The Last Attempt in Hindi Motivational Stories by kiran maravi books and stories PDF | आखिरी कोशिश

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आखिरी कोशिश



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🌟 कहानी: “आखिरी कोशिश”

एक छोटे से गाँव के किनारे, मिट्टी की झोपड़ी में आरव नाम का एक लड़का रहता था। घर की हालत बहुत खराब थी — पिता खेतों में मजदूरी करते थे और माँ दूसरों के घरों में बर्तन माँजती थीं। गरीबी इतनी थी कि कभी-कभी रात का खाना भी पूरा नहीं होता था। लेकिन इस तंगी में भी आरव के दिल में एक सपना जलता रहता था — “मुझे इंजीनियर बनना है, कुछ बड़ा करना है।”

गाँव में अक्सर लोग कहते —

> “अरे आरव, बड़े सपने देखने से पेट नहीं भरता। तेरे बापू मजदूर हैं, तू भी यही करेगा।”



पर आरव के कानों में यह बातें नहीं पड़तीं। वह जानता था कि अगर हालात उसके खिलाफ हैं, तो मेहनत उसका सबसे बड़ा हथियार है।

हर सुबह सूरज उगने से पहले वह पिता के साथ खेत में जाता, फावड़ा चलाता, मिट्टी पलटता, फिर स्कूल भागता। शाम को वह छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर कुछ पैसे जोड़ता और रात में दीपक की रोशनी में पढ़ाई करता।

अक्सर बिजली नहीं रहती थी, मगर उसका जज़्बा कभी बुझता नहीं था।


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🌾 पहली जीत और नई मुश्किलें

जब दसवीं की परीक्षा का नतीजा आया, तो पूरे गाँव में चर्चा थी —

> “अरे, वो मजदूर का बेटा फर्स्ट आया है!”



गाँव के स्कूल का हेडमास्टर भी हैरान था। उसने आरव की पीठ थपथपाई और कहा,

> “बेटा, अगर तू ऐसे ही पढ़ता रहा, तो एक दिन बड़ा आदमी बनेगा।”



लेकिन असली परेशानी अब शुरू हुई — आगे की पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे। पिता के पास उतने पैसे नहीं थे कि शहर में आरव का दाख़िला करवा सकें। घर में चुप्पी छा गई। माँ ने आरव को रोते देखा तो बोली,

> “बेटा, रो क्यों रहा है?”



आरव बोला, “माँ, मैं पढ़ना चाहता हूँ, पर हमारे पास पैसे नहीं हैं।”

माँ कुछ देर चुप रही। फिर उसने धीरे से अपना मंगलसूत्र उतारा और आरव के हाथ में रख दिया।

> “बेटा, ये गहना तो मेरे शरीर के साथ ही जाएगा, पर तेरी पढ़ाई — तेरे साथ ज़िंदगीभर चलेगी।”



आरव की आँखों से आँसू बह निकले। उसी दिन उसने तय किया — अब चाहे जो हो जाए, वह माँ की क़ुर्बानी को व्यर्थ नहीं जाने देगा।


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🏙️ शहर की जंग

आरव गाँव छोड़कर शहर आ गया। यहाँ की ज़िंदगी बिल्कुल अलग थी — तेज़, कठिन और बेरहम। रहने के लिए एक छोटा-सा कमरा मिला, जिसमें एक पुरानी चारपाई और टूटी टेबल थी।

दिन में वह एक होटल में वेटर का काम करता — प्लेटें धोता, चाय सर्व करता, ग्राहकों की डांट सुनता — और रात को कॉलेज की क्लास में जाता।

अक्सर वह थककर चूर हो जाता, लेकिन जब माँ का चेहरा याद आता, तो उसकी थकान मिट जाती।

> “माँ ने अपना गहना बेचा है, अब मैं हार नहीं सकता।”



कभी-कभी तो उसे कई दिन तक ठीक से खाना भी नहीं मिलता। बस पानी और बासी रोटी से काम चलाता। लेकिन उसकी किताबें हमेशा उसके साथ रहतीं — वही उसकी साथी थीं, वही उसकी ताकत।


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💡 मेहनत की किरण

तीन साल ऐसे ही गुजर गए। धीरे-धीरे उसने कॉलेज की फीस भरने के लिए ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। दिन में होटल, शाम को ट्यूशन, रात को पढ़ाई — यह सिलसिला बिना रुके चलता रहा।

हर बार जब कोई कहता कि “आरव, ये सब बहुत मुश्किल है, छोड़ दे”, तो वह मुस्कराकर कहता,

> “मुश्किल तभी तक है, जब तक कोशिश बाकी है।”



आख़िरकार इंजीनियरिंग की अंतिम परीक्षा का दिन आया। रातभर वह पढ़ता रहा। परीक्षा दी और घर जाकर सो गया। नतीजा आने के दिन उसके दिल की धड़कन तेज़ थी।

जब रिज़ल्ट देखा — वह पूरे कॉलेज में टॉप कर चुका था!

उसकी आँखों से आँसू निकल आए, लेकिन इस बार ये आँसू हार के नहीं, जीत के थे।


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💼 सपनों की उड़ान

कई महीनों बाद, उसे एक बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी मिली। सैलरी सुनकर तो खुद उसे यकीन नहीं हुआ। वह भागा-भागा गाँव लौटा।

गाँव के लोग जो कभी कहते थे “मजदूर का बेटा कुछ नहीं कर सकता”, अब उसे देखकर तालियाँ बजा रहे थे। बच्चे उसे “आरव भैया” कहकर पुकारते थे।

वह सीधा अपने घर पहुँचा। माँ चूल्हे के पास बैठी थी। आरव ने माँ के पैर छुए और कहा,

> “माँ, अब तुझे किसी के घर बर्तन धोने की जरूरत नहीं है।”



फिर उसने माँ के हाथ में नया मंगलसूत्र रखा और बोला,

> “माँ, अब ये तेरे बेटे की कमाई से खरीदा गया है।”



माँ की आँखें भर आईं। उसने आरव को गले लगा लिया। उस पल में न गरीबी थी, न दर्द — बस गर्व और प्यार था।


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💫 सीख (Moral of the Story)

> ज़िंदगी में कितनी भी मुश्किलें आएं, अगर इंसान एक आखिरी कोशिश करने की हिम्मत रखे, तो कुछ भी असंभव नहीं।
हालात कितने भी बुरे हों, पर मेहनत और विश्वास हर ताले की चाबी हैं।



आरव की तरह, जो कभी झोपड़ी में दीपक की रोशनी में पढ़ता था, आज उन्हीं आँखों से चमकता भविष्य देख रहा है।

> याद रखना — हारने वाला वही है जो कोशिश करना छोड़ देता है।
बस “एक आखिरी कोशिश” हमेशा बाकी रखो… क्योंकि कभी-कभी आखिरी कोशिश ही जीत होती है।




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