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आप समझ ना पाए हमें और हम समझा ना सकें कुछ इस तरह से आपने छोड़ा हमें की हम लौट के वापस आ ना सके यूं तो गलतफैमीयां बहुत सी थी पर हम एक भी मिटा ना सके सच, झूठ और नजरअंदाजगी में बस हम आप को भूला ना सके नहीं प्रेम नहीं हैं ये बस लगाव था आपने छोड़ दिया हमें और हम आपको ठुकरा ना सके आपको लगता हैं हम अकेले हैं सच तो ये हैं की आपसे मिलने के बाद हम किसी और को अपना ना सके.... और आप कहते हैं.... हम वफा निभा ना सके.... © Priya kashyap
(हाल-ए- इज़हार ) चल रही हूँ बेखबर, खामोशियों का दौर हैं हम बेसब्र वो बेखबर, क्या आलम-ए- ये मोड़ हैं हम पूछते हैं कई सवाल, वो मुस्कुराते है जब जोर से शाम ढल जाती है उनके, इस आंदाज-ए-शोर से क्या वाकीफ नहीं हमारे, हालत-ए-मंजर से वो जो कहकर यूं चल दिए, फिर मिलेंग किसी रोज में साफ दिखता हैं उनकी आँखो में, हमारे लिए वो प्यार कब तक छुपाऐगें हमसे हाले इजहार एक रोज तो उनको भी होगा हमपर ये एतबार छोड़कर ना जाएंगे, उनका कभी ये हाथ © Priya kashyap (PRINCESS)
hello friends mai aapni first story published karne ja rahi hu so please support kare & story read karne ke baad comment karna na bhule😊Thank you
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