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उषा जरवाल

उषा जरवाल Matrubharti Verified

@usha.jarwal
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जीवन में तीन प्रकार के लोगों को हमेशा याद रखिए -
॰ पहला, जिसने मुश्किल समय में आपकी मदद की ।
॰ दूसरा, जिसने आपको मुश्किल समय में छोड़ दिया ।
॰ तीसरा, जिसने आपको मुश्किल समय में डाला ।
उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी)

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मुझे भीड़ का हिस्सा बनना पसंद नहीं है । अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए मेरी निष्ठा, परिश्रम एवं कार्यक्षमता ही पर्याप्त हैं ।

उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’

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SCHOOL ✔️
SCHOOL ✖️
ऊपर वाली स्पेलिंग बिलकुल ठीक है और नीचे वाली गलत है क्योंकि वो स्पेलिंग मैंने लिखी है जिसमें मैंने पहले वाले O को दूसरे की जगह पर लिख दिया ।
कभी - कभी मेरे घर में मेरे साथ ऐसा ही होता है । 😜😂😂😂
उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’

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माला जपते समय 108 मोतियों के साथ 108 बार मन इधर - उधर भटकता है ।
वही मन 500 के नोटों की गड्डी गिनते समय मजाल है 5 सेकेंड भी भटक जाए । 😂😂

उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’

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जीवन में पुनरावर्तन नहीं होता इसलिए जितने पल मिले हैं उन्हीं को बेहतर बनाने का प्रयास कीजिए ।
- उषा जरवाल

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सिंह यदि चट्टान पर भी बैठ जाता है तो वह चट्टान उसका सिंहासन कहलाती है ।
इसलिए जीवन में सिंहासन पाने का नहीं अपितु सिंह बनने का प्रयास करना चाहिए । फिर आप जहाँ बैठेंगे वह स्थान सिंहासन स्वतः ही बन जाएगा ।

उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’

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जिस परिवार का मुखिया अपने परिवार के सदस्यों को निरंतर स्नेह, सही मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन से आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है और उन पर अटूट विश्वास दिखाता है, उस परिवार के सदस्य अपने पूरे सामर्थ्य के साथ अपने परिवार को सफलता के शिखर पर ले जाने के लिए अथक प्रयास में जुट जाते हैं और एक दिन उनके हौंसलों की उड़ान सफलता के नए आयाम स्थापित कर देती है ।
- उषा जरवाल

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दीपावली का ये पावन त्योहार
आपके जीवन में लाए खुशियाँ अपार
गणपति से मिले बुद्धि का वरदान,
लक्ष्मी जी दें धन-संपदा का दान।
बनी रहे आपके जीवन में रिद्धि - सिद्धि
प्रकाशोत्सव लाए अपार सुख - समृद्धि ।

उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’

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हमारी बराबरी ये आज की नई पीढ़ी क्या करेगी ?
हमारे तो दसवीं के परिणाम भी अख़बार में छपते थे ।
- उषा जरवाल😉😂😂😂

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बचपन में साइकिल सीखने का इतना जुनून होता था कि साइकिल पर ठीक से पैर तक नहीं पहुँचते थे तो भी ‘कैंचीमार’ साइकिल चलाते हुए गाँव की गलियों में सैर करते थे । जब बचपन में कभी नहीं डरे तो भला बड़े होने पर नया काम सीखने में कैसा डर ?

उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’

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