hindi Best Human Science Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Human Science in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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नौकरानी की बेटी - 19 By RACHNA ROY

अब आनंदी को पोस्ट ग्रेजुएट के नतीजे का इंतजार था। और फिर एक दिन आनंदी का पोस्ट ग्रेजुएऐट का नतीजा निकला और आनंदी का फर्स्ट रेंक आया ही साथ ही गोल्ड मेडल भी मिल गया। आनंदी का सप...

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रामायण, अमृत-तत्व- व्यक्तित्व निर्माण में By Kamal Bhansali

कभी अगर हमसे कोई कहे, इंसानों में "राम" की तलाश है, तो एकाएक ऐसे महापुरुष की काल्पनिक छवि हमारे नयनों में तैरने लगती है, जो अलौकिकता से भरपूर होती है। जब भी हम "राम" शब्द का उच्चार...

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लोक और संस्कृति By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

'लोक' और 'संस्कृति' शब्द कोषतः चाहे.. कितना व्यापक अर्थ रखते हों, किंतु आज परस्पर सन्निधि में सामान्यतः आशय विशेष में रूढ़ है । लोक संस्कृति के स्वरूप को संकुचित परिधि से मुक्त क...

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दहशत में वर्तमान By Kamal Bhansali

विषय : दहशत में वर्तमान ( एक अनुसंधान युक्त विश्लेषण )Truth is forever" सत्य सदा रहता, वक्त बोल कर कह नहीं सकता, पर अहसास तो करा देता। सवाल ये नहीं कौन सहमत और कौन सहमत नही, कौन इस...

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महेश कुमार मिश्र मधुकर - प्राथमिक शिक्षण की बुंदेली-परिपाटी By राज बोहरे

महेश कुमार मिश्र मधुकर -पुस्तक-प्राथमिक शिक्षण की बुंदेली-परिपाटी पुस्तक समीक्षा समीक्षक- राजनारायण बोहरे पुस्तक-प्राथमिक शिक्षण की बुंदेली-परिपाटी लेखक-महेश कुमार मिश्र मधुकर प्...

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दैनिक दिनचर्या-समय का सही सम्मान By Kamal Bhansali

समय" शब्द कितना सीधा सादा, परन्तु कितना महत्वकांक्षी, अपने पल, पल की कीमत मांगता है। कहता ही रहता है, कि मेरा उपयोग करो, नहीं तो मैं वापस नहीं आने वाला। सच भी यही है, इसका सही उपयो...

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क्षमा वीरस्य भूषनम By Kamal Bhansali

क्षमा " एक आंतरिक मानसिक शक्ति उत्थानक शब्द है, इसका उपयोग सहज नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसके लिए आत्मा का शक्तिशाली होना जरुरी होता है। वैसे तो संसार का कोई भी देश इस शब्द से अपर...

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आशीर्वाद - जीवन अमृत By Kamal Bhansali

आशीर्वाद” एक ऐसा अमृतमय शब्द है, जिसकी चाहत हर कोई इंसान अपने जीवन की शुभता के लिए करता है। इस शब्द की सबसे प्रमुख विशेषता है, कि ये किसी भी मानवीय सीमा रेखा से बंधा नहीं रहता। इस...

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संस्कार, बिना आकार By Kamal Bhansali

संस्कार" शब्द की व्याख्या करने से पहले हमें जीवन की उस अनुभूति के बारे में हर दृष्टिकोण से थोड़ा चिंतन करना जरुरी हो सकता है , जिनमे मानवीय संवेदना अपना अस्तित्व तलाश करती है। आज की...

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सक्षम जीवन By Kamal Bhansali

शास्त्रों के अनूसार, जीवन सब जीवों को अवधि प्रदान ही मिलता है, इस अवधि के सफर में ही हर जीव शरीर, मन और आत्मा से अर्जित अपने कर्मों के फल से दुःख और सुख का अनुभव करता है। इंसान ही...

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स्वतन्त्र सक्सेना के विचार - 4 By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

लेख वैज्ञानिक चेतना , भविष्‍य केा जानने की चिन्‍ताएं डॉ स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना भविष्‍य के प्रति जिज्ञासा व चिन्‍ता...

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सिगरेट पी ओ होश से By Nikunj Kantariya

कोई आदमी सिगरेट पी रहा है।अक्सर आदमी अपनी आदत से सिगरेट पीता हे।आदत से मजबूर होता है।उसे पता ही नही चलता कब हाथ जेब में चला गया , कब जेब से बाहर आ गया , कब सिगरेट बाहर निकल गई, कब...

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संग विज्ञान का - रंग अध्यात्म का - 2 By Jitendra Patwari

ओरा, कुण्डलिनी, नाड़ी लेखांक १ में मेटाफिजिक्स और ोरा (Aura)के बारे में कुछ चर्चा हुई [ आगे बढ़ने से पहले इस लेखमाला में आगे क्या आने वाला है, इस के बारे में कुछ जानकारी लेते है...

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औरत-ऐ-औरत By Ramnarayan Sungariya

कहानी- औरत-ऐ-औरत --आर.एन. सुनगरया...

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बुंदेलखंड के लोक-जीवन में समय बोध By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

बुंदेलखंड के लोक में समय बोधमनुष्य ने काल के निरवधि विस्तार को अपने बोध की दृष्टि से खंडों में विभाजित कर लिया । आदिम मनुष्य ने भी प्रभात, दोपहर, शाम, रात जैसी परिवर्तित समय स्थिति...

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प्रेमचन्द का समाज By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

कृष्ण विहारी लाल पाण्डे लेख- प्रेमचन्द का समाजहिंदी कथा साहित्य के प्रतीक रचनाकार प्रेमचंद के अन्य प्रदेशों के साथ उनकी प्रासंगिकता का विशेष उल्लेख किया जाता है । प्रासंगिकता के 2...

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शिक्षण संस्थान क्यों आज़ाद हों By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

कृष्ण विहारी लाल पाण्डेय शिक्षण संस्थान क्यों आज़ाद हों कुछ बरस पहले हिंदी उच्चतम न्यायालय के एक फैसले की काफी चर्चा हुई थी । पी.ए. इनामदार बनाम महाराष्ट्र सरकार के प्रकरण में फैस...

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शिक्षा से कुछ शिक्षेत्तर सवाल By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

आज शिक्षा की निरर्थकता और व्यवसाय विहीन शिक्षा के बारे में उमड़ती शिकायतों से जाहिर है कि जिस तरह की आदर्श अपेक्षाएं शिक्षा से की जाती हैं उतनी अन्य किसी उपक्रम से नहीं । शिक्षा क्...

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सामाजिक बदलाव-खुली आँखों सूरज देखने का अनुभव By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

खुली आँखों सूरज देखने का अनुभव प्रायः अपने वर्तमान समय की अपेक्षा, गुजरा हुआ समय अधिक अच्छा अधिक सुखद लगता है । कुछ तो स्थितियों की भिन्नता के कारण और कुछ इसलिए कि वर्तमान की भीषनत...

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बाजार में गुम होती शिक्षा By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

आज शिक्षा की निरर्थकता और व्यवसाय विहीन शिक्षा के बारे में उमड़ती शिकायतों से जाहिर है कि जिस तरह की आदर्श अपेक्षाएं शिक्षा से की जाती हैं उतनी अन्य किसी उपक्रम से नहीं । शिक्षा क्...

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महाकवि निराला कोमल फूल पर तलवार का पानी By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

संस्मरण ० महाकवि निराला जयन्ती "कोमल फूल पर तलवार का पानी" (महादेवी वर्मा) के0बी0एल0 पाण्डेय वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मदन मोहन मालवीय हॉस्टल (हिन्दू हॉस्टल) में महाकवि निराला क...

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क्रेडिट कार्ड - डेविट कार्ड By ramgopal bhavuk

मैनें पाँचवी कक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण कर ली थी। कक्षा छह में नियमित पढ़ने जाने लगी। इन दिनों मुझे याद आ रही है जब मैं कक्षा तीन में पढ़ती थी, एक दिन पापा नया- नया मोबाइल खरीद क...

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बिटिया के नाम पाती... - 6 - एक पाती मेरी अभिलाषा के नाम By Dr. Vandana Gupta

मेरी प्यारी अभिलाषातुम मुझे बहुत अज़ीज़ हो, शायद खुद से भी ज्यादा... और इसीलिए तुम्हें अब तक दिल में महफूज़ रखा है। तुम्हें पाने की ज़िद में खुद को खो दिया है मैंने... और शायद इसीलिए उ...

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कालप्रियनाथ के मन्दिर के शिलालेखों का निहितार्थ By रामगोपाल तिवारी

कालप्रियनाथ के मन्दिर के शिलालेखों का निहितार्थ इतिहासकारों का कहना है कि यह नगरी ईसा की पहली शताब्दी से आठवीं शताब्दी तक फली-फूली है । (पद्मावती - डॉं0 मोहनलाल शर्मा ,...

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नई मज़िल By Chaitali Parekh

तुम अभी इस होद्दे के लिए तैयार नहीं हो !! अगर हम अपनी किताब की शुरुआत कुछ इस तरीकेसे करेंगे तो आपके मन पे पहले क्या विचार आयेगा? लेखक की कोई दुःख भरी कहानी होगी या लेखक ने अपने जी...

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मृत्युयात्रा - शमशान पथ By S Choudhary

हम सब एक यात्रा पर है।जन्म से मृत्यु तक कि यात्रा।जिस क्षण जन्म होता है उसी क्षण से यह यात्रा शुरू हो जाती है। जब तक व्यक्ति शमशान में जलकर खाक नही हो जाता है तब तक यह यात्रा चलती...

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इंसान और उसकी भावनाएं By Arjuna Bunty

इंसान और उसकी भावनाएं इंसान और उसकी भावनाएं इंसान अपनी भावनाओं को लिखकर बोलकर और इशारों से दूसरों के सामने प्रकट करता है मगर कभी-कभी इंसान की कुछ भावनाएं ऐसी होती है जिसको इंसान कि...

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आलेख - नेचर मांगे मोर स्पेस By S Sinha

इस आलेख में यह दिखाने का प्रयास किया गया कि दुनिया में बढ़ती जनसँख्या की मांग को पूरा करने के लिए हम किस तरह प्रकृति का दोहन कर रहे हैं ..........

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कंजी आंखें By Shubhra Varshney

कंजी आंखें "विभु तुमने स्कूल बैग लगा लिया? तुम्हें और तान्या को आज मैं ऑफिस जाते पर स्कूल छोड़ दूंगी।" टीवी कैबिनेट से पर्स उठाती गरिमा ने बेटे विभु को आवाज देते हुए कार की चाबी उठ...

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रस्साकशी By Alka Pramod

सुबह के नौ बज गए थे ,पर रामी का कहीं अता पता न था ‘आज लगता है फिर नही आएगी ’सोचते हुए मैं स्वयं ही बर्तन साफ करने की सोच रही थी कि क्रींच की तीखी घ्वनि के सा...

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नौकरानी की बेटी - 19 By RACHNA ROY

अब आनंदी को पोस्ट ग्रेजुएट के नतीजे का इंतजार था। और फिर एक दिन आनंदी का पोस्ट ग्रेजुएऐट का नतीजा निकला और आनंदी का फर्स्ट रेंक आया ही साथ ही गोल्ड मेडल भी मिल गया। आनंदी का सप...

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रामायण, अमृत-तत्व- व्यक्तित्व निर्माण में By Kamal Bhansali

कभी अगर हमसे कोई कहे, इंसानों में "राम" की तलाश है, तो एकाएक ऐसे महापुरुष की काल्पनिक छवि हमारे नयनों में तैरने लगती है, जो अलौकिकता से भरपूर होती है। जब भी हम "राम" शब्द का उच्चार...

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लोक और संस्कृति By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

'लोक' और 'संस्कृति' शब्द कोषतः चाहे.. कितना व्यापक अर्थ रखते हों, किंतु आज परस्पर सन्निधि में सामान्यतः आशय विशेष में रूढ़ है । लोक संस्कृति के स्वरूप को संकुचित परिधि से मुक्त क...

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दहशत में वर्तमान By Kamal Bhansali

विषय : दहशत में वर्तमान ( एक अनुसंधान युक्त विश्लेषण )Truth is forever" सत्य सदा रहता, वक्त बोल कर कह नहीं सकता, पर अहसास तो करा देता। सवाल ये नहीं कौन सहमत और कौन सहमत नही, कौन इस...

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महेश कुमार मिश्र मधुकर - प्राथमिक शिक्षण की बुंदेली-परिपाटी By राज बोहरे

महेश कुमार मिश्र मधुकर -पुस्तक-प्राथमिक शिक्षण की बुंदेली-परिपाटी पुस्तक समीक्षा समीक्षक- राजनारायण बोहरे पुस्तक-प्राथमिक शिक्षण की बुंदेली-परिपाटी लेखक-महेश कुमार मिश्र मधुकर प्...

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दैनिक दिनचर्या-समय का सही सम्मान By Kamal Bhansali

समय" शब्द कितना सीधा सादा, परन्तु कितना महत्वकांक्षी, अपने पल, पल की कीमत मांगता है। कहता ही रहता है, कि मेरा उपयोग करो, नहीं तो मैं वापस नहीं आने वाला। सच भी यही है, इसका सही उपयो...

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क्षमा वीरस्य भूषनम By Kamal Bhansali

क्षमा " एक आंतरिक मानसिक शक्ति उत्थानक शब्द है, इसका उपयोग सहज नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसके लिए आत्मा का शक्तिशाली होना जरुरी होता है। वैसे तो संसार का कोई भी देश इस शब्द से अपर...

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आशीर्वाद - जीवन अमृत By Kamal Bhansali

आशीर्वाद” एक ऐसा अमृतमय शब्द है, जिसकी चाहत हर कोई इंसान अपने जीवन की शुभता के लिए करता है। इस शब्द की सबसे प्रमुख विशेषता है, कि ये किसी भी मानवीय सीमा रेखा से बंधा नहीं रहता। इस...

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संस्कार, बिना आकार By Kamal Bhansali

संस्कार" शब्द की व्याख्या करने से पहले हमें जीवन की उस अनुभूति के बारे में हर दृष्टिकोण से थोड़ा चिंतन करना जरुरी हो सकता है , जिनमे मानवीय संवेदना अपना अस्तित्व तलाश करती है। आज की...

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सक्षम जीवन By Kamal Bhansali

शास्त्रों के अनूसार, जीवन सब जीवों को अवधि प्रदान ही मिलता है, इस अवधि के सफर में ही हर जीव शरीर, मन और आत्मा से अर्जित अपने कर्मों के फल से दुःख और सुख का अनुभव करता है। इंसान ही...

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स्वतन्त्र सक्सेना के विचार - 4 By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

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कोई आदमी सिगरेट पी रहा है।अक्सर आदमी अपनी आदत से सिगरेट पीता हे।आदत से मजबूर होता है।उसे पता ही नही चलता कब हाथ जेब में चला गया , कब जेब से बाहर आ गया , कब सिगरेट बाहर निकल गई, कब...

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संग विज्ञान का - रंग अध्यात्म का - 2 By Jitendra Patwari

ओरा, कुण्डलिनी, नाड़ी लेखांक १ में मेटाफिजिक्स और ोरा (Aura)के बारे में कुछ चर्चा हुई [ आगे बढ़ने से पहले इस लेखमाला में आगे क्या आने वाला है, इस के बारे में कुछ जानकारी लेते है...

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बुंदेलखंड के लोक-जीवन में समय बोध By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

बुंदेलखंड के लोक में समय बोधमनुष्य ने काल के निरवधि विस्तार को अपने बोध की दृष्टि से खंडों में विभाजित कर लिया । आदिम मनुष्य ने भी प्रभात, दोपहर, शाम, रात जैसी परिवर्तित समय स्थिति...

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प्रेमचन्द का समाज By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

कृष्ण विहारी लाल पाण्डे लेख- प्रेमचन्द का समाजहिंदी कथा साहित्य के प्रतीक रचनाकार प्रेमचंद के अन्य प्रदेशों के साथ उनकी प्रासंगिकता का विशेष उल्लेख किया जाता है । प्रासंगिकता के 2...

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शिक्षा से कुछ शिक्षेत्तर सवाल By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

आज शिक्षा की निरर्थकता और व्यवसाय विहीन शिक्षा के बारे में उमड़ती शिकायतों से जाहिर है कि जिस तरह की आदर्श अपेक्षाएं शिक्षा से की जाती हैं उतनी अन्य किसी उपक्रम से नहीं । शिक्षा क्...

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सामाजिक बदलाव-खुली आँखों सूरज देखने का अनुभव By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

खुली आँखों सूरज देखने का अनुभव प्रायः अपने वर्तमान समय की अपेक्षा, गुजरा हुआ समय अधिक अच्छा अधिक सुखद लगता है । कुछ तो स्थितियों की भिन्नता के कारण और कुछ इसलिए कि वर्तमान की भीषनत...

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बाजार में गुम होती शिक्षा By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

आज शिक्षा की निरर्थकता और व्यवसाय विहीन शिक्षा के बारे में उमड़ती शिकायतों से जाहिर है कि जिस तरह की आदर्श अपेक्षाएं शिक्षा से की जाती हैं उतनी अन्य किसी उपक्रम से नहीं । शिक्षा क्...

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महाकवि निराला कोमल फूल पर तलवार का पानी By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

संस्मरण ० महाकवि निराला जयन्ती "कोमल फूल पर तलवार का पानी" (महादेवी वर्मा) के0बी0एल0 पाण्डेय वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मदन मोहन मालवीय हॉस्टल (हिन्दू हॉस्टल) में महाकवि निराला क...

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क्रेडिट कार्ड - डेविट कार्ड By ramgopal bhavuk

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बिटिया के नाम पाती... - 6 - एक पाती मेरी अभिलाषा के नाम By Dr. Vandana Gupta

मेरी प्यारी अभिलाषातुम मुझे बहुत अज़ीज़ हो, शायद खुद से भी ज्यादा... और इसीलिए तुम्हें अब तक दिल में महफूज़ रखा है। तुम्हें पाने की ज़िद में खुद को खो दिया है मैंने... और शायद इसीलिए उ...

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कालप्रियनाथ के मन्दिर के शिलालेखों का निहितार्थ By रामगोपाल तिवारी

कालप्रियनाथ के मन्दिर के शिलालेखों का निहितार्थ इतिहासकारों का कहना है कि यह नगरी ईसा की पहली शताब्दी से आठवीं शताब्दी तक फली-फूली है । (पद्मावती - डॉं0 मोहनलाल शर्मा ,...

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मृत्युयात्रा - शमशान पथ By S Choudhary

हम सब एक यात्रा पर है।जन्म से मृत्यु तक कि यात्रा।जिस क्षण जन्म होता है उसी क्षण से यह यात्रा शुरू हो जाती है। जब तक व्यक्ति शमशान में जलकर खाक नही हो जाता है तब तक यह यात्रा चलती...

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इंसान और उसकी भावनाएं By Arjuna Bunty

इंसान और उसकी भावनाएं इंसान और उसकी भावनाएं इंसान अपनी भावनाओं को लिखकर बोलकर और इशारों से दूसरों के सामने प्रकट करता है मगर कभी-कभी इंसान की कुछ भावनाएं ऐसी होती है जिसको इंसान कि...

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कंजी आंखें By Shubhra Varshney

कंजी आंखें "विभु तुमने स्कूल बैग लगा लिया? तुम्हें और तान्या को आज मैं ऑफिस जाते पर स्कूल छोड़ दूंगी।" टीवी कैबिनेट से पर्स उठाती गरिमा ने बेटे विभु को आवाज देते हुए कार की चाबी उठ...

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रस्साकशी By Alka Pramod

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