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Kuldeep Singh

Kuldeep Singh

@kuldeepsingh318120
(10)

please read and give me your wonderful reviews 🙏🙏 my first novel"" जिंदगी संघर्ष से सुकून तक कविताएं -कुलदीप सिंह

https://www.matrubharti.com/book/19984060/zindagi-sangharsh-se-sukun-tak

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please read my first novel first chapter
"जिंदगी संघर्ष से सुकून तक कविताएं -कुलदीप सिंह"
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kuldip Singh ✍️

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कैसे समझाऊं...

कैसे समझाऊं खुद को मैं ,कि तू मेरे से पहले किसी और का है,
कैसे समझाऊं....
कैसे समझाऊं खुद को मैं,कि तेरे बिना मैं अधूरी हूं ,पर मेरे से पहले तुम्हारे बिना कोई और अधूरा है,
कैसे समझाऊं....
कैसे समझाऊं खुद को मैं,कि तुमने तो मुझे अपने पर सारे हक़ दे दिए, पर कैसे भूल जाऊं कि तुम पर मेरे से पहले किसी और का हक़ है,
कैसे समझाऊं....
कैसे समझाऊं खुद को मैं,कि उसका तेरे साथ तस्वीर लगाना समाज में मिला उसे जे हक़ है,
फिर क्यों उसके साथ तेरी तस्वीर देख सांसें थमती है, क्यों सारा दिन वह तस्वीर मेरे अंदर बवाल मचाती है,क्यों नहीं समझ पाती मैं सब जानकर फिर क्यों अनजान बन जाती हूं मैं,
कैसे समझाऊं...
कैसे समझाऊं खुद को मैं ,कि मेरा होकर भी तू मेरा नहीं है..
कैसे समझाऊं...
कैसे समझाऊं खुद को मैं, कि समाज में उसने तुम्हें पति, पिता का रुतबा दिलाया है ,
कैसे समझाऊं....
यह नहीं की पता नहीं मुझे कुछ भी ,खुद में तुमने मुझे पाया है, रूह का रिश्ता तुमने मुझसे ही बनाया है...
पता नहीं क्यों देख कर तुझको उसके साथ खुद को मैंने दूर पाया है...
कैसे समझाऊं...
कैसे समझाऊं खुद को मैं, उसने भी तुझ में खुद को पाया है,
कैसे समझाऊं....
उसके सामने मैं खुद ही खुद से हर बार हार जाऊं...
कैसे समझाऊं...

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