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    एक यूट्यूबर गर्ल की अनकही कहानी सुबह की हल्की धूप के साथ, प्रिया अपने कमरे में ब...

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    1. पहली मुलाक़ात – बैंगलोर की गलियाँबैंगलोर का शहर हमेशा चहल-पहल से भरा रहता है।...

  • विषैला इश्क - 25

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  • The Risky Love - 19

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    "वो जो मेरा था..." एपिसोड – 17---फार्महाउस की रात हमेशा शांत होती थी, लेकिन उस र...

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    भाग 7 – प्रधानमंत्री पद की यात्रा और 2014 का ऐतिहासिक चुनाव---प्रस्तावना2013–14...

  • नवरात्रि की कहानी

    बहुत समय पहले, देवताओं और असुरों में लगातार युद्ध होते रहते थे। देवता स्वर्गलोक...

  • माफिया की नजर में - 25

    माफ़िया की नज़र में – Part 25: "आखिरी फैसले की रात""कभी-कभी सच की जीत सिर्फ़ एक...

  • नेहरू फाइल्स - भूल-30

    भूल-30 उस व्यक्ति को किनारे करना, जो जम्मू व कश्मीर मसले को सँभाल सकता था रियासत...

  • एक सफर हो सपनों का

    एक  सफर हो  सपनों का --- लेखक: विजय शर्मा एरी---प्रस्तावनाज़िंदगी हर किसी को एक...

बाबू जी की मुक्त शैली पिटाई By संदीप सिंह (ईशू)

आप सभी प्रेरक पाठक गणों को मेरा (संदीप सिंह का) राम-राम, गुरु आप लोग खुशहाल और चकाचक (स्वस्थ) होंगे| ईश्वर का आशीर्वाद आप सभी पर सदैव बना रहे और अना-पेक्षित हालातों की बारिश मे छात...

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बुढ़ापे से जवानी की ओर (सच्ची घटना) By r k lal

“अरे अंकल! चल रहे हैं “? राहुल ने पूछा।

कहां चलना है, पूछने पर राहुल ने उत्तर दिया, “आपको पता नहीं है, दो दिन पहले राकेश अंकल गिर पड़े थे जिससे उनके कमर की हड्डी टूट गई थी, अस्प...

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बीवी से पंगा, पड़ गया महँगा By Sanju Sharma

मेरी मति मारी गयी थी कि पिछले साल मई की एक दुपहरिया में "मर्द उद्धार शिविर" में एक दोस्त के साथ पहुँचा

शायद मेरे दोस्त ने मेरी बीवी के सामने मेरी बोलती बन्द जैसी हालत दे...

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प्यार में बन गए उल्लू By Sanju Sharma

जूनियर कॉलेज पास करके डिग्री में कदम रखा ही था, ज्यादा कुछ बदलाव नही आया था सिवाय इसके कि, जूनियर कॉलेज में लड़कियों से दोस्ती करने की उम्मीद में नज़रें बिछी रही और यही उम्मीद पास हो...

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हंसी के महा ठहाके By Dr Yogendra Kumar Pandey

प्रस्तुत हास्य व्यंग्य के धारावाहिक में एक आम नागरिक मामा मौजी राम और उनके शिष्य सवालीराम के किस्से हैं।अपने पास-पड़ोस में बिखरे हास्य के प्रसंगों को एक दीर्घ कथा सूत्र में पिरो कर...

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मालगाड़ी का सफ़र By शिव प्रसाद

विनोद को फ़िल्में देखने का बहुत शौक़ था । उसका बस चलता, तो रोज़ एक फ़िल्म देख लेता । लेकिन तब, यानी १९७० के दशक में तो कई फ़िल्में छोटे शहरों और कस्बों तक में भी चार-छः हफ्ते चल ही जाती...

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ऑफ़िस - ऑफ़िस By R.KapOOr

सूचना - ये एक काल्पनिक कहानी है और इसका जीवित यां मृत किसी व्यक्ति से कोई लेनादेना नहीं है। अगर ऐसा हुआ है तो ये महज़ एक संयोग है। इस कहानी को केवल पाठकों के मनोरंजन हेतु लिखा गया ह...

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लौट के बुद्धू घर को आये By Kishanlal Sharma

नाम सुनते ही आप सोचने लगेे होंगे । केसरिया वस्त्र , बड़ी बड़ी जटा, हाथ मे कमंडल और चिमटा या किसी नंग धड़ंग शरीर पर भभूत लगाए या किसी इसी तरह के बाबा के बारे में आपको बताने जा र...

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कहानी भोला की By राज कुमार कांदु

भोला सत्रह साल का एक ग्रामीण युवक था । अपने नाम के अनुरूप ही सीधा सादा और भोला या यूँ भी कह सकते हैं नाम से भी ज्यादा भोला ।
उसके पिताजी बचपन में ही गुजर गए थे । शोषित जाति का होन...

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कहानी सब्जीपुर की By राज कुमार कांदु

सब्जीपुर के युवराज ‘ आलू चंद ‘ की विवाह योग्य उम्र होते ही राज्य के सभी मंत्री , दरबारी उनके लिए सुयोग्य नायिका की खोज में लग गए ।सब्जी पुर की कई यौवनाएँ मन ही मन आलूचन्द के सपने...

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लौट के बुद्धू घर को आये By Kishanlal Sharma

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