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हमें निंद आएं या फिर न आएं रातों को मगर तुम शांति से सो जाना ! इश्क़ तो हमने किया है तुमसे खामखां तुम्हें रातों को क्यूं जागना ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
अकेलापन हर किसी को मेहसूस होता है चाहे फिर पंछी हों या फिर इंसान दोनों को तन्हा होने पर दिल को दर्द होता है ।। नरेन्द्र परमार ✍️
छोड़कर मुझे जाना था तो तुम बगैर बताके चली जाती मगर जबसे तुम मुझे धोखेबाज़ बोलकर चली गई ! तबसे मेरी जिंदगी जीते जी नर्क (दोजख)बन गई ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
मत तड़पाओ हमें इतना की,हम तेरे इश्क़ में तन्हा मर जाएं ! थोड़ा क़रीब आ जाओ जानूं मेरी ??? जिंदगी की खुशी के लिए,दो चार पल तो साथ जिया जाएं ।। नरेन्द्र परमार ✍️
चलिए बारिश का मज़ा लिया जाएं ! कोई नहीं साथ हमारे ?? फिर भी अकेले अकेले मुस्कुराया जाएं ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "😀🤣🤣😁
थोड़ा सा उजाला देखकर मैं खुश हो गया ! में भूल गया था कि ??? ऐ पलभर की खुशी है पूरी जिंदगी की नहीं ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
भीगा भीगा बदन तेरा, जिस्म तेरा ग़ुलाब🌹 अगर छू लूं तूझे में तो ??? तूं मुर्झा जाएं 🥀 इसीलिए तो तुझसे दूर रहेता हूं मैं जनाब ।। नरेन्द्र परमार ✍️
कभी-कभी हमें अपने ख्वाबों से बहार निकलना भी ज़रूरी है ! अगर हमें जिंदगी जीना है तो ??? हकीकत का सामना करना भी ज़रूरी है ।। नरेन्द्र परमार ✍️
अंधेरों को ही हमने अपना आशियाना बना दिया ! जबसे उजालों ने साथ हमारा छोड़ दिया ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
हर इंसान के दों पहलू होते हैं एक अच्छा इंसान और दुसरा बुरा इंसान किंतु हर इंसान की आदत होती है अपनी अच्छाइयां बताते हैं और अपनी बुराइयां छुपाते हैं ! मगर हम ऐसे इंसान नहीं है हम अपने दोनों पहलू सामने रख देते हैं ! क्योंकि हम अपने साए से ज्यादा आइने पर भरोसा करते हैं ।। नरेन्द्र परमार ✍️
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