The Secret of the Lost Kingdom - Part 7 in Hindi Science-Fiction by Harun Khan books and stories PDF | खोए हुए साम्राज्य का रहस्य - भाग 7

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खोए हुए साम्राज्य का रहस्य - भाग 7

Chapter 7: अंधेरे में छिपा योद्धा: बुज़ुर्ग की तलवारबाज़ी

पिछले अध्याय में आपने पढ़ा कि Draxon और उसके साथी रहस्यमयी बुज़ुर्ग के घर पहुँचे और उनकी प्रतीक्षा में खामोशी से समय बिताने लगे,

बुज़ुर्ग का घर जमीन के नीचे कहीं गहराई में छिपा हुआ था, जहाँ पहुंचने के लिए एक रहस्यमय गुप्त सीढ़ी का रास्ता था, 
इसी बीच, DarkZael के दो खतरनाक सिपाही चोरी-छिपे उस गुप्त सीढ़ी तक पहुँच गए, Draxon और उसके साथी इस घातक खतरे से बेखबर थे।
ये वही दो आदमी थे, जिन्होंने पहले Draxon पर हमला किया था।

अब आगे...


DarkZael के आदमी बुज़ुर्ग के घर में घुसते हैं,

अंधेरे कमरे की सन्नाटेदार खामोशी में, DarkZael के दो सिपाही खड़े थे, उनकी निगाहें किसी खतरे को तलाशती हुईं, सोच रहे थे कि कैसे इस छिपे हुए घर में घुसा जाए।

पहला सिपाही ने फुसफुसाते हुए कहा :- "चलो, सीढ़ियाँ उतरकर पता लगाते हैं कि नीचे क्या छुपा है।"

जैसे ही वे अंतिम सीढ़ी उतर रहे थे, एक सिहरन -सी हवा उनके गालों को छू गई।
चारों ओर मंद-मंद रोशनी टिमटिमा रही थी, और सामने एक विशाल पत्थर की दीवार पर प्राचीन नक्शे उकेरे हुए थे, जो किसी गुप्त इतिहास की कहानी कह रहे थे।

दूसरे सिपाही की आवाज़ में हैरानी झलक रही थी, 'देखो तो सही! कौन सोच सकता था कि इस टूटी-फूटी छत के नीचे एक ऐसा भव्य रहस्य छुपा होगा!' "

पहला सिपाही (गंभीर स्वर में):- बिल्कुल सही, यहीं कहीं वे छिपे होंगे। हमें बेहद सावधानी से आगे बढ़ना होगा।"

दूसरा आदमी (डरते हुए लेकिन हिम्मत जुटाते हुए):
"अगर वो यहीं कहीं छिपे हैं, तो हमें हर क़दम संभलकर रखना होगा।"


[दोनों तलवारें निकालते हैं और दबे पाँव से दरवाज़े की ओर बढ़ते हैं, निगाहें चारों तरफ़ घूम रही हैं।]
पहला आदमी (चालाकी और लालच से):
"दरवाज़ा पहले से ही खुला है... लगता है किस्मत हमारे साथ है। आज सरदार इनाम देगा!"

[दोनों दबे पाँव घर में घुसते हैं और चुपचाप उस कमरे की ओर बढ़ते हैं, जहाँ Draxon और बाकी लोग छिपे हैं।]


पहला आदमी (खिड़की से झाँकते हुए, चौंककर):
"वो देखो! Draxon और उसके लोग यहीं हैं! और वही बूढ़ा भी... जिसने आज़मगढ़ में हमें कुछ भी बताने से मना कर दिया था।"

दूसरा आदमी (जोश और आत्मविश्वास से):
"बिलकुल! आज ये बच नहीं पाएंगे। सीधा सरदार के सामने पेश करेंगे इन्हें।"

पहला आदमी (अहंकार और अधीरता से):
"हम सीधा हमला क्यों न करें? इनके पास तो हथियार भी नहीं हैं!"

योजना शुरू होती है

दूसरा आदमी (गंभीरता और बुद्धिमानी से):
"नहीं! कभी किसी को कमज़ोर मत समझो। एक चींटी भी हाथी को गिरा सकती है। और Draxon... वो आख़िरी वारिस है सल्तनत का। कोई भी ग़लती भारी पड़ सकती है।"



पहला आदमी (थोड़ा घबराया हुआ लेकिन जानने को बेताब):
"तो अब बताओ, क्या सोचा है? क्या करेंगे?"

दूसरा आदमी (शांत लेकिन चालाकी से सोचते हुए):
"हम बिल्ली की आवाज़ निकालेंगे। Draxon या Kevin जैसे ही बाहर देखने आएगा, हम उसे तुरंत पकड़ लेंगे।"

पहला आदमी (थोड़ा उलझन में):
"लेकिन हमें तो सबको पकड़ना है ना... सिर्फ़ एक को पकड़ने से क्या होगा?"

दूसरा आदमी (गुस्से में लेकिन समझाते हुए):
"अरे बेवकूफ मत बन! जैसे ही कोई एक बाहर आएगा, हम फ़ौरन अंदर घुसेंगे। तलवारें निकाल लेंगे और बाकी सब डर के मारे खुद ही हार मान लेंगे।"


पहला आदमी (हैरानी और खुशी के साथ):
"अब समझ आया! ये तो बहुत समझदारी भरी चाल है।"


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योजना पर अमल

[पहला आदमी धीरे और ज़ोर से बिल्ली की आवाज़ करता है, जैसे सच में कोई बिल्ली हो।]

Draxon (धीमे और ध्यान से):
"Kevin, बाहर जाकर देखो, कहीं कोई भूखी बिल्ली तो नहीं है। मेरे पास दूध है, उसे दे देना।"

[Kevin बाहर निकलता है और आस-पास ध्यान से देखने लगता है।]

Kevin (हैरान और थोड़ा सोच में):
"यहाँ कोई बिल्ली नहीं दिख रही..."

[अचानक दोनों आदमी छिपे से बाहर निकलते हैं और तलवारें निकालकर Kevin की गर्दन पर लगाते हैं।]
पहला आदमी (गुस्से में):
"सोचना भी मत कि तुम बच सकते हो!"



[वे Kevin को ज़ोर से पकड़कर कमरे के अंदर ले जाते हैं।]

ख़तरा बढ़ता है

पहला आदमी (धीमे, खुरदरे स्वर में, हल्की हँसी के साथ):
"Draxon... क्या तुम अब भी हमें नहीं पहचानते...? वक्त बदल गया है... लेकिन हमारी दुश्मनी नहीं..."

Draxon (तेज और सख़्त स्वर में, चिंता छिपाते हुए):
"यहाँ कैसे पहुँचे तुम लोग? Kevin को छोड़ा... तो ठीक, वरना पछताओगे!"

दूसरा आदमी (कड़वे लहजे में):
"अगर वो बूढ़ा आदमी सच बता देता, तो ये सब करना नहीं पड़ता, अब वह भी हमारे साथ चलेगा!"

Draxon (गंभीर और सख़्त आवाज़ में):
"Kevin को छोड़ो!"

पहला आदमी (धौंस जमाते हुए, हल्की मुस्कान के साथ):
"Draxon, तेरी आँखों में डर साफ़ दिख रहा है। अगर अपने दोस्त की जान बचानी है तो समझदारी से काम ले... और चुपचाप हमारे साथ चल।"

Draxon (चुप, नज़रें झुकाकर, भारी मन से):
"ठीक है... हम तुम्हारी बात मानते हैं। लेकिन ध्यान रखना—Kevin को एक खरोंच भी नहीं आनी चाहिए। हम तुम्हारे साथ चलेंगे।"

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रहस्यमयी बुज़ुर्ग का क़दम उठाना

[इसी बीच, एक घबराया हुआ सेवक दौड़ता हुआ बुज़ुर्ग के कमरे तक पहुँचता है। उसके चेहरे पर डर साफ़ झलक रहा है। साँसें फूली हुईं, आवाज़ काँप रही है।]

सेवक (हड़बड़ाहट और डर के साथ):
"आका! Darkzael के दो आदमी घर के अंदर घुस आए हैं... Draxon और उसके साथियों पर हमला कर दिया है!"

[यह सुनते ही रहस्यमयी बुज़ुर्ग की आँखों में चमक आ जाती है। चेहरा गंभीर हो जाता है। वह धीरे से उठते हैं, मानो कोई पुराना योद्धा फिर से जाग गया हो। कमरे में सन्नाटा छा जाता है।]

[फिर उन्होंने तेज़ी से सेवक की ओर देखा।]
रहस्यमयी बुज़ुर्ग (सख़्त स्वर में):
"मेरी तलवार लाओ... वही पुरानी तलवार जो मैंने क़सम खाकर छोड़ी थी। आज मुझे फिर उसे उठाना होगा।"

[कमरे की हवा भारी हो जाती है। बुज़ुर्ग के शब्दों में सालों पुराना जोश लौट आता है।]

रहस्यमयी बुज़ुर्ग (आँखें सिकोड़कर, आत्मविश्वास से):
"किसी भी क़ीमत पर हमें सल्तनत का वारिस ज़िंदा चाहिए। आज़मगढ़ की आख़िरी उम्मीद को मैं अपनी आँखों के सामने मिटने नहीं दूँगा। चलो... देर न करो!"

सेवक (घबराहट भरी आवाज़ में, हाँफते हुए):
“ उन्होंने Kevin को पकड़ लिया है... उसकी गर्दन पर तलवार रख दी है! अगर देर हुई तो जान भी जा सकती है!"

[यह सुनकर रहस्यमयी बुज़ुर्ग की आँखों में ग़ुस्से की चमक आ गई। चेहरा पत्थर-सा सख़्त हो गया। उनकी चाल में पुराने योद्धा की झलक दिखी।]

रहस्यमयी बुज़ुर्ग (सख़्त स्वर में, धीरे मगर दृढ़ता से):
"वे ज़रूर कमरे के अंदर ही छिपे होंगे। उनमें से एक पहरा दे रहा होगा... हम पीछे से वार करेंगे, ताकि उन्हें संभलने का मौका न मिले।"


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रहस्यमयी बुज़ुर्ग की तलवारबाज़ी और DarkZael के आदमियों की हार

[रहस्यमयी बुज़ुर्ग ने अपनी पुरानी तलवार निकाली। वह धीमी चाल से लेकिन आत्मविश्वास के साथ कमरे की ओर बढ़े। तलवार उनके हाथ में चमक रही थी।]

[बुज़ुर्ग ने अचानक पीछे से वार किया—एक हमलावर की तलवार छिन ली, वो हैरानी में चिल्लाया। उसी पल Kevin पीछे हट गया और बच गया।]

Draxon (हैरानी और राहत के साथ):
"Kevin!"
दूसरे हमलावर ने बुज़ुर्ग पर वार किया, लेकिन रहस्यमयी बुज़ुर्ग ने अपनी तलवार से उसका वार आसानी से रोक लिया। तलवारें टकराईं, चिंगारी सी निकली। हमलावर का हाथ काँप गया, पर तलवार अब भी उसके हाथ में थी।


रहस्यमयी बुज़ुर्ग (हल्की मुस्कान के साथ):
"क्या तुम्हें लगा था मैं सिर्फ़ एक बूढ़ा हूँ?"

[दुश्मन उनकी तेजी से हैरान रह गए। बुज़ुर्ग का हर वार सटीक था, जिससे उन्हें पलटवार का मौका ही नहीं मिल रहा था।]

[पहला हमलावर झपटा, लेकिन बुज़ुर्ग ने एक कदम पीछे लेकर बिजली-सी तलवार चलाई—
"शर्रर्र!"
उसकी तलवार टूटकर ज़मीन पर गिर गई।]

[दूसरे ने कुछ समझा भी नहीं था कि बुज़ुर्ग की तलवार उसकी गर्दन पर थी।]

रहस्यमयी बुज़ुर्ग (धीमे स्वर में):
"गलती मत करना... अगला वार सीधा होगा।"

[Draxon और उसके साथी दंग थे। वे हैरानी से उस बुज़ुर्ग को देख रहे थे, जिसकी तलवारबाज़ी ने पलक झपकते ही दोनों दुश्मनों को पराजित कर दिया था। 
उनकी आँखों में सवाल थे—
“आख़िर ये बुज़ुर्ग हैं कौन? इतनी ताक़त इनमें कैसे ?” कमरे में सन्नाटा छा गया था।]

बुज़ुर्ग की चेतावनी

रहस्यमयी बुज़ुर्ग (धीर, मगर चेतावनी भरे स्वर में):
"क्या तुम्हें सच में लगा कि तुम मेरे घर में घुसकर आज़मगढ़ सल्तनत के आख़िरी वारिस को ले जा सकोगे… और मैं तुम्हें रोकूँगा नहीं?"

[दोनो हमलावर नज़रें झुका लेते हैं। उनकी साँसें तेज़ चल रही थीं। पसीना माथे पर छलक आया।]

पहला आदमी (डर और पछतावे से, धीमे स्वर में):
"हमें नहीं पता था कि यहाँ कोई ऐसा है... यही हमारी सबसे बड़ी भूल थी।"

[बुज़ुर्ग उनकी तरफ दो क़दम बढ़े। तलवार अब भी हाथ में थी, लेकिन उसकी नोक ज़मीन पर टिक चुकी थी। उनकी आँखों में नफरत नहीं, बल्कि चेतावनी की चमक थी।]


रहस्यमयी बुज़ुर्ग (आवाज़ सख़्त, लेकिन संयमित):
"DarkZael जो सपना देख रहा है, वो कभी पूरा नहीं होगा। उसकी हुकूमत का सपना यहीं टूट जाएगा। बेहतर है, वह दुनिया पर राज करने की चाह छोड़ दे।"

[फिर उन्होंने मुड़कर अपने सेवक को पुकारा।]

रहस्यमयी बुज़ुर्ग:
"इन दोनों को पीछे के कमरे में क़ैद कर दो। इन्हें अब सही सबक मिलेगा।"

[सेवक तुरंत चला और एक और बुज़ुर्ग सेवक को बुलाने दौड़ा, ताकि दोनों बंदियों को ले जाया जा सके। कमरे में फिर वही रहस्यमयी शांति लौट आई—पर अब हर चेहरा जवाब चाहता था।]


[Draxon तब हैरान रह जाता है जब सामने आने वाले बुज़ुर्ग को देखता है। वह कोई और नहीं, बल्कि Old Kaifon था ]
Draxon की आँखें फटी की फटी रह गईं। उसकी साँसें तेज़ हो गईं। 'न…नहीं! यह सच नहीं हो सकता! 

मैंने अपनी आँखों से देखा था “लेकिन सामने खड़े Old Kaifon के चेहरे पर हल्की मुस्कान थी, जैसे वह इस पल का इंतज़ार कर रहे थे।
उनकी आँखों में न जाने कितने अधूरे किस्सों की छाया तैर रही थी।"


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:- क्या यह सच में Old Kaifon हैं?

:- क्या उस दिन जो देखा... वह धोखा था? या कोई बहुत बड़ी चाल?

:- क्यों छुपा रहे थे वे अपनी असली पहचान? और ShadowRix का क्या सच है...?




 जानिए ‘Chapter 8' में — जहाँ पर्दा उठेगा उस सच पर, जिसने पूरी आज़मगढ़ सल्तनत की क़िस्मत बदल दी!

To be Continued….