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हम बड़े हो रहे हैं !! अपने सपनें अब घर की जरूरतों से छोटे लग रहे हैं। लगता है हम बड़े हो रहे हैं।। माँ की आँचल से लिपटकर रोने वाले, बंद कमरों में रो रहे हैं| लगता है हम बड़े हो रहे हैं ।। खुद के नए कपड़ों की जगह, पिता के जए जूते देख रहे हैं। लगता है हम बड़े हो रहे हैं।l टूटे दिल की सिसकियाँ, इन होठों में सिल रहे हैं। लगता है हम बड़े हो रहे हैं ।। हर छोटी बात पर रुठने वाले, सबके तानें हँसकर सह रहे हैं। लगता है हम बड़े हो रहे हैं ।। घर से कभी दूर न रहने वाले, घर जाने के सपने देख रहे हैं। लगता है हम बड़े हो रहे हैं।। ~स्वीटी
कैद हूँ मैं !! कैद हूँ मैं खुद में ऐसे, की ये खुला आसमाँ भी पिंजरा लगता है। कैद हूँ मैं खुद में ऐसे, की हर अपना बेगाना लगता है। चाहत ऐसी की उड़ चलूँ कहीं दूर ऐसी वादियों में जहाँ, ये कैद रोक न पाए मुझे , पर अब ये उड़ान भी सपना - सा लगता है। मन की कोरी चादर पर जड़े थे ख्वाबों के कई सतरंगी सितारे मैंने। पर अब हर सितारा उजड़ा-सा लगता है।। खुद को खुद में तलाशते थक गया है ये हृदय इतना कि, अब ये तलाश भी अधूरा ही लगता है।। सारी उम्मीदें, सारे सपने, सारी चाहते टटोल लिए हैं मैंने, पर अब वो “मैं"बनकर जीना कल्पना मात्र ही लगता है।। ~स्वीटी
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