hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • दोनों आधे-अधूरे

    हमेशा की तरह मैं खड़की में बैठा दूर आसमान से उभरते चाँद को देख रहा था। चाँद आधा-स...

  • आंसु पश्चाताप के - भाग 14

    कार्यक्रम खत्म होने के बाद प्रकाश अपने घर वापस आया , वह काफी थकान महसूस कर रहा थ...

  • इज्जत का बंटवारा

    "मेहनत करके पैसा कमाते हो।सारी कमाई बड़े भाई के हवाले कर देते हो।जरूरत पड़ने पर भा...

दोनों आधे-अधूरे By Yogesh Kanava

हमेशा की तरह मैं खड़की में बैठा दूर आसमान से उभरते चाँद को देख रहा था। चाँद आधा-सा, अधूरा-सा, फिर अपने ग़म की परछाई को छुपाता-सा। शायद उसे भी यह मालूम था कि मैं रोज़ाना की तरह ही उसका...

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युगांतर - भाग 15 By Dr. Dilbag Singh Virk

शांति आज हार न मानने की ठान कर आई थी, इसलिए उसने नया तर्क दिया, "एक गलती को छुपाने के लिए दूसरी गलती करना तो उचित नहीं।" उधर यादवेन्द्र भी आसानी से मानने वाला कहाँ था। वह उसके तर्क...

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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय By Guri baba

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देश का एक बड़ा विश्वविद्यालय है। पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल चंद्रेश्वर प्रसाद नारायण सिंह ने भारतीय संस्कृति और परंपरा को पोषित करने के लिए 11 जनवरी 1957...

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आंसु पश्चाताप के - भाग 14 By Deepak Singh

कार्यक्रम खत्म होने के बाद प्रकाश अपने घर वापस आया , वह काफी थकान महसूस कर रहा था , वह कपड़े चेंज करने के बाद सो गया , कुछ समय बाद वह सवप्न के संसार में खो गया उसे स्वप्न में राहुल...

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बेड नम्बर ग्यारह By Yogesh Kanava

आज फिर से दोनों माँ बेटियों में तकरार को रही थी, सुबह से ही बेटी ने माँ से कहा था कि नाश्ता कर लो लेकिन मां ने कहा था नहीं बेटा आज तो करवा चौथ है। चाॅंद देखकर ही कुछ खाऊंगी, इस इसी...

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इज्जत का बंटवारा By Kishanlal Sharma

"मेहनत करके पैसा कमाते हो।सारी कमाई बड़े भाई के हवाले कर देते हो।जरूरत पड़ने पर भाई के आगे भिखारी की तरह हाथ पसारना पड़ता है।इससे बढ़िया अलग क्यो नही हो जाते?"मोहन की बात का समर्थन रमे...

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हादसा - भाग 3 By Ratna Pandey

प्रकाश की बात मानकर ना चाहते हुए भी पूनम अनमने मन से प्रकाश का हाथ पकड़कर नाव पर चढ़ने लगी। चढ़ते-चढ़ते वह सोच रही थी कि प्रकाश ठीक ही तो कह रहा है, इन लोगों का तो रोज का यही काम है।...

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नैनावती By Aman Kumar

अमन कुमार एक दिन मैं कनाॅट प्लेस के मंडी हाऊस बस स्टैंड पर खड़ा था। मुझे लक्ष्मीनगर जाना था मगर एक भी बस ऐसी नहीं आ रही थी जिसमें किसी और सवारी के चढ़ने की गुंजाइश हो मगर फिर भी सवार...

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भगवान की लाठी By Aman Kumar

अमन कुमार एक मौहल्ले में दो महिलाएं रहती थीं। एक का नाम था सावित्री और दूसरी का नाम था कांति। दोनों का स्वभाव एक दूसरे के विपरीत था। सावित्री सीधी-सच्ची एवं सि(ांतवादी महिला थी जबक...

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तीन बीघा जमीन By Vishram Goswami

तीन बीघा जमीन सायं ढलने लगी थी, खेतीहर किसान अपने खेतों से लौटने लगे थे, चरवाहे भेड़ - बकरियों, गाय- भैंसों के झुंड लिए जंगल से वापसी कर रहे थे, कच्चे दगडों में उनके खुरों से बालू...

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जियले के नाव घुरहू By नंदलाल मणि त्रिपाठी

कहां जा रहे हो आशीष मुसई बोले आशीष कुछ तुनक कर बोला काहे पूछते हो जब तुम्हरे मान का कछु नही है ।मुसई बोले बेटा हमरे पास कछु हो चाहे ना हो पर है तो तुम्हरे बाप ही जैसे है वैसे ही अप...

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तुलसी तेरे आंगन की By Vishram Goswami

तुलसी तेरे आंगन की शादी के लाल सुर्ख जोड़े़े में लिपटी , कुछ गहनों से लदी, मेमना सी पलंग पर बैठी तुलसी सुहागरात के दिन आने वाले समय की कल्पना कर कभी सिहर जाती थी , कभी डर जाती थी ,...

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समर्पण By Aman Kumar

अमन कुमार अरुण, सुनील का पुराना मित्र था। जब सुनील विदेश में डाॅक्टरी की पढ़ाई पूरी कर वापिस आया तब उसने अरुण को बुलाने के लिए अपना नौकर भेजा। -‘साहब! आप को सुनील सर ने बुलाया है।’...

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सफ़र By Vishram Goswami

सफरसेठ रामहरिदास शहर के बड़े से अपोलो हॉस्पिटल के एक कक्ष मे बेड़ पर लेटे हुये शीशे की खिड़की से बाहर आकाश की ओर निहार रहे थे। भगवान भास्कर के लालिमा युक्त सुनहरी किरणों रूपी हाथ मानो...

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दादा-पोता By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी  नेकीराम की जवानी की तरह दिन भी ढल चुका था। ठिठुरती सर्दियों की कृष्णपक्षीय रात सर्र-सर्र चलती हवा की वजह से और भी भयावह हो जाने वाली थी। दिन भर पाला गिरा था। यह त...

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कुलक्षणी By Chaya Agarwal

कुलक्षणीनौबत ने आखरी जूता लोहे की रांपी पर चढ़ाया और तरकीब से फटे हुये हिस्से को सुई से सीने लगा। उसके अनुभवी हाथों से जूता निबट कर अपने मालिक की राह देख ही रहा था कि शाम का छुटपुटा...

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इस छत के नीचे By Sharovan

इस छत के नीचे कहानी / शरोवन *** ‘‘चोरी चाहे एक पैसे की हो और चाहे एक लाख की। चोरी, चोरी होती है। यह एक पाप है। मैं यह नहीं कहता हूं कि सब दूध के धुले हुये हैं, लेकिन जब यही सब करना...

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दो बहनें By Aman Kumar

दो बहनें थीं। बड़ी का नाम था सरिता और छोटी का नाम चंचल। यथा नाम तथा गुण। बड़ी बहन जितनी समझदार और सौम्य थी, छोटी बहन उतनी ही ज़िद्दी और शैतान थी। सरिता घर के सभी कामों में माँ का हाथ...

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अपराधी By Vishram Goswami

पॉच बत्ती वाला चौराहा शहर मे पहचान, पता-ठिकाने और आवागमन का बहुचर्चित स्थान है। यह शायद शहर का सबसे व्यस्ततम स्थान हैं जहां अनवरत लोगो का तांता लगा रहता हैं, लाल बत्ती होती हैं तो...

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यादव वंश By Guri baba

यदुवंशियो की उत्पत्ति पौराणिक राजा यदु से मानी जाती है। वे टॉड की 36 राजवंशो की सूची में भी शामिल हैं। विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों और पुराने लेखों से संकेत मिलता है कि भारत में उनकी...

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ढ़लती शाम By कुमार किशन कीर्ति

भीखू ठेले पर चूड़ियां और अन्य सिंगार के सामान भेजता था।घर पर पत्नी और बूढ़े माँ-बाप थे।शादी को चार साल हो गए थे,मगर घर में बच्चों की किलकारी नहीं गूंजी थी।कई जगह मिन्नतें भीखू और उसक...

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सफर से पहले ही - अंतिम भाग By Kishanlal Sharma

फिर एक दिन उसके कानों में भनक पड़ी की उसे वर्धआश्रम भेजने की तैयारी हो रही है।यह जानकर उसके कलेजे के टुकड़े हो गए।मा बाप बेटे के पैदा होने की चाहत इसलिए रखते है कि बेटा बुढ़ापे में उन...

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रिहाई कि इमरती By नंदलाल मणि त्रिपाठी

रिहाई कि इमरती -स्वतंत्रता किसी भी प्राणि का जन्म सिद्ध अधिकार है जिसे कभी छीना नहीं जा सकता हां कभी कभी प्राणि विशेष कर मनुष्य अपने अहंकार शक्ति दंभ के उत्कर्ष में एक दूसरे को परत...

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ख़ैरात By प्रवीण कुमार शर्मा

"ख़ैरात" दीनू से उसकी मां ने पूछा डीलर के पास मिलने गया था; वहाँ कुछ मिला कि नहीं ? "नहीं मिला माँ ",दीनू ने सिर ना में हिला दिया और उदास होकर बैठ गया. "क्या कहा उसने"? माँ ने पूछा....

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लड़के भी रोते हैं - पार्ट 2 By Saurabh kumar Thakur

अट्ठारह साल की उम्र हुए आज 17 दिन होने वाले थे उसे । उसे अपनी जिंदगी की जिम्मेदारियों का एहसास होने लगा था, शायद उसे पता चल रहा था कि अब अपना जिंदगी जीने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा...

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एक नया रास्ता - 6 By Kishanlal Sharma

और जब राजन ऑफिस पर चला गया तब सुनीता ने कल्पना को अपने पास बुलाया।"कल्पना मैं तुम्हे अपनी बहन बनाना चाहती हूँ।""आप भी क्या दीदी,"कल्पना,सुनीता की बात सुनकर बोली,"मैं आपकी बहन ही तो...

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दूसरी वसीयत By Sharovan

दूसरी वसीयत कहानी/शरोवन *** ‘जगतभाई ने बहुत कुछ खोया, बहुत कुछ पाया भी। इस दुनियां के हरेक रंग देखे। अपनों और परायों की परिभाषा को बार-बार पढ़ा और याद भी किया, लेकिन वे कभी इस बात...

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एक बार फिर से उजड़ गया मेरा घर By Vikas Kumar

आज चुनमुन चिड़िया बहुत खुश थी. उसने आज ही अपने छोटे-छोटे पंखों से उड़ना सीखा था. वो आस-पास के घरों के ऊपर से उड़कर इंसानों और उसके रंग-बिरंगे घरों को देख रही थी. कोई लाल रंग का, तो...

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मीत मेरे By Kishanlal Sharma

कालेज के गेट के बाहर आकर उसने जेब मे हाथ डाला।जेब खाली थी।वह जल्दी जल्दी में फोटो लाना ही भूल गया था।वैसे चलने से पहले उसने फोटो देख लिया था।कालेज की छुट्टी हो गयी थी।लड़कियां कालेज...

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दोनों आधे-अधूरे By Yogesh Kanava

हमेशा की तरह मैं खड़की में बैठा दूर आसमान से उभरते चाँद को देख रहा था। चाँद आधा-सा, अधूरा-सा, फिर अपने ग़म की परछाई को छुपाता-सा। शायद उसे भी यह मालूम था कि मैं रोज़ाना की तरह ही उसका...

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युगांतर - भाग 15 By Dr. Dilbag Singh Virk

शांति आज हार न मानने की ठान कर आई थी, इसलिए उसने नया तर्क दिया, "एक गलती को छुपाने के लिए दूसरी गलती करना तो उचित नहीं।" उधर यादवेन्द्र भी आसानी से मानने वाला कहाँ था। वह उसके तर्क...

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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय By Guri baba

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देश का एक बड़ा विश्वविद्यालय है। पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल चंद्रेश्वर प्रसाद नारायण सिंह ने भारतीय संस्कृति और परंपरा को पोषित करने के लिए 11 जनवरी 1957...

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आंसु पश्चाताप के - भाग 14 By Deepak Singh

कार्यक्रम खत्म होने के बाद प्रकाश अपने घर वापस आया , वह काफी थकान महसूस कर रहा था , वह कपड़े चेंज करने के बाद सो गया , कुछ समय बाद वह सवप्न के संसार में खो गया उसे स्वप्न में राहुल...

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बेड नम्बर ग्यारह By Yogesh Kanava

आज फिर से दोनों माँ बेटियों में तकरार को रही थी, सुबह से ही बेटी ने माँ से कहा था कि नाश्ता कर लो लेकिन मां ने कहा था नहीं बेटा आज तो करवा चौथ है। चाॅंद देखकर ही कुछ खाऊंगी, इस इसी...

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इज्जत का बंटवारा By Kishanlal Sharma

"मेहनत करके पैसा कमाते हो।सारी कमाई बड़े भाई के हवाले कर देते हो।जरूरत पड़ने पर भाई के आगे भिखारी की तरह हाथ पसारना पड़ता है।इससे बढ़िया अलग क्यो नही हो जाते?"मोहन की बात का समर्थन रमे...

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हादसा - भाग 3 By Ratna Pandey

प्रकाश की बात मानकर ना चाहते हुए भी पूनम अनमने मन से प्रकाश का हाथ पकड़कर नाव पर चढ़ने लगी। चढ़ते-चढ़ते वह सोच रही थी कि प्रकाश ठीक ही तो कह रहा है, इन लोगों का तो रोज का यही काम है।...

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नैनावती By Aman Kumar

अमन कुमार एक दिन मैं कनाॅट प्लेस के मंडी हाऊस बस स्टैंड पर खड़ा था। मुझे लक्ष्मीनगर जाना था मगर एक भी बस ऐसी नहीं आ रही थी जिसमें किसी और सवारी के चढ़ने की गुंजाइश हो मगर फिर भी सवार...

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भगवान की लाठी By Aman Kumar

अमन कुमार एक मौहल्ले में दो महिलाएं रहती थीं। एक का नाम था सावित्री और दूसरी का नाम था कांति। दोनों का स्वभाव एक दूसरे के विपरीत था। सावित्री सीधी-सच्ची एवं सि(ांतवादी महिला थी जबक...

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तीन बीघा जमीन By Vishram Goswami

तीन बीघा जमीन सायं ढलने लगी थी, खेतीहर किसान अपने खेतों से लौटने लगे थे, चरवाहे भेड़ - बकरियों, गाय- भैंसों के झुंड लिए जंगल से वापसी कर रहे थे, कच्चे दगडों में उनके खुरों से बालू...

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जियले के नाव घुरहू By नंदलाल मणि त्रिपाठी

कहां जा रहे हो आशीष मुसई बोले आशीष कुछ तुनक कर बोला काहे पूछते हो जब तुम्हरे मान का कछु नही है ।मुसई बोले बेटा हमरे पास कछु हो चाहे ना हो पर है तो तुम्हरे बाप ही जैसे है वैसे ही अप...

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तुलसी तेरे आंगन की By Vishram Goswami

तुलसी तेरे आंगन की शादी के लाल सुर्ख जोड़े़े में लिपटी , कुछ गहनों से लदी, मेमना सी पलंग पर बैठी तुलसी सुहागरात के दिन आने वाले समय की कल्पना कर कभी सिहर जाती थी , कभी डर जाती थी ,...

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समर्पण By Aman Kumar

अमन कुमार अरुण, सुनील का पुराना मित्र था। जब सुनील विदेश में डाॅक्टरी की पढ़ाई पूरी कर वापिस आया तब उसने अरुण को बुलाने के लिए अपना नौकर भेजा। -‘साहब! आप को सुनील सर ने बुलाया है।’...

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सफ़र By Vishram Goswami

सफरसेठ रामहरिदास शहर के बड़े से अपोलो हॉस्पिटल के एक कक्ष मे बेड़ पर लेटे हुये शीशे की खिड़की से बाहर आकाश की ओर निहार रहे थे। भगवान भास्कर के लालिमा युक्त सुनहरी किरणों रूपी हाथ मानो...

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दादा-पोता By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी  नेकीराम की जवानी की तरह दिन भी ढल चुका था। ठिठुरती सर्दियों की कृष्णपक्षीय रात सर्र-सर्र चलती हवा की वजह से और भी भयावह हो जाने वाली थी। दिन भर पाला गिरा था। यह त...

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कुलक्षणी By Chaya Agarwal

कुलक्षणीनौबत ने आखरी जूता लोहे की रांपी पर चढ़ाया और तरकीब से फटे हुये हिस्से को सुई से सीने लगा। उसके अनुभवी हाथों से जूता निबट कर अपने मालिक की राह देख ही रहा था कि शाम का छुटपुटा...

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इस छत के नीचे By Sharovan

इस छत के नीचे कहानी / शरोवन *** ‘‘चोरी चाहे एक पैसे की हो और चाहे एक लाख की। चोरी, चोरी होती है। यह एक पाप है। मैं यह नहीं कहता हूं कि सब दूध के धुले हुये हैं, लेकिन जब यही सब करना...

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दो बहनें By Aman Kumar

दो बहनें थीं। बड़ी का नाम था सरिता और छोटी का नाम चंचल। यथा नाम तथा गुण। बड़ी बहन जितनी समझदार और सौम्य थी, छोटी बहन उतनी ही ज़िद्दी और शैतान थी। सरिता घर के सभी कामों में माँ का हाथ...

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अपराधी By Vishram Goswami

पॉच बत्ती वाला चौराहा शहर मे पहचान, पता-ठिकाने और आवागमन का बहुचर्चित स्थान है। यह शायद शहर का सबसे व्यस्ततम स्थान हैं जहां अनवरत लोगो का तांता लगा रहता हैं, लाल बत्ती होती हैं तो...

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यादव वंश By Guri baba

यदुवंशियो की उत्पत्ति पौराणिक राजा यदु से मानी जाती है। वे टॉड की 36 राजवंशो की सूची में भी शामिल हैं। विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों और पुराने लेखों से संकेत मिलता है कि भारत में उनकी...

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ढ़लती शाम By कुमार किशन कीर्ति

भीखू ठेले पर चूड़ियां और अन्य सिंगार के सामान भेजता था।घर पर पत्नी और बूढ़े माँ-बाप थे।शादी को चार साल हो गए थे,मगर घर में बच्चों की किलकारी नहीं गूंजी थी।कई जगह मिन्नतें भीखू और उसक...

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सफर से पहले ही - अंतिम भाग By Kishanlal Sharma

फिर एक दिन उसके कानों में भनक पड़ी की उसे वर्धआश्रम भेजने की तैयारी हो रही है।यह जानकर उसके कलेजे के टुकड़े हो गए।मा बाप बेटे के पैदा होने की चाहत इसलिए रखते है कि बेटा बुढ़ापे में उन...

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रिहाई कि इमरती By नंदलाल मणि त्रिपाठी

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ख़ैरात By प्रवीण कुमार शर्मा

"ख़ैरात" दीनू से उसकी मां ने पूछा डीलर के पास मिलने गया था; वहाँ कुछ मिला कि नहीं ? "नहीं मिला माँ ",दीनू ने सिर ना में हिला दिया और उदास होकर बैठ गया. "क्या कहा उसने"? माँ ने पूछा....

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लड़के भी रोते हैं - पार्ट 2 By Saurabh kumar Thakur

अट्ठारह साल की उम्र हुए आज 17 दिन होने वाले थे उसे । उसे अपनी जिंदगी की जिम्मेदारियों का एहसास होने लगा था, शायद उसे पता चल रहा था कि अब अपना जिंदगी जीने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा...

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एक नया रास्ता - 6 By Kishanlal Sharma

और जब राजन ऑफिस पर चला गया तब सुनीता ने कल्पना को अपने पास बुलाया।"कल्पना मैं तुम्हे अपनी बहन बनाना चाहती हूँ।""आप भी क्या दीदी,"कल्पना,सुनीता की बात सुनकर बोली,"मैं आपकी बहन ही तो...

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दूसरी वसीयत By Sharovan

दूसरी वसीयत कहानी/शरोवन *** ‘जगतभाई ने बहुत कुछ खोया, बहुत कुछ पाया भी। इस दुनियां के हरेक रंग देखे। अपनों और परायों की परिभाषा को बार-बार पढ़ा और याद भी किया, लेकिन वे कभी इस बात...

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एक बार फिर से उजड़ गया मेरा घर By Vikas Kumar

आज चुनमुन चिड़िया बहुत खुश थी. उसने आज ही अपने छोटे-छोटे पंखों से उड़ना सीखा था. वो आस-पास के घरों के ऊपर से उड़कर इंसानों और उसके रंग-बिरंगे घरों को देख रही थी. कोई लाल रंग का, तो...

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मीत मेरे By Kishanlal Sharma

कालेज के गेट के बाहर आकर उसने जेब मे हाथ डाला।जेब खाली थी।वह जल्दी जल्दी में फोटो लाना ही भूल गया था।वैसे चलने से पहले उसने फोटो देख लिया था।कालेज की छुट्टी हो गयी थी।लड़कियां कालेज...

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