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Akshay Jani

Akshay Jani

@one4all.690004
(89)

क्यों तुम भी खुश नही और में भी?
अब क्यों तुम मेरे लिए ठीक नही, और मैं तुम्हारे लिए?
क्यों अब हम ने करनी बस मजदूरी है?
क्या यही हमारी मजबूरी है?
क्यों ना तुजमे कोई जिंदगी बची, और ना कोई काबेलियत मुझमें?
क्यों ना अब तुझे मेरी इच्छाओं की कोई फिक्र है,
और नाही मुझे तेरी नाराजगी का कोई गम?
ये ज़िंदगी के कोनसे मोड़ पे आगए है हम?
जहां हम से बन रहे हैं वापस

*तू*
और
*मैं*।

-Akshay Jani

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એ તમાશા ની રાહમાં હતા,

મે મૌન રહીને, એમની ઈચ્છા જ મારીનાખી...!

-Akshay Jani

સૌથી ઊંડો શબ્દ,
જેનો અર્થ બધા નથી સમજી શકતા.

"કઈ નઈ"

🙏

दुनिया भर की बातो को एक शाम देदो,

चलो ऐसा करो
आज की चाय को मेरा नाम देदो।

जिसकी कीमत मन की शांति से चुकानी पड़े।


उसे पाने की कोशिश छोड़ देनी चाहिए।

-Akshay Jani