hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • Broken with you... - 3

    ये जो बनारसी रंग है , आज भी जहा जाता है अपनी छाप दे जाता है। बस मन ले कर अपनी...

  • यादों के झरोखों से-निश्छल प्रेम (4)

    वर्तमान समय में नारी सशक्तिकरण की बातें चारों ओर सुनाई दे रहीं है।बात बहुत पुरान...

  • कैथार्सिस - 2

    अमिता नीरव 2 बाहर निकलकर वह लॉन में टहलने लगा। बस आने में अभी वक्त है। लॉन की क्...

बदलते प्यार की परिभाषा - 3 By Aarav Ki Kalam

घर आकर अहाना फ्रेश होकर स्टडी टेबल पर बैठ कर आराम से फोन यूज़ करती है। टिंडर ओपन करती है। वहा मेसेजेस की बौछार हो रही होती है। "हेल्लो मैडम" "हेल्लो अहाना" "हेल्लो फैशन डिज़ाइनर" "आप...

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नीला आसमान खो गया By BALDEV RAJ BHARTIYA

कहानी नीला आसमान खो गया. . बलदेव राज भारतीय (1)"क्या तुम पिछले वर्ष गर्मियों के पश्चात पहली बौछार को भूल सकती हो?" चातक ने अपनी चातकी से पूछा।"कैसे भूल सकती हूँ? भयंकर...

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Broken with you... - 3 By Alone Soul

ये जो बनारसी रंग है , आज भी जहा जाता है अपनी छाप दे जाता है। बस मन ले कर अपनी गंगा मईया के पास बैठ जाओ तुम तो वहीं रहोगे पर दिल , मन , आत्मा गहरे पानी में चले जाए गे क्यों...

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चचेरी By Deepak sharma

चचेरी “प्रभात कुमार?” वाचनालय के बाहर वाले गलियारे में अपने मोबाइल से उलझ रहे प्रभात कुमार को चीन्हने में मुझे अधिक समय नहीं लगा| “जी..... जी हाँ,” वह अचकचा...

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यादों के झरोखों से-निश्छल प्रेम (4) By Asha Saraswat

वर्तमान समय में नारी सशक्तिकरण की बातें चारों ओर सुनाई दे रहीं है।बात बहुत पुरानी है उस समय कोई इस तरह की बातें नहीं करता था।लेकिन हमारे आस-पास बहुत सी नारियाँ ऐसी थीं जिन्होने हमा...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 26 By Pradeep Shrivastava

भाग - २६ मेरी बात पूरी होने से पहले ही मुन्ना ने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया और कहा, ' क्या मूर्खों जैसी बात कर रही हो, जान देने से बढ़ कर ना कोई कायरता है, ना मूर्खता। हमें हर हाल...

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कैथार्सिस - 2 By Amita Neerav

अमिता नीरव 2 बाहर निकलकर वह लॉन में टहलने लगा। बस आने में अभी वक्त है। लॉन की क्यारियों में कई रंग के गुलाब गुच्छों में लटक रहे थे। उसने देखा कि धनक उनके फोटो खींच रही है। चलते-चलत...

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जीवन सफर By Rama Sharma Manavi

अलका जी वनस्पति विज्ञान के प्रोफ़ेसर के पद से अभी पांच माह पूर्व ही सेवानिवृत्त हुई हैं।परिवार में उनका बेटा यश है जो SBI में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत है।नौकरी के प्रारं...

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हुँकार By Ramnarayan Sungariya

कहानी हुँकार -आर. एन. सुनगरया...

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चेस्ट ऑफ ड्रॉवर... By Dr Vinita Rahurikar

काम ख़त्म होने के बाद ज़रा कमर सीधी करने के ख़्याल से अर्पिता कमरे में आकर पलंग पर लेट गई. सुबह पांच बजे से उठकर जो गृहस्थी के कामों में लगती है, तो बारह-एक बजे जाकर सबसे ़फुर्सत मिलत...

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जल जीवन हरियाली By Abdul Gaffar

जल-जीवन-हरियाली (कहानी) लेखक - अब्दुल ग़फ़्फ़ार __________________हमारे क्षेत्र में ज़मीन के ऊपर रोज़गार और ज़मीन के नीचे पानी ढ़ूंढ़ने से भी नहीं मिलता। हालांकि ऐसा हमेशा से नहीं...

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एक दुनिया अजनबी - 39 By Pranava Bharti

एक दुनिया अजनबी 39- रास्ते में आते हुए सुनीला ने एक जगह गाड़ी रुकवाई थी जहाँ वह कम्मो नाम की किसी किन्नर से मिली, प्रखर को भी मिलवाया | "प्रखर ! अब जो लोग कुछ अलग काम करना चाहते हैं...

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अपने-अपने कारागृह - 25 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह -25सुबह उसने अजय का मनपसंद दलिया और आलू पोहा के साथ थोड़ी पनीर भुजिया भी बना ली ।' क्या हो गया है आज आपको यह स्पेशल ट्रीटमेंट !!' अजय ने कहा ।' स्पेश...

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एक दूजे के लिए - (भाग 2) By Kishanlal Sharma

"मै भी यहाँ---- - -उमेश ने भी रचना को अपने बारे में बताया था।"अभी कहा से आ रहै हो?""किराये के मकान की तलाश में गया था,"उमेश अपनी परेशानी रचना से शेयर करते हुए बोला,"कुंवारा हूँ इसल...

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सोफ़ी By Jyotsana Singh

“सोफ़ी ई,ई,अरी, ओ सोफ़ी! कहाँ चली गई? कब से आवाज़ें मार रही हूँ, पर मजाल क्या कि कान पर जूँ भी रेंग जाए? बैठी होगी वहीं कोठा चढ़ कर” बड़बड़ाती हुई अम्मी घुटनें सम्भालती...

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बत्तखें By Deepak sharma

बत्तखें मेरी नजर में पहले वह खिड़की उतरी थी|  दो संलग्न आड़ी दीवारों के बीच एक बुर्ज की भांति खड़ी|  बाहर की ओर उछलती हुई|  आगे बढ़ी तो देखा बाबूजी उस खिड़की पर खड़े थे|&n...

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मुस्कुराती वसीयत  By Anju Kharbanda

सुरेश पाल जी को रात को अचानक हार्ट अटैक हुआ । रात के दो बजे उन्हें लेकर अस्पताल भागे । शहर के सबसे अच्छे अस्पताल में एडमिट करवाया जहाँ दुनिया भर की सुविधाएँ थी । फिर भी पम्मी घर बच...

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राग का अंतर्राग - 3 - अंतिम भाग By Amita Neerav

अमिता नीरव 3 वृंदा एकदम खिन्न हो गई थी। वह नहीं समझ पा रही थी कि आखिर वह क्या कहे, करे? उसे यह दुख भी होने लगा था कि आखिर उसका अधूरापन शुभ के सामने भी जाहिर हो ही गया। लेकिन वह क्य...

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आत्मनिर्भरता और वसुधैव कुटुम्बकम! By Anil Patel_Bunny

नमस्कार मित्रो, उम्मीद है आप सभी कुशल मंगल होंगे। कुछ महीनों पहले हमारे माननीय प्रधानमंत्रीजी ने अपने देश हित के संबोधन में 'आत्मनिर्भर' शब्द का प्रयोग किया। कोरो...

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सौ हाथ का कलेजा By Deepak sharma

पंजाब मेल मैंने लखनऊ से पकड़ी थी। शाम गहराने पर मैंने अपने नए-पुराने सहयात्रियों से उनके स्लीपर का पता लगाना चाहा। ‘मेरी बच्ची नीचे सोना पसन्द करेगी’, एक युवक ने पास बैठ...

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अधूरापन By Sumit Vig

सुमित विग सुबह के नौ बजे थे। सड़क के दोनों ओर से वाहन आ-जा रहे थे। सड़क के एक किनारे से एक व्हीलचेयर पर एक 23-24 वर्ष का युवक जा रहा था। उस युवक ने सफ़ेद कमीज़ और काला कॉट पेंट पहना...

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BOYS school WASHROOM - 14 By Akash Saxena "Ansh"

"यश अपने पैसे अपने पास रख विहान मेरे भी तो भाई जैसा ही है, आइसक्रीम मैंने ली है तो पैसे भी मे ही दे देता हूँ"हर्षित यश की आँखों मे आंखे डालकर बोला और उसके बाजू मे खड़ा विशाल हँसने ल...

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तीसरे लोग - 18 - अंतिम भाग By Geetanjali Chatterjee

18. किसना की कविताओं का संग्रह 'झरोखे जिंदगी के' बहुत सुर्खियां बटोर रहा था। उसकी अंतिम इच्छा के अनुसार मिलनेवाली रॉयल्टी एड्स से मरनेवालो मरीज़ों के परिवार की सहायता हेतु द...

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गुम हो चुकी लड़की... By Amita Neerav

अमिता नीरव दिसंबर जा रहा था..... वो गुजरते साल का एक और छोटा-सा दिन था...... गुलमोहर के पेड़ के नीचे धूप और छाह से बुने कालीन पर वो मेरे सामने बैठी थी। उसके सिर और कंधों पर धूप के...

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बदलते प्यार की परिभाषा - 3 By Aarav Ki Kalam

घर आकर अहाना फ्रेश होकर स्टडी टेबल पर बैठ कर आराम से फोन यूज़ करती है। टिंडर ओपन करती है। वहा मेसेजेस की बौछार हो रही होती है। "हेल्लो मैडम" "हेल्लो अहाना" "हेल्लो फैशन डिज़ाइनर" "आप...

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नीला आसमान खो गया By BALDEV RAJ BHARTIYA

कहानी नीला आसमान खो गया. . बलदेव राज भारतीय (1)"क्या तुम पिछले वर्ष गर्मियों के पश्चात पहली बौछार को भूल सकती हो?" चातक ने अपनी चातकी से पूछा।"कैसे भूल सकती हूँ? भयंकर...

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Broken with you... - 3 By Alone Soul

ये जो बनारसी रंग है , आज भी जहा जाता है अपनी छाप दे जाता है। बस मन ले कर अपनी गंगा मईया के पास बैठ जाओ तुम तो वहीं रहोगे पर दिल , मन , आत्मा गहरे पानी में चले जाए गे क्यों...

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चचेरी By Deepak sharma

चचेरी “प्रभात कुमार?” वाचनालय के बाहर वाले गलियारे में अपने मोबाइल से उलझ रहे प्रभात कुमार को चीन्हने में मुझे अधिक समय नहीं लगा| “जी..... जी हाँ,” वह अचकचा...

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यादों के झरोखों से-निश्छल प्रेम (4) By Asha Saraswat

वर्तमान समय में नारी सशक्तिकरण की बातें चारों ओर सुनाई दे रहीं है।बात बहुत पुरानी है उस समय कोई इस तरह की बातें नहीं करता था।लेकिन हमारे आस-पास बहुत सी नारियाँ ऐसी थीं जिन्होने हमा...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 26 By Pradeep Shrivastava

भाग - २६ मेरी बात पूरी होने से पहले ही मुन्ना ने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया और कहा, ' क्या मूर्खों जैसी बात कर रही हो, जान देने से बढ़ कर ना कोई कायरता है, ना मूर्खता। हमें हर हाल...

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कैथार्सिस - 2 By Amita Neerav

अमिता नीरव 2 बाहर निकलकर वह लॉन में टहलने लगा। बस आने में अभी वक्त है। लॉन की क्यारियों में कई रंग के गुलाब गुच्छों में लटक रहे थे। उसने देखा कि धनक उनके फोटो खींच रही है। चलते-चलत...

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जीवन सफर By Rama Sharma Manavi

अलका जी वनस्पति विज्ञान के प्रोफ़ेसर के पद से अभी पांच माह पूर्व ही सेवानिवृत्त हुई हैं।परिवार में उनका बेटा यश है जो SBI में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत है।नौकरी के प्रारं...

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हुँकार By Ramnarayan Sungariya

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जल जीवन हरियाली By Abdul Gaffar

जल-जीवन-हरियाली (कहानी) लेखक - अब्दुल ग़फ़्फ़ार __________________हमारे क्षेत्र में ज़मीन के ऊपर रोज़गार और ज़मीन के नीचे पानी ढ़ूंढ़ने से भी नहीं मिलता। हालांकि ऐसा हमेशा से नहीं...

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अपने-अपने कारागृह - 25 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह -25सुबह उसने अजय का मनपसंद दलिया और आलू पोहा के साथ थोड़ी पनीर भुजिया भी बना ली ।' क्या हो गया है आज आपको यह स्पेशल ट्रीटमेंट !!' अजय ने कहा ।' स्पेश...

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"मै भी यहाँ---- - -उमेश ने भी रचना को अपने बारे में बताया था।"अभी कहा से आ रहै हो?""किराये के मकान की तलाश में गया था,"उमेश अपनी परेशानी रचना से शेयर करते हुए बोला,"कुंवारा हूँ इसल...

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सोफ़ी By Jyotsana Singh

“सोफ़ी ई,ई,अरी, ओ सोफ़ी! कहाँ चली गई? कब से आवाज़ें मार रही हूँ, पर मजाल क्या कि कान पर जूँ भी रेंग जाए? बैठी होगी वहीं कोठा चढ़ कर” बड़बड़ाती हुई अम्मी घुटनें सम्भालती...

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बत्तखें By Deepak sharma

बत्तखें मेरी नजर में पहले वह खिड़की उतरी थी|  दो संलग्न आड़ी दीवारों के बीच एक बुर्ज की भांति खड़ी|  बाहर की ओर उछलती हुई|  आगे बढ़ी तो देखा बाबूजी उस खिड़की पर खड़े थे|&n...

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मुस्कुराती वसीयत  By Anju Kharbanda

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राग का अंतर्राग - 3 - अंतिम भाग By Amita Neerav

अमिता नीरव 3 वृंदा एकदम खिन्न हो गई थी। वह नहीं समझ पा रही थी कि आखिर वह क्या कहे, करे? उसे यह दुख भी होने लगा था कि आखिर उसका अधूरापन शुभ के सामने भी जाहिर हो ही गया। लेकिन वह क्य...

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आत्मनिर्भरता और वसुधैव कुटुम्बकम! By Anil Patel_Bunny

नमस्कार मित्रो, उम्मीद है आप सभी कुशल मंगल होंगे। कुछ महीनों पहले हमारे माननीय प्रधानमंत्रीजी ने अपने देश हित के संबोधन में 'आत्मनिर्भर' शब्द का प्रयोग किया। कोरो...

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सौ हाथ का कलेजा By Deepak sharma

पंजाब मेल मैंने लखनऊ से पकड़ी थी। शाम गहराने पर मैंने अपने नए-पुराने सहयात्रियों से उनके स्लीपर का पता लगाना चाहा। ‘मेरी बच्ची नीचे सोना पसन्द करेगी’, एक युवक ने पास बैठ...

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अधूरापन By Sumit Vig

सुमित विग सुबह के नौ बजे थे। सड़क के दोनों ओर से वाहन आ-जा रहे थे। सड़क के एक किनारे से एक व्हीलचेयर पर एक 23-24 वर्ष का युवक जा रहा था। उस युवक ने सफ़ेद कमीज़ और काला कॉट पेंट पहना...

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BOYS school WASHROOM - 14 By Akash Saxena "Ansh"

"यश अपने पैसे अपने पास रख विहान मेरे भी तो भाई जैसा ही है, आइसक्रीम मैंने ली है तो पैसे भी मे ही दे देता हूँ"हर्षित यश की आँखों मे आंखे डालकर बोला और उसके बाजू मे खड़ा विशाल हँसने ल...

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तीसरे लोग - 18 - अंतिम भाग By Geetanjali Chatterjee

18. किसना की कविताओं का संग्रह 'झरोखे जिंदगी के' बहुत सुर्खियां बटोर रहा था। उसकी अंतिम इच्छा के अनुसार मिलनेवाली रॉयल्टी एड्स से मरनेवालो मरीज़ों के परिवार की सहायता हेतु द...

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गुम हो चुकी लड़की... By Amita Neerav

अमिता नीरव दिसंबर जा रहा था..... वो गुजरते साल का एक और छोटा-सा दिन था...... गुलमोहर के पेड़ के नीचे धूप और छाह से बुने कालीन पर वो मेरे सामने बैठी थी। उसके सिर और कंधों पर धूप के...

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