HUM PHIR SE MILE MAGAR ISS TARHA - 10 in Hindi Love Stories by MASHAALLHA KHAN books and stories PDF | हम फिर से मिले मगर इस तरह - 10

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हम फिर से मिले मगर इस तरह - 10

💓हम फिर से मिले मगर इस तरह💓

🌹{ऐपिसोड़ - 10}🌹

अरुण अपने ख्यालो मे ही था कि रूपाली ने उसे झझोड़ा तो वह ख्यालो से बाहर आया, तुम मेरी बात सुन भी रहे थे या मै ही पागल हूँ जो बोले जा रही हूं तुम्हे कोई फर्क पड़ता है मेरी बातो का,,रूपाली ने फिर उसे गुस्से से सुनाया.


अरुण जो अपने आप को यू रूपाली की बढ़ने से रोकना चाहता था, तो वह रूपाली के बात का जवाब गुस्से से देता है .
हां मेरी मां मे सब सून रहा हूं जो भी तुम कहे रही हो, वैल तुम पहले ही सही थी यार, बस बोलते जाती थी तुम्हे कोई फर्क नही पड़ता था कोई सून रहा है नही बस जो तुम्हारे दिल मे आता तुम कहे देती कोई सवाल कोई जवाब नही, और “नाओ यू आर कमपीलिटली चेंज” अब तो तुम्हे हर बात का जवाब चाहिये,, अरुण ने थोड़ा रूड़ होते हुए कहा .

अब रुपली अरुण की बात से थोड़ा उदास हो उठी उसको लगा शायद उसकी बातो ने अरुण का दिल दुखाया है, तो उसकी आंखे भर आई, और वह खामोश हो कर एक तरफ़ खड़ी रही, उसने आगे कोई सवाल नही किया .

मगर अरुण उसे चाहने लगा था उसकी चाहत बढ़ती जा रही थी रूपाली के लिए , या जो चाहत गुजरे वक्त मे आरुषि के कारण परवान नही चढ़ी, वह अब उसके दिल मे धड़कनो के साथ बढ़ने लगी थी पर अपने आपको रोकना चाहता था, मगर वह रूपली यू रुला नही सकता था, उसका दिल नही दुखा सकता था, वो समझ सकता था रुपाली उसे अभी तक कितना चाहती है, मगर वह उसके दिल को दोबारा नही तोड़ना चाहता था, वह बस अपनी दोस्ती को कायम रखना और उसको हमेशा खुश देखना चाहता था, तो वह रूपाली के करीब जाता है उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे गले लगा लेता है .
रुपाली जो उदास परेशान थी उसकी नम आंखे अब बरस पड़ी, उसके सिने से लगी उसकी सारी उलझन खत्म हो गई, उसके उसके अहसास को पाकर उसके दिल की धड़कनो ने गति पकड़ ली, और वह उसके सिने से लगी प्यार के समन्दर गोते खाने लगी उसका चेहरा खिल उठा था .

अरुण,, “आई एम सोरी” मुझे तुमसे ऐसे रुडली बात नही करनी चाहिए थी, मै जानता हूं मै ऐसा ही हूँ यूही सबका दिल दुखाता हूँ और लोग मुझसे इसीलए दूर भागते है, तुम सही हो शायद इसलिए ही मेरे दुश्मन ज्यादा है, पर कुछ लोग है जो मुझे पसंद करते है मेरी केयर करते है और  उन सब मे से एक खाश शक्स तुम हो रूपाली जिसने हमेशा सिर्फ मेरे बारे मे सोचा,मेरी परवाह की, मेरा मुश्किल वक्त मे साथ दिया, मेरे अकेले पन को दूर किया, मुझे हंसाया, और हा मुझे परेशान भी बहुत किया इस क्यूट सी कददू ने ( रूपाली की नाक को टच करते कहा) थेंक यू रूपाली मेरी दोस्त होने के लिए “आई एम पराउड आफ माइसेल्फ यू आर माई बेस्टटेस्ट फरेंड” इतना कहे कर वह रुपाली से अलग हुआ .

रूपाली जो उम्मीद लगा रही थी कि शायद अरुण अपने दिल की बात बालेगा, वह जानती थी कि अरुण भी उसे उसी तरह से चाहता है जैसे वह उसे चाहती है, पहले आरुषि की वजह से उसने उसको इस तरह से नही चाहा मगर अब उसकी आंखो मे वह देख सकती थी कि अरुण उसे पसंद करता है, पर उसने उसे बेस्ट फरेंड का टेग दे दिया, वह सोचती है,, कोई नही कुछ वक्त वह यहा है शायद उसे इंतेजार करना चाहिए,उसे वक्त देना चाहिए, तब तक उसे प्यार का अहसास दिलाना होगा शायद एक दिन वह भी उसे अपनाये.

फिर रूपाली अपने आप को इन उल्झन भरी सोच से निकालती है और वह मुस्कुराकर अरुण से गले मिलती है और बिना कुछ कहे चली जाती है, अरुण कुछ नही समझता वह बस उसे जाता देखता है, उसके दिल की धड़कन जो अचानक रूपाली के गले लगने बड़ गई थी और उसे बेचेन कर गई वह उसे सम्भालता है .

रूपाली के जाने के बाद वह उस वुडन हाऊस मे वापस आ जाता है, और अपनी सोच के मुताबिक स्टोरी कनटिनियू करता है, वह स्टोरी पर काम कर रहा ही होता है कि उसे आरुषि से कुछ महिने पहले हुई मुलाकात याद आती है,

जब उसने उसे एक पार्टी मे देखा था, वह एरोगेंट, सेल्फिश, अनरिस्पेक्टफूल, अग्रेसिव, रूड़, ना जाने क्या क्या बन चूकि थी, गुस्सा उसका नाक पर था, दोलत और शोहरत का नशा सर पर चड़ रहा था, वह खुबसुरत, स्मार्ट, सबसे से प्यार से बात करने वाली लड़की, सब को इज्जत देने वाली लड़की अब बदल चुकी थी फिल्मो की दुनिया की वो बड़ी स्टार थी मगर असल जिंदगी मे वो एक वेम्प का किरदार निभा रही थी,उसकी मिठी बोली अब जहर बन चुकी थी, 
उसके किये गये लोगो पर अहसान अब उसके फायदे पर निर्भर थे,

अरुण उसके सामने खड़ा येही सोच रहा था,, क्या येही वो लड़की है जिसे उसने बेहन्ताह चाह, अपनी जान से भी ज्यादा उसे प्यार किया, मासूम सी दिखने वाली लड़की अब वो नही रही जो कभी उसका प्यार थी, अब वह कुछ और ही बन चुकी है जिसे वह अब कभी चाहकर भी पसंद नहीं कर सकता .

उसी पार्टी मे आरुषि ने अरूण को देखा तो वह अरुण की ओर चली आई वह सफलता से वाकिब थी, मगर अब भी वह उसके सामने कुछ नही था उसने अरुण को फिर से धितकारा उसका उस पार्टी मे अपमान किया उसने उसे कहा,, तुम कुछ नही हो तुम अभी भी एक मामूली राइटर ही हो जो चन्द शो लिखकर अपने आप को बड़े लोगो मे गिनने लगे हो, मै आरुषि खन्ना फिल्मी दुनिया की टोप हिरोइन हूँ
मेरे सामने तुम छोटे मोटे राइटरो की क्या ओकात है, मै तो तुम्हारे लिखी गई दो कोड़ी की स्क्रिप्ट पर काम भी ना करू, मुझे खुशी है मेने तुम्हारे जैसे लूजर को छोड़ दिया, “आई अम परोउड आफ माई सेल्फ” फिर वह अरुण के पास से चली जाती है .

आज अरुण ने उसे कुछ नही कहा, ना ही उसे मनाने की कोशिश की और ना ही उसकी बातो का बुरा लगा बल्कि उसे उस पर तरस आया, वो जिस तरह से अपने आप को बना रही थी उसे यकिन था वह एक दिन आसमान से जमी पर आ गिरेगी, और उसको गिराने मे उसका भी हाथ होगा वह मन मे मुस्कुराता है

एक दिन उसकी एक बड़े प्रोडूसर की साथ मिटिंग हुई उसे पता चला कि आरुषि खन्ना का उस प्रोडूसर के साथ कोंटरेक्ट है, वह प्रोडूसर अरुण के काम से काफी प्रभावित था तो उसने उसे ऑफर दिया उसके साथ काम करने को उस फिल्म मे आरुषि मेन लिड थी, अरुण ने ऑफर एक्सेप्ट किया, उसे ये ही मोका लगा आरुषि से बदला लेना का और फिर लग गया कामपर, उसे जरूरत थी एक अच्छी स्क्रिप्ट की और इसलिए वह यहा इन पहाड़ो के बीच इस जंगल मे बने वुडन हाऊस मे आ पहुंचा.



कहानी जारी है.......✍️