Dil ka Rishta - 4 in Hindi Love Stories by soni books and stories PDF | दिल का रिश्ता - 4

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दिल का रिश्ता - 4

शादी बाद की ज़िंदगी नया घर, नए रिश्ते, और नई शुरुआत शादी की रस्में खत्म हो चुकी थीं,लेकिन Raj और Anushka की असली कहानीअब शुरू हो रही थी।पहली सुबह — एक नई दुनियासुबह की हल्की धूपकमरे की खिड़की से अंदर आ रही थी।Anushka की आँख खुली तोसब कुछ बदला-बदला सा लगा।सिंदूर, चूड़ियाँ,और पास सोता हुआ Raj—वो मुस्कुरा उठी।Raj ने नींद में ही कहा—“Good morning, Mrs. Raj…”Anushka शरमा गई—“उठो…सब नीचे इंतज़ार कर रहे होंगे।”Raj ने आँखें खोलीं—“तो क्या हुआ?थोड़ी देर अपने लिए नहीं निकाल सकते?”पहली रसोई — एक यादगार पलरसोईघर मेंAnushka हल्की घबराहट में थी।माँ और सास पास ही खड़ी थीं।“जो दिल करे बनाओ बेटा,”सास ने प्यार से कहा।Anushka ने खीर बनाई।जब सबने चखी,सास की आँखों में चमक आ गई—“आज से ये रसोई तुम्हारी है।”Anushka की आँखें भर आईं।Raj ने दूर से हीउसे हौसला दिया।पहला छोटा-सा झगड़ाशाम को Raj ऑफिस से देर से आया।Anushka इंतज़ार करती रही।“फोन तो कर सकते थे,”उसने हल्की नाराज़गी से कहा।Raj थका हुआ था—“मीटिंग लंबी चल गई थी…”Anushka चुप हो गई।पर उसकी चुप्पीRaj को चुभ गई।Raj पास आया—“गुस्सा हो?”Anushka ने सिर हिला दिया—“थोड़ा…”Raj ने उसका हाथ थामा“आगे से बताऊँगा…पक्का।”नाराज़गीमुस्कान में बदल गई।रात — दिल की बातेंछत पर बैठेदोनों तारों को देख रहे थे।Anushka बोली—“Raj, डर लगता है कभी-कभी…नई ज़िंदगी, नई ज़िम्मेदारियाँ।”Raj ने उसे अपने कंधे से लगा लिया—“जब डर लगे,बस मेरा हाथ पकड़ लेना।”Anushka ने उसकी ओर देखा—“और तुम?”Raj मुस्कुराया—“मेरा डर तुम हो…क्योंकि तुम्हें खोने का डर है।”दिल का रिश्ता — और गहराशादी के बाद की ज़िंदगीसिर्फ़ खुशियों से नहीं,छोटी-छोटी गलतियों से भी बनती है।लेकिन Raj और Anushka समझ चुके थे—प्यार का मतलब परफेक्ट होना नहीं,बल्कि हर दिन एक-दूसरे को चुनना है� एक नई खबर उम्मीद, डर और बढ़ता प्यार शादी को कुछ महीने बीत चुके थे।Raj और Anushka अब एक-दूसरे की आदतों, खामोशियोंऔर छोटी-छोटी खुशियों के आदी हो चुके थे।घर अब सिर्फ़ एक मकान नहीं था—वो उनकी दुनिया बन चुका था।एक सुबह — बदला हुआ एहसासAnushka सुबह से ही कुछ अलग महसूस कर रही थी।थकान, जी मिचलाना,और दिल में एक अजीब-सी हलचल।Raj ने चाय का कप बढ़ाते हुए पूछा—“सब ठीक है न?”Anushka ने हल्की मुस्कान के साथ कहा—“हाँ… शायद।”लेकिन उसका मनकुछ और ही इशारा कर रहा था।डॉक्टर के क्लिनिक मेंरिपोर्ट हाथ में थी।Anushka की उंगलियाँ काँप रही थीं।डॉक्टर मुस्कुराईं—“Congratulations…आप माँ बनने वाली हैं।”एक पल कोAnushka की आँखों के सामनेRaj का चेहरा आ गया।उसकी आँखें भर आईं।ख़बर देने का पलशाम को Raj घर आया।Anushka ने कुछ नहीं कहा,बस उसकी हथेली परएक छोटा-सा डिब्बा रख दिया।Raj ने खोला—अंदर एक छोटी-सी बेबी सॉक्स थी।वो कुछ समझ पाता,उससे पहले Anushka की आवाज़ आई—“हम… तीन होने वाले हैं।”Raj की आँखें फैल गईं।फिर वो घुटनों के बल बैठ गयाऔर Anushka के पेट पर हाथ रख दिया।“सच?”उसकी आवाज़ काँप रही थी।Anushka ने सिर हिलाया।Raj की आँखों से आँसू बह निकले—खुशी के आँसू।डर और जिम्मेदारीकुछ देर बादRaj गंभीर हो गया।“Anushka…क्या मैं अच्छा पिता बन पाऊँगा?”Anushka ने उसका चेहरा थामा—“जैसे तुम अच्छे इंसान हो,वैसे ही अच्छे पिता भी बनोगे।”Raj ने उसे गले लगा लिया।“मैं वादा करता हूँ…हमारे बच्चे कोखूब प्यार मिलेगा।”परिवार की खुशीजब घरवालों को पता चला,घर में मिठाइयाँ बंटी।माँ ने कहा—“घर में फिर से किलकारियाँ गूंजेंगी।”सास ने Anushka का हाथ पकड़कर कहा—“अब तुम अकेली नहीं बेटा,हम सब साथ हैं।”दिल का रिश्ता — अब और बड़ाअब Raj और Anushka का रिश्तासिर्फ़ पति-पत्नी का नहीं रहा था।अब उसमेंएक नई धड़कन जुड़ने वाली थी।एक छोटी-सी जान,जो उनके प्यार की सबसे खूबसूरत निशानी होगी।💖  इतजार के दिन ख़्याल, घबराहट और प्यार की परीक्षा ख़बर के बाद सेघर की हवा ही बदल गई थी।Anushka अब सिर्फ़ Raj की पत्नी नहीं,बल्कि आने वाली ज़िंदगी की माँ भी थी।Raj हर छोटी बात का ध्यान रखने लगा—समय पर दवा,हल्की सैर,और बिना वजह भी पूछ लेना“थक तो नहीं गई?”पहली अल्ट्रासाउंड क्लिनिक के बाहरRaj की उंगलियाँ लगातार हिल रही थीं।Anushka ने उसे देखा तो मुस्कुरा दी—“इतनी घबराहट क्यों?”Raj बोला“क्योंकि आजपहली बारहमारी दुनिया की धड़कन सुनने वाले हैं।”अंदर मशीन की स्क्रीन परएक छोटी-सी हलचल दिखी।डॉक्टर ने कहा—“Heartbeats are strong.”Raj और Anushka एक-दूसरे को देख कररो पड़े—ख़ामोशी में भीउनकी खुशियाँ बोल रही थीं।थोड़ी-सी परेशानीकुछ हफ्तों बादAnushka को अचानक चक्कर आए।Raj घबरा गया।डॉक्टर ने आराम की सलाह दी—“Stress बिल्कुल नहीं।Complete rest.”Raj ने उसी दिनऑफिस से वर्क-फ्रॉम-होम ले लिया।Anushka ने विरोध किया—“Raj, तुम्हारा काम…”Raj ने उसका हाथ थाम लिया—“काम चलता रहेगा,पर तुम और हमारा बच्चा—ये ज़रूरी हैं।”रात की बेचैनीएक रातAnushka नींद में घबरा गई।Raj तुरंत उठ बैठा।“क्या हुआ?”Anushka की आँखों में आँसू थे—“डर लगता है Raj…सब ठीक रहेगा न?”Raj ने उसे सीने से लगा लिया—“जब तक मेरी सांसें हैं,तुम्हें और हमारे बच्चे कोकुछ नहीं होगा।”उसकी आवाज़ मेंवादा था,डर नहीं।छोटा-सा जश्नघरवालों नेगोदभराई की तैयारी की।रंगीन चूड़ियाँ,हंसी-मज़ाक,और ढेर सारा प्यार।माँ ने Anushka के सिर पर हाथ रखा—“तुम बहुत मजबूत हो बेटा।”Raj दूर खड़ाउसे देखते हुए सोच रहा था—ये औरत नहीं,मेरी पूरी दुनिया है।दिल का रिश्ता — एक कदम और आगेइंतज़ार आसान नहीं था।हर दिनडर और उम्मीदसाथ-साथ चलते थे।लेकिन Raj और Anushka ने सीख लिया था—प्यार सिर्फ़ मुस्कान में नहीं,बल्कि एक-दूसरे कीकमज़ोरी थाम लेने में होता है।और कहीं न कहीं,उनके बीचएक नई धड़कन धीरे-धीरे अपनी जगह बना रही थी💖 (एक नई ज़िंदगी का आगमन) दर्द, दुआ और पहली किलकारी रात के ढाई बजे थे।अचानक Anushka की नींद टूटी।पेट में तेज़ दर्द उठाऔर उसके चेहरे पर घबराहट छा गई।“Raj…”उसने धीमी आवाज़ में पुकारा।Raj तुरंत उठ बैठा।एक नज़र में सब समझ गया।“सब ठीक है…मैं हूँ न,”कहते हुए उसने जल्दी सेडॉक्टर को कॉल कियाऔर बैग उठाया।अस्पताल की भाग-दौड़रात की सड़कों परRaj की गाड़ी तेज़ी से दौड़ रही थी।उसके हाथ काँप रहे थे,लेकिन आवाज़ मजबूत थी—“बस थोड़ा सा और, Anushka…हम पहुँच रहे हैं।”Anushka दर्द में थी,पर Raj का हाथ थामे हुएखुद को संभाल रही थी।ऑपरेशन थिएटर के बाहरडॉक्टर Anushka को अंदर ले गए।Raj बाहर कुर्सी पर बैठ गया—सर झुका हुआ,हाथों में प्रार्थना।हर मिनट घंटों जैसा लग रहा था।वो बार-बार खुद से कह रहा था“भगवान,बस दोनों को ठीक रखना…”वो आवाज़…अचानक अंदर सेएक तेज़ रोने की आवाज़ आई।Raj का सिर उठ गया।उसकी सांस अटक गई।दरवाज़ा खुला।नर्स मुस्कुराती हुई बोली“Congratulations!You are a father.”Raj की आँखों सेआँसू बह निकले।वो रोते-रोते हँसने लगा।पहली मुलाक़ातAnushka बेड पर थी,थकी हुई लेकिन मुस्कुराती हुई।नर्स नेछोटी-सी जानउसकी बाहों में दी।Raj पास आया।उसने काँपते हाथों सेअपने बच्चे को छुआ।“हमारी बेटी…”उसकी आवाज़ भर आई।Anushka ने धीमे से कहा—“Raj…वो तुम्हारी आँखों जैसी है।”Raj ने झुककरAnushka के माथे परएक हल्का सा किस किया—“तुमने मुझेसबसे बड़ा तोहफ़ा दिया है।”परिवार की खुशी घरवालों के चेहरेखुशी से चमक रहे थे।माँ की आँखों में आँसू थे।“घर में लक्ष्मी आई है,”उन्होंने कहा।Raj ने सबके सामनेAnushka का हाथ थामा—“ये सबइसी की हिम्मत से हुआ है।”दिल का रिश्ता — अब तीन दिलों काउस रातRaj देर तकअपनी बेटी को देखता रहा।एक तरफ़उसकी पत्नी—उसकी ताक़त।दूसरी तरफ़उसकी बेटी—उसका भविष्य।और Raj ने महसूस किया—दिल का रिश्ताअब और भी गहरा हो गया था।अब ये कहानी सिर्फ़ प्यार की नहीं थी…ये ज़िंदगी की कहानी बन चुकी थी   नेक्स्ट पार्ट पढ़ने के लिए मुझे फॉलो करे........