Pahli Nazar ki Chuppi - 1 in Hindi Love Stories by Priyam books and stories PDF | पहली नज़र की चुप्पी - 1

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पहली नज़र की चुप्पी - 1



बारिश की हल्की बूँदें खिड़की के शीशे से टकरा रही थीं। हवा में मिट्टी की खुशबू घुली हुई थी, जैसे ज़मीन भी अपनी कहानी सुनाने को बेचैन हो।
Prakhra ने अपनी किताब बंद की, खिड़की के पास जाकर आँखें मूँद लीं। उस पल में दुनिया ठहर-सी गई थी — और उसी ठहराव में कहीं एक चेहरा था, जो उसके ज़ेहन में बसा हुआ था... Aarav।

कभी-कभी ज़िंदगी किसी किताब की तरह नहीं होती, जहाँ अगले पन्ने का अंदाज़ा लग सके। कुछ मुलाक़ातें तो बस एक नज़र में पूरी कहानी लिख जाती हैं।
उनकी पहली मुलाक़ात भी कुछ ऐसी ही थी... 💫



☔ वो कॉलेज का पहला दिन था।
नई क्लास, नए लोग, और हर चेहरे पर नएपन की झलक।
Prakhra को हमेशा की तरह backbench पसंद था — न शोर में रहना, न बहुत आगे।
पर उसी दिन, किसी ने उसकी आदत बदल दी।

जब वो क्लास में दाखिल हुई, तो सीट्स लगभग भर चुकी थीं। बस एक जगह खाली थी — बीच की रो में।
वो धीरे से वहाँ जाकर बैठ गई। कुछ ही पल बाद एक लड़का उसकी बगल वाली सीट पर आया — सफ़ेद शर्ट, नीली घड़ी और आँखों में एक अजीब-सी गहराई।

“Excuse me,” उसने धीमे से कहा, “ये seat खाली है?”
Prakhra ने सिर हिला दिया — “हाँ।”

बस इतनी-सी बात हुई थी।
लेकिन न जाने क्यों, उस आवाज़ ने उसके दिल में एक हल्की कंपन छोड़ दी थी —
जैसे किसी ने बहुत दूर से उसका नाम पुकारा हो... 💞



📚 क्लास चलती रही, शब्द बहते रहे,
पर Prakhra का ध्यान बार-बार उसके चेहरे पर अटक जाता।
वो बोलता कम था, पर जब मुस्कुराता, तो उसकी आँखों में एक अजीब सुकून झलकता —
जैसे दुनिया के सारे जवाब वहीं छिपे हों।

दोपहर की क्लास खत्म हुई तो वो दोनों साथ बाहर निकले।
बारिश शुरू हो चुकी थी, और सब लोग छतरी लिए दौड़ रहे थे।

Aarav ने छतरी खोली और एक नज़र Prakhra की तरफ़ डाली —
“आओ, साथ चलो। भीग जाओगी।”

Prakhra झिझकी, फिर धीरे से कदम बढ़ाए।
उन दोनों के बीच बस कुछ इंच का फ़ासला था,
पर महसूस ऐसा हो रहा था जैसे दिल की धड़कनें एक-दूसरे से टकरा रही हों।

बारिश की बूँदें छतरी पर गिर रहीं थीं — टप... टप... टप...💧
और हर बूँद एक अनकहे एहसास का संगीत थी... 🎶



🌦️ उस दिन के बाद उनका routine बन गया —
एक ही bench, एक ही रास्ता, और वही छोटी-छोटी बातें जो हर दिन को ख़ास बना देती थीं।

Aarav कभी ज़्यादा नहीं बोलता था। उसकी चुप्पी में भी warmth थी।
और Prakhra... उसे उसकी यही ख़ामोशी पसंद थी।

कभी-कभी वो सोचती,
“क्या ये वही एहसास है, जिसे लोग पहली नज़र का प्यार कहते हैं?”
पर हर बार जवाब उसकी मुस्कान में छिपा रह जाता... 🌹



📖 एक शाम, जब कॉलेज जल्दी खत्म हुआ, Prakhra library में रुक गई।
बारिश फिर से शुरू हो गई थी।

खिड़की से झाँकती उस नमी में उसे वही एहसास फिर महसूस हुआ —
जैसे कोई पास खड़ा हो, मगर बिना कुछ कहे सिर्फ़ महसूस करवाए।

वो पल सच था — Aarav वहीं था।
वो बिना कुछ बोले उसके पास आया, उसके सामने वाली टेबल पर बैठ गया।
कई मिनट तक दोनों बस किताबों के पन्ने पलटते रहे।

ना कोई शब्द, ना कोई सवाल...
बस एक पहली चुप्पी, जिसने दोनों को जोड़ दिया।

उस चुप्पी में बहुत कुछ था —
वो धड़कनों का तालमेल, वो आँखों का संवाद,
और वो एहसास जो किसी किताब में नहीं लिखा जा सकता था... 💫



🌧️ रात को जब अनिका घर लौटी, तो खिड़की से वही बारिश दिखी।
उसने diary निकाली और लिखा —

> “कभी-कभी किसी से बात करने की ज़रूरत नहीं होती।
बस उसकी मौजूदगी ही काफी होती है...
आज पहली बार किसी की चुप्पी मुझे इतनी प्यारी लगी।” 💌



उसे नहीं पता था कि ये शुरुआत है या इंतज़ार का पहला कदम,
लेकिन एक बात साफ थी —
उस दिन के बाद, उसकी दुनिया बदल चुकी थी। 💕



📚 कुछ हफ़्तों बाद, Aarav ने library में वही diary देख ली।
उसके कवर पर लिखा था — “Pehli Chuppi — by P.”

उसने मुस्कुराकर पन्ने पलटे, और हर शब्द पढ़ते हुए जैसे खुद को देख लिया।
फिर पहली बार कुछ कहा —

“अगर चुप्पी इतनी खूबसूरत होती है, तो बोलने की ज़रूरत ही क्या है?”

Prakhra ने उसकी तरफ़ देखा —
उसकी आँखों में बारिश के सारे season थे।
वो कुछ नहीं बोली, बस मुस्कुरा दी।

और उस मुस्कान में जो लिखा था,
वो किसी किताब में नहीं, सिर्फ़ दिलों में पढ़ा जा सकता था... 💞




✨ To be continued...
(Next Episode: “अनकहा सब कुछ” — जहाँ ये चुप्पी अपने पहले अल्फ़ाज़ पाएगी...) ✨