Quotes by Bitu in Bitesapp read free

Bitu

Bitu

@bita


जिस्म को नोच देते हैं दरिंदे
क्यों जख्म दिल के मिटते नहीं?

जिंदगी बर्बाद होती मासूमों की,
हत्यारों को क्यों सजा मिलती नहीं ?

मोमबत्ती लेकर सड़को पर जुलूस
निकालने से मिलता क्यों इंसाफ नहीं ?

हत्या को आत्महत्या बताकर गलत किया,
कैसे लिखूं कि इसमें प्रशासन का हाथ नहीं ?

Read More

मैं साथ रहूंगी आपकी जिंदगी के अच्छे बुरे सफर में...
जनाब...
तुम भी करते रहना मोहब्बत मेरे सांवले रंग से ।

काफी वक्त के बाद गई थी वहां ,
B.A., M.A. की डिग्री की थी जहां।

अजनबी सा लगा वो शहर आज ,
दोस्तो के साथ घुमा करते थे जहां हर रोज ।

याद बहुत आई उन गलियों में उन दोस्तो की
जिनके साथ गलियों से भी हो गई हमें मोहब्बत थीं।

शहर वही था बस बाजार बदल गया ,
मैं भी वहीं हु बस वक्त बदल गया ।।

Read More

कल परसों पास के कस्बे में हुआ हैं एक हादसा,
18 साल की मनीषा की कर दी बेरहमी से हत्या।

बिना आंख कान के गर्दन धड़ से अलग मिली ,
ना जाने किस जुर्म की बेचारी को सजा मिली ?

किसने मारी कैसे मारी ना कोई सुराख मिला ?
उस दरिंदे को कैसे क्या कोई मिलेगी सजा?

जिस दिन सुनसान रास्तों पर नारी महफूज होगी,
कसम से उस दिन नारी आजादी का पर्व मनाएगी।

Read More

फरमाइश ये नहीं की मोहब्बत बेहद करो मुझसे ,
ख्वाइश इतनी है कि मोहब्बत
बेशक कम करो पर करो सिर्फ़ मुझसे ।

पर्वतों की घाटियों में
बर्फ की वादियों में
रेगिस्तान के टिब्बों में
मेघालय की बारिश में
बंगाल की खाड़ी में
मना रहे आजादी का जश्न
देश के हर कोने में
लहरा रहा तिरंगा हर घर पर
जय हिंद का नारा हैं जुबान पर
मां तुझे सलाम
वंदे मातरम ।।

Read More

आया राखी का त्यौहार ,
भाई नहीं चाहिए मुझे कोई उपहार ।

हंसदा वसदा रहे तेरा संसार ,
छोटा हैं पर बड़ों जैसा करना आदर सत्कार ।

आते जाते रहना बेशक गिले शिकवे हो हजार,
तेरी कलाई पर सजाऊं राखी मैं हर बार।

करूं दुआ यही यूंही रहे रिश्ता हमारा बरकार,
हमेशा रहे महफूज तू कभी ना हो अपनी तकरार।

Read More

तुम्हारे नजरअंदाज करने के
अंदाजे से अंदाजा लगाया मैंने ,

मेरा दिल कहता था की तेरे दिल में नहीं हु मैं
फिर भी मेरे दिल को नजरअंदाज किया मैंने ।

Read More

छलकते जाम
बहकती जुबान
नशीली आंखें
बढ़ती सांसे
किसी की यादों में टूटा दिल,
इन सब के लिए बनी महफिल ।

आएगा तेरे नाम के साथ
मेरा नाम मैं इसी गुमान में थीं ,

सजी थी महफिल मेरे नाम की,
पर जाम किसी और के नाम की थी।

देखा जब गौर से तेरे हाथों में हाथ
गैरो का और मैं गुमनाम सी थीं ।

Read More