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सफ़दर की आँखें आश्चर्य से चौड़ी हो गईं, क्योंकि यह एक शत-प्रतिशत बाली की तस्वीर...
Chapter 5: जिस रात चूड़ियाँ खुद-ब-ख़ुद टूटी थीं> "वो रात शांत थी… लेकिन हवा में...
शुरुआत:उपन्यास का नाम:वह दूल्हा जो कभी दुल्हन से कह न सका---️ अध्याय 1: जब बचपन...
अब तक...रागिनी को अपनी दादी की संदूक से एक पुराना नक्शा और पत्र मिला, जिसमें हवे...
छोटी तन्नू पहली बार अपनी नानी के घर आई थी। उसका दिल excitement से भरा था। नानी क...
त्रयोदशम अध्यायमेवाड़ विजयबादामी में चालुक्यों की राजसभा का रिक्त सिंहासन अपने ध...
गांव धवलपुर की हवा में एक अजीब सी सड़ांध फैली थी। ऐसा लग रहा था जैसे धरती के नीच...
अध्याय 2: अतीत की मुस्कान(जब गांव जिंदा थे)पहाड़ों की असली ख़ूबसूरती वहां की वाद...
Hyderabad का सबसे महँगा और जगमगाता कल्याण मंडपम, बिजली की रोशनी में इंद्र भवन जै...
जब भी कोई व्यक्ति जीवन मे समाज राष्ट्र के विकार विकास उद्भव अवसान को स्वंय देखता...
श्री दुर्गायन" दर असल श्री दुर्गा सप्तशती का छन्द अनुवाद है जो आचार्य सदानंद द्वारा किया गया है । इसके प्रकाशक शाक्त साधना पीठ कल्याण मंदिर प्रकाशन अलोपी बाग मार्ग इलाहाबाद 6,...
हनुमत हांक' बलदेव दास जी द्वारा लिखी गई बड़ी महत्वपूर्ण पुस्तक है । यद्यपि यह सामान्य रूप से सब जगह नहीं पाई जाती, मंदिरों, बड़े पुस्तकालयों और पुस्तक विक्रेताओं से मांगने पर भ...
"बजरंग विजय चालीसा" नामक ग्रँथ हनुमानजी की प्रार्थना में चालीस छन्द और लगभग 8 दोहों व सोरठा में लिखा गया है। इसके रचयिता भगवान दास थे। जिन्होंने अंत मे ग्रँथ का रचना काल...
'हनुमत पताका' दरअसल हनुमान जी की स्तुति के 135 छन्द का ग्रंथ है, जो काली कवि द्वारा लिखित मन्त्र सदृश्य छन्द हैं। इसका पुनर प्रकाशन और संपादन अरुण कुमार नागर 'अरुण'...
पुरातन पद्धति के अनुसार श्री हेमाडपंत श्री साई सच्चरित्र का आरम्भ वन्दना द्वारा करते है। (१) प्रथम श्री गणेश को साष्टांग नमन करते है, जो कार्य को निर्विघ्न समाप्त कर उसको यशस्वी...
"जगदंब साठिका" दरअसल जगदंबा माता के स्तुति गान के क्रम में 60 छंदों का संग्रह है। पण्डित मन्नीलाल उर्फ मणिलाल मिश्र कानपुर वालों के द्वारा लिखित ऐसे साठ विलक्षण छन्द हैं ।...
बजरंग बत्तीसी के रचनाकार हैं महंत जानकी दास जी । “वह काव्य शक्ति में भी सिद्ध थे। उनकी अन्य काव्य कृतियां हैं जैसे राम रसायन, काव्य सुधाकर,ऋतु तरंग,विरह दिवाकर, रस कौमुदी, सुमति पच...
'हनुमत पचासा' मान कवि कृत 50 कवित्त का संग्रह है। जो लगभग 256 वर्ष ( 256 वर्ष इसलिए क्योकि यह संस्करण अप्रैल 71 में छपा था तब उन्होंने उसे 200 वर्ष पूर्व कहा था तो 71 से...
भूमिका: यह पुस्तक आत्म-अन्वेषण, आध्यात्मिक जागरण और गूढ़ रहस्यों की खोज पर आधारित है। इसमें एक ऐसे पात्र की यात्रा को दर्शाया गया है, जो अपनी आंतरिक शक्ति और आत्मा के गहरे रहस्य...
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