Sunayna by Vrishali Gotkhindikar

सुनयना by Vrishali Gotkhindikar in Marathi Novels
 “सुनयना ...आज इन नजारोको तुम देखो और मै तुम्हे देखते हुए देखु “येसुदास गात होता अगदी तन्मयतेने.. ऑफिस समोरच्या टपरीमध्य...