तेरा ज़हर, मेरी मोहब्बत by Yasmeen Khan in Hindi Novels
Episode 1: “शुरुआत नहीं, सौदा था”“19 साल की थी मैं, जब ज़िंदगी ने मुझे बेच दिया था…”बरसों से जिसे घर कहा था, उसी घर के क...
तेरा ज़हर, मेरी मोहब्बत by Yasmeen Khan in Hindi Novels
Episode 2: “इस रिश्ते में तेरा नाम नहीं, बस मेरा हक़ है”सुबह की धूप 16वीं मंज़िल की बालकनी में गिर रही थी, लेकिन मेरे जि...
तेरा ज़हर, मेरी मोहब्बत by Yasmeen Khan in Hindi Novels
Episode 3: “तेरे नाम की कैद, मेरे जिस्म की सज़ा”“मुझे उससे डर नहीं लगता था… मुझे डर था खुद से — कि कहीं मैं उसे चाहने न...
तेरा ज़हर, मेरी मोहब्बत by Yasmeen Khan in Hindi Novels
एपिसोड 4: “वो छुअन जो रूह तक उतर गई”कमरे में एक गहराई थी।जैसे हवाएं भी ठहर गई थीं,और दीवारें साँस रोककर बस उन्हें देख रह...
तेरा ज़हर, मेरी मोहब्बत by Yasmeen Khan in Hindi Novels
एपिसोड 5: “तेरे जज़्बातों की गिरफ़्त में…”“कभी-कभी कोई छू भी न पाए… फिर भी उसकी सोच रूह में उतर जाती है।”रात के धागे अब...