आलोक :- संपूर्णा तुम यही छुप जाओ मैं चतुर को यहां से लेकर चला जाउगां
तब तुम निकल कर यहां से चली जाना।
संपूर्णा आलोक को जाने देना नही चाहती थी क्योकी संभोग पुरा नही
हुआ था तभी आलोक संपूर्णा तो
समझाते हुए कहता है----
आलोक :- संपूर्णा ऐसे तो मैं भी तुम्हे
छौड़कर नही जाना चाहता पर अगर
अभी किसी ने दैख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी।
इतना बोलकर आलोक संपूर्णा के ऊपर बिचाली डाल देता है जिससे संपूर्णा पूरी तरह से ढक जाती है और आलोक अपने शर्ट उठा कर पहन ने लगता है।
तभी चतुर आ जाता है और आलोक को देख कर कहता है---
चतुर :- अरे तू यहां क्या कर रहा है।
हमलोग तुझे पूरी हवेली पर ढुंढ रहे हैं। तू रात भर कहा था और यहाँ क्या कर रहा है ?
चतुर की बात सुनकर आलोक घबरा जाता है। चतुर फिर पूछता है---
चतुर :- तू रात भर यही था क्या? आलोक बात को संभालते हुए कहता हैं--
आलोक :- वो...! रात को ज्यादा पी लिया था इसिलिए मैं कब यहाँ आया और सो गया पता ही नहीं चला।
आलोक अपने शर्ट की बटन लगाता हैं। चतुर आलोक से पुछता है---
चतुर :- पर तूने अपना शर्ट क्यों उतारा था..?
आलोक कहता है---
आलोक :- अरे यार अब मुझे क्या पता..! कहा ना..के में नशे में था।
इतना बोलकर आलोक वहां से जाने लगता है और चतुर भी उसके पीछे चला जाता है। तब संपूर्णा बिचाली के अंदर से निकलती है और अपनी सलवार पहनती है और वहां से हवेली के अंदर चली जाती है।
संपूर्णा अपने कमरे के अंदर चली जाती है जहां पर वृंदा सो रही थी। संपूर्ण वृंदा को उठाने लगती है। वृंदा उठ कर बैठ जाती है और अंगड़ाई लेते हुए कहती है---
वृदां :- गुड मॉर्निंग ....!
संपूर्णा कहती है-- -
संपूर्णा: :- गूड मॉर्निंग...! पर अब उठ जा देख कितना समय हो गया है।
वृंदा झट से अपना मोबाइल उठाकर टाइम दैखती है और चौंककर कहती हैं---
संपूर्णा: - ओ मॉय गॉड , 9 बज गए..!
संपूर्णा कहती है----
संपूर्णा: - क्या बात है, काल रात को भाई ने दैर रात तक जगाया क्या..?
वृंदा अपना सर पकड़कर कहती है।
वृदां :- उसी बात का तो टेंशन है। कल रात को पता नहीं मैंने क्या किया। एकांश मेरे बारें में पता नहीं क्या सोच रहा होगा।
इतना बोलकर वृंदा वहा से उठती है और भागते हुए एकांश के कमरे की और जाने लगती है , संपूर्णा उसे बुलाती है पर वो बिना सुने ही चली जाती है ।
संपूर्णा: - कहां जा रही है , अरे सुन ते ।
पर संपूर्णा वहां से चली जाती है ।
जहां पर एकांश कहीं जाने के लिए तैयार हो रहा था। वृंदा को अपने रूम में देख कर एकांश कहता है----
एकांश :- अरे वृंदा तुम यहा..? कुछ काम है क्या मुझसे।
वृंदा कहती है----
वृदां :- हा ....वो ...वो ... कल रात को ...वो ... हमारे बिच कुछ हुआ था क्या ..?
एकांश वृंदा के करीब जा कर कहता है---
एकांश :- हां हुआ था ना .. सब कुछ ..!
एकांश से इतना सुनकर वृंदा हैरानी से कहती है---
वृदां :- क्या...! इसका मतलब तुमने मेरा फ़ायदा उठा लिया।
एकांश कहता है---
एकांश : - क्या फायदा..! कल रात को तुम वह तो कह रही थी के कर लो तेरे बाप का क्या जाता है , करलो तेरे बाप का क्या जाता है । मैंने कितना मना किया , पर तुमने नहीं माना और मुझे वो सब करना बड़ा।
एकांश अपना शर्ट के बटन लगाते हुए कहता है----
एकांश :- और तुम हो ही इतनी खूबसूरत के मैं अपने आपको रोक ही नहीं पाया।
वृंदा कहती है---
वृदां :- I know , कल मैने नशे मे ये सब कहा , और इसका मतलब तुमने मेरा सब देख लिया।
एकांश कहता है---
एकांश :- नहीं मैंने तुम्हारा कुछ भी नहीं देखा मेैंने सोचा के मैं नशे का फायदा नहीं उठाऊंगा इसिलिए बिना देखे ही वो सब किया।
वृंदा चिड़कर कहती हैं----
वृदां :- बात तो एक ही हुआ ना। देखो या ना देखो कर तो लिया ना सब कुछ।
तब एकांश वृंदा के करीब जा कर कहता है----
एकांश : - तुम्हें लगता है के मैं तुम्हारा फायदा उठाउंगा..हम्म्म..! में बस तुमसे मजाक कर रहा था। कल रात को जब तुम सो गई तब मैं तुम्हें तुम्हारे रूम में सुला कर आ गया।
वृंदा एकांश के पास जा कर कहती है---
वृदां :-;सॉरी एकांश।!
एकांश :- सॉरी ? पर किस बात के लिए।
वृंदा :- वो कल रात को पता नहीं मैं क्या बोल रही थी। पता नहीं मुझे क्या हुआ था। मैं कभी ऐसी बात किसी से नहीं बोली।
तब एकांश वृंदा के पास जाता है और वृंदा के गाल पर हाथ रख कर कहता है---
एकांश :- तुम्हें सॉरी बोले की कोई जरूरत नही है और तुम अपने मन में ये सोच बिलकुल मत लाना के मैं तुम्हारे बारे में गलत सोच रहा हूं। तुम एक बहुत अच्छी लड़की हो और दोस्तों में ऐसी बातें होती रहती हैं।
तभी संपूर्णा वहां पर आ जाती है। एकांश संपूर्णा को देखकर वृंदा के गाल से अपना हाथ हटा देता है जिससे संपूर्णा देख लेती हैं और एकांश का टाग खिचते हुए कहती हैं।
संपूर्णा : - क्या चल रहा है यहां...? "भाई , मैं कल से देख रही हूं। के आप वृंदा का साथ ही नहीं छोड़ रहे हो। बात क्या है भाई ।
एकांश शर्माते हुए कहता हैं---
एकांश : - क्या सेंपू तू भी ना..! सेंपू सब्द सुनकर संपूर्णा मुह बना लेती हैं।
एकांश संपूर्णा का कान पकड़ते हुए कहता है---
एकांंश :-ज्यादा बकवास मत कर। मैं बाहर जा रहा हूं आलोक के साथ कुछ काम से तुम चतुर और गुना को बता देना और उससे कहना के भाई तुमसे बाद में आके मिलेगा।
इतना बोलकर एकांश वहां से चला जाता है। वृंदा संपूर्णा से कहती है---
वृदां :- ये एकांश तुझे सेंपू क्यूं बुलाता है।
संपूर्णा :- तू छोड़ ना ये सब और ये बता के कल रात को क्या हुआ..?
वृंदा :- क्या होगा कुछ नहीं पता नहीं कल रात को मुझे क्या हुआ था मैं एकांश से वो सब करने को बोल रही थी ।
संपूर्णा झट से कहती है।
संपूर्ण :- फिर क्या हुआ..? तुमने कर भी लिया क्या..?
वृंदा :- नहीं...! ऐसा कुछ नहीं हुआ।
संपूर्णा अपने माथे पर हाथ रख कर कहती है---
संपूर्णा :- उफ्फ्फ...! तू भी ना पागल ही रह गई। ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा तुझे।
वृंदा :- मैंने तो उससे कहा भी था के
जो करना है करलो। पर एकांश बहोत ही अच्छा लड़का है। वो अगर चाहता तो मेरे साथ वो सब कर सकता था। पर एकांश जानता था के में नशे थी इसिलिए उसने ऐसा कुछ नहीं किया।
संपूर्णा :- अच्छा ! भाई इतना समझदार भी है।
इतना बोलकर दोनो हंसने लगती है। हवेली के बाहर एकांश आलोक को अपनी बाइक में बैठा कर सुंदरवन की और जाने लगता है। कुछ दूर जाने के बाद आलोक एकांश से पुछता है--
आलोक :- एकांश तुम्हें पुरा यकिन है ना के कल रात जो लड़की आई थी वो वही लड़की है जो तेरे सपने ... मेरा मतलब है जो उस रात को मिली थी। क्योंकी तुने तो परसो देखा ना जंगल में हमारे साथ क्या हुआ।
एकांश :- हां यार मेरा भरोसा कर मैं सच कह रहा हूं वो लड़की वर्शाली ही थी और कल को उसने मुझे ये भी कहा था के में उससे मिलने अकेला ही आउ पर तुम मेरे बात को सपना न समझो इसिलिए मैं तुम्हें वहां लेकर जा रहा हूं।
आलोक :- क्या..? जब उसने मना किया और सिर्फ तुझे बुलाया तो मुझे यहाँ नहीं लाना चाहिए था।
तभी दोनो सुंदरवन के पास पँहुच जाता है जहां पर वर्शाली ने एकांश को बुलायी थी। एकांश बाइक से उतर कर इधर उधर देखता है पर वहां पर कोई नहीं था। ।
To be continue......280