुछ चमक रहा था। उसने पास जाकर देखा और पाया—पुराने सिक्कों और जंग लगे धातु के कुछ बर्तन! उसके दादा ने सच ही कहा था, खजाना मौजूद है।
लेकिन खुशी ज्यादा देर नहीं टिक सकी। जैसे ही उसने खजाने को छूने की कोशिश की, जमीन धसने लगी और वह संतुलन खोकर झरने की ओर गिरने लगा। चुपचाप उसने अपने हाथों से झरने के किनारे को पकड़ लिया और धीरे-धीरे खुद को ऊपर खींचा। उसके दिल की धड़कन असामान्य तेज़ थी, लेकिन उसने हार नहीं मानी।
अर्जुन ने देखा कि खजाने के चारों ओर जाल लगे हुए थे—पुराने शिकारी ने इसे सुरक्षा के लिए रखा था। उसने धीरे-धीरे जाल के बाहर से सिक्के और बर्तन निकालना शुरू किया। उसकी मेहनत रंग लाई और उसने एक बड़ा बैग भर लिया। अब समय था वापसी का।
वापस रास्ता उतना ही मुश्किल था, लेकिन अर्जुन ने अपनी सूझबूझ और धैर्य से सभी बाधाओं को पार किया। नदी, टूटा पुल और जंगल की घनी झाड़ियों से निकलते हुए वह आखिरकार अपनी गाड़ी तक पहुँच गया। उसने पीछे मुड़कर जंगल की ओर देखा। एक ओर तो थकान थी, लेकिन दिल में गर्व और खुशी की लहर थी।
घर लौटकर अर्जुन ने खजाने को अपने दादा के सामने रखा। दादा की आंखें चमक उठीं और उसने कहा, “बेटा, असली खजाना साहस और धैर्य है। सिक्के तो बस इनाम हैं।” अर्जुन मुस्कुराया। आज उसने न केवल खजाना पाया था, बल्कि अपने अंदर के साहसी और मजबूत इंसान को भी खोज लिया था।
और इस तरह अर्जुन की रहस्यमयी जंगल की यात्रा का अंत हुआ, लेकिन उसके दिल में हमेशा नए एडवेंचर्स की लालसा बनी रही।