The Impossible Walk - 1 in Hindi Motivational Stories by Rj Nikunj Vaghasiya books and stories PDF | The Impossible Walk - 1

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The Impossible Walk - 1

WINTER MORNING, AHMEDABAD


Ahmedabad की हल्की, धूप में घुली सर्द सुबह। Varun जूते बाँधते हुए दरवाज़े पर खड़ा हुआ। जाने से पहले उसने मम्मी, पापा और दादा के पैर छुए और हमेशा की तरह पूरे घर में गूंज गई उसकी चमकदार आवाज़:


*“જય શ્રી કૃષ્ણ!”*


मम्मी मुस्कुराईं, पापा ने सिर हिलाकर आशीर्वाद दिया— और Varun की आँखों में वही चमक थी जो किसी भी बच्चे में होती है जो दुनिया को जीत लेने का सपना देखता है। उसे क्या पता था कि आज का दिन उसकी पूरी ज़िंदगी का रास्ता बदल देगा।

-THEPLA, FRIENDS AND THE DECISION-


Lunch break—जिसे स्कूल में सब **“Rises”** कहते थे—की घंटी बजी और ground में बच्चों का सैलाब उतर पड़ा।


Varun पेड़ की छाया में बैठ गया। उसने टिफ़िन खोला—मम्मी का गरम, मुलायम *thepla* और साथ में ताज़ा *curd*।


वह पहले कौर को ही प्यार से देखने लगा, तभी दो दोस्त दौड़ते हुए आए—


“Varun! Chal ghar ho aate hain! Tu bhi mummy ko mil aa!”


Varun ने तुरंत मना किया। वह कभी lunch break में बाहर नहीं जाता था। लेकिन दोस्तों ने इतनी बार कहा कि उसने सोचा—

“बस पाँच मिनट… मम्मी खुश होंगी.”

कभी-कभी ज़िंदगी एक छोटे से फ़ैसले पर मुड़ जाती है—Varun को इसका अंदाज़ा नहीं था।

-THE ACCIDENT-

Varun घर पहुँचा। मम्मी ने उसे अचानक देखा तो वो हँस पड़ीं—“Arey! School maathi?”

Varun ने बस कहा, “Mummy, tamne malva aavyo.”

दो मिनट बाद वह वापस जाने लगा। बाहर निकला तो पापा नई scooty के साथ खड़े थे—

“Chal beta, school drop kar deta hoon.”

Varun पीछे बैठ गया। Scooty अभी थोड़ी ही चली थी कि अचानक सामने कोई आ गया। पापा ने घबराकर *front brake* दबाई।

झटका इतना अचानक था कि Varun उछलकर सड़क पर जा गिरा।

उसकी चीख हवा को चीरती हुई निकली—

*“AAAHH! Papa… paa dukhay che!”*

पापा स्तब्ध रह गए। राहगीर दौड़ पड़े। pain Varun के चेहरे पर लिखा हुआ था।

-THE BONE-SETTER-

Mummy पहुँच गईं। दोनों ने मिलकर Varun को उठाया और तुरंत एक *रिक्शा* रोका।

“Bhaiya! Jaldi! Hadvaid ki taraf!”

Local हाड़वैध का छोटा-सा clinic—हल्की पीली tube-light, पुराने Ayurvedic posters, और हवा में दवा की कच्ची गंध।

Varun को cot पर लिटाया गया। X-ray हुआ। हाड़वैध ने फिल्म board पर लगाई और शांत, भारी आवाज़ में कहा—

*“Badi haddi tuti che. Ane ek side khisayi gayi che.”*

मम्मी का चेहरा फीका पड़ गया। पापा की आँखों में guilt उतर आया।

 -THE MOST PAINFUL MOMENT-

हाड़वैध ने आगे कहा—

*“Thik to thai jashe… pan pair thodu tedhu rehse.”*

Varun ने काँपती आवाज़ में कहा—

“Doctor… jaisa theek hota ho waise kar do.”

और अगले पल—बिना anesthesia, बिना warning—हाड़वैध ने Varun की टूटी हड्डी को एक तेज़, झटकेदार हरकत में मोड़कर सही कर दिया।


चीख कोई आम चीख नहीं थी। दर्द की कच्ची, असहाय, टूटती हुई आवाज़—

*“AAAAHHH— MUMMYYYY!”*

मम्मी ज़ोर से रो पड़ीं। पापा ने दीवार पकड़ ली। Varun के माथे पर पसीना, आँखों में आँसू और शरीर काँप रहा था।

“Haddi set thai gayi,” हाड़वैध बोला। “Ab recovery sharu.”

Varun की असली लड़ाई अब शुरू हुई थी।


-FOUR MONTHS OF FIGHT-

चार महीनों तक Varun बिस्तर पर रहा। दवाइयों की गंध, तेल की मालिश, और हर रात दर्द का एक नया chapter।

Physiotherapy शुरू हुई।

पहले ही दिन therapist ने walker पकड़ा दिया—

“Varun… today, you walk.”

पहला कदम—teekhi जलन।

दूसरा कदम—आँसू।

तीसरा कदम—आँसू और ज़्यादा।

पर Varun ने कहा—

*“Main rukunga nahi.”*

धीरे-धीरे उसका शरीर वापस जवाब देने लगा। पैर अभी भी थोड़ा टेढ़ा था—malunion। पर Varun के इरादे सीधा खड़े थे।

-THE COMEBACK EXAM-

स्कूल के चार महीने छूट गए थे। एक भी lecture नहीं सुना था।

Exam का दिन आया। Varun का limp साफ़ दिखता था, पर उसकी आँखों में एक अजीब-सी शांति।

“Mummy, try karis. Baaki bhagwan kare.”

Result आया—

*70%.*

Teachers stunned। Family proud। Varun ने महसूस किया—

“Main gira tha… par main uth gaya.”

-TO BE CONTINUED-

यह बस शुरुआत थी। पैर थोड़ा टेढ़ा था, पर सपने

अब पहले से भी ज़्यादा सीधे थे।

उसकी कहानी यहीं नहीं रुकती—यह तो सिर्फ पहला सीन था।

अगला अध्याय— Varun का पहला मंच— जल्द आएगा।