hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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अपने-अपने कारागृह - 20 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह -20 लंदन जाने की लगभग सारी तैयारियां हो गईं थीं । सामान की पेकिंग के साथ अनिला के लिए बेसन के लड्डू, पदम के लिए काजू कतली तथा डेनियल के लिए गुंझिया इत्यादि । ज...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 21 By Pradeep Shrivastava

भाग - २१ एक मुराव परिवार वहां रहता है। भला परिवार है। हमारे यहां भी आता-जाता है। उनके तीन लड़का हैं। सब सब्जी बेचने के काम में लगे रहे। करीब चार-पांच बरस पहले एक लड़का ऑटो-रिक्शा चला...

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तीसरे लोग - 17 By Geetanjali Chatterjee

17. आज सुबह से ही आसमान स्याह बादलों से घिरा हुआ था। रह-रहकर कड़कड़ाती बिजली और बादलों के भयावह गर्जन से फाल्गुनी का कलेजा कांप उठता। डॉ. स्मारक वार्ड में दो अन्य जूनियर डॉक्टरों के...

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विश्वास By Neelima Tikku

दरवाज़े की घण्टी जिस तरह से लगातार बज रही थी मैं समझ गई थी कि मनोज ही आए होंगे। दरवाज़ा खोलते ही उनके हाथ में मोबाइल पकड़ा दिया था। "इसे लेने ही इतनी दूर से वापिस आए हैं ना?" मुझे...

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कब्ज़े पर By Deepak sharma

कब्ज़े पर अपनी दूसरी शादी के कुछ समय बाद पापा मुझे मेरी नानी के घर से अपने पास लिवा ले गए. “यह तुम्हारी स्टेप-मॉम है,” अपने टॉयलेट के बाद जब मैं लाउन्ज में गई तो पापा ने...

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लाल दुपट्टा मलमल का By Abdul Gaffar

लाल दुपट्टा मलमल का(कहानी)लेखक - अब्दुल ग़फ़्फ़ार _______तेतरी देवी की सबसे छोटी बेटी के जन्म के साथ ही घर में मातम पसर गया। गांव में लोगों के घर गोबर के उपले पाथने का काम करने वाल...

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यादों के झरोखों से-निश्छल प्रेम - (2) By Asha Saraswat

जैसे ही मैं नहाकर आई तभी मेरे ही मोहल्ले की लड़की मुझे बुलाने के लिए मेरे घर पर आई और कहने लगी बड़ी ताईजी ने तुम्हें बुलाया है दीदी ।मैंने कहा ठीक है मेरे बाल गीले है ,सूख जायें तो...

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मां की ममता By Poonam Gujrani Surat

कहानीकामिनी निर्विकार भाव से बैठी शून्य में ताक रही थी। सामने रखी हुई चाय कब की ठंडी हो चुकी थी।कल तक जिस घर में हंसी-मजाक, ठहाकों की आवाजें गूंजती थी, रसोई खूशबू से तर रहती, कहीं...

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आंसुओं के रिश्ते By Amita Neerav

डॉ. अमिता नीरव ‘हमारे बीच अब कुछ भी नहीं रहा...।’ – सपाट चेहरे और चुराती नज़रों से उसने संयुक्ता से कहा। अवाक् और आहत संयुक्ता की आँखों में आँसू आए तो लेकिन फिर प...

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धुन्‍ध By Ramnarayan Sungariya

कहानी— धुन्‍ध आर. एन. सुनगरया,...

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लता सांध्य-गृह - 11 - अंतिम अध्याय By Rama Sharma Manavi

पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। अंतिम अध्याय----------------- गतांक से आगे…. --------------- हमारे सांध्य-गृह के सभी सदस्य यहाँ स्वेच्छा से आए हुए हैं,अतः किस...

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बेचारी गृहस्वामिनी By Archana Anupriya

"बेचारी गृहस्वामिनी"जब हम नारी मुक्ति और नारी उत्कर्ष की बात करते हैं तब हम नारियों को अपने अंदर भी झाँकना चाहिए कि समाज की अन्य स्त्रियाँ इस आजादी और अधिकारों का गलत उपयोग तो नहीं...

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एक दूजे के लिए - (भाग 1) By Kishanlal Sharma

"कुंवारे मर्द को मैं मकान किराये पर नही देती।"इतना कहकर उस बुढ़िया ने दरवाजा बंद कर लिया था।उमेश की मुम्बई मे एक कंपनी में नौकरी लगी थी।दस दिन पहले ही वह मुुमंबई आया था।इस म...

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जिंदगी रुकती नहीं By Neelima Tikku

अप्रेल माह का तीसरा शनिवार था, गर्मी अपना प्रचण्ड रूप धारण किये हुए थी। बाहर सूरज आग उगल रहा था और घर में वे बेटे पर बरस रही थीं, "कान खोल कर सुन ले, उस बंगाली लड़की से तेरा विवाह...

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ऊँट की करवट By Deepak sharma

ऊँट की करवट यह घटना सन् इकसठ की है किन्तु उसका ध्यान आते ही समय का बिन्दु-पथ अपना आधार छोड़ कर नए उतार-चढ़ाव ग्रहण करने लगता है. बीत चुके उन लोगों के साए अकस्मात् धूप समान उजागर हो उ...

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BOYS school WASHROOM - 13 By Akash Saxena "Ansh"

अविनाश और उसकी फॅमिली तैयार होकर आज शाम बाहर एन्जॉय करने के लिए निकले तो थे लेकिन यश और विहान के उतरे चेहरों को देख देख कर प्रज्ञा को एक चिंता खाये जा रही थी….की आखिर हमेशा बातें ब...

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एक सवाल By Sumit Vig

सुमित विग एक कमरे से दीपक की रौशनी बाहर निकल रही थी। उसी कमरे में एक कोने पर किताबों का ढेर जमा हुआ था। किताबें में कुछ साहित्यिक पुस्तकें, राजनीतिक पुस्तकें और कुछ धार्मिक पुस्तके...

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मरुस्थल By Divya Sharma

……….."कहाँ खोई हो अपेक्षा?""इन तितलियों में।"गार्डन में फूलों पर मंडराती तितलियों की ओर इशारा कर अपेक्षा ने जवाब दिया।"बहुत सुंदर हैं।"श्रुति ने तितलियों क...

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मिशन सिफर - 21 - अंतिम भाग By Ramakant Sharma

21. काम में व्यस्त नुसरत को अचानक याद आया कि राशिद को दवा देने का वक्त हो चला था। उसने हाथ का काम छोड़ा और तौलिए से हाथ पौंछते हुए वह राशिद के कमरे की तरफ चल दी। शाम कब की बीत चुकी...

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छोटे शहर की लड़की By Neelima Tikku

तीन बैडरूम वाले इस फ्लैट में हम छ: लड़कियाँ बड़े मज़े से अपनी जिंदगी गुज़ार रहीं थीं कि अचानक अंजलि को एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में लम्बे समय के लिए लंदन जाना पड़ा। इत्तफाक ही था कि...

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दूर-घर By Deepak sharma

दूर-घर “बेटी-दामाद की चौथी वेडिंग एनिवर्सरी और मेजबानी एक विवाह-समारोह की?” अपने बैच-मेट के ससुर के बँगले का गेट पार करते हुए बी.एल. बोल उठा, “इधर हम हैं जो अपनी...

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पगडंडियाँ गवाह हैं By Abdul Gaffar

पगडंडियाँ गवाह हैं। (कहानी)लेखक - अब्दुल ग़फ़्फ़ार _________दिन भर की कड़ी धूप में झुलसे हुए घास रात भर मख़मली शबनम में नहा कर तरो ताज़ा हो चुके थे। पगडंडी के दोनों तरफ़ तरबूज़ की...

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सीमित आकाश By Alka Agrawal

कॉलेज से घर में प्रवेश करते हुए रंजना को थकान सी महसूस हो रही थी, लेकिन उसके चेहरे पर गर्व, प्रसन्नता और मुस्कान का भाव था घर में कोई नहीं था। बच्चे स्कूल गए हुए थे और पति भी अपने...

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एक पत्र माँ लक्ष्मी के नाम By Alok Mishra

आदरणीय, लक्ष्मी माता चरण स्पर्श यहाँ यह बस जैसे-तैसे जी रहे है । हमें पूर्ण विश्वास है कि आप पूर्ण वैभव के साथ कुशलता पूर्वक होंगी । मैने अपनी माँ से...

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360 डिग्री वाला प्रेम - 5 By Raj Gopal S Verma

५. कॉलेज और प्रोजेक्ट… ठीक ९.३० बजे आरव निकला कॉलेज के लिए. सारा डाटा, ड्राफ्ट रिपोर्ट उसके पास लैपटॉप और पेन ड्राइव दोनों में सेव थी. सवेरे का ट्रैफिक जाम तो जरूरी था पार क...

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पुरानी फाँक By Deepak sharma

पुरानी फाँक सुबह मेरी नींद एक नये नज़ारे ने तोड़ी है..... कस्बापुर के गोलघर की गोल खिड़की पर मैं खड़ी हूँ..... सामने मेरे पिता का घर धुआँ छोड़ रहा है..... धुआँ धुहँ...... काला और घना......

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पिता : एक संघर्ष By उषा जरवाल

‘पिता’ : एक संघर्ष हर महीने की आखिरी तारीख हमारे लिए किसी त्योहार से कम नहीं होती थी क्योंकि उस दिन पापा की तनख्वाह जो मिलती थी | जैसे – जैसे वह दिन नज़दीक आता ; हम दोनों भाई – बह...

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इंसानियत डॉट कॉम By Neelima Tikku

ट्रेन अपने निर्धारित समय से पूरे तीन घंटे लेट थी। सुबह सात बजे पहुंचने वाली ट्रेन दस बजे स्टेशन पहुंची थी।अपूर्व ने सोचा था कि दस बजे की अपनी क्लास ले लेगा, उसके पहले दो पीरियड़ लग...

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ज्‍वार-भाटा By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- ज्‍वार-भाटा आर.एन. सुनगर...

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अपने-अपने कारागृह - 20 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह -20 लंदन जाने की लगभग सारी तैयारियां हो गईं थीं । सामान की पेकिंग के साथ अनिला के लिए बेसन के लड्डू, पदम के लिए काजू कतली तथा डेनियल के लिए गुंझिया इत्यादि । ज...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 21 By Pradeep Shrivastava

भाग - २१ एक मुराव परिवार वहां रहता है। भला परिवार है। हमारे यहां भी आता-जाता है। उनके तीन लड़का हैं। सब सब्जी बेचने के काम में लगे रहे। करीब चार-पांच बरस पहले एक लड़का ऑटो-रिक्शा चला...

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तीसरे लोग - 17 By Geetanjali Chatterjee

17. आज सुबह से ही आसमान स्याह बादलों से घिरा हुआ था। रह-रहकर कड़कड़ाती बिजली और बादलों के भयावह गर्जन से फाल्गुनी का कलेजा कांप उठता। डॉ. स्मारक वार्ड में दो अन्य जूनियर डॉक्टरों के...

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विश्वास By Neelima Tikku

दरवाज़े की घण्टी जिस तरह से लगातार बज रही थी मैं समझ गई थी कि मनोज ही आए होंगे। दरवाज़ा खोलते ही उनके हाथ में मोबाइल पकड़ा दिया था। "इसे लेने ही इतनी दूर से वापिस आए हैं ना?" मुझे...

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कब्ज़े पर By Deepak sharma

कब्ज़े पर अपनी दूसरी शादी के कुछ समय बाद पापा मुझे मेरी नानी के घर से अपने पास लिवा ले गए. “यह तुम्हारी स्टेप-मॉम है,” अपने टॉयलेट के बाद जब मैं लाउन्ज में गई तो पापा ने...

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लाल दुपट्टा मलमल का By Abdul Gaffar

लाल दुपट्टा मलमल का(कहानी)लेखक - अब्दुल ग़फ़्फ़ार _______तेतरी देवी की सबसे छोटी बेटी के जन्म के साथ ही घर में मातम पसर गया। गांव में लोगों के घर गोबर के उपले पाथने का काम करने वाल...

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यादों के झरोखों से-निश्छल प्रेम - (2) By Asha Saraswat

जैसे ही मैं नहाकर आई तभी मेरे ही मोहल्ले की लड़की मुझे बुलाने के लिए मेरे घर पर आई और कहने लगी बड़ी ताईजी ने तुम्हें बुलाया है दीदी ।मैंने कहा ठीक है मेरे बाल गीले है ,सूख जायें तो...

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मां की ममता By Poonam Gujrani Surat

कहानीकामिनी निर्विकार भाव से बैठी शून्य में ताक रही थी। सामने रखी हुई चाय कब की ठंडी हो चुकी थी।कल तक जिस घर में हंसी-मजाक, ठहाकों की आवाजें गूंजती थी, रसोई खूशबू से तर रहती, कहीं...

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आंसुओं के रिश्ते By Amita Neerav

डॉ. अमिता नीरव ‘हमारे बीच अब कुछ भी नहीं रहा...।’ – सपाट चेहरे और चुराती नज़रों से उसने संयुक्ता से कहा। अवाक् और आहत संयुक्ता की आँखों में आँसू आए तो लेकिन फिर प...

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धुन्‍ध By Ramnarayan Sungariya

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लता सांध्य-गृह - 11 - अंतिम अध्याय By Rama Sharma Manavi

पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। अंतिम अध्याय----------------- गतांक से आगे…. --------------- हमारे सांध्य-गृह के सभी सदस्य यहाँ स्वेच्छा से आए हुए हैं,अतः किस...

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बेचारी गृहस्वामिनी By Archana Anupriya

"बेचारी गृहस्वामिनी"जब हम नारी मुक्ति और नारी उत्कर्ष की बात करते हैं तब हम नारियों को अपने अंदर भी झाँकना चाहिए कि समाज की अन्य स्त्रियाँ इस आजादी और अधिकारों का गलत उपयोग तो नहीं...

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एक दूजे के लिए - (भाग 1) By Kishanlal Sharma

"कुंवारे मर्द को मैं मकान किराये पर नही देती।"इतना कहकर उस बुढ़िया ने दरवाजा बंद कर लिया था।उमेश की मुम्बई मे एक कंपनी में नौकरी लगी थी।दस दिन पहले ही वह मुुमंबई आया था।इस म...

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जिंदगी रुकती नहीं By Neelima Tikku

अप्रेल माह का तीसरा शनिवार था, गर्मी अपना प्रचण्ड रूप धारण किये हुए थी। बाहर सूरज आग उगल रहा था और घर में वे बेटे पर बरस रही थीं, "कान खोल कर सुन ले, उस बंगाली लड़की से तेरा विवाह...

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ऊँट की करवट By Deepak sharma

ऊँट की करवट यह घटना सन् इकसठ की है किन्तु उसका ध्यान आते ही समय का बिन्दु-पथ अपना आधार छोड़ कर नए उतार-चढ़ाव ग्रहण करने लगता है. बीत चुके उन लोगों के साए अकस्मात् धूप समान उजागर हो उ...

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BOYS school WASHROOM - 13 By Akash Saxena "Ansh"

अविनाश और उसकी फॅमिली तैयार होकर आज शाम बाहर एन्जॉय करने के लिए निकले तो थे लेकिन यश और विहान के उतरे चेहरों को देख देख कर प्रज्ञा को एक चिंता खाये जा रही थी….की आखिर हमेशा बातें ब...

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एक सवाल By Sumit Vig

सुमित विग एक कमरे से दीपक की रौशनी बाहर निकल रही थी। उसी कमरे में एक कोने पर किताबों का ढेर जमा हुआ था। किताबें में कुछ साहित्यिक पुस्तकें, राजनीतिक पुस्तकें और कुछ धार्मिक पुस्तके...

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मरुस्थल By Divya Sharma

……….."कहाँ खोई हो अपेक्षा?""इन तितलियों में।"गार्डन में फूलों पर मंडराती तितलियों की ओर इशारा कर अपेक्षा ने जवाब दिया।"बहुत सुंदर हैं।"श्रुति ने तितलियों क...

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मिशन सिफर - 21 - अंतिम भाग By Ramakant Sharma

21. काम में व्यस्त नुसरत को अचानक याद आया कि राशिद को दवा देने का वक्त हो चला था। उसने हाथ का काम छोड़ा और तौलिए से हाथ पौंछते हुए वह राशिद के कमरे की तरफ चल दी। शाम कब की बीत चुकी...

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छोटे शहर की लड़की By Neelima Tikku

तीन बैडरूम वाले इस फ्लैट में हम छ: लड़कियाँ बड़े मज़े से अपनी जिंदगी गुज़ार रहीं थीं कि अचानक अंजलि को एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में लम्बे समय के लिए लंदन जाना पड़ा। इत्तफाक ही था कि...

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दूर-घर By Deepak sharma

दूर-घर “बेटी-दामाद की चौथी वेडिंग एनिवर्सरी और मेजबानी एक विवाह-समारोह की?” अपने बैच-मेट के ससुर के बँगले का गेट पार करते हुए बी.एल. बोल उठा, “इधर हम हैं जो अपनी...

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पगडंडियाँ गवाह हैं By Abdul Gaffar

पगडंडियाँ गवाह हैं। (कहानी)लेखक - अब्दुल ग़फ़्फ़ार _________दिन भर की कड़ी धूप में झुलसे हुए घास रात भर मख़मली शबनम में नहा कर तरो ताज़ा हो चुके थे। पगडंडी के दोनों तरफ़ तरबूज़ की...

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सीमित आकाश By Alka Agrawal

कॉलेज से घर में प्रवेश करते हुए रंजना को थकान सी महसूस हो रही थी, लेकिन उसके चेहरे पर गर्व, प्रसन्नता और मुस्कान का भाव था घर में कोई नहीं था। बच्चे स्कूल गए हुए थे और पति भी अपने...

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एक पत्र माँ लक्ष्मी के नाम By Alok Mishra

आदरणीय, लक्ष्मी माता चरण स्पर्श यहाँ यह बस जैसे-तैसे जी रहे है । हमें पूर्ण विश्वास है कि आप पूर्ण वैभव के साथ कुशलता पूर्वक होंगी । मैने अपनी माँ से...

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360 डिग्री वाला प्रेम - 5 By Raj Gopal S Verma

५. कॉलेज और प्रोजेक्ट… ठीक ९.३० बजे आरव निकला कॉलेज के लिए. सारा डाटा, ड्राफ्ट रिपोर्ट उसके पास लैपटॉप और पेन ड्राइव दोनों में सेव थी. सवेरे का ट्रैफिक जाम तो जरूरी था पार क...

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पुरानी फाँक By Deepak sharma

पुरानी फाँक सुबह मेरी नींद एक नये नज़ारे ने तोड़ी है..... कस्बापुर के गोलघर की गोल खिड़की पर मैं खड़ी हूँ..... सामने मेरे पिता का घर धुआँ छोड़ रहा है..... धुआँ धुहँ...... काला और घना......

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पिता : एक संघर्ष By उषा जरवाल

‘पिता’ : एक संघर्ष हर महीने की आखिरी तारीख हमारे लिए किसी त्योहार से कम नहीं होती थी क्योंकि उस दिन पापा की तनख्वाह जो मिलती थी | जैसे – जैसे वह दिन नज़दीक आता ; हम दोनों भाई – बह...

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इंसानियत डॉट कॉम By Neelima Tikku

ट्रेन अपने निर्धारित समय से पूरे तीन घंटे लेट थी। सुबह सात बजे पहुंचने वाली ट्रेन दस बजे स्टेशन पहुंची थी।अपूर्व ने सोचा था कि दस बजे की अपनी क्लास ले लेगा, उसके पहले दो पीरियड़ लग...

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ज्‍वार-भाटा By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- ज्‍वार-भाटा आर.एन. सुनगर...

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