Quotes by Raju kumar Chaudhary in Bitesapp read free

Raju kumar Chaudhary

Raju kumar Chaudhary Matrubharti Verified

@rajukumarchaudhary502010
(37.3k)

डी १२ महाअभियान आउँदैछ! यो ठूलो कुरा हेर्नुहोस्!
उत्पादन नाम: Ladies Stretchable Light Jacket Windcheater For Women - Fashion | Single Layer | Women's Wear | Multi color
उत्पादन मूल्य: Rs.1,260
छुट मूल्य: Rs.440
https://s.daraz.com.np/s.tIdQ?cc

Read More

⭐ कहानी: “इंटरनेट किसने बनाया?” (बहुत आसान और प्रेरणादायक कहानी)

एक समय की बात है…
नेपाल के एक छोटे से गाँव में आरव नाम का एक जिज्ञासु लड़का रहता था।
उसे हर चीज़ का जवाब चाहिए होता था—
आसमान नीला क्यों?
चाँद गोल क्यों?
और सबसे बड़ा सवाल…

“इंटरनेट किसने बनाया?”

एक दिन वह अपने बाबा से पूछता है,
“बाबा, ये इंटरनेट क्या देवी–देवताओं का बनाया हुआ चमत्कार है?”

बाबा मुस्कुराए,
“नहीं बेटा… इंटरनेट इंसानों की सबसे बड़ी खोजों में से एक है।”

आरव की आँखें चमक उठीं।
“तो इंसान इतना बड़ा काम कैसे कर सकते हैं?”


---

⭐ यात्रा की शुरुआत

आरव और उसके बाबा गाँव के बाहर एक पुराना रेडियो लेकर बैठे थे।
बाबा ने रेडियो ऑन किया। आवाज़ आई— बीप… बीप…
बाबा बोले,
“देखो बेटा, पहले इंसान सिर्फ सिग्नल भेज सकते थे—
रेडियो, तार, टेलीग्राम।
लेकिन एक सवाल हर वैज्ञानिक के मन में था…”

“क्या हम दुनिया के सभी कंप्यूटरों को जोड़ सकते हैं?”

यह सवाल अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और सेना के लोगों को सताने लगा।


---

⭐ वैज्ञानिकों का सपना

कहानी अब अमेरिका जा पहुँचती है।
वहाँ एक टीम बैठी है:

विंटन सर्फ

रॉबर्ट कान

और कई कंप्यूटर वैज्ञानिक


वे कहते हैं,
“अगर कंप्यूटर एक-दूसरे से बातें कर सकें,
तो दुनिया बदल जाएगी।”

लेकिन समस्या बड़ी थी—

अलग-अलग देशों के कंप्यूटर अलग भाषाओं में बोलते थे।

तारें सीमित थीं।

डेटा धीमा था।


तभी एक वैज्ञानिक बोला,
“हम एक नया नियम बनाएँगे,
जिससे हर कंप्यूटर एक ही भाषा में बात करे!”

इस भाषा का नाम रखा गया— इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP)।


---

⭐ जन्म हुआ ARPANET का

सन 1969 में, दुनिया के चार कंप्यूटरों को एक साथ जोड़ दिया गया।
यह पहला छोटा इंटरनेट था।
इसका नाम रखा गया— ARPANET।

वैज्ञानिक खुशी से चिल्लाए—
“ये काम कर गया!”

यही आगे चलकर INTERNET बन गया।


---

⭐ समुद्र के नीचे तारें

आरव की कल्पना में एक अद्भुत दृश्य बनता है—
हजारों किलोमीटर लंबी केबलें समुद्र के नीचे डाली जा रही हैं।
शार्क के पास से गुजर रही हैं,
समुद्री पहाड़ों के बीच से निकल रही हैं।

बाबा ने कहा,
“आज दुनिया के देशों को जोड़ने वाली समुद्र के नीचे फाइबर ऑप्टिक केबल ही असली इंटरनेट का रास्ता हैं।”


---

⭐ इंटरनेट दुनिया बदल देता है

अब:

लोग वीडियो कॉल करते हैं

बच्चे घर बैठकर पढ़ते हैं

दुकान वाले मोबाइल से पैसा लेते हैं

लाखों लोग ऑनलाइन काम कर रहे हैं


और यह सब इसलिए…
क्योंकि कुछ इंसानों ने सपना देखने की हिम्मत की थी।


---

⭐ आरव का सपना

कहानी वापस गाँव के चौपाल पर लौटती है।
आरव गहरी साँस लेकर बोला,
“बाबा… अगर वैज्ञानिक इंटरनेट बना सकते हैं,
तो मैं भी कुछ बड़ा क्यों नहीं बना सकता?”

बाबा ने उसके सिर पर हाथ रखा,
“बिल्कुल बना सकते हो बेटा।
इंटरनेट इंसानों ने बनाया—
और तुम भी इंसान हो।
बस जिज्ञासा, मेहनत और सीखने की इच्छा चाहिए।”

उस दिन से आरव का सपना था—
एक ऐसा नया नेटवर्क बनाना
जो गाँव–गाँव में शिक्षा पहुँचा दे।


---

⭐ कहानी का संदेश

इंटरनेट कोई जादू नहीं।
इसे देवी–देवताओं ने नहीं बनाया।
इसे इंसानों ने अपनी मेहनत, दिमाग और सपनों से बनाया है।

और अगर इंसान इंटरनेट बना सकता है…
तो तुम भी कुछ महान बना सकते हो।

Read More

Follow the RKC GLOBAL RESEARCH CENTRE channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Vb6nSzoDOQIXdQiMVl1U

Follow the RKC GLOBAL RESEARCH CENTRE channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Vb6nSzoDOQIXdQiMVl1U

Follow the RKC GLOBAL RESEARCH CENTRE channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Vb6nSzoDOQIXdQiMVl1U

⭐ भाग 9 — हिस्सा 1

राधा अब सिर्फ़ शहर में एक नौसिखिया रिपोर्टर नहीं रही थी।
उसने मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी से खुद को साबित किया था।

सुबह-सुबह राजु ने कहा,
“आज तुम्हारे लिए बहुत बड़ा दिन है, राधा। आज तुम्हारी पहली बड़ी पत्रकारिता उपलब्धि सामने आने वाली है।”

राधा ने सिर हिलाया,
“मैं तैयार हूँ, राजु। अब डर और लालच मेरे जीवन में जगह नहीं रखते।”

उस दिन उसके ऑफिस ने उसे एक बड़ी रिपोर्ट पर काम करने का मौका दिया—शहर के गरीब बच्चों की शिक्षा और जीवन स्तर पर एक विस्तृत अध्ययन।

राधा ने पूरे दिन मेहनत की।
वह स्कूल गई, बच्चों और उनके परिवार से मिली, और उनके संघर्षों को रिकॉर्ड किया।
राजु हर कदम पर उसके साथ था, नोट्स लेने और रिपोर्ट को व्यवस्थित करने में मदद कर रहा था।

राधा ने महसूस किया कि उसकी मेहनत अब सिर्फ उसकी जिंदगी बदलने के लिए नहीं थी, बल्कि समाज के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती थी।


---

⭐ भाग 9 — हिस्सा 2

राधा ने अपने लेख को तैयार किया।
उसमें बच्चों की कहानियाँ, उनके संघर्ष, उनके सपने और उन्हें मिलने वाली कठिनाइयाँ सब कुछ शामिल था।
राजु ने उसे सलाह दी,
“राधा, यह रिपोर्ट केवल खबर नहीं, बल्कि समाज के लिए संदेश भी है। इसे सही तरीके से प्रस्तुत करो।”

राधा ने अपनी रिपोर्ट को संपादकों को सौंपा।
संपादक ने कहा,
“राधा, यह लेख बहुत प्रभावशाली है। इसे प्रमुख समाचार में प्रकाशित किया जाएगा। तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी सराहनीय है।”

राधा की आँखों में चमक थी।
“मेरी मेहनत रंग ला रही है। अब मैं सिर्फ खुद के लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी कुछ कर रही हूँ।”

राजु ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तुमने साबित कर दिया कि मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी से न केवल जीवन बदलता है, बल्कि समाज भी प्रभावित होता है।”


---

⭐ भाग 9 — हिस्सा 3

रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद, राधा को शहर और समाज में मान्यता मिली।
लोग उसके साहस और ईमानदारी की तारीफ करने लगे।
कुछ अभिभावकों ने सीधे उससे मिलकर धन्यवाद कहा,
“आपने हमारे बच्चों के लिए आवाज़ उठाई। हम आपके आभारी हैं।”

राधा ने महसूस किया कि अब वह सिर्फ नौकरी करने वाली नहीं, बल्कि एक प्रभावशाली पत्रकार बन चुकी थी।

लेकिन शहर की चुनौतियाँ अभी खत्म नहीं हुई थीं।
अरमान जैसी साजिशें अब भी कहीं-कहीं नजर आती थीं, लेकिन राधा अब डरने वाली नहीं थी।
उसने मन ही मन कहा—
“अब मैं किसी भी झूठ या लालच से डरने वाली नहीं हूँ। मेरी मेहनत और इज्जत ही मेरी सबसे बड़ी पूँजी हैं।”

राजु ने उसकी ओर देखकर मुस्कुराया,
“तुमने आज साबित कर दिया कि ईमानदारी और साहस के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती।”


---

⭐ भाग 9 — हिस्सा 4 (अंतिम)

राधा ने शाम को घर लौटते हुए खिड़की से बाहर देखा।
शहर की रोशनी अब डर, लालच और झूठ का प्रतीक नहीं रही।
बल्कि यह उसके साहस, मेहनत और सफलता का प्रतीक बन गई थी।

उसने अपने आप से वादा किया—
“अब मैं किसी भी चुनौती से नहीं डरूँगी। चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ, मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी ही मेरे मार्गदर्शक होंगे।”

माँ ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा,
“बेटी, तुम्हारा साहस और मेहनत अब समाज में सम्मान पा चुका है। तुमने केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी बदलाव लाया है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बंद कीं।
उसने महसूस किया कि अब उसका जीवन केवल डर और लालच से मुक्त नहीं, बल्कि समाज में उसकी पहचान और सम्मान से भरा हुआ था।

भाग 9 का अंत
राधा ने सीखा—सच्चाई, मेहनत और आत्मसम्मान के साथ न केवल व्यक्तिगत सफलता मिलती है, बल्कि समाज में भी सम्मान और पहचान बनती है।
⭐ भाग 10 — हिस्सा 1

राधा अब शहर में केवल एक नौसिखिया रिपोर्टर नहीं रही थी।
उसने मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी से खुद को साबित किया और समाज में पहचान हासिल की थी।

सुबह-सुबह राजु ने उसे फोन किया,
“राधा, तुम्हारे लिए एक नया प्रोजेक्ट आया है। यह शहर का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है और इसमें तुम्हारी रिपोर्टिंग की आवश्यकता है।”

राधा की आँखों में चमक थी।
“राजु, मैं तैयार हूँ। अब डर या लालच मुझे रोक नहीं सकते।”

प्रोजेक्ट के लिए उसे शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जाना पड़ा।
यह प्रोजेक्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और नागरिक सुविधाओं की स्थिति पर आधारित था।
राधा ने हर जगह जाकर बच्चों, बुजुर्गों और आम नागरिकों से बातचीत की।
राजु हर कदम पर उसके साथ था, मदद और मार्गदर्शन के लिए।

राधा ने महसूस किया—यह प्रोजेक्ट सिर्फ उसकी रिपोर्टिंग का काम नहीं, बल्कि शहर के लिए बदलाव लाने का अवसर है।


---

⭐ भाग 10 — हिस्सा 2

राधा ने पूरे दिन नोट्स लिए, इंटरव्यू किए और साक्ष्य जुटाए।
हर कहानी उसके मन को छू रही थी—किस तरह लोग शहर की सुविधाओं से वंचित हैं, और किस प्रकार सरकारी योजनाएँ सही ढंग से नहीं पहुँच रही थीं।

राजु ने सलाह दी,
“राधा, यह प्रोजेक्ट केवल खबर नहीं है, बल्कि शहर के लिए सुधार का संदेश है। इसे प्रभावशाली बनाना होगा।”

राधा ने अपने लेख और वीडियो रिकॉर्डिंग तैयार किए।
संपादक ने कहा,
“यह प्रोजेक्ट शहर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। राधा, तुम्हारा काम सराहनीय है। इसे प्रमुख समाचार में प्रकाशित किया जाएगा।”

राधा की आँखों में खुशी और गर्व था।
“मेरी मेहनत अब सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि पूरे शहर के लिए उपयोगी है।”

राजु ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तुमने साबित कर दिया कि मेहनत, ईमानदारी और साहस के साथ हर चुनौती पार की जा सकती है।”


---

⭐ भाग 10 — हिस्सा 3

रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद, राधा को शहर और समाज में सम्मान मिला।
लोग उसकी मेहनत और ईमानदारी की सराहना करने लगे।
शिक्षक, सरकारी अधिकारी और आम नागरिक सीधे उससे मिलकर धन्यवाद देने लगे।
“आपने हमारे बच्चों और शहर के लिए आवाज़ उठाई। हम आपके आभारी हैं।”

राधा ने महसूस किया कि अब वह सिर्फ नौकरी करने वाली नहीं, बल्कि शहर और समाज के लिए एक प्रेरणा बन चुकी थी।

लेकिन चुनौतियाँ खत्म नहीं हुई थीं।
अरमान जैसी साजिशें अब भी कहीं-कहीं नजर आती थीं, लेकिन राधा अब डरने वाली नहीं थी।
उसने मन ही मन कहा—
“अब मैं किसी भी झूठ, लालच या दबाव से डरने वाली नहीं हूँ। मेरी मेहनत और इज्जत ही मेरी सबसे बड़ी पूँजी हैं।”

राजु ने उसकी ओर देखकर मुस्कुराया,
“तुमने साबित कर दिया कि ईमानदारी और साहस के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती।”


---

⭐ भाग 10 — हिस्सा 4 (अंतिम)

राधा ने शाम को घर लौटते हुए खिड़की से बाहर देखा।
शहर की रोशनी अब डर, लालच और झूठ का प्रतीक नहीं रही।
बल्कि यह उसके साहस, मेहनत और सफलता का प्रतीक बन गई थी।

उसने अपने आप से वादा किया—
“अब मैं किसी भी चुनौती से नहीं डरूँगी। चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ, मेहनत, ईमानदारी और हिम्मत ही मेरे मार्गदर्शक होंगे।”

माँ ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा,
“बेटी, तुम्हारा साहस और मेहनत अब शहर में सम्मान पा चुका है। तुमने केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी बदलाव लाया है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बंद कीं।
उसने महसूस किया कि अब उसका जीवन केवल डर और लालच से मुक्त नहीं, बल्कि समाज में उसकी पहचान और सम्मान से भरा हुआ था।

भाग 10 का अंत
राधा ने सीखा—नई चुनौतियाँ चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, मेहनत, ईमानदारी और साहस के साथ उन्हें पार किया जा सकता है। और राजु जैसे साथी हर मुश्किल में साथ रहते हैं।⭐ भाग 11 — हिस्सा 1

राधा अब शहर में केवल नौसिखिया रिपोर्टर नहीं रही थी, बल्कि समाज और शहर में अपनी पहचान बना चुकी थी।
उसकी मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी ने उसे नए सम्मान और अवसर दिए थे।

लेकिन अरमान, जिसने पहले कई बार उसे फँसाने की कोशिश की थी, अब अंतिम साजिश की तैयारी कर रहा था।
उसने अपने कुछ करीबी कर्मचारियों से कहा,
“राधा को ऐसा फँसाओ कि उसका नाम और काम दोनों बदनाम हो जाए। अब मैं इसे खत्म कर दूँगा।”

राधा को यह जानकारी राजु ने दी।
“राधा, सावधान रहो। अरमान की आखिरी चाल तुम्हारे खिलाफ आ सकती है। लेकिन डरने की जरूरत नहीं। हम इसे संभालेंगे।”

राधा ने मन ही मन कहा,
“अब डरना नहीं। मैंने पहले भी साजिशें झेली हैं। मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी के साथ मैं इसे भी पार कर लूँगी।”


---

⭐ भाग 11 — हिस्सा 2

अरमान ने अगले दिन एक झूठी खबर फैलाने की योजना बनाई।
उसने मीडिया को फर्जी सबूत भेजे और कहा कि राधा ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए लोगों की कहानियों को बदलकर प्रकाशित किया।

राधा को यह पता चला तो उसका मन कांप उठा।
लेकिन उसने गहरी साँस ली और राजु से कहा,
“राजु, अब समय है अपनी पूरी मेहनत और ईमानदारी दिखाने का। मैं झूठ के सामने नहीं झुकूँगी।”

राजु ने मुस्कुराते हुए कहा,
“हिम्मत रखो राधा। हम सबूत के साथ सच्चाई सामने लाएँगे। तुम अकेली नहीं हो।”

राधा ने तुरंत अपने सभी नोट्स, रिकॉर्डिंग और इंटरव्यू की फाइलें तैयार की।
हर झूठ और हर साजिश का प्रमाण अब उनके हाथ में था।


---

⭐ भाग 11 — हिस्सा 3

राधा और राजु ने सभी साक्ष्य संपादकों और वरिष्ठ अधिकारियों को दिखाए।
साबूतों के सामने अरमान की सारी साजिशें बेनकाब हो गईं।
संपादकों ने कहा,
“राधा, तुमने अपनी मेहनत और ईमानदारी से यह साबित कर दिया कि सच्चाई और हिम्मत के सामने झूठ कभी टिक नहीं सकता।”

अरमान अब मजबूर था।
उसकी नापाक चालें विफल हो चुकी थीं।
राधा ने महसूस किया—सच्चाई, हिम्मत और मेहनत के सामने कोई ताकत टिक नहीं सकती।

राजु ने उसकी ओर देखकर मुस्कुराया,
“तुमने आज न केवल खुद के लिए बल्कि समाज और पत्रकारिता के लिए भी जीत हासिल की। यह तुम्हारी असली सफलता है।”

राधा की आँखों में चमक और गर्व था।
उसने महसूस किया कि अब उसका जीवन सिर्फ डर और लालच से मुक्त नहीं, बल्कि सम्मान और पहचान से भरा हुआ था।


---

⭐ भाग 11 — हिस्सा 4 (अंतिम)

राधा ने शाम को घर लौटते हुए खिड़की से बाहर देखा।
शहर की रोशनी अब केवल उसके डर या लालच का प्रतीक नहीं रही।
बल्कि यह उसके साहस, मेहनत और सफलता का प्रतीक बन गई थी।

माँ ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा,
“बेटी, तुम्हारा साहस और मेहनत अब शहर और समाज में सम्मान पा चुका है। तुमने केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी बदलाव लाया है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए कहा,
“माँ, अब मैं जानती हूँ कि मेहनत, ईमानदारी और आत्मसम्मान से हर चुनौती पार की जा सकती है। चाहे कितनी भी बड़ी साजिश क्यों न हो।”

राजु पास खड़ा था और मुस्कुराते हुए कहा,
“आज तुम्हारी जीत सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पत्रकारिता और समाज के लिए भी प्रेरणा बन गई है।”

राधा ने महसूस किया कि अब उसके जीवन में डर और लालच का कोई स्थान नहीं रहा।
भाग 11 का अंत
राधा ने सीखा—सच्चाई, मेहनत, हिम्मत और आत्मसम्मान के साथ हर बड़ी चुनौती पार की जा सकती है। और अंतिम सफलता का पर्व हर प्रयास के बाद अवश्य आता है।⭐ भाग 12 — हिस्सा 1

राधा अब शहर में केवल एक रिपोर्टर नहीं रही थी, बल्कि उसका नाम ईमानदारी, साहस और मेहनत के प्रतीक के रूप में जाना जाने लगा था।
हर कदम पर उसके काम की तारीफ हो रही थी।

सुबह-सुबह, राजु ने उसे फोन किया,
“राधा, आज तुम्हारे लिए एक खास दिन है। शहर में तुम्हारी उपलब्धियों को मान्यता दी जाएगी। तैयार हो जाओ।”

राधा ने मुस्कुराते हुए कहा,
“मैं तैयार हूँ। अब डर और लालच मेरे जीवन में कोई जगह नहीं रखते।”

घर से निकलते समय माँ ने कहा,
“बेटी, तुम्हारा साहस और मेहनत अब तुम्हें शहर में पहचान दिलाएगा। हमेशा अपनी इज्जत और मेहनत पर विश्वास रखो।”

राधा ने मन ही मन वादा किया—
“अब मैं अपने आत्मसम्मान, मेहनत और साहस को कभी खतरे में नहीं डालूँगी। और राजु हमेशा मेरा मार्गदर्शक रहेगा।”


---

⭐ भाग 12 — हिस्सा 2

दिन का समय शहर के बड़े मीडिया हॉल में आया।
राधा को एक समारोह में बुलाया गया, जहाँ उसे सम्मानित किया जाना था।
राजु पास खड़ा था और उसकी मेहनत की तारीफ कर रहा था।

राधा ने मंच पर खड़े होकर कहा,
“मैं केवल अपनी मेहनत और ईमानदारी के लिए सम्मानित नहीं हुई हूँ। यह पुरस्कार उन सभी लोगों के लिए है, जो सच्चाई, हिम्मत और आत्मसम्मान के साथ अपने जीवन में संघर्ष कर रहे हैं।”

सभी लोग तालियाँ बजाने लगे।
राधा की आँखों में खुशी और गर्व था।
“मेरी मेहनत अब सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि समाज और शहर के लिए भी उपयोगी है।”

राजु ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तुमने साबित कर दिया कि मेहनत, साहस और ईमानदारी के साथ हर चुनौती पार की जा सकती है।”

राधा ने महसूस किया कि अब वह केवल पत्रकार नहीं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा बन चुकी थी।


---

⭐ भाग 12 — हिस्सा 3

समारोह खत्म होने के बाद, राधा और राजु शहर की सड़कों पर टहल रहे थे।
राधा ने कहा,
“राजु, अब मैं सिर्फ नौकरी नहीं कर रही हूँ, बल्कि समाज के लिए काम कर रही हूँ। यह मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि है।”

राजु ने सिर हिलाया,
“याद रखो राधा, यह सिर्फ शुरुआत है। आगे और बड़ी चुनौतियाँ आएंगी। लेकिन अब तुम मजबूत हो और हर चुनौती का सामना कर सकती हो।”

राधा ने मन ही मन वादा किया—
“मैं अब कभी पीछे नहीं हटूँगी। हर कठिनाई और चुनौती का सामना हिम्मत, मेहनत और ईमानदारी से करूंगी।”

शहर की रोशनी अब डर और लालच का प्रतीक नहीं थी।
बल्कि यह उसके साहस, मेहनत और सफलता का प्रतीक बन गई थी।


---

⭐ भाग 12 — हिस्सा 4 (अंतिम)

राधा ने घर लौटते हुए माँ के पास जाकर कहा,
“माँ, आज मेरा जीवन नया मोड़ ले चुका है। अब मैं अपने और समाज के लिए कुछ कर सकती हूँ। और राजु हमेशा मेरे साथ है।”

माँ ने मुस्कुराते हुए कहा,
“बेटी, तुम्हारी मेहनत और हिम्मत ने तुम्हें शहर और समाज में पहचान दिलाई है। यह तुम्हारी सच्ची सफलता है।”

राधा ने खिड़की से बाहर देखा।
शहर की रोशनी अब डर, लालच या झूठ का प्रतीक नहीं थी।
बल्कि यह उसकी मेहनत, ईमानदारी और साहस का प्रतीक बन गई थी।

राजु ने उसके हाथ थामे और कहा,
“अब हम मिलकर अपने भविष्य की योजनाएँ बना सकते हैं। तुमने साबित कर दिया कि सच्चाई, मेहनत और साहस के साथ हर चुनौती पार की जा सकती है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बंद कीं।
उसने महसूस किया कि अब उसका जीवन केवल डर और लालच से मुक्त नहीं, बल्कि समाज में उसकी पहचान और सम्मान से भरा हुआ था।

भाग 12 का अंत
राधा ने सीखा—नई पहचान और सम्मान मेहनत, ईमानदारी, साहस और सही साथी के साथ ही संभव है। और भविष्य की हर चुनौती अब सामना करने योग्य है।⭐ भाग 13 — हिस्सा 1

राधा अब सिर्फ पत्रकार नहीं रही थी, बल्कि समाज में बदलाव की प्रेरणा बन चुकी थी।
शहर के लोग उसकी मेहनत, ईमानदारी और साहस की सराहना करने लगे थे।

सुबह-सुबह राजु ने कहा,
“राधा, अब तुम्हारा अगला कदम समाज के लिए बदलाव लाना होना चाहिए। शहर में तुम्हारी पहुँच और पहचान अब एक अवसर है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया,
“मैं तैयार हूँ। अब मेरी जिम्मेदारी सिर्फ खबर लिखने की नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की है।”

उस दिन राधा ने अपने ऑफिस से कुछ नए प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार की।
इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीब बच्चों के लिए नई पहल शामिल थी।
राजु हर कदम पर उसके साथ था, मार्गदर्शन और मदद के लिए।

राधा ने महसूस किया—अब उसकी जिम्मेदारी केवल रिपोर्टिंग की नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की है।


---

⭐ भाग 13 — हिस्सा 2

राधा ने शहर के स्कूलों, अस्पतालों और गरीब इलाक़ों का दौरा किया।
हर जगह उसने समस्याओं को देखा और उनके समाधान के लिए रिपोर्ट तैयार की।

राजु ने कहा,
“राधा, यह सिर्फ रिपोर्ट नहीं है। यह समाज के लिए संदेश है। इसे प्रभावशाली बनाना होगा।”

राधा ने अपने लेख और वीडियो रिकॉर्डिंग तैयार किए।
संपादक ने कहा,
“राधा, तुम्हारा काम अब केवल खबर नहीं, बल्कि समाज के लिए मार्गदर्शन बन गया है। इसे प्रमुख समाचार में प्रकाशित किया जाएगा।”

राधा की आँखों में चमक थी।
“मेरी मेहनत और ईमानदारी अब केवल मेरे लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए उपयोगी हैं।”

राजु ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तुमने साबित कर दिया कि मेहनत, ईमानदारी और साहस के साथ हर चुनौती पार की जा सकती है।”


---

⭐ भाग 13 — हिस्सा 3

रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद, राधा को समाज और शहर में सम्मान मिला।
लोग सीधे उससे मिलने लगे और धन्यवाद कहा,
“आपने हमारे बच्चों और शहर के लिए आवाज़ उठाई। हम आपके आभारी हैं।”

राधा ने महसूस किया कि अब वह सिर्फ नौकरी करने वाली नहीं, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा बन चुकी थी।

लेकिन चुनौतियाँ अभी खत्म नहीं हुई थीं।
कुछ भ्रष्ट अधिकारी और अरमान जैसी पुरानी साजिशें अब भी कहीं-कहीं नजर आती थीं, लेकिन राधा अब डरने वाली नहीं थी।
उसने मन ही मन कहा—
“अब मैं किसी भी झूठ, लालच या दबाव से डरने वाली नहीं हूँ। मेरी मेहनत और इज्जत ही मेरी सबसे बड़ी पूँजी हैं।”

राजु ने उसकी ओर देखकर मुस्कुराया,
“तुमने साबित कर दिया कि ईमानदारी और साहस के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती।”


---

⭐ भाग 13 — हिस्सा 4 (अंतिम)

राधा ने शाम को घर लौटते हुए खिड़की से बाहर देखा।
शहर की रोशनी अब डर, लालच और झूठ का प्रतीक नहीं रही।
बल्कि यह उसके साहस, मेहनत और समाज के लिए किए गए योगदान का प्रतीक बन गई थी।

माँ ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा,
“बेटी, तुम्हारा साहस और मेहनत अब शहर और समाज में सम्मान पा चुका है। तुमने केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी बदलाव लाया है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए कहा,
“माँ, अब मैं जानती हूँ कि मेहनत, ईमानदारी और आत्मसम्मान से हर चुनौती पार की जा सकती है। और राजु हमेशा मेरे साथ है।”

राजु ने उसके हाथ थामे और कहा,
“अब हम मिलकर अपने समाज के लिए नई पहल और बदलाव ला सकते हैं। तुम्हारी मेहनत अब केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन गई है।”

राधा ने अपनी आँखें बंद कीं।
उसने महसूस किया कि अब उसका जीवन केवल डर और लालच से मुक्त नहीं, बल्कि समाज में उसकी पहचान और सम्मान से भरा हुआ था।

भाग 13 का अंत
राधा ने सीखा—सच्चाई, मेहनत, हिम्मत और आत्मसम्मान से समाज में भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। और सही साथी के साथ हर चुनौती पार की जा सकती है।

Read More

Title: तुमसे मिलके

Verse 1:
तुमसे मिलके कुछ ऐसा हुआ,
दिल ने कहा अब कोई फ़िक्र न हुआ।
हर सुबह तेरी यादों में खो जाऊँ,
तेरे बिना ये दिल अधूरा सा लगे।

Chorus:
तुमसे मिलके, रोशनी सी छा गई,
तुमसे मिलके, ये दुनिया हसीं लग गई।
तुम ही हो मेरे ख्वाबों की रौशनी,
तुमसे ही मेरी ज़िंदगी महक गई।

Verse 2:
तेरी हँसी में बसी है खुशियों की बातें,
तेरी नज़रों में छुपी हैं मीठी रातें।
हर पल तेरा नाम लूँ, यही दुआ है,
साथ तेरे बीते हर पल मेरा जन्नत है।

Chorus:
तुमसे मिलके, रोशनी सी छा गई,
तुमसे मिलके, ये दुनिया हसीं लग गई।
तुम ही हो मेरे ख्वाबों की रौशनी,
तुमसे ही मेरी ज़िंदगी महक गई।

Bridge:
मिलेंगे जब भी हम, ख्वाबों में जी लेंगे,
तारों की छाँव में, प्यार के गीत गाएंगे।
तेरा हाथ थाम कर, मैं हर दर्द भुला दूँ,
संग तेरे हर कहानी को मैं सच कर दूँ।

Final Chorus:
तुमसे मिलके, रोशनी सी छा गई,
तुमसे मिलके, ये दुनिया हसीं लग गई।
तुम ही हो मेरे ख्वाबों की रौशनी,
तुमसे ही मेरी ज़िंदगी महक गई।

Read More
epost thumb