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swati gupta

swati gupta

@swatigupta.513889


जब पुरुष के बस में कुछ नही होता खुद को हरते हुए देखता है,
तो सबसे पहले बार वो जिस पर करता है
वो औरत का चरित्र होता है।
वो न्यायाधिपति बनकर
स्त्री को बार-बार दोषी ठहराता हैं,
सदियो से ये ही रीत तो चली आई हैं
भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम
पर माता सीता की पीड़ा को कब समझ पाये,
माँ सीता पवित्र थी ये समस्त जगत को पता था
रावण को छुने ना दिया माता ने फिर भी सवाल उठाये,
ली गई माता की अग्निपरीक्षा
जलती हुई ज्वाला से निकली थी वो शुद्ध,
ना हुआ संतोष तो भरी सभा में किया गया माता को अपमानित
फिर भी उठे थे माता के चरित्र पर सवाल
माता को दिया गया वनवास,
क्या हर युग में यहीं होगा हाल
स्त्री का चरित्र बनेगा एक सवाल
समाज हर बार औरत को ही कठघरे में क्यों खडा करता हैं।

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How can your wife be as romantic when you have impregnated her , sent her to labour, antenatal, postnatal and breastfeeding for many years, childcare and upbringing ,kitchen to cook for you and your kids, house chores and groceries are still to be taken care of by her.

You the husband has caused her many cuts down her "V", cuts as a result of CS, what about sagged breast and stomach stretch marks you caused her, what about vomiting and loss of appetite, and yet you don't want to value and respect her, yet the only thing you remember is that she is not romantic .

Please dear men, learn to appreciate your wife, life is not all about sex and romance, remember how she was before you married her and remember that you are the cause of her woes.
God bless every hardworking mother and wife

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इन लोगों के कमिटमेंट कहां गए जो इन्होंने अपनी पत्नी को बहुत साल पहले दिए थे।क्या इनकी जवान की कोई वैल्यू नही ।ऐसा प्रतीत होता हैं ऐसे लोग दिमाग से अपंग ,हो चुके है जो ये सब करते है ।

कहाँ आसां होता हैं
पैंतालिस पार पुरुष के लिए
डेट पर जाना
उसे बोलने पड़ते हैं
एक हज़ार झूठ
वह जाता है पार्लर
अपने सफ़ेद बाल
छुपाने के लिए
कराता है स्किन को ट्रीट
रिंकल्स हटाने के लिए
असलियत को छुपाने के करता है
लाख जतन
त्वचा की ताज़गी के लिए
खरीदता है
इश्तहार में सुझाये प्रोडक्ट

पत्नी को बताता है
कितना काम है,,, पैसा कमाता हूं
सारा दिन मोबाइल पर अपना सिर खपाता हूं
इसलिए घर देर से लौट कर वापस आता हूं
कभी लेता है बहाना
पुराने साथियों के पास रियूनियन में जाने का
तो कभी भाई, बहनों के कामों की देता है दलीलें

आसान नहीं होता
चालीस पार पुरुष के लिए
डेट पर जाना

डेट पर आई स्त्री से
भी बनाने पड़ते हैं बहाने
उसके विषयों में होते हैं
पत्नी द्वारा दी पीड़ा के मर्मान्तक किस्से
कलह के रेडीमेड कैप्सूल
निरीह प्राणी होने के प्रमाण
और रोने के अभिनय के प्रपंच
अपनी प्रेमिका को
तुम्ही हो एकमात्र
टि्वन फ्लेम और रानी साहिबा
कहकर सुनाता है
अपने दर्द की कहानी ,,,,

कहाँ आसां होता है
चालीस पार पुरुष के लिए
डेट पर जाना

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