Quotes by Darshita Babubhai Shah in Bitesapp read free

Darshita Babubhai Shah

Darshita Babubhai Shah Matrubharti Verified

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मैं और मेरे अह्सास

आसमान
कब से क्या देख रहे हों आसमान में?
पंखी को भरोसा है पँखों की उड़ान में ll

दयार का झोंका है गूजर ही जायेगा l
बात मानो कुछ नहीं रखा तूफान में ll

चार भीतो को घर कह रहे हो देखो l
दरों दीवार रह गई ख़ाली मकान में ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

एक झलक देखते ही जिन्दगी निखर जाती हैं l
आँखों से सीधे सीधा दिल में उतर जाती हैं ll

अभी ना जाओ छोड़कर दिल अभी भरा नहीं l
पल भर की दूरी से दुनिया बिखर जाती हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

यादों की महक
यादों की महक से जीस्त का रोम रोम सुगंधित हो उठा हैं l
प्रेम भरे अविरत झरनों से तन मन पुलकित हो उठा हैं ll

प्यार भरे लम्हों की याद आते ही एक कसक हो रही ओ l
जल्द मुलाकात का आश का दिपक प्रज्वलित हो उठा हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

सूरज का पैग़ाम
सूरज का पैग़ाम कि कर जिन्दगी की नई शुरुआत भी ll
ख़ुद मुस्कुरा कर औरों के चहरे प़र दे मुस्कान भी ll

वक़्त सब का हिसाब रखता है तो बस मुकम्मल l
कर्म किया जा औ ख़ामोश रख अपनी जबान भी ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

आत्मा की आवाज़
आत्मा की आवाज़ सही राह दिखाती हैं l
अच्छा बूरा क्या वो पहचाना सिखाती हैं ll

अनजाने और अनचाहे हादसों से बचाके l
खामोशी से अपना फर्ज बखूबी निभाती हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

प्रेम के इन्द्रधनुष की बारिस हो रही हैं l
पिया मिलन की तमन्ना को बो रही हैं ll

सुहाने नशीले मौसम में सावन की धीमी l
रिमझिम छांट चैन और सुकून खो रही हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

बेह्तरीन मंज़िल के लिए बेह्तरीन
सफ़र करना
ज़रूरी l
ख़ुद पर यकीन करके आगे बढ़ तो जश्न मनाएंगी ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

माँ की दुआएं
माँ की दुआओ का असर देख लो l
होने लगी दुनिया में क़दर देख लो ll

पाठशाला से घर आएं हुए नादान l
बच्चों की आँख में तड़प देख लो ll

सो साल का बुढ़ा भी माँ को तरसे l
सभी उम्र में होती गरज देख लो ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

बौद्धिक ज्ञान से सोच सकारात्मक हो जाती हैं l
भीतर आंतरिक खोज सकारात्मक हो जाती हैं ll

नया दिन जो भी साथ लाया उसे स्वीकार करें l
जिंदगी रोज ही रोज सकारात्मक हो जाती हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

दिल में छुपी हुई सारी बात लिखो l
ख़ामोश अनकहे ज़ज्बात लिखो ll

युगों से तरसे है जिस भावना को l
तनमन भीगे एसी बरसात लिखो ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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