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उषा जरवाल

उषा जरवाल Matrubharti Verified

@usha.jarwal
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किसी न किसी के शब्द तो यदा कदा चुभते ही रहते हैं । जिस दिन किसी का मौन चुभ जाए तो सँभल जाना ।
उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’

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मुझे ‘मैं’ पसंद हूँ ।

यह बिंदी ना लगाया करो ,

यह तुम पर जँचती नहीं ।

गहरे रंग ही पहना करो ,

यह साड़ी तुम पर फबती नहीं ॥

तो सुनो ...

यह बिंदी मैंने लगाई है ,

तो मुझे तो जँचती ही होगी।

यह साड़ी भी मैंने ही खरीदी है,

पहनी है तो मुझे पसंद ही होगी ॥

तुम्हें लाल रंग पसंद है तो ,

पीला रंग खराब है क्या ?

तुम शौक़ीन हो ‘अंग्रेज़ी’ में बड़बड़ाने के,

तो ‘हिंदी’ मेरी बेमिसाल नहीं है क्या ?

इतना तो तुम्हें भी पता ही होगा कि ,

नहीं मिलते दो लोगों के उंगलियों के भी निशान ।

फिर कैसे हो सकती है ?

सभी की पसंद नापसंद एक समान । ।

मेरे शौक को ,मेरे पहनावे को,

मेरे खाने को , मेरे गाने को ,

यूँ बेवजह जज ना तुम किया करो ।

खुद में भी मस्त रहना सीखो ,

हरदम दूसरों में नुक्स निकालने का कष्ट ना तुम किया करो ॥

क्या पता ...

तुम्हारी कोई पसंद भी ,

करोड़ों में से हर एक को रास नहीं हो। ।

तो क्या ?

आज तक जो तुम खुद को ‘ख़ूब’ समझते आए हो ,

मतलब,

तुम भी कुछ खास नहीं हो।

उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’

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एक बार समंदर के किनारे एक केकड़ा अपने पैरों के सुंदर निशान बनाता हुआ चल रहा था । वह बार - बार पीछे मुड़कर अपने पैरों से बनाए हुए निशानों को देख रहा था और मन ही मन खुश हो रहा था । वह यह सोचकर खुश हो रहा था कि उसके पैरों के निशान सबसे सुंदर हैं ।
इतने में ही समंदर की एक तेज़ लहर आई और उसके सुंदर निशानों को मिटा दिया । यह देखकर केकड़े को बहुत बुरा लगा और वह समंदर को भला - बुरा कहने लगा । उसने समंदर से कहा कि वह उसकी कला से चिढ़ता है इसलिए उसने उसके पैरों के निशानों को मिटा दिया ।
समंदर मुस्कुराया और कहा -“कुछ मछुआरे तुम्हारे पैरों के निशानों का पीछा करते हुए तुम्हें पकड़ने आ रहे थे इसलिए मैंने उन निशानों को मिटा दिया ताकि वे तुम तक न पहुँच सके और तुम्हारी रक्षा हो सके ।”
समंदर की बात सुनकर केकड़े को अपने व्यवहार पर पछतावा हुआ ।
कई बार हम दूसरों के बारे में जाने बिना उनके प्रति गलत धारणा बना लेते हैं जिसके लिए हमें बाद में पछताना पड़ता है ।

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जिन्हें पिंजरबद्ध पंछी रखने का शौक हो उन्हें उड़ते हुए पंछी भला कैसे अच्छे लगेंगे ?
- उषा जरवाल

ऊँची उड़ान भरने के लिए किसी की इजाज़त क्यों चाहिए ?
पंख तुम्हारे अपने हैं और आकाश किसी का नहीं होता !

उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’

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जिन तारों में करंट नहीं होता, लोग अकसर उन पर कपड़े सुखा दिया करते हैं ।
इसलिए व्यक्तित्व में थोड़ा - सा करंट जरुरी है ।

उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’

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नियंत्रण बहुत आवश्यक है ।
यदि आय कम हो तो व्यय पर और जानकारी कम हो तो शब्दों पर ।

उषा जरवाल एक ‘उन्मुक्त पंछी’

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सर्वे परिवर्तिता: । अधुना मम समय:।
(सभी बदल चुके हैं । अब मेरा समय है ।)

उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’

मुझे ये मत बताओ कि उन्होंने मेरे बारे में तुमसे क्या कहा ?
मुझे बताओ कि वे तुम्हें
बताने में इतने सहज क्यों थे ?
- उषा जरवाल

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बुरे वक्त में कंधे पर रखा गया हाथ कामयाबी की तालियों से ज्यादा कीमती होता है ।
- उषा जरवाल