Ashvdhaama: Ek yug purush - 3 in Hindi Science-Fiction by bhagwat singh naruka books and stories PDF | Ashvdhaama: एक युग पुरुष - 3

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Ashvdhaama: एक युग पुरुष - 3






दिल्ली के ऊपर हल्की बारिश की बूंदें गिर रही थीं।
सड़कों पर पीली रोशनी फैल रही थी।
लेकिन ISAR के वैज्ञानिक ब्लॉक की एक खिड़की अभी भी चमक रही थी—
वहीं खिड़की जहाँ से भारत का सबसे अनोखा वैज्ञानिक
रात-दिन पुराणों और विज्ञान की टकराहट में उलझा रहता था।

डॉ. योगेश्वर अग्निवंश,
एक ऐसा नाम जो कई लोगों के लिए सिर्फ़ ‘पागल वैज्ञानिक’ था,लेकिन उसके नाम कई महत्वपूर्ण कार्य थे जिनकी सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता था ।
परंतु इतिहास के हर पन्ने में चिंगारी ढूँढ़ने वाला आदमी। अचानक से इस तरह बदल गया इसके पीछे का कारण कोई नहीं समझ सका 

आज उसकी आँखों में पहले से कुछ अलग चमक थी।
वह अपनी गुप्त लेब में बैठा,
हिमालय से मिले “अननोन एनर्जी सिग्नेचर” को बड़े स्क्रीन पर देख रहा था।

कंप्यूटर ने फिर धीमी आवाज़ में कहा—(काल्पनिक कोड)
Signal Reappeared.
Location locked.
Intensity rising.

योगेश्वर की साँसें तेज़ हो गईं।

“इतनी स्थिर ऊर्जा...
मानव शरीर तो क्या, आधुनिक मशीनें भी ऐसी स्थिरता पैदा नहीं कर सकती।” मुझे बार बार ये क्यों आभास हो रहा है कि ये वही है जो वर्षों की मेरी खोज है ,लेकिन जब तक सच्चाई से सामना नहीं होगा तब तक कहना मुश्किल है ।

उसने एक पुरानी पांडुलिपि उठाई—
“शांति पर्व – महाभारत।”

वह उस पन्ने पर रुका जहाँ कृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप दिया था।
वहीं एक लाइन उसने लाल मार्कर से घेर रखी थी—

‘वह पृथ्वी पर अमरत्व का बोझ उठाएगा।
परंतु उसका घाव युगों तक ऊर्जा छोड़ता रहेगा।’ उसका उत्थान मात्र कल्कि अवतार से होगा ,जो शायद साधारण सा दिखने वाला पुरुष ही क्यों ना हो ,,।

उसकी आँखें फैल गईं।
“घाव ऊर्जा छोड़ता है…
और यदि वही ऊर्जा हिमालय में सक्रिय हुई है…
तो इसका मतलब—
अश्वत्थामा कहीं पास है।
वह जीवित है।” 
उसकी उंगलियाँ काँपती रहीं।

लेकिन सवाल ये भी है कि कल्कि अवतार जो आयेगा वो कैसा होगा ,कैसे पहचान की जाए उसकी ,क्योंकि us तक कल्कि अवतार से ही पहुंचना संभव है । पहले मुझे कल्कि अवतार को जानना जरूरी हो जाता है ।



दूसरी ओर – हिमालय का घना जंगल

घने बादलों से ढका आसमान।
ऊँचे-ऊँचे देवदार, चीड़ के पेड़।
तारों से रहित रात।
चारों ओर सिर्फ़ हवाओं का शोर।

एक बूढ़ा, विशालकाय शरीर
जंगल में धीरे-धीरे चलता हुआ आगे बढ़ रहा था।

वह था—
युग पुरुष,,

उसकी पीठ पर बंधा पुराना शस्त्र,
कंधों पर हज़ारों वर्षों का बोझ,
और आँखों में अनंत काल का अंधेरा। लंबी लंबी जटाएं लंबे बाल ओर एक मजबूत शरीर जिसकी लंबाई 12 से 15 फिट।

जैसे ही वह एक चट्टान पर चढ़ा,
उसके माथे का घाव एकदम चमक उठा…
ऐसा प्रतीत हुआ जैसे किसी ने उसका नाम लिया हो।

“किसने मुझे छुआ…?”
उसने आकाश की ओर देखा।
हवा थम गई।
जंगल शांत हो गया।

उसने धीरे से कहा—
“कोई है… जो मुझे ढूँढ रहा है।” फिर से वही सवाल खुद से दोहराता हुआ ओर आसमान की तरफ देखता रहा ।

उसके अंदर गहरा तनाव उठा।
वह कोई साधारण इंसान नहीं था,
वह हजारों वर्षों की यातना से कठोर हो चुका था।

उसने हाथ बढ़ाकर एक पत्थर पर अंगुली घुमाई।
पत्थर पिघल-सा गया।
यही थी उसकी शक्ति—
चक्र का संतुलन बिगाड़ने वाली शक्ति।

“जिसने मुझे छूने की कोशिश की है,
वह या तो बहुत साहसी है…
या मूर्ख।”
उसकी आवाज़ में करुणा नहीं,
केवल थकान थी।

योगेश्वर अग्निवंश की जिन्दगी

अगली सुबह।
सूरज की रोशनी खिड़की से घुसकर
छोटे से घर में फैल रही थी।

ओजस अपने बैग की चेन लगा रहा था।
पत्नी आयुषी रसोई में नाश्ता रख रही थी।

“योगेश, तुम पूरी रात जागे हो ना?”
उसने चिंता से पूछा।

योगेश्वर ने कप उठाया—
“नींद बाद में।
एक बड़ा रहस्य खुलने वाला है, आयुषी।
इतिहास… खुद को दोहराने वाला है।”मेरी नींद मायने नहीं रखती है आयुषी मायने रखता है कि इतिहास जिसको लोग सदियों तक याद रखेंगे।

आयुषी ने आह भरी।
“इतिहास से पहले अपना खुद का घर संभालो।
ओजस का स्कूल शुरू होने वाला है…”

ओजस उत्सुक होकर बोला—
“पापा! क्या आज आप अपनी गुप्त रिसर्च दिखाएँगे?
जिसमें कोई बहुत पुराना योद्धा है?”

योगेश्वर मुस्कुरा दिया।
“जल्दी ही दिखाऊँगा, बेटा।
लेकिन याद रखना—
जिसे मैं ढूँढ रहा हूँ,
वह दुनिया का सबसे अद्भुत इंसान है…
और सबसे खतरनाक भी।” बस इंतजार है उस समय का ,अभी तुम पढ़ाई पर ध्यान दो ।

ओजस की आँखें चमक उठीं।
“जैसे सुपरहीरो?”

योगेश्वर ने सिर हिलाया—
“नहीं बेटे।
वह सुपरहीरो नहीं…
वह इतिहास का सबसे अकेला आदमी है।”युग पुरुष है 

आयुषी ने चुपचाप पति को देखा—
उसे डर था कि कहीं यह खोज उन्हें किसी खतरे में न डाल दे। 
आयुषी: 
अपनी तरह अपने बच्चे को भी उसी काल्पनिक दुनिया के सपने मत दिखाओ योग,,,,अभी उसकी पढ़ाई की उम्र है इन चीजों में उसका दिमाग डिस्टर्ब होता है । ओर ये घर है कभी कभी लगता है ये घर नहीं कोई लेब है जिस में हमे बनाया गया है । प्लीज़ घर पर इन बातों को मत किया करो ,,,,


दोपहर होते-होते ISAR की लैब में अफरा-तफरी मच चुकी थी।

“सर! यह देखिए!”
हेमंत दौड़ता हुआ आया।

स्क्रीन पर एक ग्राफ दिखाई दिया—
एक असामान्य ऊर्जा वेव जो लगातार तेज़ हो रही थी।

“यह पृथ्वी की किसी मशीन का सिग्नल नहीं,”
हेमंत ने कहा,
“इसका पैटर्न बिल्कुल जैविक है…
लेकिन इतना शक्तिशाली कोई जीव कैसे हो सकता है?”

योगेश्वर के चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान फैल गई।
“आख़िरकार…
तुम भी समझने लगे।”मै ना कहता था कि ये वही है जिसकी मुझे तलाश थी ,,,, खैर तुम इसी तरह मेरा साथ दोगे तो तुम्हे अवश्य मिला दूंगा,, दुनिया दिखेगी हमारे नए रिसर्च को ।

हेमंत ने घबराकर पूछा—
“सर, क्या आप यह कहना चाहते हैं कि…
यह वही व्यक्ति है जिसकी आप 10 वर्षों से रिसर्च कर रहे हैं?”

योगेश्वर ने हाँ में सिर हिलाया।
“अश्वत्थामा।”महाभारत काल का योद्धा जिसके चर्च चाहे महाभारत के युद्ध से पहले कम रहे थे लेकिन युद्ध के मैदान में उसने युद्ध के नियम ही बदल दिए।

सब सन्न।

एक महिला वैज्ञानिक बोली—
“सर, यह सिर्फ़ पौराणिक कथाएँ हैं।
इतना शक्तिशाली जीव—हम कैसे मान लें कि वह जीवित हो सकता है?”ओर कैसे ?? 

योगेश्वर ने धीरे-धीरे जवाब दिया—
“क्योंकि मेरे पास सबूत हैं।
रक्त का नमूना।
ऊर्जा पैटर्न।
महाभारत के संदर्भ।
इतिहास के गहरे रहस्य…
सब एक ही दिशा में इशारा करते हैं।”

महिला वैज्ञानिक बोली__
आपकी बात सही ,मान लेते है लेकिन ऐसा भी तो हो सकता है आप जो महसूस कर रहे है वो आपके दिमाग का भ्रम हो ,क्योंकि कई बार ऐसा भी होता है कि हमारा दिमाग जिस चीज के बारे में जायदा सोचता है तो उसके दिमाग में वहीं विचार वही सोच छवि बना लेती है जैसा कि आपको को लग रहा है ,, ।
वह जोर से बोला—
“अश्वत्थामा जीवित है।
और वह कहीं हिमालय में है।”मेरी रिसर्च कभी गलत नहीं हो सकती है ,तुमने तो हमारे भारत के पुराणों पर उंगली उठा दी है ,अगर तुम गीता महाभारत या पुराण पढ़ती तो तुम्हे पता होता कि ,, इतिहास क्या है क्या है भारत ,।
आज हमारा भारत का विज्ञान की नींव भी हमारे पुराणों पर रखी गई है जिसका लोहा सारे देशों के वैज्ञानिक मानते है ,,,ये सौरमंड ये तारे ऊपर जितने ग्रह है वो सब का जिक्र हमारे पुराणों में है वरना हमें ओर तुम्हे कैसे पता होता कि ऊपर भी चन्द्र के अलावा कोई ओर ग्रह है । 

लैब में सन्नाटा छा गया।
पर पहली बार कुछ चेहरों पर विश्वास की हल्की चिंगारी जली।


जगह :: घर 

रात होते ही योगेश्वर फिर अपनी गुप्त भूमिगत लेब में था।
स्क्रीन पर ऊर्जा लहरों का नक्शा धीरे-धीरे बढ़ रहा था।

“इतनी तेज़ गतिविधि…”
उसने खुद से कहा,
“यह सामान्य नहीं।
यह मानो किसी जगे हुए दैत्य की साँसें हों।”

फिर उसने पुराणों की पुस्तक खोली और पढ़ा—

‘कलियुग के अंत में
अश्वत्थामा पुनः सक्रिय होगा
और उसका घाव जगमगाएगा।’यही उसकी पहचान होगी उसके माथे से बहता हुआ रक्त उसकी असली पहचान है ।

उसके चेहरे पर पसीना छलक आया।

“तो…
कल्कि का युग भी निकट है?” या उसका जन्म हो चुका ये तभी संभव है जब कल्कि अवतार हो चुका हो वरना इतने सालों से क्यों ऐसा नहीं हुआ ।

वह कुर्सी पर बैठ गया।
हाथ काँप रहे थे।
दिल तेज़ धड़क रहा था।

“क्या मैं…
इतिहास बदलने वाला हूँ?”अगर ऐसा है तो फिर कोई दूसरी ताकत जरूर होगी जो इस दिन का इंतजार कर रहा होगा , क्योंकि सत्य जहां होता है वहां पर बुराई जरूर होगी इस लिए उससे पहले बुरी ताकते उस तक पहुंचे मुझे उसे ढूंढ निकालना है ।

अचानक स्क्रीन पर एक नई चेतावनी आई—(काल्पनिक कोड)
Energy Spike
Himalayan Point #07
Proximity Alert

योगेश्वर खड़े होते ही लड़खड़ा गया।
उसने स्क्रीन पर डेटा देखा और डर गया—

मानो कोई… इंसान नहीं… बल्कि कोई युग जाग रहा था।

वहीं दूसरी तरह ________

अश्वत्थामा एक पहाड़ी झरने के पास खड़ा था।
उसके माथे का घाव जलने लगा।
चमक बढ़ती गई।
उसने जमीन पर हाथ रखा—
धरती काँपने लगी। घास जलने लगी ,,दो तीन दिन से उसको ये अचानक से होने वाली घटना परेशान किए जा रही थी उसको भी इंतजार था उस सच्चाई को जानना की आखिर ऐसी कौन सी शक्ति है जो उसे बुला रही है ।

उसने आँखें बंद कीं—
और दूर कहीं…
मानो उसे किसी की पुकार सुनाई दी।

एक आवाज़…
रहस्यमयी…
गंभीर…
बिल्कुल उसके रक्त से संबंधी हो ,उसे खींच रही थी ,,,

“Ashvathama…
I know you exist…”

अश्वत्थामा चौंक गया।
उसने आकाश की ओर देखा।

“कौन है…
जो मुझे खोज रहा है?” बार बार क्यों परेशान कर रहा है मुझे क्यों ,,,,,,,,,

वह गुर्राया—
“विज्ञान ने पुराण को छू लिया है…” कही यही तो नहीं वो जिससे मेरा उद्धार होगा ,,,लेकिन तुम कहा हो ,, मुझे अपना स्थान बताओ,,,,

उसने हवा में हाथ घुमाया—
ऊर्जा की हल्की तरंग उठी।

“अगर विज्ञान ने मेरी दुनिया में कदम रखा…
तो अब युद्ध टल नहीं सकता।” बुरी ताकते भी उसके पीछे जरूर आएगी । 

दिल्ली में स्क्रीन चमकी—
Unknown Entity Detected
Directly looking back
Energy Lock On YOU

योगेश्वर काँप गया।
“यह… यह असंभव है।
क्या वह… मुझे देख रहा है?” मुझे अपनी जगह स्थान बताओ ,,,

और हजारों किलोमीटर दूर
अश्वत्थामा की आँखें लाल चमक उठीं—

“मैं आ रहा हूँ…
जिसने मुझे जगाया है,
उससे मिलना ज़रूरी है।”यही मेरे लिए ओर मेरे बुरे कार्यों के परिणाम के लिए सही होगा ।


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लेखक भगवत सिंह नरूका ✍️ 
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