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अरे ओ मेरी प्यारी सी जान, बेख़ौफ़ और आजाद जीना है तो एक दफा ख़ुद के इर्द-गिर्द खुद की बनायीं बेड़ियों को तो पहचान ले ... Abhipsha...
हर रंग की अपनी खूबसूरती है पर बेरंग सफ़ेद कुछ ओर है ... Abhipsha...
इस पन्ने पर छपी बिल्ली को पहचानने के लिए भी गौर करना पड़ा, जिंदगी कुछ ओर है क्या??? ... Abhipsha...
हल्की बारिश हाथों में कुल्हड़ वाली चाय साड़ी में भीगा हुआ शरीर भीगे बालों से बूंद बूंद चेहरे पर सरकता पानी और उनकी गैरमौजूदगी ... उनकी यादों की बाढ़, और वो साथ, बिल्कुल आसपास ❣️ ... Abhipsha...
શિક્ષક દિન પર જોઈ જોજો, તમારાં કોઈ શિક્ષક દીન તો નથી ને!!!? સાચવી લેજો સમયસર ... ❣️ ... Abhipsha...
एक शाम ढली, जब सूरज डूबा और शाम ढली धोखा हूआ दिल तूटा संवेदनाएं चिल्लाई सांसों के अलावा जान न बची फिर एक ऐसा दिन निकला जब सूरज निकला पर दिन न निकला बहारों के बीच सूखा पड़ा बस इतना ही ... ❣️ ... Abhipsha...
यह तितली, मधुमक्खियों के संग एक फूल से दूसरे फूल बस अपनी मस्ती में फूल के कम ज्यादा रसिले होने का भेद किये बिना भिनभिनाती फिर रही देख ... मन की उलझनों से मुक्त कर विषमताओं में सुकून मिला ❣️ ... Abhipsha...
ए मेरे हमदम ... हमारे बीच की संवेदनाएं ❣️ जो महसूस करने की खूबसूरती है, बयां कर उसे बर्बाद न करें मैं खामोशी से खामोशी सुन रही हूं। ❣️ ... Abhipsha..
हम प्रतिक्षा कर रहे हैं। कितनी? नहीं बना है शब्द... शायद सहरा में एक बूंद बारिश जितनी या उससे अधिक, अहं अत्याधिक। ❣️ ...Abhipsha...
प्रेम में हक के लिए लडना प्रेम नहीं संघर्ष कहलाता है। भावनायें समर्पण की हो तो ईश्वर पत्थर की मूर्त से भी प्रेम बरसाता है। ये निर्विवाद सत्य है 😊 थोड़ा मुश्किल तब बनता है, जब समर्पण न चाहते हुए जब प्रेमी ये कहे कि बांधकर रखो ना मुझे खुद से, तुम हक जताया करो ना मुझपर! और जता देने पर संघर्ष हो!
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