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हम कभी ख़ास थे , अभि ये उनके अल्फ़ाज़ थे....💔 - Abhishek Chaturvedi
तुम्हें अगर सुकून से रहना है तो......
मेरी नफ़रत.......💔🌹💔
💔
कितनी मुश्किल के बाद टूटा है, वो एक रिश्ता.... जो कभी था ही नहीं......💔 - Abhishek Chaturvedi
कितनी मुश्किल के बाद टूटा है, वो एक रिश्ता.... जो कभी था ही नहीं......💔
*रिटायर पापा* (कविता)। © अभिषेक चतुर्वेदी 'अभि' कितने ज्यादा बदल गए हैं, जब से हुए रिटायर पापा भीतर-भीतर बिख़र गए हैं, सधे हुए हैं बाहर पापा। कड़कदार आवाज़ रही जो, अब धीमी हो गयी अचानक अभि समझौतों की लाचारी , जीवन का लिख रही कथानक घर के न्यायाधीश कभी थे, न्याय माँगते कातर पापा। बेटे - बहुएँ आँख परखते थे, लेकिन अब आँख दिखाते चले पकड़ कर जो उँगली को, वे उँगली पर आज नचाते। बच्चों की रफ़्तार तेज़ है, घिसे हुए से टायर पापा। माँ अब पहले से भी ज्यादा देख-रेख पापा की करतीं नहीं किसी से कभी डरी माँ, लेकिन अब बच्चों से डरती। घर में रहकर भी लगते हैं जैसे हों यायावर पापा। पापा को आनन्दित करतीं नाती - पोतों की मुस्कानें मन मयूर भी लगें थिरकने, मिल जाते जब मित्र पुराने। कहाँ गया परिवार, प्रेम अब, जिस पर रहे निछावर पापा। कितने ज्यादा बदल गए हैं, जब से हुए रिटायर पापा। भीतर-भीतर बिखर गए हैं, सधे हुए हैं बाहर पापा © अभिषेक चतुर्वेदी 'अभि'
कमी और ग़लती हर रिश्ते में होती है, कमी और ग़लती ठीक बस वही करता है, जो उन रिश्तो को खोने की क़ीमत जानता है। - Abhishek Chaturvedi
आपके बुरे व़क्त को आने से पहले, धीरे-धीरे आपके कर्म बदलने लगते हैं - Abhishek Chaturvedi
ये जन्म का समय नहीं ये तो समय का जन्म है। राधे राधे बस श्रीराधे राधे...... - Abhishek Chaturvedi
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