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Rachel Abraham

Rachel Abraham

@rachelabraham202245


इस्लाम के अंधभक्त ☪️
मुसलमान वही करते हैं जो उनके पैगम्बर ने किया। संघर्ष में गैर मुस्लिमों की संपत्ति को जलाना और लूटना वैध है, क्योंकि ऐसा इनके रसूल ने किया था और रसूल ने इसकी अनुमति दी थी। मुहम्मद के कार्यकलापों के आधार पर यह निष्कर्ष निकालना उचित ही है कि इस्लामिक हिंसा दुर्भाग्य से सच्चे इस्लाम से विचलन नहीं है। हत्या करना, बलात्कार करना और नरसंहार करना इस्लाम की प्रथा है। जब इस्लाम के प्रचार की बात हो तो कुछ भी वर्जित नहीं है।

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इस्लाम के अंधभक्त ☪️
मुसलमान इस्लाम को शांति और सहिष्णुता का मजहब बताते हैं और धर्मातरण के लिए अपने शिकार को फुसलाने के लिए चेहरे पर सौम्यता व मुस्कुराहट ओढ़े रहते हैं। ऐसा दिखाते हैं, जैसे कि वे बड़े मदद करने वाले, विनम्र और दिलकश हैं। पर जब वे अपने लोगों के बीच होते हैं तो उनका व्यवहार बिलकुल अलग होता है। वे गैर-मुस्लिमों के प्रति द्वेषपूर्ण, निर्दयी व अत्याचारी रुख रखते हैं।
- Rachel Abraham

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अंधभक्त ☪️
मुहम्मद के अनुयायि तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक या तो दुनिया उनके कदमों में न हो जाए, या फिर उनसे अधिक शक्ति से चोट कर उनको गलत न साबित कर दिया जाए। इस्लामी दुनिया बीमार है और इस बीमारी का असली कारण इस्लाम मानने से इंकार करना खतरे से मुंह मोड़ने जैसा है। मुसलमानों द्वारा किया गया लगभग हर अपराध, हर अमानवीय कार्य, हर प्रयास, मुहम्मद के शब्दों व कार्यो से प्रेरित है और उसी कारण न्यायसंगत ठहराया गया है। यह एक पीड़ादायक सच है और दुख इस बात का है कि दुनिया की बड़ी आबादी इस सच को देखना नहीं चाहती है।
- Rachel Abraham

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अंधभक्त ☪️
एक विषय के रूप में मुहम्मद वह बला है, जिस पर न के बराबर लोग बात करना चाहते हैं। कोई मुहम्मद का अनादर करे तो मुसलमान आहत हो जाते हैं। मुहम्मद पर कोई भी टिप्पणी, भले ही कितनी भी स्वस्थ हो, निंदा ही मानी जाती है। एक बार वे इस्लाम के अनुयायियों की आलोचना की इजाजत तो दे सकते हैं, पर पैगम्बर की आलोचना उन्हें बिलकुल बर्दाश्त नहीं होती। आप अल्लाह की आलोचना करके तो बच सकते हैं, लेकिन आप पैगम्बर मुहम्मद की आलोचना नहीं कर सकते।
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अंधभक्त ☪️
मुसलमान असहिष्णु, श्रेष्ठतावादी, स्वेच्छाचारी, अराजक और हिंसक होते हैं। वे उद्दंड होते हैं और यदि कोई उनकी बात को काटे या उनको प्रमुखता व सम्मान देकर व्यवहार न करे, तो फट पड़ते हैं। जबकि वे खुद दूसरों को अपशब्द कहते रहते हैं और दूसरे धर्मावलंबियों, सम्प्रदायों या पंथों के लोगों के अधिकारों का हनन करते हैं।
मुसलमानों को समझने के लिए उनके रसूल यानी पैगम्बर मुहम्मद को समझना पड़ेगा। मुसलमान मुहम्मद की इबादत करते हैं और उसका अनुकरण करते हैं। इस्लाम दरअसल मुहम्मदवाद है। मुहम्मद को समझकर ही इस्लाम की पर्तों को जाना जा सकता है।

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मुहम्मद को जानना जरूरी क्‍यों है ? क्योंकि करोड़ों लोग उसकी तरह बनने की कोशिश कर रहे हैं, जैसा उसने किया, वैसा ही करने की कोशिश कर रहे हैं। परिणाम यह हो रहा है कि एक व्यक्ति का पागलपन उसके करोड़ों अनुयायियों का जुनून बन गया है। मुहम्मद को समझकर ही हम आर-पार देख सकेंगे और भविष्य को लेकर इन अप्रत्याशित लोगों के बारे में अनुमान लगा सकेंगे। हम खतरनाक दौर में जी रहे हैं। मानवता का पाँचवां भाग एक पागल को पूज रहा है, आत्मघाती बम हमलों की वाहवाही कर रहा है और सोच रहा है कि हत्या और शहादत सर्वाधिक पुण्य का काम है। दुनिया एक खतरनाक जगह हो गई है
- Rachel Abraham

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