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जिसे खुश रहना है वह दूर रहे मुझसे, मै विश हूँ हर किसी के गले के लिए नही बनी।। - Ruchi Dixit
हर आँसु के बाद मुसकुराई हूँ खुद रूठी खुद आप ही मनाई हूँ । मगर फिर भी!! मरने की बात कहकर जिन्दगी से न उकताई हूँ। निर्मेही हूँ! मोह नही मुझमे जाने कितनी बार सुना, सुनती आई हूँ। यह गुण है या अवगुण मेरा, रूठे चेहरों मे यह आजतक न समझ पाई हूँ।। - Ruchi Dixit
काँटो से सहलाया है मैने उनको भी जिनके हाथों मे मेरे लिए फूल थे। - Ruchi Dixit
खोया! तो क्या नया रहा खोता ही तो रहा है। आया और गया तब भी नया क्या है ? दर-बदर जीवन का यह सिलसिला है किन्तु !!! गया वो जो तो यह जान जाऊँगी नही है कोई किसी के जैसा पहचान जाऊँगी प्रेम भी एक ओस की बूँद है धूप के आने से पहले तक लिखूँगी एक कविता और बताऊँगी । न खोजूँगी खुद को बाहर , सिमट कर बैठ जाऊँगी , निराशा के आँगन में आशा के बीज न रोपूँगी न ऋतु उत्सव मनाऊँगी ;;;;; - Ruchi Dixit
अनुचित जिद को उचित मान लेना प्रेम हो सकता है किन्तु अनुचित जिद केवल जिद। - Ruchi Dixit
गुण -दोष स्वभाव परिणाम से परिचित होकर भी आजीवन साथ निभाने की प्रक्रिया में आत्मप्रेम लिए लोग पास तो आते है किन्तु उन गुण दोषो के प्रभाव से खुद को मुक्त नही रख पाते । - Ruchi Dixit
पाने से पहले पाने का सुख खोने से पहले खोने का दुःख लगभग बराबर ही होता है। - Ruchi Dixit -विवेचन
टूटने से पहले टूटने की पीड़ा खोने से पहले खोने की पीड़ा मरने से पहले मरने की पीड़ा अधिक कष्टकारी होती है। - Ruchi Dixit
सबसे खराब स्थिति तब होती है जब हम किसी अनभिज्ञ वस्तु के खोने की कल्पना मात्र से दु:खी होकर स्वंय को कोसते है। जबकि वास्तव खोने में खोने का भय ही खोना है। -आत्ममंथन - Ruchi Dixit
सबको बनाने वाली एक तु ही जानती है सबको । - Ruchi Dixit
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