hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • जानकारी ही बचाव

    अमन कुमार त्यागी नीता को मायके आए पूरे पाँच महीने बीत चुके थे। इतने दिन मायके मे...

  • ऑनर किलिंग

    अमन कुमार त्यागी रात किसी को बुरी नहीं लगती क्योंकि सभी जानते हैं कि सुबह होनी ह...

  • हादसा - भाग 6

    पूनम के साथ हुई दुर्घटना और उसकी ऐसी हालत देखकर होटल का पूरा स्टाफ दुःखी हो गया।...

मन न भये दस बीस By sudha jugran

“मन न भये दस बीस”आरुषि ने ट्रैक सूट पहना कटे बालों को पोनी बना कर हेयर बैंड के हवाले किया। स्पोर्टस शूज के तस्मे कसे। एक झलक खुद को शीशे में देखा और फ्लैट से बाहर हो ली। सामने वाले...

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जानकारी ही बचाव By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी नीता को मायके आए पूरे पाँच महीने बीत चुके थे। इतने दिन मायके में बिताना समाज मेें अच्छा नहीं माना जाता है। मुहल्ले की औरतों में कानाफूसी शुरू हो गई थी। कोई कहती- ‘...

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दिव्या By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी -‘डाॅक्टर! मुझे मरने में और कितना समय लगेगा?’ -‘तुम जल्दी ही अच्छी हो जाओगी।’ -‘नहीं डाॅक्टर, मैं अब कभी भी अच्छी नहीं हो सकती। मुझे रोज़ मरना पड़े, उससे बेहतर है......

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युगांतर - भाग 16 By Dr Dilbagh Virk

यह दिल भी न जाने कैसी चीज है, जो पहले गलतियाँ करवाता है और गलती हो जाने पर परिणाम का डर दिखा-दिखाकर सताता है। यादवेन्द्र भी इस दिल का शिकार है। शांति उसके पास चलकर ख़ुद आई थी और वह...

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बहू मैं चटोरापन करती तो आज तुम्हारी ये हैसियत ना होती By Saroj Prajapati

सरला तू तो बड़ी बातों को मन में रखती है। बता रोज हमारे पास बैठती है लेकिन एक बार भी नहीं बताया कि इतवार को तुम कीर्तन करा रहे हो!! अपनी पड़ोसन के मुंह से कीर्तन की बात सुन सरला जी...

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ऑनर किलिंग By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी रात किसी को बुरी नहीं लगती क्योंकि सभी जानते हैं कि सुबह होनी ही है। सुबह का इंतज़ार रात्रि को मजे़दार बना देता है। लेकिन जिसे पता हो कि अब सुबह कभी नहीं होगी, उसके...

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हादसा - भाग 6 By Ratna Pandey

पूनम के साथ हुई दुर्घटना और उसकी ऐसी हालत देखकर होटल का पूरा स्टाफ दुःखी हो गया। सब बात कर रहे थे, कैसी लीला है भगवान की, अभी-अभी सुहागन बनाया और अभी विधवा बना दिया। कैसी ख़ुश आई थी...

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दहेज़ के बदले By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी समीर मेहनती युवक था। एमए करने के बाद उसने नौकरी तलाशने में समय बर्बाद नहीं किया। बिना किसी शर्म और दिखावे के उसे जो भी काम मिला, करता गया। वह निम्न मध्यम वर्गीय मा...

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वनवासी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

आशीष सनातन दीक्षित जी से महाकाल लौटने की अनुमति लेने के लिए गया सनातन जी बहुत भारी मन से कहते है बाल गोपाल आप आये कितने सुखद अनुभूतियों को लेकर जिसे ओंकारेश्वरवासी कभी विस्मृत नही...

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प्रकृति के साथ विज्ञान By Dhruv Prajapati

-- कई वर्ष पूर्व हमारा देश और समाज को विज्ञान की छाया मिलना असंभव था । लेकिन इस देश की हरियाली और स्वच्छता इस देश की कारण बनी हुई है । तो आज स्वच्छ और हरित समाज के लिए विज्ञान ही ज...

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भाग्यरेखा By Vishram Goswami

भाग्यरेखा अपने घर की बालकनी में बैठा मनोहर, बाहर आंगन में लगे नीम के पेड़ की डाल पर बने घोसले से बाहर , छोटी सी टहनी पर बैठे चिड़ा की ओर एकटक देखे जा रहा था । उस चिड़े को देखते हुए...

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आंसु पश्चाताप के - भाग 15 - अंतिम भाग By Deepak Singh

जब वक्त बेरहम होता है तो जो भी उसकी चपेट में आता है , वह उसे नहीं छोड़ता , ठीक वैसे ही प्रकाश के साथ हुआ । प्रकाश अपनी बाइक से अपने पुत्र राहुल से मिलने जा रहा था , रास्ते में सामन...

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दोनों आधे-अधूरे By Yogesh Kanava

हमेशा की तरह मैं खड़की में बैठा दूर आसमान से उभरते चाँद को देख रहा था। चाँद आधा-सा, अधूरा-सा, फिर अपने ग़म की परछाई को छुपाता-सा। शायद उसे भी यह मालूम था कि मैं रोज़ाना की तरह ही उसका...

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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय By Guri baba

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देश का एक बड़ा विश्वविद्यालय है। पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल चंद्रेश्वर प्रसाद नारायण सिंह ने भारतीय संस्कृति और परंपरा को पोषित करने के लिए 11 जनवरी 1957...

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बेड नम्बर ग्यारह By Yogesh Kanava

आज फिर से दोनों माँ बेटियों में तकरार को रही थी, सुबह से ही बेटी ने माँ से कहा था कि नाश्ता कर लो लेकिन मां ने कहा था नहीं बेटा आज तो करवा चौथ है। चाॅंद देखकर ही कुछ खाऊंगी, इस इसी...

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इज्जत का बंटवारा By Kishanlal Sharma

"मेहनत करके पैसा कमाते हो।सारी कमाई बड़े भाई के हवाले कर देते हो।जरूरत पड़ने पर भाई के आगे भिखारी की तरह हाथ पसारना पड़ता है।इससे बढ़िया अलग क्यो नही हो जाते?"मोहन की बात का समर्थन रमे...

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नैनावती By Aman Kumar

अमन कुमार एक दिन मैं कनाॅट प्लेस के मंडी हाऊस बस स्टैंड पर खड़ा था। मुझे लक्ष्मीनगर जाना था मगर एक भी बस ऐसी नहीं आ रही थी जिसमें किसी और सवारी के चढ़ने की गुंजाइश हो मगर फिर भी सवार...

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भगवान की लाठी By Aman Kumar

अमन कुमार एक मौहल्ले में दो महिलाएं रहती थीं। एक का नाम था सावित्री और दूसरी का नाम था कांति। दोनों का स्वभाव एक दूसरे के विपरीत था। सावित्री सीधी-सच्ची एवं सि(ांतवादी महिला थी जबक...

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तीन बीघा जमीन By Vishram Goswami

तीन बीघा जमीन सायं ढलने लगी थी, खेतीहर किसान अपने खेतों से लौटने लगे थे, चरवाहे भेड़ - बकरियों, गाय- भैंसों के झुंड लिए जंगल से वापसी कर रहे थे, कच्चे दगडों में उनके खुरों से बालू...

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जियले के नाव घुरहू By नंदलाल मणि त्रिपाठी

कहां जा रहे हो आशीष मुसई बोले आशीष कुछ तुनक कर बोला काहे पूछते हो जब तुम्हरे मान का कछु नही है ।मुसई बोले बेटा हमरे पास कछु हो चाहे ना हो पर है तो तुम्हरे बाप ही जैसे है वैसे ही अप...

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तुलसी तेरे आंगन की By Vishram Goswami

तुलसी तेरे आंगन की शादी के लाल सुर्ख जोड़े़े में लिपटी , कुछ गहनों से लदी, मेमना सी पलंग पर बैठी तुलसी सुहागरात के दिन आने वाले समय की कल्पना कर कभी सिहर जाती थी , कभी डर जाती थी ,...

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समर्पण By Aman Kumar

अमन कुमार अरुण, सुनील का पुराना मित्र था। जब सुनील विदेश में डाॅक्टरी की पढ़ाई पूरी कर वापिस आया तब उसने अरुण को बुलाने के लिए अपना नौकर भेजा। -‘साहब! आप को सुनील सर ने बुलाया है।’...

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सफ़र By Vishram Goswami

सफरसेठ रामहरिदास शहर के बड़े से अपोलो हॉस्पिटल के एक कक्ष मे बेड़ पर लेटे हुये शीशे की खिड़की से बाहर आकाश की ओर निहार रहे थे। भगवान भास्कर के लालिमा युक्त सुनहरी किरणों रूपी हाथ मानो...

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कुलक्षणी By Chaya Agarwal

कुलक्षणीनौबत ने आखरी जूता लोहे की रांपी पर चढ़ाया और तरकीब से फटे हुये हिस्से को सुई से सीने लगा। उसके अनुभवी हाथों से जूता निबट कर अपने मालिक की राह देख ही रहा था कि शाम का छुटपुटा...

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दादा-पोता By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी  नेकीराम की जवानी की तरह दिन भी ढल चुका था। ठिठुरती सर्दियों की कृष्णपक्षीय रात सर्र-सर्र चलती हवा की वजह से और भी भयावह हो जाने वाली थी। दिन भर पाला गिरा था। यह त...

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दो बहनें By Aman Kumar

दो बहनें थीं। बड़ी का नाम था सरिता और छोटी का नाम चंचल। यथा नाम तथा गुण। बड़ी बहन जितनी समझदार और सौम्य थी, छोटी बहन उतनी ही ज़िद्दी और शैतान थी। सरिता घर के सभी कामों में माँ का हाथ...

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अपराधी By Vishram Goswami

पॉच बत्ती वाला चौराहा शहर मे पहचान, पता-ठिकाने और आवागमन का बहुचर्चित स्थान है। यह शायद शहर का सबसे व्यस्ततम स्थान हैं जहां अनवरत लोगो का तांता लगा रहता हैं, लाल बत्ती होती हैं तो...

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इस छत के नीचे By Sharovan

इस छत के नीचे कहानी / शरोवन *** ‘‘चोरी चाहे एक पैसे की हो और चाहे एक लाख की। चोरी, चोरी होती है। यह एक पाप है। मैं यह नहीं कहता हूं कि सब दूध के धुले हुये हैं, लेकिन जब यही सब करना...

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यादव वंश By Guri baba

यदुवंशियो की उत्पत्ति पौराणिक राजा यदु से मानी जाती है। वे टॉड की 36 राजवंशो की सूची में भी शामिल हैं। विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों और पुराने लेखों से संकेत मिलता है कि भारत में उनकी...

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ढ़लती शाम By कुमार किशन कीर्ति

भीखू ठेले पर चूड़ियां और अन्य सिंगार के सामान भेजता था।घर पर पत्नी और बूढ़े माँ-बाप थे।शादी को चार साल हो गए थे,मगर घर में बच्चों की किलकारी नहीं गूंजी थी।कई जगह मिन्नतें भीखू और उसक...

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सफर से पहले ही - अंतिम भाग By Kishanlal Sharma

फिर एक दिन उसके कानों में भनक पड़ी की उसे वर्धआश्रम भेजने की तैयारी हो रही है।यह जानकर उसके कलेजे के टुकड़े हो गए।मा बाप बेटे के पैदा होने की चाहत इसलिए रखते है कि बेटा बुढ़ापे में उन...

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रिहाई कि इमरती By नंदलाल मणि त्रिपाठी

रिहाई कि इमरती -स्वतंत्रता किसी भी प्राणि का जन्म सिद्ध अधिकार है जिसे कभी छीना नहीं जा सकता हां कभी कभी प्राणि विशेष कर मनुष्य अपने अहंकार शक्ति दंभ के उत्कर्ष में एक दूसरे को परत...

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ख़ैरात By प्रवीण कुमार शर्मा

"ख़ैरात" दीनू से उसकी मां ने पूछा डीलर के पास मिलने गया था; वहाँ कुछ मिला कि नहीं ? "नहीं मिला माँ ",दीनू ने सिर ना में हिला दिया और उदास होकर बैठ गया. "क्या कहा उसने"? माँ ने पूछा....

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मन न भये दस बीस By sudha jugran

“मन न भये दस बीस”आरुषि ने ट्रैक सूट पहना कटे बालों को पोनी बना कर हेयर बैंड के हवाले किया। स्पोर्टस शूज के तस्मे कसे। एक झलक खुद को शीशे में देखा और फ्लैट से बाहर हो ली। सामने वाले...

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अमन कुमार त्यागी नीता को मायके आए पूरे पाँच महीने बीत चुके थे। इतने दिन मायके में बिताना समाज मेें अच्छा नहीं माना जाता है। मुहल्ले की औरतों में कानाफूसी शुरू हो गई थी। कोई कहती- ‘...

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दिव्या By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी -‘डाॅक्टर! मुझे मरने में और कितना समय लगेगा?’ -‘तुम जल्दी ही अच्छी हो जाओगी।’ -‘नहीं डाॅक्टर, मैं अब कभी भी अच्छी नहीं हो सकती। मुझे रोज़ मरना पड़े, उससे बेहतर है......

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युगांतर - भाग 16 By Dr Dilbagh Virk

यह दिल भी न जाने कैसी चीज है, जो पहले गलतियाँ करवाता है और गलती हो जाने पर परिणाम का डर दिखा-दिखाकर सताता है। यादवेन्द्र भी इस दिल का शिकार है। शांति उसके पास चलकर ख़ुद आई थी और वह...

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बहू मैं चटोरापन करती तो आज तुम्हारी ये हैसियत ना होती By Saroj Prajapati

सरला तू तो बड़ी बातों को मन में रखती है। बता रोज हमारे पास बैठती है लेकिन एक बार भी नहीं बताया कि इतवार को तुम कीर्तन करा रहे हो!! अपनी पड़ोसन के मुंह से कीर्तन की बात सुन सरला जी...

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ऑनर किलिंग By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी रात किसी को बुरी नहीं लगती क्योंकि सभी जानते हैं कि सुबह होनी ही है। सुबह का इंतज़ार रात्रि को मजे़दार बना देता है। लेकिन जिसे पता हो कि अब सुबह कभी नहीं होगी, उसके...

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हादसा - भाग 6 By Ratna Pandey

पूनम के साथ हुई दुर्घटना और उसकी ऐसी हालत देखकर होटल का पूरा स्टाफ दुःखी हो गया। सब बात कर रहे थे, कैसी लीला है भगवान की, अभी-अभी सुहागन बनाया और अभी विधवा बना दिया। कैसी ख़ुश आई थी...

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दहेज़ के बदले By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी समीर मेहनती युवक था। एमए करने के बाद उसने नौकरी तलाशने में समय बर्बाद नहीं किया। बिना किसी शर्म और दिखावे के उसे जो भी काम मिला, करता गया। वह निम्न मध्यम वर्गीय मा...

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वनवासी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

आशीष सनातन दीक्षित जी से महाकाल लौटने की अनुमति लेने के लिए गया सनातन जी बहुत भारी मन से कहते है बाल गोपाल आप आये कितने सुखद अनुभूतियों को लेकर जिसे ओंकारेश्वरवासी कभी विस्मृत नही...

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प्रकृति के साथ विज्ञान By Dhruv Prajapati

-- कई वर्ष पूर्व हमारा देश और समाज को विज्ञान की छाया मिलना असंभव था । लेकिन इस देश की हरियाली और स्वच्छता इस देश की कारण बनी हुई है । तो आज स्वच्छ और हरित समाज के लिए विज्ञान ही ज...

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भाग्यरेखा By Vishram Goswami

भाग्यरेखा अपने घर की बालकनी में बैठा मनोहर, बाहर आंगन में लगे नीम के पेड़ की डाल पर बने घोसले से बाहर , छोटी सी टहनी पर बैठे चिड़ा की ओर एकटक देखे जा रहा था । उस चिड़े को देखते हुए...

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आंसु पश्चाताप के - भाग 15 - अंतिम भाग By Deepak Singh

जब वक्त बेरहम होता है तो जो भी उसकी चपेट में आता है , वह उसे नहीं छोड़ता , ठीक वैसे ही प्रकाश के साथ हुआ । प्रकाश अपनी बाइक से अपने पुत्र राहुल से मिलने जा रहा था , रास्ते में सामन...

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दोनों आधे-अधूरे By Yogesh Kanava

हमेशा की तरह मैं खड़की में बैठा दूर आसमान से उभरते चाँद को देख रहा था। चाँद आधा-सा, अधूरा-सा, फिर अपने ग़म की परछाई को छुपाता-सा। शायद उसे भी यह मालूम था कि मैं रोज़ाना की तरह ही उसका...

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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय By Guri baba

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देश का एक बड़ा विश्वविद्यालय है। पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल चंद्रेश्वर प्रसाद नारायण सिंह ने भारतीय संस्कृति और परंपरा को पोषित करने के लिए 11 जनवरी 1957...

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बेड नम्बर ग्यारह By Yogesh Kanava

आज फिर से दोनों माँ बेटियों में तकरार को रही थी, सुबह से ही बेटी ने माँ से कहा था कि नाश्ता कर लो लेकिन मां ने कहा था नहीं बेटा आज तो करवा चौथ है। चाॅंद देखकर ही कुछ खाऊंगी, इस इसी...

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इज्जत का बंटवारा By Kishanlal Sharma

"मेहनत करके पैसा कमाते हो।सारी कमाई बड़े भाई के हवाले कर देते हो।जरूरत पड़ने पर भाई के आगे भिखारी की तरह हाथ पसारना पड़ता है।इससे बढ़िया अलग क्यो नही हो जाते?"मोहन की बात का समर्थन रमे...

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नैनावती By Aman Kumar

अमन कुमार एक दिन मैं कनाॅट प्लेस के मंडी हाऊस बस स्टैंड पर खड़ा था। मुझे लक्ष्मीनगर जाना था मगर एक भी बस ऐसी नहीं आ रही थी जिसमें किसी और सवारी के चढ़ने की गुंजाइश हो मगर फिर भी सवार...

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भगवान की लाठी By Aman Kumar

अमन कुमार एक मौहल्ले में दो महिलाएं रहती थीं। एक का नाम था सावित्री और दूसरी का नाम था कांति। दोनों का स्वभाव एक दूसरे के विपरीत था। सावित्री सीधी-सच्ची एवं सि(ांतवादी महिला थी जबक...

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तीन बीघा जमीन By Vishram Goswami

तीन बीघा जमीन सायं ढलने लगी थी, खेतीहर किसान अपने खेतों से लौटने लगे थे, चरवाहे भेड़ - बकरियों, गाय- भैंसों के झुंड लिए जंगल से वापसी कर रहे थे, कच्चे दगडों में उनके खुरों से बालू...

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जियले के नाव घुरहू By नंदलाल मणि त्रिपाठी

कहां जा रहे हो आशीष मुसई बोले आशीष कुछ तुनक कर बोला काहे पूछते हो जब तुम्हरे मान का कछु नही है ।मुसई बोले बेटा हमरे पास कछु हो चाहे ना हो पर है तो तुम्हरे बाप ही जैसे है वैसे ही अप...

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तुलसी तेरे आंगन की By Vishram Goswami

तुलसी तेरे आंगन की शादी के लाल सुर्ख जोड़े़े में लिपटी , कुछ गहनों से लदी, मेमना सी पलंग पर बैठी तुलसी सुहागरात के दिन आने वाले समय की कल्पना कर कभी सिहर जाती थी , कभी डर जाती थी ,...

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समर्पण By Aman Kumar

अमन कुमार अरुण, सुनील का पुराना मित्र था। जब सुनील विदेश में डाॅक्टरी की पढ़ाई पूरी कर वापिस आया तब उसने अरुण को बुलाने के लिए अपना नौकर भेजा। -‘साहब! आप को सुनील सर ने बुलाया है।’...

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सफ़र By Vishram Goswami

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दादा-पोता By Aman Kumar

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दो बहनें By Aman Kumar

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इस छत के नीचे By Sharovan

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यदुवंशियो की उत्पत्ति पौराणिक राजा यदु से मानी जाती है। वे टॉड की 36 राजवंशो की सूची में भी शामिल हैं। विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों और पुराने लेखों से संकेत मिलता है कि भारत में उनकी...

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भीखू ठेले पर चूड़ियां और अन्य सिंगार के सामान भेजता था।घर पर पत्नी और बूढ़े माँ-बाप थे।शादी को चार साल हो गए थे,मगर घर में बच्चों की किलकारी नहीं गूंजी थी।कई जगह मिन्नतें भीखू और उसक...

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रिहाई कि इमरती By नंदलाल मणि त्रिपाठी

रिहाई कि इमरती -स्वतंत्रता किसी भी प्राणि का जन्म सिद्ध अधिकार है जिसे कभी छीना नहीं जा सकता हां कभी कभी प्राणि विशेष कर मनुष्य अपने अहंकार शक्ति दंभ के उत्कर्ष में एक दूसरे को परत...

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ख़ैरात By प्रवीण कुमार शर्मा

"ख़ैरात" दीनू से उसकी मां ने पूछा डीलर के पास मिलने गया था; वहाँ कुछ मिला कि नहीं ? "नहीं मिला माँ ",दीनू ने सिर ना में हिला दिया और उदास होकर बैठ गया. "क्या कहा उसने"? माँ ने पूछा....

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