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नरोत्तमदास पाण्डेय ‘‘मधु’ और छायावाद By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

ऽ सम सामयिक परिवेश ऽ उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम दशकों और बीसवीं शताब्दी के प्रथमार्द्ध की परिस्थितियाँ भारतीय जिजीविषा का इतिहास हैं। राजनीतिक आकाश में राष्ट्रीयता की भावना के ऐसे...

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किस्सा लोकतंत्र: विभूतिनारायण राय By राज बोहरे

उपन्यास किस्सा लोकतंत्र: विभूतिनारायण राय लोकतंत्र का कच्चा चिट्ठा बताती एक उम्दा कहानी हिन्दी उपन्यास का वर्तमान काल उपन्या...

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पिताजी चुप रहते हैं: ज्ञानप्रकाश विवेक By राज बोहरे

कहानी संग्रह पिताजी चुप रहते हैं: ज्ञानप्रकाश विवेक कविता का मजा देती कहानियाँ कुछ आलोचक जो कविता और कहानी में गलत फहमिया पैदा करके दोनों की भाषा ,...

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गूंगे नहीं हैं शब्द हमारे-संपादन- सुभाष नीरव, डॉ. नीरज सुघांशु By राजीव तनेजा

पुरुषसत्तात्मक समाज होने के कारण आमतौर पर हमारे देश मे स्त्रियों की बात को..उनके विचारों..उनके जज़्बातों को..कभी अहमियत नहीं दी गयी। एक तरफ पुरुष को जहाँ स्वछंद प्रवृति का आज़ाद परिं...

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लोकाख्यान में जीवन की खोज: कही ईसुरी फाग By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

लोकाख्यान में जीवन की खोज: कही ईसुरी फाग इतिहास अथवा लोक प्रचलित आख्यान से किसी साहित्यिक कृति को यदि कथानक उपलब्ध हो जाने की सुविधा मिल जाती है तो वहाँ इ...

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अर्थतंत्र तथा अन्य कहानियां - रमेश उपाध्याय By राजनारायण बोहरे

अर्थतंत्र तथा अन्य कहानियां श्री रमेश उपाध्याय का कहानी संग्रह राजनारायण बोहरे श्री रमेश उपाध्याय का कहानी संग्रह “अर्थतंत्र तथा अन्य कहानियां “ उनका ग्यारहवां कहानी संग्रह हैं । व...

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सूर: वात्सल्य के विविध आयाम By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

सूर: वात्सल्य के विविध आयाम भक्ति की दार्शनिकता से पुष्ट और अलौकिक अनुग्रह की प्रार्थना के रूप में निर्वदित होते हुए भी सूर की कविता का परिवेश अधिक प्रत्यक्ष, लौकिक...

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सन्त कवियों की कविता में लोक एवं लोकोत्तर दर्शन By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

सन्त कवियों की कविता में लोक एवं लोकोत्तर दर्शन सन्त काव्य अथवा व्यापक भक्ति काव्य के सम्बन्ध में यह स्थापना आध्यात्मिक दर्शन के रूप में काफी समय तक सरलीकरण की तरह प्रचलित...

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छबीला रंगबाज़ का शहर By Amit Singh

"छबीला_रंगबाज़_का_शहर" : "जो है, वो नहीं है...और जो नहीं है, वही है।"*********************************छोटे शहर का एक बड़ा रंगबाज़ और हौव्वा है - छबीला सिंह। लेकिन असल में...

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क्रांति चेतना के कवि कबीर By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

क्रांति चेतना के कवि कबीर कबीर के अप्रतिम व्यक्तित्व और मूल्यप्रेरित काव्य का समग्र और सही विश्लेषण करने वाले विद्वान् हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लिखा है कि हिन्दी साहित्य क...

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शहरीकरण के धब्बे By Neelam Kulshreshtha

शहरीकरण के धब्बे मैं कहानी का बहुत अच्छा पाठक नहीं हूं।कारण ये है कि हिन्दी कहाँनियों में संवेदना का समावेश बहुत ज्यादा रहता है विषय भी अक्सर वही वही रहते हैं।आज के बदले हुए युग मे...

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लिखी हुई इबारतें By Vinay Panwar

मेरी नज़र से ज्योत्स्ना कपिल साहित्य के क्षेत्र में एक सुपरिचित नाम है। इनके कहानी संग्रह, लघुकथा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं साथ ही अनेकों संग्...

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जीवन में महाद्वीपीय विस्तार की कविता By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

जीवन में महाद्वीपीय विस्तार की कविता समकालीन, वर्तमान अथवा आज जैसे काल विभाजक शब्दों से समय की एक अवधि का बोध तो होता है पर ये शब्द समयके निश्चित...

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राजनारायण बोहरे के साहित्य में सामाजिक समरसता By padma sharma

शोध आलेख राजनारायण बोहरे के साहित्य में सामाजिक समरसता डॉ पद्मा शर्मा एको द...

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राजनारायण बोहरे और कहानी की दुनिया By padma sharma

राजनारायण बोहरे और कहानी की दुनिया -डॉ. पद्मा शर्मा हिन्दी कहानी के आठवें दशक में अनेक महत्वपूर्ण कहानी कार उभर के आये। यह ऐसा समय था जब कई पीड़ियाँ एक साथ साहित्य रच...

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धर्मपुर लॉज- प्रज्ञा रोहिणी By राजीव तनेजा

किसी बीत चुकी घटना पर जब तथ्यात्मक ढंग से कुछ लिखा जाता है तो उसके प्रभावी लेखन के लिए यह बेहद ज़रूरी हो जाता है कि पहले उस पर सही एवं संतुलित तरीके से प्रॉपर शोध किया जाए। दोस्तों....

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पदमा की कहानियां: महिला लेखन के नजरिए से By padma sharma

पदमा की कहानियां: महिला लेखन के नजरिए से राजनारायण बोहरे हिन्दी कहानी का यह सबसे अच्छा समय कहा जा सकता है जबकि किसी एक आन्दोलन के बगैर लगभग पांच सौ कहानीकार एक साथ अपने निहायत निजी...

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’’कठघरे’’ इतिहास का प्रतिफलन और जिजीविषा का संकट By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

’’कठघरे’’ इतिहास का प्रतिफलन और जिजीविषा का संकट ’’अगर आप इतिहास और भूख की सापेक्षता में आदमी की नैतिकता का विवेचन करें तो चौंकाने वाले नतीजों पर पहुँचेगे।- ’’कठघरे’’...

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बन्द दरवाज़ों का शहर - रश्मि रविजा By राजीव तनेजा

अंतर्जाल पर जब हिंदी में लिखना और पढ़ना संभव हुआ तो सबसे पहले लिखने की सुविधा हमें ब्लॉग के ज़रिए मिली। ब्लॉग के प्लेटफार्म पर ही मेरी और मुझ जैसे कइयों की लेखन यात्रा शुरू हुई। ब्लॉ...

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घर की देहरी लाँघती स्त्री कलम- समीक्षा By Archana Anupriya

"घर की देहरी लांघती स्त्री कलम" ( एक समीक्षा) - अर्चना अनुप्रिया नारीवादी साहित...

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पुस्तक समीक्षा-राजेन्द्र लहरिया By राज बोहरे

पुस्तक समीक्षा- आलाप-विलाप: समझदारी और गहराई भरा कथ्य राजनारायण बोहरे आलाप-विलाप उपन्यास राजेन्द्र लहरिया का आकार में एक लघु उपन्यास है ल...

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आस्था का ताप और अपने समय से संवाद By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

आस्था का ताप और अपने समय से संवाद ब्लैक आउट-वल्लभ सिद्धार्थ की कहानियाँ ‘‘महापुरूषों की वापसी’’, ’’नित्य प्रलय’’ ‘‘व्यवस्था’’ ’’ब्लैक आउट’’ जैसी चर्चित कहानियाँ और ‘कठ...

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अभ्युदय - 1 - नरेंद्र कोहली By राजीव तनेजा

मिथकीय चरित्रों की जब भी कभी बात आती है तो सनातन धर्म में आस्था रखने वालों के बीच भगवान श्री राम, पहली पंक्ति में प्रमुखता से खड़े दिखाई देते हैं। बदलते समय के साथ अनेक लेखकों ने इस...

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पुस्तक समीक्षा- आसाम की जनता का सच- लाल नदी By राज बोहरे

पुस्तक समीक्षा- आसाम की जनता का सच: लाल नदी समीक्षक- राजनारायण बोहरे हमारे देश का पूर्वी भाग सदा से अल्पज्ञात और उपेक्षित सा रहा है। उपेक्षित इस मायने में कि बाकी देश वासियों ने इस...

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भवानी प्रसाद मिश्र की काव्य संवेदना By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

भवानी प्रसाद मिश्र की काव्य संवेदना ये कोहरे मेरे हैं भवानी प्रसाद मिश्र ’’गीत फरोश’’ जैसी कालजयी कविता के रचयिता भवानीप्रसाद मिश्र की काव्य संवेदना जीवन के सरोकारों की दृष्...

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मुक्तिबोध और उनकी साहित्यिक सैद्धान्तिकी By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

मुक्तिबोध और उनकी साहित्यिक सैद्धान्तिकी ‘साहित्यिक की डायरी’ मुक्तिबोध मुक्तिबोध का रचना-व्यक्तित्त्व उनके जीवन की ही तरह विरल विशिष्टताओं से निर्मित ह...

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नरेश सक्सेना: समकालीन कवि By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

नरेश सक्सेना: पदार्थ ओर संवेदना के विरल संयोग के कवि विगत कुछ दशकों की हिन्दी कविता ने जीवन के महाद्वीपीय विस्तार की जैसी विविध यात्रा की है उससे उसकी रचनात्मक उत्सुकत...

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समीक्षा - वह जो नहीं कहा By Sneh Goswami

सीख नसीहत और प्रेरणा से भरपूर है – वह जो नहीं कहा लघुकथा संग्रह श्रीमती स्नेह गोस्वामी का लघुकथा संग्रह वह जो नहीं कहा अभी अभी 2018 में प्रकाशित हुआ है। सबसे बङी बात यह है कि य...

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समकालीन कहानी का यथार्थ By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

समकालीन कहानी का यथार्थ साहित्य के संदर्भ में अनेक अन्तों और संकट की चिन्ताजनक घोषणाओं के बाद भी आज रचना-परिमाण की विपुलता ही नहीं विशदता भी बढ़ी है। इतने अधिक के...

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चन्द्रकान्त देवताले का काव्यसंग्रह -लकड़बग्घा हँस रहा है By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

लकड़बग्घा हँस रहा है - समयगत सच्चाईयों का दस्तावेज- चन्द्रकान्त देवताले का तीसरा काव्यसंग्रह हड्डियों में छिपा ज्वर और दीवारों पर खून से के बाद च...

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पुस्तक समीक्षा - 12 By Yashvant Kothari

प्राइड एंड प्रिजुडिसयह उपन्यास १८१३ में लिखा गया जो सबसे पहले इंगलेंड में छपा jane Austen उस जमाने कीमशहूर लेखिका थीं उनके लिखे उपन्यास। आज भी क्लासिक माने जा ते हैंयह उपन्यास ऑस्ट...

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ग़लत पते की चिट्ठियाँ- योगिता यादव By राजीव तनेजा

आज के इस अंतर्जालीय युग में जब कोई चिट्ठी पत्री की बात करे तो सहज ही मन में उत्सुकता सी जाग उठती है कि आज के इस व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर के ज़माने लिखी गयी इन चिट्ठियों में आखिर...

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राज बोहरे की कहानी का गुलदस्ता: डॉ. पद्मा शर्मा By राज बोहरे

कहानी का गुलदस्ता: मेरी प्रिय कथाएं डॉ. पद्मा शर्मा मेरी प्रिय कथाएं लेखक राजनारायण बोहरे - पिछले दिनों प्रकाशित...

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मैत्रेयी पुष्पा का ‘‘चाक’’ उपन्यास By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

मूल्यांकनµ कृष्ण बिहारी पाण्डेय अधुनातन साहित्य के सूक्ष्मदर्शी आलोचक द्वारा मैत्रेयी पुष्पा के बहुचर्चित उपन्याय ‘‘चाक’’ का आकलन चाकः प्रजापतित्व का अभिनव पाठ यह रचनात्मकता...

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दुलदुल घोड़ी राजनारायण बोहरे By ramgopal bhavuk

दुलदुल घोड़ी एक पाठकीय प्रक्रिया राजनारायण बोहरे पुस्तक समीक्षा पुस्तक का नाम दुलदुल घोड़ी लेखक रामगोपाल भावुक प्रकाशक ममता प्रकाशन दिल्ली मूल्य ₹125 समीक्षक राजनारायण वोहरे...

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नरोत्तमदास पाण्डेय ’’मधु’’ बीसवीं शताब्दी के बुन्देलखण्ड के कवि By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

नरोत्तमदास पाण्डेय ’’मधु’’ बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में बुन्देलखण्ड के ऐसे कृती कवि हुए हैं जिन्होंने प्रभूत परिमाण में उत्कृष्ट काव्य-रचना की है किन्तु उनकी ओर हिन्दी जगत का...

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फुगाटी का जूता- मनीष वैद्य By राजीव तनेजा

जब कभी ज़माने की विद्रूपताएं एवं विसंगतियां हमारे मन मस्तिष्क को उद्वेलित कर उसमें अपना घर बनाने लगती हैं तो हताशा और अवसाद में जीते हुए हम में से बहुत से लोग अपने मन की भड़ास को कभी...

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उपन्यास-गूंगा गांव -राज वोहरे By ramgopal bhavuk

भारत के हरगांव की कथा है गूंगा गांव । पुस्तक समीक्षा पुस्तक का नाम उपन्यास गूंगा गांव लेखक रामगोपाल भावुक प्रकाशक मम...

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समीक्षा By Madhu Sosi

उपन्यास लिखना किसी भी प्रकार सरल हैं ,न सहज , मात्र कुछ पृष्ठों में किसी कहानी को बुनना , शब्दों में पिरोना , उसको आदि से अंत तक पाठक को बांधे रखना , लेखक की लेखन मंजा पर निर्भर...

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अमेरिका में 45 दिन - सोनरूपा विशाल By राजीव तनेजा

किसी भी देश, उसकी सभ्यता, उसके रहन सहन..वहाँ के जनजीवन के बारे में जब आप जानना चाहते हैं तो आपके सामने दो ऑप्शन होते हैं। पहला ऑप्शन यह कि आप खुद वहाँ जा कर रहें और अपनी आँखों से.....

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प्रेमचंद शैली में राज बोहरे - रूपेंद्र राज By राज बोहरे

गद्य साहित्य में कहानियों का इतिहास लगभग सौ वर्ष पुराना है.हिंदी साहित्य में जो स्थान मुंशी प्रेमचंद को मिला वहां तक का सफर अभी तक किसी कहानीकार द्वारा तय न...

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अक्कड़ बक्कड़- सुभाष चन्दर By राजीव तनेजा

आम तौर पर हमारे तथाकथित सभ्य समाज दो तरह की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। एक कामकाजी लोगों की और दूसरी निठल्लों की। हमारे यहाँ कामकाजी होने से ये तात्पर्य नहीं है कि...बंदा कोई ना कोई क...

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रत्नावली-रामगोपाल भावुक By ramgopal bhavuk

रत्नावली-रामगोपाल भावुक आदरणीय सडैया जी, सादर प्रणाम। आपके आदेशानुसार मैंने रत्नावली उपन्यास का अध्ययन किया । इसे मैने पूरी गंभीरता से पढा यद्वपि इस मेंरेप ास पढने क लिए चर्चीत पु...

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डॉर्क हॉर्स By Amit Singh

"नौजवानी के इंच-इंच जूझ की कहानी है डार्क हॉर्स"************************ पूर्वी उत्तर प्रदेश और लगभग पूरा बिहार का क्षेत्र अपनी विविध प्रकार की समस्याओं के कारण अक्सर स...

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अंधेरे कोने@फेसबुक डॉट कॉम By राजीव तनेजा

जिस तरह एक सामाजिक प्राणी होने के नाते हम लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए आपस में बातचीत का सहारा लेते हैं। उसी तरह अपनी भावनाओं को व्यक्त करने एवं उनका अधिक से अधिक लोगो त...

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पुस्तक समीक्षा- दमयन्ती: रामगोपाल भावुक By ramgopal bhavuk

पुस्तक समीक्षा- दमयन्ती: रामगोपाल भावुक पंचमहल इलाके की ग्रामीण नायिका दमयन्ती नामक उपन्यास आज हम सबके सामने है, जिससे एक बार तो हम सबको यह भ्रम पैदा होता ह...

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थोड़ा हँस ले यार- सुभाष चन्दर By राजीव तनेजा

आमतौर पर किसी व्यंग्य को पढ़ते वक्त हमारे ज़हन में उस व्यंग्य से जुड़े पात्रों को लेकर मन में कभी त्रासद परिस्थितियों की वजह से करुणा तो कभी क्षोभ वश कटुता उपजती है। ज़्यादा हुआ तो एक...

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खिड़कियों से झाँकती आँखें- सुधा ओम ढींगरा By राजीव तनेजा

आमतौर पर जब हम किसी फ़िल्म को देखते हैं तो पाते हैं कि उसमें कुछ सीन तो हर तरह से बढ़िया लिखे एवं शूट किए गए हैं लेकिन कुछ माल औसत या फिर उससे भी नीचे के दर्ज़े का निकल आया है। ऐसे ब...

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अंजू शर्मा का महत्वाकांक्षी कहानी संग्रह-पुस्तक समीक्षा By राज बोहरे

अंजू शर्मा का दूसरा कहानी संग्रह सुबह ऐसे आती है पुस्तक मेला 2020 में दिल्ली में विमोचन हुआ। भावना प्रकाशन से प्रकाशित इस कहानी संग्र...

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बहुत दूर गुलमोहर- शोभा रस्तोगी By राजीव तनेजा

जब कभी भी हम अपने समकालीन कथाकारों के बारे में सोचते हैं तो हमारे ज़हन में बिना किसी दुविधा के एक नाम शोभा रस्तोगी जी का भी आता है जो आज की तारीख में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। ल...

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नरोत्तमदास पाण्डेय ‘‘मधु’ और छायावाद By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

ऽ सम सामयिक परिवेश ऽ उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम दशकों और बीसवीं शताब्दी के प्रथमार्द्ध की परिस्थितियाँ भारतीय जिजीविषा का इतिहास हैं। राजनीतिक आकाश में राष्ट्रीयता की भावना के ऐसे...

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किस्सा लोकतंत्र: विभूतिनारायण राय By राज बोहरे

उपन्यास किस्सा लोकतंत्र: विभूतिनारायण राय लोकतंत्र का कच्चा चिट्ठा बताती एक उम्दा कहानी हिन्दी उपन्यास का वर्तमान काल उपन्या...

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पिताजी चुप रहते हैं: ज्ञानप्रकाश विवेक By राज बोहरे

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गूंगे नहीं हैं शब्द हमारे-संपादन- सुभाष नीरव, डॉ. नीरज सुघांशु By राजीव तनेजा

पुरुषसत्तात्मक समाज होने के कारण आमतौर पर हमारे देश मे स्त्रियों की बात को..उनके विचारों..उनके जज़्बातों को..कभी अहमियत नहीं दी गयी। एक तरफ पुरुष को जहाँ स्वछंद प्रवृति का आज़ाद परिं...

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लोकाख्यान में जीवन की खोज: कही ईसुरी फाग By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

लोकाख्यान में जीवन की खोज: कही ईसुरी फाग इतिहास अथवा लोक प्रचलित आख्यान से किसी साहित्यिक कृति को यदि कथानक उपलब्ध हो जाने की सुविधा मिल जाती है तो वहाँ इ...

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अर्थतंत्र तथा अन्य कहानियां - रमेश उपाध्याय By राजनारायण बोहरे

अर्थतंत्र तथा अन्य कहानियां श्री रमेश उपाध्याय का कहानी संग्रह राजनारायण बोहरे श्री रमेश उपाध्याय का कहानी संग्रह “अर्थतंत्र तथा अन्य कहानियां “ उनका ग्यारहवां कहानी संग्रह हैं । व...

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सूर: वात्सल्य के विविध आयाम By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

सूर: वात्सल्य के विविध आयाम भक्ति की दार्शनिकता से पुष्ट और अलौकिक अनुग्रह की प्रार्थना के रूप में निर्वदित होते हुए भी सूर की कविता का परिवेश अधिक प्रत्यक्ष, लौकिक...

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सन्त कवियों की कविता में लोक एवं लोकोत्तर दर्शन By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

सन्त कवियों की कविता में लोक एवं लोकोत्तर दर्शन सन्त काव्य अथवा व्यापक भक्ति काव्य के सम्बन्ध में यह स्थापना आध्यात्मिक दर्शन के रूप में काफी समय तक सरलीकरण की तरह प्रचलित...

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छबीला रंगबाज़ का शहर By Amit Singh

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क्रांति चेतना के कवि कबीर By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

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शहरीकरण के धब्बे By Neelam Kulshreshtha

शहरीकरण के धब्बे मैं कहानी का बहुत अच्छा पाठक नहीं हूं।कारण ये है कि हिन्दी कहाँनियों में संवेदना का समावेश बहुत ज्यादा रहता है विषय भी अक्सर वही वही रहते हैं।आज के बदले हुए युग मे...

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लिखी हुई इबारतें By Vinay Panwar

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जीवन में महाद्वीपीय विस्तार की कविता By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

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राजनारायण बोहरे के साहित्य में सामाजिक समरसता By padma sharma

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राजनारायण बोहरे और कहानी की दुनिया By padma sharma

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धर्मपुर लॉज- प्रज्ञा रोहिणी By राजीव तनेजा

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पदमा की कहानियां: महिला लेखन के नजरिए से By padma sharma

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’’कठघरे’’ इतिहास का प्रतिफलन और जिजीविषा का संकट By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

’’कठघरे’’ इतिहास का प्रतिफलन और जिजीविषा का संकट ’’अगर आप इतिहास और भूख की सापेक्षता में आदमी की नैतिकता का विवेचन करें तो चौंकाने वाले नतीजों पर पहुँचेगे।- ’’कठघरे’’...

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बन्द दरवाज़ों का शहर - रश्मि रविजा By राजीव तनेजा

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पुस्तक समीक्षा-राजेन्द्र लहरिया By राज बोहरे

पुस्तक समीक्षा- आलाप-विलाप: समझदारी और गहराई भरा कथ्य राजनारायण बोहरे आलाप-विलाप उपन्यास राजेन्द्र लहरिया का आकार में एक लघु उपन्यास है ल...

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आस्था का ताप और अपने समय से संवाद By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

आस्था का ताप और अपने समय से संवाद ब्लैक आउट-वल्लभ सिद्धार्थ की कहानियाँ ‘‘महापुरूषों की वापसी’’, ’’नित्य प्रलय’’ ‘‘व्यवस्था’’ ’’ब्लैक आउट’’ जैसी चर्चित कहानियाँ और ‘कठ...

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अभ्युदय - 1 - नरेंद्र कोहली By राजीव तनेजा

मिथकीय चरित्रों की जब भी कभी बात आती है तो सनातन धर्म में आस्था रखने वालों के बीच भगवान श्री राम, पहली पंक्ति में प्रमुखता से खड़े दिखाई देते हैं। बदलते समय के साथ अनेक लेखकों ने इस...

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पुस्तक समीक्षा- आसाम की जनता का सच- लाल नदी By राज बोहरे

पुस्तक समीक्षा- आसाम की जनता का सच: लाल नदी समीक्षक- राजनारायण बोहरे हमारे देश का पूर्वी भाग सदा से अल्पज्ञात और उपेक्षित सा रहा है। उपेक्षित इस मायने में कि बाकी देश वासियों ने इस...

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भवानी प्रसाद मिश्र की काव्य संवेदना By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

भवानी प्रसाद मिश्र की काव्य संवेदना ये कोहरे मेरे हैं भवानी प्रसाद मिश्र ’’गीत फरोश’’ जैसी कालजयी कविता के रचयिता भवानीप्रसाद मिश्र की काव्य संवेदना जीवन के सरोकारों की दृष्...

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मुक्तिबोध और उनकी साहित्यिक सैद्धान्तिकी By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

मुक्तिबोध और उनकी साहित्यिक सैद्धान्तिकी ‘साहित्यिक की डायरी’ मुक्तिबोध मुक्तिबोध का रचना-व्यक्तित्त्व उनके जीवन की ही तरह विरल विशिष्टताओं से निर्मित ह...

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नरेश सक्सेना: समकालीन कवि By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

नरेश सक्सेना: पदार्थ ओर संवेदना के विरल संयोग के कवि विगत कुछ दशकों की हिन्दी कविता ने जीवन के महाद्वीपीय विस्तार की जैसी विविध यात्रा की है उससे उसकी रचनात्मक उत्सुकत...

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समीक्षा - वह जो नहीं कहा By Sneh Goswami

सीख नसीहत और प्रेरणा से भरपूर है – वह जो नहीं कहा लघुकथा संग्रह श्रीमती स्नेह गोस्वामी का लघुकथा संग्रह वह जो नहीं कहा अभी अभी 2018 में प्रकाशित हुआ है। सबसे बङी बात यह है कि य...

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समकालीन कहानी का यथार्थ By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

समकालीन कहानी का यथार्थ साहित्य के संदर्भ में अनेक अन्तों और संकट की चिन्ताजनक घोषणाओं के बाद भी आज रचना-परिमाण की विपुलता ही नहीं विशदता भी बढ़ी है। इतने अधिक के...

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चन्द्रकान्त देवताले का काव्यसंग्रह -लकड़बग्घा हँस रहा है By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

लकड़बग्घा हँस रहा है - समयगत सच्चाईयों का दस्तावेज- चन्द्रकान्त देवताले का तीसरा काव्यसंग्रह हड्डियों में छिपा ज्वर और दीवारों पर खून से के बाद च...

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पुस्तक समीक्षा - 12 By Yashvant Kothari

प्राइड एंड प्रिजुडिसयह उपन्यास १८१३ में लिखा गया जो सबसे पहले इंगलेंड में छपा jane Austen उस जमाने कीमशहूर लेखिका थीं उनके लिखे उपन्यास। आज भी क्लासिक माने जा ते हैंयह उपन्यास ऑस्ट...

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ग़लत पते की चिट्ठियाँ- योगिता यादव By राजीव तनेजा

आज के इस अंतर्जालीय युग में जब कोई चिट्ठी पत्री की बात करे तो सहज ही मन में उत्सुकता सी जाग उठती है कि आज के इस व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर के ज़माने लिखी गयी इन चिट्ठियों में आखिर...

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राज बोहरे की कहानी का गुलदस्ता: डॉ. पद्मा शर्मा By राज बोहरे

कहानी का गुलदस्ता: मेरी प्रिय कथाएं डॉ. पद्मा शर्मा मेरी प्रिय कथाएं लेखक राजनारायण बोहरे - पिछले दिनों प्रकाशित...

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मैत्रेयी पुष्पा का ‘‘चाक’’ उपन्यास By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

मूल्यांकनµ कृष्ण बिहारी पाण्डेय अधुनातन साहित्य के सूक्ष्मदर्शी आलोचक द्वारा मैत्रेयी पुष्पा के बहुचर्चित उपन्याय ‘‘चाक’’ का आकलन चाकः प्रजापतित्व का अभिनव पाठ यह रचनात्मकता...

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दुलदुल घोड़ी राजनारायण बोहरे By ramgopal bhavuk

दुलदुल घोड़ी एक पाठकीय प्रक्रिया राजनारायण बोहरे पुस्तक समीक्षा पुस्तक का नाम दुलदुल घोड़ी लेखक रामगोपाल भावुक प्रकाशक ममता प्रकाशन दिल्ली मूल्य ₹125 समीक्षक राजनारायण वोहरे...

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नरोत्तमदास पाण्डेय ’’मधु’’ बीसवीं शताब्दी के बुन्देलखण्ड के कवि By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

नरोत्तमदास पाण्डेय ’’मधु’’ बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में बुन्देलखण्ड के ऐसे कृती कवि हुए हैं जिन्होंने प्रभूत परिमाण में उत्कृष्ट काव्य-रचना की है किन्तु उनकी ओर हिन्दी जगत का...

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फुगाटी का जूता- मनीष वैद्य By राजीव तनेजा

जब कभी ज़माने की विद्रूपताएं एवं विसंगतियां हमारे मन मस्तिष्क को उद्वेलित कर उसमें अपना घर बनाने लगती हैं तो हताशा और अवसाद में जीते हुए हम में से बहुत से लोग अपने मन की भड़ास को कभी...

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उपन्यास-गूंगा गांव -राज वोहरे By ramgopal bhavuk

भारत के हरगांव की कथा है गूंगा गांव । पुस्तक समीक्षा पुस्तक का नाम उपन्यास गूंगा गांव लेखक रामगोपाल भावुक प्रकाशक मम...

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समीक्षा By Madhu Sosi

उपन्यास लिखना किसी भी प्रकार सरल हैं ,न सहज , मात्र कुछ पृष्ठों में किसी कहानी को बुनना , शब्दों में पिरोना , उसको आदि से अंत तक पाठक को बांधे रखना , लेखक की लेखन मंजा पर निर्भर...

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अमेरिका में 45 दिन - सोनरूपा विशाल By राजीव तनेजा

किसी भी देश, उसकी सभ्यता, उसके रहन सहन..वहाँ के जनजीवन के बारे में जब आप जानना चाहते हैं तो आपके सामने दो ऑप्शन होते हैं। पहला ऑप्शन यह कि आप खुद वहाँ जा कर रहें और अपनी आँखों से.....

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प्रेमचंद शैली में राज बोहरे - रूपेंद्र राज By राज बोहरे

गद्य साहित्य में कहानियों का इतिहास लगभग सौ वर्ष पुराना है.हिंदी साहित्य में जो स्थान मुंशी प्रेमचंद को मिला वहां तक का सफर अभी तक किसी कहानीकार द्वारा तय न...

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अक्कड़ बक्कड़- सुभाष चन्दर By राजीव तनेजा

आम तौर पर हमारे तथाकथित सभ्य समाज दो तरह की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। एक कामकाजी लोगों की और दूसरी निठल्लों की। हमारे यहाँ कामकाजी होने से ये तात्पर्य नहीं है कि...बंदा कोई ना कोई क...

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रत्नावली-रामगोपाल भावुक By ramgopal bhavuk

रत्नावली-रामगोपाल भावुक आदरणीय सडैया जी, सादर प्रणाम। आपके आदेशानुसार मैंने रत्नावली उपन्यास का अध्ययन किया । इसे मैने पूरी गंभीरता से पढा यद्वपि इस मेंरेप ास पढने क लिए चर्चीत पु...

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डॉर्क हॉर्स By Amit Singh

"नौजवानी के इंच-इंच जूझ की कहानी है डार्क हॉर्स"************************ पूर्वी उत्तर प्रदेश और लगभग पूरा बिहार का क्षेत्र अपनी विविध प्रकार की समस्याओं के कारण अक्सर स...

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अंधेरे कोने@फेसबुक डॉट कॉम By राजीव तनेजा

जिस तरह एक सामाजिक प्राणी होने के नाते हम लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए आपस में बातचीत का सहारा लेते हैं। उसी तरह अपनी भावनाओं को व्यक्त करने एवं उनका अधिक से अधिक लोगो त...

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पुस्तक समीक्षा- दमयन्ती: रामगोपाल भावुक By ramgopal bhavuk

पुस्तक समीक्षा- दमयन्ती: रामगोपाल भावुक पंचमहल इलाके की ग्रामीण नायिका दमयन्ती नामक उपन्यास आज हम सबके सामने है, जिससे एक बार तो हम सबको यह भ्रम पैदा होता ह...

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थोड़ा हँस ले यार- सुभाष चन्दर By राजीव तनेजा

आमतौर पर किसी व्यंग्य को पढ़ते वक्त हमारे ज़हन में उस व्यंग्य से जुड़े पात्रों को लेकर मन में कभी त्रासद परिस्थितियों की वजह से करुणा तो कभी क्षोभ वश कटुता उपजती है। ज़्यादा हुआ तो एक...

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खिड़कियों से झाँकती आँखें- सुधा ओम ढींगरा By राजीव तनेजा

आमतौर पर जब हम किसी फ़िल्म को देखते हैं तो पाते हैं कि उसमें कुछ सीन तो हर तरह से बढ़िया लिखे एवं शूट किए गए हैं लेकिन कुछ माल औसत या फिर उससे भी नीचे के दर्ज़े का निकल आया है। ऐसे ब...

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अंजू शर्मा का महत्वाकांक्षी कहानी संग्रह-पुस्तक समीक्षा By राज बोहरे

अंजू शर्मा का दूसरा कहानी संग्रह सुबह ऐसे आती है पुस्तक मेला 2020 में दिल्ली में विमोचन हुआ। भावना प्रकाशन से प्रकाशित इस कहानी संग्र...

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बहुत दूर गुलमोहर- शोभा रस्तोगी By राजीव तनेजा

जब कभी भी हम अपने समकालीन कथाकारों के बारे में सोचते हैं तो हमारे ज़हन में बिना किसी दुविधा के एक नाम शोभा रस्तोगी जी का भी आता है जो आज की तारीख में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। ल...

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