addu goda in Hindi Anything by Ravi chendra Sunnkari books and stories PDF | अवरोधक दीवार

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अवरोधक दीवार

स्क्रीनप्ले के प्रारूप को बनाए रखा है।कहानी का शीर्षक: "अवरोध" (Addugoda)पात्र: * साई (लड़का) - लगभग 30 वर्ष * वेन्नेला (लड़की) - लगभग 20 वर्षभाग 1: टकराव और अलगाव (टेंशन)दृश्य 1: आंतरिक – कार – शामकार के अंदर का माहौल तनावपूर्ण है। बाहर बारिश हो रही है। साई ड्राइविंग पर ध्यान केंद्रित किए हुए है। वेन्नेला खिड़की से बाहर देख रही है, गुस्से में खामोश है।वेन्नेला (एक छोटे विराम के बाद):अब हमारे बीच सब ख़तम।मेरे पिताजी ने आप पर भरोसा किया था कि आप बहुत अच्छे हैं और मेरा ख्याल रखेंगे।लेकिन शादी के बाद आपने मुझे नज़रअंदाज़ कर दिया, सिर्फ़ जॉब, जॉब करते हुए कहीं और चले जाते हैं।मुझे समय देना चाहिए था न?साई (शांत स्वर में):मैंने कहा था न... मुझे बस थोड़ा और समय चाहिए।अगर हम ये दो साल डटकर काम करें, तो हम ख़ुशी से जी सकते हैं।वेन्नेला (आवेश में):तब तक मैं बूढ़ी हो जाऊँगी!हमेशा काम, काम कहते हो, एक शब्द भी प्यार से नहीं बोलते।पैसा, गहने हों भी, अगर आप मेरे साथ नहीं हैं तो मुझे क्या होगा?(साई अचानक ब्रेक लगाता है। कार किनारे रुक जाती है।)साई (गुस्से में, पीछे देखते हुए):ठीक है! मैं नहीं हूँ तुम्हारे लिए।तुम्हारे पड़ोसी हैं न— उन्हीं के साथ ऐश कर लो।तुम्हारा ख़याल रखना मेरी गलती थी।मैं मेहनत कर रहा हूँ, क्या मैं यह भी नहीं पूछ सकता कि तुम किसके साथ घूम रही हो?(वेन्नेला सदमे में उसे देखती है, आँखों में आँसू।)साई (थोड़े दर्द में, लेकिन मज़बूती से):ठीक है! दो घंटे तक तुम मुझे मत देखना।मैं भी तुम्हें नहीं देखूँगा।उसके बाद जिसकी जो मर्ज़ी।चाहो तो फिर से शादी कर लेना।लेकिन इस बार मेरी तरह दुःख मत देना।(वह फिर से इंजन चालू करता है, कार तेज़ गति से निकल जाती है। सिर्फ़ बारिश और सड़क की आवाज़ सुनाई देती है।)दृश्य 2: आंतरिक – कार – रात – बारिश बढ़ती हैकार के अंदर का माहौल और भी तनाव से भरा है। बारिश कार के शीशे पर धीमी गति से टकरा रही है। वेन्नेला की आँखों में आँसू हैं। वह अपनी हथेली से आँसू पोंछती है।वेन्नेला (पीड़ा में, आवाज़ काँपते हुए):क्या कह रहे हैं आप?आपने मेरे बारे में ऐसा कैसे सोच लिया?कितना भी गुस्सा हो, आप मुझे ऐसी लड़की कैसे समझ सकते हैं?सच में... आप अच्छे नहीं हैं।(सिर घुमाकर खिड़की की तरफ़ देखती है)I hate you...(साई एक क्षण के लिए मौन रहता है। उसके शब्द दिल में बजते हैं।)साई (मन ही मन – वॉयस ओवर):"थोड़ा ज़्यादा बोल दिया... कोई बात नहीं...घर जाकर कोई भी बता देगा कि मैं ही सही था।लेकिन... वे सबूत... क्या वे झूठ थे?वह हँसी... उसने उसे छुआ...क्या यह सब मैंने सोचा? नहीं, मेरे पास सबूत है!अगर मुझे इतना अपमानित किया गया, तो मैं भी चुप नहीं बैठूँगा।देखते हैं..."(वह फिर से स्टीयरिंग पर कसकर हाथ रखता है। कार की गति बढ़ जाती है।)(वेन्नेला मन ही मन – वॉयस ओवर):"इस बारिश को भी शायद कोई ऐसा ही पति मिला होगा...जो अपने गुस्से से बादलों को रुला रहा है,और वे रोकर बारिश बन रहे हैं।मेरे आँसुओं की तरह..."(वह धीरे से अपना हाथ खिड़की के बाहर निकालती है। ठंडी बूँदें उसकी उंगलियों पर पड़ती हैं।)(साई रोड पर ध्यान केंद्रित किए हुए है, लेकिन उसकी आँखों में गड़बड़ी है। चारों ओर देखता है – थोड़ा हैरान होकर – ब्रेक लगाता है।)साई (अपने आप से):"यह क्या है... लगता है हम रास्ता भटक गए हैं..."(कार की हेडलाइट्स कोहरे में गायब हो रही हैं। शांत सड़क पर केवल बारिश, पीड़ा, और दोनों का मौन है।)भाग 2: जंगल में जीवन रक्षा (सर्वाइवल)दृश्य 3: बाहरी – वन मार्ग – रातब्रेक की आवाज़ के साथ कार अचानक रुक जाती है।साई चुपचाप कार का दरवाज़ा खोलकर नीचे उतरता है। वेन्नेला हैरान होकर उसे देखती है।वेन्नेला (मन ही मन):"क्या हुआ?.."(साई़ फ़ोन निकालकर लाइट जलाता है। चारों ओर गहरा अँधेरा, भीगे हुए पेड़, कोहरा। जंगल की गंध हवा में मिली हुई है।)साई (मन ही मन - वॉयस ओवर):"हम कहाँ आ गए हैं...?यह शायद सड़क नहीं... जंगल लग रहा है।"(वेन्नेला धीरे से कार का दरवाज़ा खोलती है। वह बिना कुछ कहे — कार की बॉडी पर दो बार धीरे से थपथपाती है।)टक... टक...(साई तुरंत उस आवाज़ को सुनकर, चार बार आवाज़ करता है।)टक... टक... टक... टक...(दोनों एक पल के लिए एक-दूसरे को देखते हैं — कोई शब्द नहीं, सिर्फ़ बारिश की आवाज़। यह मौन संकेत उनकी अवचेतन समझ को दर्शाता है।)(साई़ फ़ोन स्क्रीन देखता है – सिग्नल नहीं है। वॉयस ओवर जारी रहता है।)साई (वॉयस ओवर):"सेल सिग्नल नहीं है।अब हमें चलकर ही जाना होगा।कहाँ जाना है पता नहीं...फ़ोन की बैटरी भी ख़त्म होने वाली है।"(कैमरा लाइट धीरे से नीचे आती है। उनके चेहरों पर केवल फ़ोन की लाइट दिखाई दे रही है। बारिश फिर से बढ़ जाती है। दोनों चुपचाप एक-दूसरे को देखते हैं।)(सीन काला हो जाता है।)दृश्य 4: बाहरी – जंगल का रास्ता – रातबारिश हल्की हो गई है, लेकिन चारों ओर अँधेरा है।(वेन्नेला (वेन्नेला) पीछे से आती है।)वेन्नेला:"घर के लिए चिल्ला रहे थे... यूँ ही मज़ाक कर रहे थे?"साई (थोड़ा हकलाकर):"नहीं... यहाँ एक जंगली सूअर का बच्चा था।डर गया कि कहीं कोई शिकारी न हो।उसे पाउडर की खुशबू लगाना भी आता है!"(वेन्नेला धीरे से हँसती है।)वेन्नेला (गुस्से में जैसे):"सूअर तो आप हैं!वॉशरूम जाने का भी रास्ता नहीं छोड़ा।हमेशा ऐसा ही करते हैं!"(वे चलते रहते हैं, लड़ाई और बातें जारी रहती हैं।)वेन्नेला (मन ही मन - वॉयस ओवर):"यह कैसे हैं...मैं एक पल के लिए गायब हुई तो परेशान हो गए।फिर मुझे इतना दूर क्यों रखते हैं?शक क्यों आया?"(सोच से बाहर आकर – वेन्नेला शांति से पूछती है।)वेन्नेला (सामान्य रूप से):"ठीक है... अब क्या करना है? बताइए।"साई:"तुम कार में ही रहना। कहीं मत जाना।मैं देखता हूँ, आस-पास पानी है या नहीं।"वेन्नेला (व्यंग्य से):"क्या मुझे यहाँ अकेला छोड़कर जाने को कह रहे हैं?फिर मुझसे बात क्यों कर रहे हैं?अभी तो कहा था — दो घंटे मुझसे बात नहीं करेंगे!"(साई कुछ कह नहीं पाता, धीरे से सिर घुमाकर आगे बढ़ता है। वे दोनों अँधेरे में आगे बढ़ते रहते हैं — उन्हें पता नहीं कि वे किस दिशा में जा रहे हैं।)भाग 3: अवरोधों को तोड़ना (क्लैश और क्लोजनेस)दृश्य 5: बाहरी – वनपथ – रात(साई़ फ़ोन की लाइट पकड़कर आगे बढ़ रहा है। बारिश कम हुई है, लेकिन चारों ओर अँधेरा छाया हुआ है।)(एक बारगी, पेड़ों की झाड़ियों से कोई बाहर आता है। साई अचानक पीछे मुड़कर देखता है।)(वह तेज़ी से दौड़कर झाड़ियों में कूद जाता है। एक अँधेरी आवाज़ — "चिक... चिक..." — जैसे उसने कुछ पकड़ा हो। साई के हाथों में कुछ भारी वस्तु है।)वेन्नेला (हैरानी से):"क्या कर रहे हैं!?उसे क्यों पकड़ा?"(साई चुपचाप, एक बारगी उस वस्तु से रोशनी चमकती है। कैमरा धीरे से उसके हाथों से वस्तु पर केंद्रित होता है — एक छोटी सी सफेद खरगोश का बच्चा।) (वेन्नेला तेज़ी से पास आकर ख़रगोश के बच्चे को हाथ में ले लेती है। वह धीरे से हिलता है और उसकी उंगलियों को छूता है। उसके चेहरे पर कोमल मुस्कान है।)साई:"वह कुछ और नहीं... एक छोटा खरगोश का बच्चा है।क्या हुआ मैडम, भूल गईं —आपने अभी तक खाना नहीं खाया!खाना खाने के लिए कुछ चाहिए न।इसे काटकर, यहाँ कहीं अच्छी जगह या घर देखकरखाना पकाकर आज रात आराम से खाएँगे,कल सुबह देखते हैं क्या होता है।"(वह हँसते हुए मज़ाक करता है।)साई:"फिलहाल तो आराम से सो जाना चाहिए।इसे अपने पीछे लेकर चलो।वहाँ कोई अच्छा घर या कोई रहता होगा, देखते हैं।उन्हें भी पता है कि मेरे जैसा बदनसीब तुम्हें साथ लेकर आएगा..."वेन्नेला (हल्के गुस्से से):"मैं बदनसीब हूँ?क्यों बोलते हैं आप ऐसा?आपको देखते ही प्यार हो जाना, मेरे घरवालों को बताना,और आख़िरकार आपसे शादी कर लेना — क्या यह मेरी गलती है?"(एक पल का मौन।)वेन्नेला (हल्की मुस्कान के साथ):"स्वीटी... कितने प्यारे थे आप... 'छोटी' कहकर कितनी अच्छी बातें करते थे,अब बस 'बदनसीब' कहते हैं... यही है न?"(साई सिर झुकाकर हँसता है। खरगोश का बच्चा उन दोनों के बीच है — जैसे वह उनके बीच एक छोटा शांति का प्रतीक हो।)दृश्य 6: बाहरी – वन शेड – रात(साई तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। वेन्नेला पीछे से उसे आवाज़ देती है।)वेन्नेला:"क्या है, क्या है, ऐसे क्यों भागे जा रहे हैं?क्या आपको रास्ता मालूम है?"साई:"मुझे पता है, मैंने अभी-अभी देखा है!"(कुछ दूर जाने के बाद उनके बीच फिर से बहस शुरू हो जाती है। साई कहता है, "कितने दिन हो गए खरगोश का मांस खाए हुए। इसे आज तो मैं खाकर रहूँगा। कितने भी घंटे लगें, मैं देख लूँगा।" वेन्नेला गुस्से से कहती है, "क्या इसे मारकर खा जाएँगे? कितने क्रूर हैं आप! इतना छोटा बच्चा, इतना सफेद और मुलायम फर है, इसे कैसे मारेंगे?" साई हंसते हुए कहता है, "चाहो तो इसका शरीर तुम्हें दे दूँगा, पर इसकी टांगें और दिमाग़ तो मुझे ही चाहिए। अगर तुम भी चाहो तो तुम्हें भी चार टुकड़े दे दूँगा।" वेन्नेला नाराज़ होकर कहती है, "क्या आप मुझे कुत्ता समझ रहे हैं, चार टुकड़े खाने के लिए? मुझे यह नहीं चाहिए। हमें इसे पालना चाहिए।" साई उसकी बात नहीं सुनता और कहता है, "मुझे अभी भूख लगी है, मैं इसे खाऊँगा।" वेन्नेला को अचानक एक विचार आता है और वह प्यार से कहती है, "बावा (प्रिय), मेरी बात सुनिए न।"(साई बिना रुके, "बावा-गीवा कुछ नहीं," कहता हुआ आगे बढ़ता है। दूर एक शेड दिखाई देता है। साई तेज़ी से जाकर दरवाज़ा खोलता है। अंदर पुरानी चीज़ें, बर्तन, लकड़ियाँ हैं।)साई (हँसते हुए):"देखा, मिल गया... आज का खाना हो गया।"(वह वेन्नेला की तरफ़ मुड़ता है। वह सदमे में पीछे हटती है।)वेन्नेला (हकलाते हुए):"साई... साई, आप क्या कर रहे हैं? क्या आप मुझे ही मार देंगे?"(साई के चेहरे पर मुस्कान... लेकिन उसमें कुछ अजीब है। अचानक, वह तेज़ी से दौड़ना शुरू कर देता है — हाथ में चाकू लेकर वेन्नेला की ओर आता है।)(वेन्नेला एक पल के लिए अपनी बाँहें ऊपर उठाकर खरगोश के बच्चे को गले लगा लेती है। डर से आँखें कसकर बंद कर लेती है।)वेन्नेला (वॉयस ओवर - मन ही मन):"अब सब ख़त्म... मेरी कहानी यहीं तक थी... अब मुझे कोई नहीं बचाएगा।"(अचानक एक ज़ोरदार आवाज़ आती है। चाकू किसी चीज़ को तेज़ी से काटता है।)(वेन्नेला आँखें खोलती है। उसके हाथ में खरगोश का बच्चा सुरक्षित है। वह ऊपर देखती है। शेड की छत पर एक बड़ी छिपकली (उदबिलाव) भाग रही है। उसके सिर से खून की बूँदें गिरकर वेन्नेला के चेहरे के पास ज़मीन पर पड़ती हैं।)वेन्नेला (चौंककर, किनारे हटते हुए):"हे भगवान! ये क्या है! मेरे ऊपर खून गिरा दिया! आप मुझे बता सकते थे न! मैं हट जाती।"साई (हाथ में चाकू, वेन्नेला की तरफ़ हँसते हुए):"तुम्हारे हटने से पहले... वह भाग जाती।और फिर, मुझे तुम्हारे खरगोश के बच्चे को मारना पड़ता।(आँख का इशारा खरगोश की तरफ़)इसे बचाना है तो उसे मारना ही पड़ेगा न?"(साई के चेहरे पर क्रूरता और मज़ाक का मिश्रण दिखाई देता है।)साई:"ठीक है! अब इसे कैसे पकाएँगे?"(साई शेड के एक कोने की तरफ़ इशारा करता है जहाँ चूल्हा और लकड़ियाँ हैं।)साई:"देखा? भगवान ने हमें यहाँ यूँ ही नहीं भेजा। चलो पकाते हैं।"(वेन्नेला उसे संदेह से देखती है।)भाग 4: अवरोध तोड़ना (समाधान)दृश्य 7: आंतरिक – शेड – रात(साई और वेन्नेला उबले हुए उदबिलाव के मांस को बड़े पत्तों पर रखकर खाते हैं।)साई:"बुज्जी... अभी तो चावल नहीं हैं। बस यही मांस खाना होगा। कल देखते हैं कुछ मिलता है या नहीं, ठीक है?"वेन्नेला (हल्की मुस्कान के साथ):"ठीक है बावा।"(वेन्नेला:"साई... एक बात पूछूँ?"साई:"पूछो बुज्जी।"वेन्नेला:"जब हम घर पर थे तब आप ऐसे क्यों नहीं थे? यहाँ आने के बाद इतना प्यार क्यों दिखा रहे हैं? इसका कोई कारण है क्या?"(साई सिर झुकाकर मांस के टुकड़े को घुमाता है। फिर धीरे से हँसता है।)साई:"तुम होशियार हो या नासमझ... मुझे समझ नहीं आता बुज्जी।(छोटा विराम)एक लड़का अपना प्यार कैसे दिखाता है, पता है?"वेन्नेला (हँसते हुए):"कैसे?"साई:"वह अपना प्यार शब्दों से नहीं दिखाता। वह अपनी मेहनत से दिखाता है।वह मेहनत करता है ताकि उसके अपनों को कोई कष्ट न हो।वही मर्द का प्यार है।लेकिन एक औरत का प्यार... अलग होता है।उसे अपना साथी पास चाहिए, बात करने वाला चाहिए, उसके साथ समय बिताने वाला चाहिए।लेकिन अगर मर्द मेहनत करे, तभी तो वह उसे कमी महसूस नहीं होने देगा।"(वह मुस्कुराते हुए सिर झुकाकर उसके सिर पर हल्के से स्पर्श करता है।)साई (धीरे से):"समझ गई पगली?"(वेन्नेला शरमाते हुए धीरे से हँसती है।)दृश्य 8: बाहरी – शेड के सामने – सुबह(सुबह की रोशनी। साई और वेन्नेला शेड के पीछे खड़े हैं।)साई (वेन्नेला की आँखों में देखते हुए):बुज्जी... तुम अब दो दुनियाएँ देखने जा रही हो।(वह वेन्नेला का हाथ पकड़कर शेड के पीछे ले जाता है।)(REVEAL SHOT: उनके सामने एक दीवार है। यह दीवार जंगल और एक सड़क (जहां से वे आए थे) के बीच एक बाधा है।)साई:एक... बाहर की दुनिया। कारें, शहर, और पैसा।और दूसरी... यह शांत जंगल, जहाँ हम अभी तक थे।साई:अब चुनाव तुम्हारा है।क्या तुम्हें ऐसे संघर्ष से भरी ज़िन्दगी पसंद नहीं? हम अपनी दुनिया में वापस चले जाएँगे।नहीं... तुम्हें क्या महसूस हुआ, बताओ।वेन्नेला (हैरानी से, आवाज़ काँपते हुए):क्या... सिर्फ़ एक दीवार के पीछे इतनी बड़ी दुनिया छिपी थी?(उसकी आँखों में आँसू भर आते हैं। उसके चेहरे पर एक ज़िम्मेदारी और स्पष्टता दिखाई देती है।)वेन्नेला:बावा... मैंने प्यार आपको किया है, पैसे को नहीं।मैंने आपसे प्यार किया क्योंकि मैं आपके साथ समय बिताना चाहती थी, न कि सिर्फ़ पैसे के लिए।मुझे उस दुनिया से ज़्यादा... यह दुनिया आपके साथ पसंद है।आई लव यू!(वेन्नेला कसकर साई को गले लगा लेती है। साई आँखें बंद कर लेता है।)साई (मुस्कान के साथ):आई लव यू बुज्जी।(कैमरा उन दो दुनियाओं के बीच की दीवार पर पैन होता है।)समापन (FINALE)FINAL FADE OUT.(पार्श्व संगीत में गीत शुरू होता है।)साई:आओ रे चंदा मामा, हमारी विचित्र कथा सुनो रे चंदा मामासंपत्ति वाली सती के, समझदार पति मैं हूँसंपत्ति वाली सती के, समझदार पति मैं हूँपति-पत्नी की लड़ाई ही फल, जीवन उलझ गयावेन्नेला:आओ रे चंदा मामा, हमारी विचित्र कथा सुनो रे चंदा मामावादे करने वाले पति संग, जीवन बिताने आई सती मैं हूँवादे करने वाले पति संग, जीवन बिताने आई सती मैं हूँबातें झूठी हुईं, नाटक सीख लिए बहुतसाई:उसका मत जो भी है, मेरा मत बिलकुल नहीं मिलताउसका मत जो भी है, मेरा मत बिलकुल नहीं मिलताहम और हमारा वाला शब्द, न ख़ुद बोले, न बोलने देवेन्नेला:मुझसे झगड़ा करना ही, उसे प्रिय है शायदमुझसे झगड़ा करना ही, उसे प्रिय है शायदयह जीवन कैसे चलेगा, तुम ही एक बार देखो(दोनों एक साथ: आओ रे चंदा मामा, हमारी विचित्र कथा सुनो रे चंदा मामा - इस गीत के साथ फ़िल्म समाप्त होती है।)