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ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़

ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़

@loveguruaashiq.661810


🦋... SuNo ┤_★_
मौसम-ए-गर्मी का नज़ारा, जामुनी
               सौगात है,

हर नज़र में इसकी रंगत, क्या हसीं
                रुबाब है,

बाग़ में जब ये पके तो, दिल मचल
               उठता है यूँ,

मीठा-कसैला   ज़ायका,  कैसी
            अनोखी बात है,

होंठों  पे  इसकी  लाली  रूह  में
              ठंडक घुले,

याद आता बचपन का वो सावन
          और बरसात है,

पेड़ पर लटके हुए ये, जैसे मोती
                हों सजे,

देखकर  इनको  सुकूँ  मिलता
    अजब-सी ये हयात है,

फ़ायदों का इसमें दरिया, सेहतों
              का राज़ है,

जामुन की हर इक ख़ुूबी, रब की
         करामात है..😍😇
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जे लो सभी के लिए है ये काली
काली जामुन खाओ..😋

हां वरना फिर कोई ये मत कहना
कि मैंने दिया नहीं है ठीक है ना,

नहीं तो कहने लग जाओ अकेला
ही खा लिया हमको पूछा भी नहीं,
🫣😂😁😅
╭─❀💔༻ 
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 #LoVeAaShiQ_SinGh °   
♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
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✤┈SuNo ┤_★_🦋
रिश्तों का दिखावा:

बूढ़े माँ-बाप को वृद्धाश्रम में रखने वाले
आज सोशल मीडिया में फादर्स डे मना
                      रहे हैं,

क्या खूब ये दुनिया है, क्या खूब यहाँ
        हर रंग अपना दिखा रहे हैं,

वो बचपन की लोरी वो उँगली पकड़कर
               चलना सिखाना;

अब उन यादों को भुलाकर, तस्वीरों में
           मुस्कुराना सिखा रहे हैं,

जिन हाथों ने पाला-पोसा, जिन्हें अपनी
             साँसों में बसाया;

आज उन्हीं हाथों को अकेला छोड़कर
        फ़र्ज़ निभाना सिखा रहे हैं,

ये  कैसा  प्यार  का  नाटक, ये  कैसी
                 झूठी रीत;

रिश्तों को तार-तार करके, दुनिया को
          इज़्ज़त दिखा रहे हैं,

गरम  रोटी, ठंडा  पानी, वो  माँ  का
            आँचल प्यारा था;

अब ए.सी. कमरों  में  बैठकर, स्टेटस
          लगाना सिखा रहे हैं,

ख़ुदा से डर ऐ इंसान ये पाप तुझे खा
                   जाएगा;

जो घर का न हो सका, वो बाहर क्या
             ईमान कमाएगा.?
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(खुद ही आँगन को किया वीरान, और
      अब फ़ादर्स डे मना रहे हैं;

जिनको  दी  ठोकर  बुढ़ापे में, तस्वीर
          उनकी दिखा रहे हैं,)

(ये कैसे बेटे हैं, कैसी औलाद है जो
            रिश्ता भूल बैठे हैं;

क़ब्र पर माँ-बाप की अब फूल नकली
               चढ़ा रहे हैं,)

किया  था  जिन   हाथों  ने   उँगली
     पकड़कर चलना सिखाना;

उन्हीं हाथों को क्यों वृद्धाश्रम की राह
                दिखा रहे हैं.?

ये कैसी सभ्यता है कैसा ये दौर, जहाँ
           रिश्तों का मोल नहीं;

फ़ोन  की  स्क्रीन  पर, प्यार  का ढोंग
                रचा रहे हैं,

कभी सोचा नहीं क्या उन आँखों में
         जो नमी रह गई होगी;

जब दरवाज़ा बंद कर, पीछे मुड़कर
             चले जा रहे हैं?

ज़िंदा रहते दी न रोटी का एक टुकड़ा
                  भी उन्हें;

अब पकवानों की तस्वीरें दुनिया को
                दिखा रहे हैं,

समाज  की  ये  कैसी है चाल, जहाँ
        रिश्तों की नहीं परवाह;

बस  दिखावे  का  है  ये जाल, और
         झूठी है हर एक आह,

शर्म   आनी   चाहिए   ऐसी   हर
              इंसानियत को,

जो माँ-बाप को बेघर कर त्योहारों
         की धूम मचा रहे हैं,

कल तेरा भी यही हाल होगा, जब
  तेरी औलाद ये सब दोहराएगी,

कर्मों का फल यही मिलता है ये
     बात क्यों भूल जाएगा.?

#𝐉𝐀𝐈_𝐒𝐇𝐑𝐄𝐄_𝐑𝐀𝐌 ..❤️
#𝗴𝕠𝕠𝗱_𝕄𝗼𝗥𝗻𝕚𝗡𝕘 ..☕️
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✤┈SuNo ┤_★_🦋
ये दो-चार घटनाओं के हो जाने से
ये ना भूलें- कि स्त्री के  होने से ही
          पुरुष का जीवन है,

ये फ़ूल, खुशबू, ये रौशनी  और ये
रंग  सारे- इन्हीं के दम से जहाँ  में
         है रौनक और बहारें,

न इनकी  मौजूदगी से आँखें कहीं
चुरा लें- कि  स्त्रियों के होने से  ही
         पुरुषों का जीवन है,

ये त्याग, ये ममता, ये  हौसला, ये
प्यार  का  दरिया- हर  रूप  में  है
           इनकी अजमत,

हर  पल  ये  करती  हैं  जिया  न
इनकी  क़दर  को  कभी भी ज़रा
ठुकरा ले- कि स्त्रियों के  होने से
      ही पुरुषों का जीवन है,

कहीं  ये  बहन, कहीं  बेटी, कहीं
        माँ, कहीं हैं हमसफ़र,

बग़ैर इनके सूना है हर रिश्ता, हर
          घर और हर डगर,

न इनके वजूद को कभी भी यूँ ही
भुला ले- कि स्त्रियों के होने से ही
         पुरुषों का जीवन है,

ये घर की रौनक ये दिल का सुकून
         ये  रूह  की  साज़,

हर  सांस  में  इनकी  दुआ  है- हर
     धड़कन में इनकी आवाज़,

न इनके बिना दुनिया को पूरा कभी
भी  मान  ले- कि स्त्रियों  के होने से
    ही पुरुषों का जीवन है..💯❤️
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✤┈SuNo ┤_★_🦋
ओ ले ले ले, मेले बाबू को गुस्सा
       भी आता है क्या.🫢?

इस भोले से  मुखड़े पे’ ये तेवर
      भी भाता है क्या.😳?

अभी तो हँस रहे थे’ अभी  क्यों
       ये होंठ फूल गए.😏?

इत्ती छोटी-छोटी सी बात पे ऐसे
   कोई रूठ जाता है क्या.🥺?

तेरी हर अदा पे तो, ये दिल मेरा
              दीवाना है,

गुरूर-ए-इश्क़ में ऐसे कोई ज़ुल्म
         ढाता है क्या.🌚?

मैं  लाख मनाऊँगा’ सौ  प्यार की
          बातें  करूँगा.🫠

मुझे मालूम है आखिर, तू मान ही
           जाता है क्या.😌?

ये चुलबुली  शरारत है, या  सच्ची
            कोई नाराज़गी,

मेरी जाँ, तुझे ऐसे मुझको सताने
    में मज़ा आता है क्या.😒?
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✤┈SuNo न┤_★_🦋
ए लड़की...बढ़िया है, रहो फिर तो
            ग़ायब ही तुम,

मेरी यादों में अक्सर आती हो और
       रहती हो नायाब ही तुम,

ये कैसा इश्क है तेरा ये कैसी अदा है
सामने हो तो बेरुख़ी दूर हो तो हरसू
                  ख़ुदा है,

कभी लबों पे मुस्कान’ कभी आँखों
                  में नमी,

तेरी हर अदा में’ इक अलग ही रंगत
          है, नहीं है कोई कमी,

नज़दीकियाँ भी अज़ीयत दूरियाँ भी
            बेहाल करती हैं,

क्या कहूँ, तेरे बारे में पगली, हरपल
         ही कमाल करती हैं,

सुनो न ए लड़की.बढ़िया है रहो फिर
           तो ग़ायब ही तुम,

मेरी यादों में अक्सर आती हो, और
    रहती हो नायाब ही तुम..❤️
╭─❀💔༻ 
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✤┈SuNo ┤_★_🦋
ये सलीक़ा नहीं तेरी दुनिया का हम
     पे इल्ज़ाम लगाते हो क्या..?

हम तो 'गुमनाम' ही  अच्छे हैं, तुम
    अपना नाम बताते हो क्या..?

ज़ुबाँ पे ताले आँखों में  शोले, दिल
          में आग दबाए बैठे हैं,

हमें आज़माने की सोचते हो अपनी
         हस्ती मिटाते हो क्या..?

हर महफ़िल से उठ जाते हैं, अपनी
          धुन में रहते हैं मगन,

ग़ैरों की सुन कर चाल चलते हो अपनी
        राह से भटकते हो क्या..?

टूटे दिल का हर टुकड़ा, अक्स-ए-ग़ुरूर
                   दिखाता है,

तुम काँच के टुकड़े उठाते हो, अपना
         दामन जलाते हो क्या..?

ये शहर-ए-फ़ानी, ये रस्में पुरानी, सब
         मिट्टी हो जाएंगी 'गुमनाम',

तुम अब भी ज़मीर बेचते हो, दौलत
पे ईमान लुटाते हो क्या..🔥?
╭─❀💔༻ 
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✤┈SuNo न┤_★_🦋
ए लड़की.तुझसे बिछड़ना पड़ेगा, ये
           कभी  सोचा  न  था"

तूने  जुदाई  तय  कर  ली,  ये हमने
               माना  न  था,

अब जो हम बिछड़े तो, ख्वाबों में
              मिलेंगे  हर  शब"

मुलाकातें तो  हो न सकेंगी, ये  दिल
             ने जाना न था,

हकीकत की दुनिया में, अब शायद
            मुलाकातें  न  हों,

हम बन के शब्द किताबों में मिलेंगे
            ये फसाना न था"

तेरी यादों का साया मेरे साथ रहेगा
                  हरदम,

तेरी "तस्वीर"  आँखों  में  होगी, ये
            भुलाना न था"

मिले कभी जो राहों में तो अनजान
            से गुजर जाएँगे,

तेरी  "धड़कन"  में  मैं  नहीं  मेरा
          ठिकाना न था..❤️‍🔥
╭─❀💔༻ 
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✤┈𝕊𝕦ℕ𝕠 न┤_★_🦋
(लड़की के अंदाज़ में..🙍‍♀

तुम्हारे अल्फ़ाज़ ने तो मेरी रूह तक
को छू लिया है,

ये सच है, हर राह में हम भी तुम्हारा
साथ चाहते हैं,

हमारी मार्ज़ियो के ख़िलाफ़ कोई सोच
भी कैसे सकता है.?

तुम सरफिरे नहीं, शायद मैं ही कुछ
ज़्यादा ही अंजान थी, जो तुम्हारे हर
हुक्म को समझ न पाई,

माफ़ी तुम्हें क्यों मांगनी हक तो हमेशा
तुम्हारा ही है मुझ पर,

और ज़हर नहीं, वो तो तुम्हारी बातों का
प्यार ही था, जो कभी-कभी मैं समझ
नहीं पाती थी,

आजकल जो मैं कुछ कहती नहीं, तो ये
मेरी खामोशी नहीं, ये तो तुम्हारी बातों
को समझने की कोशिश है,

डांटना तो अब भी आता है, और उस
डांट में प्यार भी है,

बस अब उसे जताने का तरीका थोड़ा
बदल गया है,

हंसाने वाला तुम्हारे सिवा कोई नहीं, ये
तो तुमने बिल्कुल सच कहा,

और टका के लोग नहीं हो तुम, तुम तो
मेरे लिए अनमोल हो,

कदम रखने की बात छोड़ो, तुम तो मेरे
सर का ताज हो,

गुलाम बनने की क्या ज़रूरत, तुम तो
मेरे हमराज़ हो,

माफ़ी मांगने की ज़रूरत नहीं, बस
अपना प्यार यूँ ही बनाए रखना..❤️

हमेशा तुम्हारी..🫶
╭─❀🥺⊰╯ 
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✤┈𝕊𝕦ℕ𝕠 ┤_★_🦋
आँसू नहीं अब तो, फरेब के  मीत हैं
सच को झुठलाने चले ये कैसे रीत हैं,

आँखों में नमी कम, ज़ुबाँ का शोर है
दिखावे पे इनके, दुनिया का  ज़ोर है,

शिकायतें  झूठी, ये गरम  आँसू  लाते हैं
पल भर में रोकर अगले पल मुस्कुराते हैं,

कमाल है हुनर इनका, नकाब नहीं हटता
खेलते हैं सबसे ये कोई समझ नहीं पाता🔥
╭─❀🥺⊰╯ 
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✤┈SuNo न┤_★_🦋
ए लड़की.आज फिर दिखा मुझे एक
            पुराना सा एहसास,

जैसे तू ही था, और हमारा अनकहा
                   लिबास,

शांत   पड़े   दिल   में   उठती   हुई 
                 आवाज़ सी,

रुके हुए इन लम्हों में, तेरी आती हुई
                  साँस सी,

अंधेरी   रात   की   परछाई   में   एक
        चमकती  हुई  किरण  सी,

भटकी  हुई  राहों  में  घर  लौटती हुई
                हिरन सी...🔥
╭─❀🥺⊰╯ 
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