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Bhavna Jain

Bhavna Jain

@devanshbmwowner347927


"अब प्यार दिल से नहीं, दिमाग से खेला जा रहा है..."

(भावना जैन द्वारा रचित - एकदम नया रूप)

पहले प्यार आंखों से शुरू होता था, अब प्रोफाइल से होता है। पहले दिल में जगह मिलती थी, अब चैट में।
पहले वादे होते थे अब लोग "last seen" देखकर रिश्तों का हिसाब लगाते हैं।

अब रिश्ता गहराई से नहीं, रील्स से शुरू होता है। पहले नाम दिल में लिखा जाता था, अब यूज़रनेम सर्च बार में टाइप होता है। और जब मन भर जाता है, तो बस एक ब्लॉक का बटन सब कुछ खत्म कर देता है।

अब प्यार वो नहीं रहा, जिसमें दो लोग एक-दूसरे को संभालते थे। अब तो लोग रिश्ते को ट्रायल समझते हैं "अच्छा लगा तो ठीक, वरना Next!"

अब प्यार में सच्चाई नहीं मांगी जाती, बस entertaining होना ज़रूरी है। तुम्हारा गुस्सा, शक या डर अब "Drama" कहलाता है। और जब तुम वफादारी की उम्मीद करते हो, तो सामने वाला बोल देता है "मुझे space चाहिए।

अब मोहब्बत में भरोसा नहीं, कंडीशन लगती है। "तू बदले तो मैं भी बदलूं", "तू दिखा प्यार तो मैं भी करूं", ये दिल की नहीं, सौदेबाज़ी की बातें हैं।

अब मोहब्बत में सब्र नहीं, बस जल्दबाज़ी है। हर रिश्ता बस कुछ दिन की कहानी है। अब दिल से ज़्यादा लोग टाइमपास देखते हैं, और सच्चे जज़्बातों को "boring" कहकर छोड़ देते हैं।

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संघर्ष और सफलता

संघर्ष वही करता है जो सपनों को देखने की नहीं, निभाने की कसम खाता है।

जो हर गिरावट को ठोकर नहीं, अगला कदम मानकर चलता है।

वो हालात से हारता नहीं, उन्हें अपनी राह बनाना सीख जाता है।

और जब सारी दुनिया थम जाए तब भी उसका हौसला बढ़ता ही जाता है।

जिसने सपनों को पंख दिए, वो कलाम की तरह सोच रखता है,

जिसकी नज़र सितारों पर हो, वो कल्पना की तरह उड़ान भरता है।

जो दर्द को भी हराए, वो मिल्खा की तरह दौड़ लगाता है,

और जो शांत रहकर जीत ले, वो धोनी जैसा मैदान सजाता है।

एक फेंक से इतिहास रचे, तो समझो नीरज की मेहनत बोलती है,

संघर्ष जहां गहराई तक जले वहीं सफलता सोने सी चमकती है।

जो हर ठोकर को सबक बनाकर आगे बढ़ता है, वो हार को भी जीत में बदलने का हुनर रखता है।

सफलता उसी के क़दम चूमती है, जो हर हाल में अपने लक्ष्य से नज़र नहीं हटाता है।

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रुकूंगा नहीं!"

हाँ, थका हूँ... पर हारा नहीं, अंधेरे में हूँ... पर बुझा नहीं।

सपने छोटे हैं, पर दिल बड़ा है, रास्ता लंबा है, पर इरादा खड़ा है।

हर गिरावट से कुछ सीखा है मैंने, हर दर्द को अपना साथी बनाया है मैंने।

कभी कांप गया था हालातों से, पर झुका नहीं तक़दीर के सवालों से l

गिरा, फिसला, टूटा, फिर जुड़ा, और हर बार थोड़ा और मजबूत हुआ।

मंज़िल दूर थी, पर नज़र साफ़ थी, रास्ता कठिन था, पर चाल मेरे पास थी।

मेरी मेहनत मेरा हथियार बनी, मेरी चुप्पी मेरी ललकार बनी।

हर हार मेरे लिए एक नई तैयारी थी, हर आँसू मेरे भीतर छुपी चिंगारी थी।

थोड़ा थका ज़रूर हूँ, पर अब रुकना नहीं सीखा है।

जिस दिन रुका, उस दिन मिट जाऊँगा, इसलिए अब सिर्फ़ चलूंगा... और बन जाऊँगा।

** क्योंकि मैंने ठान लिया है अब कुछ भी हो... मैं रुकूंगा नहीं!!

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लोग कहते हैं - अकेला है तू, मैं हँसता हूँ – क्योंकि सबसे सच्चा हूँ मैं।

भीड़ में चलना सबको आता है, पर अकेले चलना ये कम ही कर पाते हैं।

अकेलापन मेरी हार नहीं, ये तो मेरी सबसे बड़ी जीत है।

जहाँ सब साथ छोड़ते हैं, वहीं से मेरा सफर शुरू होता है।

रिश्ते जब मतलब के हो जाएँ, तो अकेला रहना ही अच्छा लगता है।

मैं अकेला हूँ - इसलिए आज़ाद हूँ, कोई ज़रूरत नहीं दिखावे की बातों की।

भीड़ में नाम खो जाते हैं, अकेले में पहचान बनती है।

मैं हर रोज़ खुद से लड़ता हूँ, इसलिए दुनिया से डरता नहीं।

अकेलापन मुझे सोचने देता है, और सोच मुझे आगे बढ़ने देती है।

मैं गिरा भी हूँ, टूटा भी हूँ, पर संभला भी हूँ - बिना किसी के सहारे।

लोग पूछते हैं – तेरे साथ कौन है?

मैं कहता हूँ – मेरे साथ मेरा हौसला है।

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माँ चाहिए, पत्नी चाहिए, बहन भी सबसे प्यारी चाहिए, फिर बेटी क्यों नहीं चाहिए? उसका भी तो हक है जीने का, सपनों की दुनिया में खिलने का।

घर में लक्ष्मी आई है, और तुम कहते हो किस्मत फूट गई? वाकई में किस्मत तुम्हारी ही फूटी है, जो लक्ष्मी के दर्शन नहीं कर पाए तुम सही से।

याद रखना, एक लड़की कहती है, मैं लगन हूँ, मैं मगन हूँ, मैं भड़कती आग हूँ, तोलना न कम मुझे, मैं दो धारी तलवार हूँ।

मैं हूँ अंबा, मैं जगदंबा, मैं सरस्वती, लक्ष्मी हूँ, आदर कर, सम्मान कर, मैं ही दुर्गा, काली हूँ।

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बेटी हूं - बोझ नहीं, हर सपने की उड़ान हूं मैं, जन्म से नहीं, कर्म से पहचान बनाने वाली जान हूं मैं।

किताब मेरी तलवार है, कलम मेरी आवाज़ है, हर बंद सोच के आगे मेरी शिक्षा ही राज है।

अबला नहीं, सबला हूं हर क्षेत्र में नाम करूंगी, जिसने रोका, उसी को मैं कल सम्मान दूंगी।

ना कोई सहारा चाहिए, ना दया का नाम चाहिए, बस हक़ का आसमान चाहिए और उड़ने का पैगाम चाहिए।

बेटी हूं, सौभाग्य हूं - इतिहास नहीं, आज की बात हूं,

मैं ही नारी हूं - मैं ही परिवर्तन की शुरुआत हूं।

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