✍️®️ Kuldip Singh ✍️ Dip ®️
✍️📚 dedicated to ✍️📚
My lovely family and my friends💐
✍️ Also dedicated to ✍️
📖 All wonderful readers 📖
👋Hello everyone 👋
Book 📚 summary
नमस्कार मेरा नाम कुलदीप सिंह है और मैं मूल रूप से पंजाब के पटियाला शहर के गांव अहिरू खुर्द का रहने वाला हूँ।हर किसी को अपनी जिंदगी में कभी ना कभी संघर्ष करना पड़ता है, पर यह भी है कि संघर्ष के बाद सुकून जरूर मिलता है। मैंने भी आप सब की तरह जिंदगी में एक लंबे समय तक का संघर्ष करा। तब संघर्ष करने के समय मैंने अपनी जिंदगी के संघर्ष को कविताओं के रूप में अपनी डायरी में लिखा। जिंदगी के लंबे सफर के बाद आज जब मैं सकून में हूं ,तो आज मैं अपने जिंदगी के संघर्ष से सुकून तक का सफर मेरे काव्य संग्रह "जिंदगी संघर्ष से सुकून तक कविताएं- कुलदीप सिंह" में आप सब के साथ शेयर कर रहा हूं। जिसमें आप सबको जिंदगी के संघर्ष, सच और प्रेम से संबंधित कविताएं पढ़ने को मिलेंगी ।
" जिंदगी संघर्ष से सुकून तक कविताएं- कुलदीप सिंह" काव्य संग्रह को लिखने के लिए मेरी पत्नी पिंकी देवी और मेरे दोस्तों ने प्रेरित किया । जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता। इस काव्य संग्रह को लिखने में जितनी खुशी मुझको हो रही है उम्मीद है आप सब wonderful reader's को भी पढ़ने में इतनी खुशी होगी।
Happy reading 😊
All lovely readers 📖
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🙌 क्या होती है आशा🙌
आशा है कोई मुझसे पूछे,
पिछले 14 सालों से आशा में हूं ।
ऐ दोस्त तिल तिल करके मरा हूं
एक आशा की तलाश में...
बनवास श्री रामचंद्र जी ने काटा ,
बनवास हमने भी काटा है..
काटा है एक आशा की तलाश में
ऐ दोस्त जिंदगी में आशा जरूरी है ..
पर आशा ऐसी ना हो,
के पूरी होते- होते उम्र ही चली जाए ।
आशा को भी अब आश होगी... लोगों को जिंदगी जीता हुआ देखने की,
इस आशा में लोगों को जिंदगी को अलविदा करते हुए देखा होगा -आशा ने भी तो जैसे...
आशा - उम्मीद
जीता- जिंदगी को जीना
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❤️ तेरी मोहब्बत ❤️
तेरी मोहब्बत से ज्यादा
तेरी इज्जत अजीज है मुझे,
अगर तेरे किरदार पर बात आई
तो अजनबी बन जाऊंगा मैं .-
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✈️ तेरे शहर की दूरी, ✈️
मेरे गांव से तेरे शहर की दूरी,
मुझसे सहन नहीं होती।
मेरा दिल बहुत बेचैन हो जाता,
जब तेरे साथ बात नहीं होती ।
कोई करे तेरे साथ बात ,
मुझसे यह बात सहन नहीं होती ।
पास कोई आए तुम्हारे ,
कांटो सी चुभन सहन नहीं होती।
मेरे गांव से तेरे शहर की दूरी ,
मुझसे सहन नहीं होती।
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✍️चंद लम्हे ✍️
चंद लम्हें जो गुजारे हैं
तेरे साथ.....
न जाने कितने वर्ष
मेरे काम आऐगे.....
बात आज भी तुम से शुरू,
तुम पर खत्म होती है ।
पहले तुम रूबरू थे ,
आज तुम मेरी रूह में हो ।
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"ज़िंदगी संघर्ष से सुकून तक" एक सफर है जिसमें दृढ़ संकल्प, धैर्य और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। इस सफर में, संघर्ष हमें मजबूत बनाता है, और चुनौतियों से लड़ना ही सुकून की ओर ले जाता है। अपनी गलतियों से सीखना, लक्ष्य निर्धारित करना, और कभी भी हार न मानना इस यात्रा के महत्वपूर्ण पहलू हैं।
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To be continue to next chapter......
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Thanku so much everyone 🙏 🙏