hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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भारत के गावों में स्वतंत्रा संग्राम - 2 By Brijmohan sharma

2 १८५७ का गदरदेश की आम जनता के साथ हिंदुस्तान के रजवाडो व अंग्रेजी सेना के भारतीय सैनिको में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध विद्रोह पनप रहा था। अंग्रेज चाहे जिस राजा का राज्य बिना कारण ब...

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अनमोल सौगात - 2 By Ratna Raidani

भाग २ २० वर्षीय नीता बी.ए. फाइनल ईयर में पढ़ रही थी। अपने कॉलेज की टॉपर और अन्य गतिविधियों में भी हरफनमौला थी। खेल कूद का भी उसे बहुत शौक था। बैडमिंटन उसका पसंदीदा खेल था। बी.ए. की...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 32 By Pradeep Shrivastava

भाग - ३२ मुन्ना की बात सुनकर मैंने सिर ऊपर किया। आंखों में भरे आंसुओं को पोंछती हुई बोली, 'लेकिन उन्होंने जिस श्रृंगार की बात की है, वह तो शादी के बाद ही करते हैं। और हमने तो अ...

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अजीब दास्तां है ये.. - 5 By Ashish Kumar Trivedi

(5) मुकुल अपने एक दोस्त नमित के साथ एक पार्टी में गया था। पार्टी नमित के कज़िन के नए घर के गृह प्रवेश के अवसर पर रखी गई थी। यहीं वह पहली बार नेहा से मिला था। यह एक छोटी सी गैदरिंग...

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और उदासी छंट गई विस्तार वात्सल्य का By Alka Agrawal

निधि सुबह उठकर बाहर बरामदे में बैठकर अखबार पढ़ती है। बरसों से यहा नियम है, सुबह की चाय के साथ दोनों पति-पत्नी समाचारों का आनन्द लेते हैं। गर्मी में, उनके बगीचे से आने वाली शीतल, सु...

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एक किस्सा ऐसा भी By Smita

छींटदार नीले रंग का पर्दा अपनी जगह पर व्यवस्थित हो चुका था. भगतजी(देवधर ) अपनी खटिया पर लेट चुके थे। अपने बेटे की पदचाप उन्हें साफ सुनाई दे रही थी। बेटा बिल्कुल बरामदे तक आ चुका था...

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मेरा पति तेरा पति - 2 By Jitendra Shivhare

2 गेस्ट रूम का द्वार वह बंद करना चाहती थी मगर कमलेश के बल के आगे उसकी एक न चली। वह बैड पर जा गिरी। कमलेश उसकी तरफ बढ़ने लगा। "कमलेश जी! ये सही नहीं है। आप ये अन्याय नहीं कर सकते।"...

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कोड़ियाँ - कंचे - 5 By Manju Mahima

Part-5 कार में एक लम्बी चुप्पी छाई हुई देख गायत्री जी ने सोचा कि क्यों नहीं अपनी कुछ यादें इन लोगों से ही शेयर की जाएं, बिचारे बोर हो रहे हैं, सो कहने लगीं, ‘आप लोगों को पता...

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ताज़िया By आदित्य अभिनव

ताज़िया प्रो. रामेश्वर उपाध्याय नित्य नियमानुसार वॉकिंग पर जाने के लिए अपना स्पोर्टस सू पहन रहे थे कि उनका ध्यान टेलीविजन पर चल रहे चैनल...

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बालिश्तिया By Deepak sharma

बालिश्तिया सद्गुण प्रसाद का जाना तय हो चुका था| उसे रोडज़ छात्रवृत्ति मिल गयी थी| ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से उसकी टिकट भी खरीदी जा चुकी थी| पासपोर्ट वीज़ा सब तैयार था| दो दिन बाद...

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सुंदरा और नारली पूर्णिमा By Ramesh Yadav

सिंधुदुर्ग जिले में समुद्र किनारे बसे एक छोटे से गांव ओटव में मल्हारी और मैनावती नामक युवक और युवती रहते थे। वे दोनों कोली समाज से थे। कोली अर्थात मछुआरे। मत्स्य व्यवसाय उनका खानदा...

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राम राज By राज कुमार कांदु

प्रस्तुत है मेरी एक रचना उस वक्त की लिखी हुई जब वर्तमान महामहिम श्री रामनाथ कोविंद जी का राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चयन हुआ था ! ?-------------------------------------...

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थप्पड़: स्वाभिमान और अभिमान की जंग By Anil Patel_Bunny

नमस्कार मित्रो, आशा है आप सभी कुशल-मंगल होंगे। इस Lockdown period में सब लोगो की आम समस्या ये थी कि समय कैसे बिताए? हंमेशा की तरह हर सवाल का जवाब अपने पास ही होता है। सभी...

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यादों के झरोखों से-निश्छल प्रेम (5) By Asha Saraswat

शादी के बाद मुझे ससुराल में रहने का अवसर तो मिला लेकिन जहॉं पैत्रिक घर था , सासू मॉं रहती थीं वहाँ रहने का अवसर मुझे नहीं मिला था।शादी के समय में परीक्षा थी,परीक्षा अच्छी नहीं हुई।...

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स्पर्श रेखाएं By Deepak sharma

स्पर्श रेखाएं झगड़े के बाद माँ अकसर इस मंदिर आया करतीं| घंटे, दो घंटे में जब मेरा गुस्सा उतर कर चिन्ता का रूप धारण करने लगता तो उन्हें घर लिवाने मैं यहीं इसी मंदिर आती| एक-एक कर मैं...

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एक दूजे के लिए (अंतिम भाग) By Kishanlal Sharma

"थैंक्स।इतने बड़े महानगर में अगर तुम न होते तो"दोस्ती मैं थैंक्स कैसा?तुम्हारा दोस्त और रूम पार्टनर के नाते मेरा फर्ज था।तुम्हारी देखभाल करना।जो मैने निभाया।कोई एहसान नही किया है,तु...

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तिश्नगी By Abdul Gaffar

तिश्नगी (कहानी) लेखक - अब्दुल ग़फ़्फ़ार __________________1980 के दशक में गौना के बाद मायके से जब दुल्हन की दूसरी बिदाई होती थी तो उसे हमारे यहां दोंगा बोला जाता था। तब सीधे शादी...

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आर्टिफिशियल By Sunita Bishnolia

आर्टिफीशियल ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठकर रीना ने गले में मोटे मोती वाली माला पहनी। परन्तु दुबारा देखने पर लगा कि ये सिल्वर बार्डर वाली ग्रे साड़ी पर सूट नहीं हो रही। तब उसने फटाफट...

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प्रजा का रक्षक By Ramesh Yadav

मावल प्रांत में कान्होजी नामक एक पराक्रमी सरदार था। उसे अपने राजा द्वारा जागीरदारों जैसा सम्मान प्राप्त था। जागीरदारी देने की परंपरा उसके राजा के दरबार में नहीं थी। शत्रुओं से मुका...

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अपने-अपने कारागृह - 28 - अंतिम भाग By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह-28 अगले हफ्ते हमें बेंगलुरु जाना था । जाने का पहला कारण प्रिया का बार-बार उलाहना देना था कि आप मुझसे अधिक भैया को चाहते हो तभी उनके पास लंदन चले गए पर बेंगलुरु...

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सिद्धपुरुष By Deepak sharma

सिद्धपुरुष ‘आपसे एक हस्ताक्षर लेना है, मामा,’ अपने नाश्ते के बाद अपनी पहिएदार कुर्सी पर बैठा मैं अपना आई-फोन खोलने ही लगा हूँ कि युगल मेरे कमरे में आन धमका है| युगल मान...

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एक पल By Upasna Siag

सुधा जब से किट्टी पार्टी से लौटी है तभी से चुप है। जैसे कुछ सोच रही है। हाँ, सोच तो रही है वह। आज जो बातें किट्टी में हुई। वे बातें उसे थोडा आंदोलित कर रही है। कभी -कभी वह खुद अपने...

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गरीब किसान और जिन्न By Ramesh Yadav

एक गांव में ज्ञानेश्वर नामक एक गरीब किसान रहता था। वह अभी कुछ जवान था इसलिए उसमें कुछ कर गुजरने का माद्दा था। उसने धनवान होने का सपना अपने जेहन में पाल रखा था। धनवान होने के लिए उस...

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शामियाना By Chaya Agarwal

कहानी- शामियाना"रिश्तों की समझ नही है तुम्हें या रिश्तों की माँग से अनभिज्ञ हो तुम, उठा लेते हो बीच में अपनेपन की खुशबूदार अनुभूति जो पहले ही पीछे छूट चुकी है या पाट दी गयी है अपने...

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छत और छाता... By Dr Vinita Rahurikar

मन भर कर शॉपिंग करने के बाद ढेर सारी शॉपिंग बैग्स से लदी नेहा अपने पाँच वर्षीय बेटे के साथ जूस पीने के लिए एक रेस्टोरेंट की तरफ बढ़ी। बहुत देर से वह शॉपिंग कर रही थी तो थक भी गई थी...

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कैथार्सिस - 3 - अंतिम भाग By Amita Neerav

अमिता नीरव 3 ‘दिस इज आउट ऑफ एट्टिकेट्स... ’ – कहकर कर उसने अपना विरोध दर्ज किया।  ‘लाइक स्टूडेंट एंड टीचर....’ – कहकर अथर्व मुस्कुराया था।...

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कल, आज और हम By Annada patni

अन्नदा पाटनी स्टडी के कमरे से झल्लाने की आवाज आ रही थी,” क्या कर रहा है ? जल्दी हाथ चला, नहीं तो पूरा गेम बिगाड़ देगा । ”और भी न जाने क्या कह रहा था, मेरे तो पल्ले ही न...

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भारत के गावों में स्वतंत्रा संग्राम - 2 By Brijmohan sharma

2 १८५७ का गदरदेश की आम जनता के साथ हिंदुस्तान के रजवाडो व अंग्रेजी सेना के भारतीय सैनिको में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध विद्रोह पनप रहा था। अंग्रेज चाहे जिस राजा का राज्य बिना कारण ब...

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अनमोल सौगात - 2 By Ratna Raidani

भाग २ २० वर्षीय नीता बी.ए. फाइनल ईयर में पढ़ रही थी। अपने कॉलेज की टॉपर और अन्य गतिविधियों में भी हरफनमौला थी। खेल कूद का भी उसे बहुत शौक था। बैडमिंटन उसका पसंदीदा खेल था। बी.ए. की...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 32 By Pradeep Shrivastava

भाग - ३२ मुन्ना की बात सुनकर मैंने सिर ऊपर किया। आंखों में भरे आंसुओं को पोंछती हुई बोली, 'लेकिन उन्होंने जिस श्रृंगार की बात की है, वह तो शादी के बाद ही करते हैं। और हमने तो अ...

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अजीब दास्तां है ये.. - 5 By Ashish Kumar Trivedi

(5) मुकुल अपने एक दोस्त नमित के साथ एक पार्टी में गया था। पार्टी नमित के कज़िन के नए घर के गृह प्रवेश के अवसर पर रखी गई थी। यहीं वह पहली बार नेहा से मिला था। यह एक छोटी सी गैदरिंग...

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और उदासी छंट गई विस्तार वात्सल्य का By Alka Agrawal

निधि सुबह उठकर बाहर बरामदे में बैठकर अखबार पढ़ती है। बरसों से यहा नियम है, सुबह की चाय के साथ दोनों पति-पत्नी समाचारों का आनन्द लेते हैं। गर्मी में, उनके बगीचे से आने वाली शीतल, सु...

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एक किस्सा ऐसा भी By Smita

छींटदार नीले रंग का पर्दा अपनी जगह पर व्यवस्थित हो चुका था. भगतजी(देवधर ) अपनी खटिया पर लेट चुके थे। अपने बेटे की पदचाप उन्हें साफ सुनाई दे रही थी। बेटा बिल्कुल बरामदे तक आ चुका था...

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मेरा पति तेरा पति - 2 By Jitendra Shivhare

2 गेस्ट रूम का द्वार वह बंद करना चाहती थी मगर कमलेश के बल के आगे उसकी एक न चली। वह बैड पर जा गिरी। कमलेश उसकी तरफ बढ़ने लगा। "कमलेश जी! ये सही नहीं है। आप ये अन्याय नहीं कर सकते।"...

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कोड़ियाँ - कंचे - 5 By Manju Mahima

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ताज़िया By आदित्य अभिनव

ताज़िया प्रो. रामेश्वर उपाध्याय नित्य नियमानुसार वॉकिंग पर जाने के लिए अपना स्पोर्टस सू पहन रहे थे कि उनका ध्यान टेलीविजन पर चल रहे चैनल...

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बालिश्तिया By Deepak sharma

बालिश्तिया सद्गुण प्रसाद का जाना तय हो चुका था| उसे रोडज़ छात्रवृत्ति मिल गयी थी| ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से उसकी टिकट भी खरीदी जा चुकी थी| पासपोर्ट वीज़ा सब तैयार था| दो दिन बाद...

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सुंदरा और नारली पूर्णिमा By Ramesh Yadav

सिंधुदुर्ग जिले में समुद्र किनारे बसे एक छोटे से गांव ओटव में मल्हारी और मैनावती नामक युवक और युवती रहते थे। वे दोनों कोली समाज से थे। कोली अर्थात मछुआरे। मत्स्य व्यवसाय उनका खानदा...

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राम राज By राज कुमार कांदु

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थप्पड़: स्वाभिमान और अभिमान की जंग By Anil Patel_Bunny

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यादों के झरोखों से-निश्छल प्रेम (5) By Asha Saraswat

शादी के बाद मुझे ससुराल में रहने का अवसर तो मिला लेकिन जहॉं पैत्रिक घर था , सासू मॉं रहती थीं वहाँ रहने का अवसर मुझे नहीं मिला था।शादी के समय में परीक्षा थी,परीक्षा अच्छी नहीं हुई।...

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स्पर्श रेखाएं By Deepak sharma

स्पर्श रेखाएं झगड़े के बाद माँ अकसर इस मंदिर आया करतीं| घंटे, दो घंटे में जब मेरा गुस्सा उतर कर चिन्ता का रूप धारण करने लगता तो उन्हें घर लिवाने मैं यहीं इसी मंदिर आती| एक-एक कर मैं...

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एक दूजे के लिए (अंतिम भाग) By Kishanlal Sharma

"थैंक्स।इतने बड़े महानगर में अगर तुम न होते तो"दोस्ती मैं थैंक्स कैसा?तुम्हारा दोस्त और रूम पार्टनर के नाते मेरा फर्ज था।तुम्हारी देखभाल करना।जो मैने निभाया।कोई एहसान नही किया है,तु...

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तिश्नगी By Abdul Gaffar

तिश्नगी (कहानी) लेखक - अब्दुल ग़फ़्फ़ार __________________1980 के दशक में गौना के बाद मायके से जब दुल्हन की दूसरी बिदाई होती थी तो उसे हमारे यहां दोंगा बोला जाता था। तब सीधे शादी...

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आर्टिफिशियल By Sunita Bishnolia

आर्टिफीशियल ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठकर रीना ने गले में मोटे मोती वाली माला पहनी। परन्तु दुबारा देखने पर लगा कि ये सिल्वर बार्डर वाली ग्रे साड़ी पर सूट नहीं हो रही। तब उसने फटाफट...

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प्रजा का रक्षक By Ramesh Yadav

मावल प्रांत में कान्होजी नामक एक पराक्रमी सरदार था। उसे अपने राजा द्वारा जागीरदारों जैसा सम्मान प्राप्त था। जागीरदारी देने की परंपरा उसके राजा के दरबार में नहीं थी। शत्रुओं से मुका...

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अपने-अपने कारागृह-28 अगले हफ्ते हमें बेंगलुरु जाना था । जाने का पहला कारण प्रिया का बार-बार उलाहना देना था कि आप मुझसे अधिक भैया को चाहते हो तभी उनके पास लंदन चले गए पर बेंगलुरु...

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सिद्धपुरुष By Deepak sharma

सिद्धपुरुष ‘आपसे एक हस्ताक्षर लेना है, मामा,’ अपने नाश्ते के बाद अपनी पहिएदार कुर्सी पर बैठा मैं अपना आई-फोन खोलने ही लगा हूँ कि युगल मेरे कमरे में आन धमका है| युगल मान...

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एक पल By Upasna Siag

सुधा जब से किट्टी पार्टी से लौटी है तभी से चुप है। जैसे कुछ सोच रही है। हाँ, सोच तो रही है वह। आज जो बातें किट्टी में हुई। वे बातें उसे थोडा आंदोलित कर रही है। कभी -कभी वह खुद अपने...

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गरीब किसान और जिन्न By Ramesh Yadav

एक गांव में ज्ञानेश्वर नामक एक गरीब किसान रहता था। वह अभी कुछ जवान था इसलिए उसमें कुछ कर गुजरने का माद्दा था। उसने धनवान होने का सपना अपने जेहन में पाल रखा था। धनवान होने के लिए उस...

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शामियाना By Chaya Agarwal

कहानी- शामियाना"रिश्तों की समझ नही है तुम्हें या रिश्तों की माँग से अनभिज्ञ हो तुम, उठा लेते हो बीच में अपनेपन की खुशबूदार अनुभूति जो पहले ही पीछे छूट चुकी है या पाट दी गयी है अपने...

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छत और छाता... By Dr Vinita Rahurikar

मन भर कर शॉपिंग करने के बाद ढेर सारी शॉपिंग बैग्स से लदी नेहा अपने पाँच वर्षीय बेटे के साथ जूस पीने के लिए एक रेस्टोरेंट की तरफ बढ़ी। बहुत देर से वह शॉपिंग कर रही थी तो थक भी गई थी...

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कैथार्सिस - 3 - अंतिम भाग By Amita Neerav

अमिता नीरव 3 ‘दिस इज आउट ऑफ एट्टिकेट्स... ’ – कहकर कर उसने अपना विरोध दर्ज किया।  ‘लाइक स्टूडेंट एंड टीचर....’ – कहकर अथर्व मुस्कुराया था।...

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कल, आज और हम By Annada patni

अन्नदा पाटनी स्टडी के कमरे से झल्लाने की आवाज आ रही थी,” क्या कर रहा है ? जल्दी हाथ चला, नहीं तो पूरा गेम बिगाड़ देगा । ”और भी न जाने क्या कह रहा था, मेरे तो पल्ले ही न...

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