‎समर्पण से आंगे by vikram kori in Hindi Novels
‎part - 1‎‎सुबह के छह बज रहे थे।‎शहर अभी पूरी तरह जागा नहीं था, लेकिन अंकित की ज़िंदगी में नींद के लिए जगह कब की खत्म हो...