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"हर मत मानना ये मेरे दोस्त"
समझने के लिए इशारा काफी है
"हर कदम सोच-समझ कर रखना, सीढ़ी पर चढ़ते वक़्त नज़र ऊपर रखना। जल्दी चढ़ने की चाह में गिर भी सकते हो, धैर्य रखने वाले ही मंज़िल छू सकते हो।"
प्रकृति की prerada कविता शीतल छाँव तले विराजित है प्रकृति की आराधना, निरंतर प्रवाहित नदियाँ, जीवन की अमर कथा कहती। विपत्तियों की वेदना में छुपा है विजय का संदेश, पतझड़ के बाद पुष्पित होती नवीनतम ऋतु का प्रवेश। अविरल सागर की लहरें, अनन्त साहस की प्रतिमूर्ति, संकटों के मध्य भी न कभी शिथिल, न कभी विमूढ़। धरती का वह अधीर आलिंगन, सहनशीलता का परिचायक, कष्ट सहकर भी विपरीत वायु में नवजीवन का उपदेशक। “संघर्षरूपिणी वह नदियाँ, न हृदय में लय खोतीं, विपुल पथ पथिक बनी, सदैव अग्रेसर होतीं।” व्योम के गर्भ से उदित सुमुख सूर्य, तमसा विमोचन की ज्योतिर्मय प्रतिमूर्ति। जैसे अधीरतम अन्धकार भी अन्ततः पराजित, तथा नए स्फुरण की ओर ले जाए निर्मल पथिक। धैर्य और साहस की वह अनुपम अभिव्यक्ति, संघर्ष में निहित सजीव आशा की अनुभूति। “अस्थिरता से परे, अडिग दृढता का उद्घोष, सफलता के मंदिर की प्रथम शिला वहीरोष।” उदयमान काल की नीरव गाथा कहती, न ह्रास स्वीकार्य, न पतन निरर्थक। उत्साह में उर बंधित, आशा का द्योतक, स्वयं को समर्पित, लक्ष्य की ओर अग्रसर। “यथा इच्छासे पथः, तथा साधनं स्यात्, न त्यजेत दृढमनः, यः विजेता भवित।” सहस्रांधित प्रयासों के संग विहरति जीवन, प्रकृति की कठोर तपस्या से सृष्टि संजीवनी। जीवन की अमरता, सद्गुणों की सौगात, संकटों के बाद प्राप्त हो सच्ची विजय की बात। कैसी लगी।
🌌 "अंतराल के अनन्त स्वर" 🌌 मनःसागर की अथाह गहराइयों में, जहाँ विचारों के मोती अदृश्य धाराओं में तैरते हैं, वहाँ आकांक्षाओं की सुवर्णिम तरंगें निःशब्द लहराकर आत्मा के मर्मस्थल को स्पर्श करती हैं। संघर्षों के दुर्गम शिखरों पर, थकान के हिमकण भले ही हृदय को शीतल कर दें, परंतु साहस का सूर्य निरंतर प्रखर होकर स्वप्नों के मार्ग को आलोकित करता रहता है। विवेक और वासना के अनन्त द्वंद्व में, चेतना का रथ समय के अनवरत प्रवाह पर दौड़ता है, और प्रत्येक ठोकर को वह अनुभवों के पवित्र रत्नों में परिवर्तित करता चला जाता है। अश्रु-सिक्त स्मृतियों की संध्या में, जब निराशा के बादल अपने काले पराग बिखेरते हैं, तब भी अभिलाषा का चंद्र उदित होकर हृदयाकाश को चाँदी की आभा से भर देता है। जीवन के गुप्त प्रांगण में, सत्य और स्वप्न की संगति से रचित जो अमर राग बजता है, वह हमें स्मरण दिलाता है कि— अंधकार चाहे कितना भी विराट और भयावह क्यों न हो, प्रकाश की उत्पत्ति उसी की गर्भगृह में होती है।
1. अखंड शौर्य का तांडव था, प्रताप की तलवार, धरा गूंजे रणभूमि से, वीरता का आधार। स्वाभिमान की लौ को प्रज्वलित कर दे जो, महाराणा का नाम अमर इतिहास का द्वार। 2. पराजय से अज्ञात, असाधारण बलिदान का प्रतिरूप, मरणोपरांत भी जिंदा रहा, प्रताप का स्वरूप। बूढ़ी धरा का गर्व था, धूप छाँव का संग्राम, शौर्य के शिखर पर विराजे, रणजीत वीर महाराम। 3. हृदय में था तूफान, मन में अग्नि का संचार, आज़ादी के अमर सैनिक, रणभूमि के अचूक प्रहार। कुल-परिवार, सम्राज्य से बढ़कर था उसका आदर्श, प्रताप की वीरता की गाथा सदियों तक रहे विश्व। 4. वीरता की मूरत, साहस का सुमेरु पर्वत, महाराणा प्रताप ने दिया स्वतंत्रता का पर्वत। मोड़ दिया इतिहास का चक्र अपने पराक्रम से, उनकी कहानी गूँजती रहे अमर लोकगीतों में।
1. किताबें खोलो, बनाओ अपनी दुनिया, मेहनत से ही मिलेगी मंज़िल की पहचान। हर सवाल का जवाब है तेरे अंदर छुपा, बस खुद पर रखो विश्वास और कर दिखाना काम। 2. पढ़ाई नहीं है कोई बोझ भारी, ये तो है सफलता की सबसे बड़ी कड़ी। जो लगन से करे मेहनत रोज़ाना, मुकाम होगा उसका सबसे ऊँचा सवाना। 3. जो बीत गया उसे भूल जा यार, आज का दिन है तेरे सपनों का आधार। हर सवाल को बना अपना साथी, पढ़ाई से बढ़कर नहीं कोई बाती। 4. नींद से पहले किताबों का सहारा, सपनों को पंख देने का ये प्यारा नज़ारा। जो मेहनत करेगा कभी न रुकेगा, कामयाबी की सीढ़ी वो चढ़ेगा। 5. जो आज समय को है ना समझ पाया, कल वही पछताएगा बार-बार। पढ़ाई को बना अपनी पहली जंग, जीत का होगा तेरा सबसे बड़ा संग। 6. सपने देखना अच्छा है मगर, उन सपनों को सच करना जरूरी है। मेहनत की राह पर जब चलेगा इंसान, तब उसकी जीत होगी पूरी।
मज़ाक की पाठशाला ज़िंदगी का ये बड़ा ही मज़ेदार मेला, जहाँ हर कोई चलता जैसे कोई खेला। दोस्तों के साथ करते हैं हम मस्ती, ना हो दिल उदास, बस हो हँसी की पार्टी। “अरे तू तो चल रहा जैसे कछुआ ट्रैक्टर, इतनी धीमी चाल, कोई कर दे मैक्ट्र!” “यार तेरी स्माइल में है कुछ धमाल, जैसे GPS खो गया हो बेशुमार माल।” काम पे जाना? बस बहाना बड़ा है, सोने की कला में तू बड़ा है किंग। “ओए, उठ जा यार, तेरा तो बजट भी स्लो है, कपड़े वही पुराने, जैसे कोई शोज़ हो!” “मैं तो राजा हूँ सेल्फी का, स्टार हूं सोशल का, पर बैंक बैलेंस देख के होता हूं थोड़ा कमजोर।” “पर कौन कहता है कि मज़ाक में नहीं है दम? हँसी से बढ़कर नहीं कोई ज़िंदगी का संगम।” तो चलो छोड़ो सारी टेंशन, मज़ाक के साथ करें इन्फेक्शन। हर पल हो खुशियों से भरपूर, मज़ाकिया दिल, ज़िंदगी हो सुपरूर!
हिंदी शायरी: हौसला मत छोड़, रास्ते बनाते जा, मंजिल दूर है, पर तू थक मत जाना। कदम बढ़ा, राह खुद बनाते जाना, अंधेरों से डर मत, चिराग जलाते जाना। हर गिरावट से सीख ले, उठ खुद को संभाल, ज़मीन पे गिरना तो, आसमान को छूने का असल हल। सपने हैं तेरे बड़े, बस जूनून की चाबी, हर मुश्किल को पार कर, अपनी तक़दीर लिख। कभी सोच मत, क्यों मैं? बस कर, क्यों नहीं? सफलता उसी की दस्तक, जो खुद से लड़ता है सच्ची। मेहनत की महक से, तेरा आंगन खिल जाएगा, जितनी बार गिरेगा, उतनी बार नया जूनून जगाएगा। ज़िंदगी एक जंग है, जीत का जूनून ले साथ, हर सुबह नई उम्मीद, हर रात नई बात। जो कभी हार ना माने, वो बन जाता है सितारा, तेरा भी वक्त आएगा, बस बढ़ते रहना ये सहारा। कोशिश कर, हार मत मान, सपनों को तू गले लगा, मंज़िल मिलती है उन्हे, जो रातों को दिन समझ कर जागते रहा।
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