Quotes by jagrut Patel pij in Bitesapp read free

jagrut Patel pij

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@jagrutpatel1479


यूँ तेरे ज़िक्र मैं गुमान-ए-अदब फरमाता हूँ,
मगर रूबरू मेहबूब मैं तुझें देख बेहद घबराता हूँ...

ना कोई राह ना किस्सा रवानी मिली हमें,
तुझसे नज़र मिली मुक़म्मल कहाँनी मिली हमें..

वो कुछ इस तरह अपनी लेखनी को आज़माता है,
अपनी पुरानी शायरी नई महोब्बत को सुनाता है..

उनकी यादों की तपिश हमकों यूँ जलाती है,
आ कर खयालों में खयाल भी सताती है...

वो भूल गया हो तो उसको पता बतला दूँ मेरा..
उनकी नज़र को चैन इधर जिगर को भी क़रार मिले..

मेरी तबाही जरूरी थी उनकी नज़रों में,
वो अपनी चीज़ो को अब संभाल के रखता है..

कौन समझेंगा जहाँ में ज़हन के ज़ख्मों का जवाब,
कौन आएगा इस भड़की हुई आग का देने हिसाब..

तू भी दिलेर हुआ ज़ख्म लगाकर,
मुझें धोखा खा कर चालाक होना था..

लाज़िम नहीं की उसको भी मेरा ख़याल हो,
थोड़ा ही सही कभी उसको भी इंतज़ार हो

ना छेड़ किस्सा-ए-उल्फत बड़ी लम्बी कहानी है,
खुद ही की तबाही है, खुद की ज़ुबानी है..