hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • गवाक्ष - 4

    गवाक्ष 4=== मंत्री जी स्वयं इस लावण्यमय दूत से वार्तालाप करना चाहते...

  • अनूठा प्रयोग

    अनूठा प्रयोग मौका था, स्कूली दिनों के अपने एक दोस्त के यहांॅ गृह-प्रवेश आयोजन मे...

  • जननम - 7

    जननम अध्याय 7 सब लोगों से अपने को छुड़वा कर कार से घर की ओर रवाना हुआ। हिंदी में...

भुइंधर का मोबाइल - 3 By Pradeep Shrivastava

भुइंधर का मोबाइल - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 3 जानती हैं अम्मा आपका पूत बड़ा जबरा है। इतना जबरा कि मारे भी और रोने भी न दे। मगर मेरी भी एक ही धुन थी कि इन्हें रास्ते पर लाना है, तो मैं...

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आँखों देखा हाल - क्रिकेट By Siniwali Sharma

आँखों देखा हाल क्रिकेट आइये चलते हैं ३२- ३३ साल पहले जब भारत के गांवों में क्रिकेट अपनी पैठ बना रहा था। ठीक उसी समय कपिल देव की अगुआई में भारत ने क्रिकेट का विश्व कप जीता था। इस जी...

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अपनों के बीच By Asha Pandey Author

अपनों के बीच गर्मी में झुलसता मई का महीना। जीवन-मरण के बीच झूलती अम्मा । सबको खबर कर दी गई थी कि अम्मा अब नहीं बचेंगी। ये शायद उनकी अन्तिम बीमारी होगी। बेटे एवं बहू सभी अलग-अलग शहर...

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राम रचि राखा - 1 - 4 By Pratap Narayan Singh

राम रचि राखा अपराजिता (4) दिन बहुत तेजी से निकल रहे थे। दो सप्ताह कब बीत गये पता भी नहीं चला। इस बीच अनुराग से फोन पर और इ-मेल से बातचीत की आवृत्ति बढ़ गई थी। जिस भी रुप में वे मेरी...

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समंदर और सफेद गुलाब - 2 - 2 By Ajay Sharma

समंदर और सफेद गुलाब 2 पता नहीं क्यों मुम्बई मेरे दिलो-दिमाग से निकलती ही नहीं थी। मुम्बई नगरी का कीड़ा मेरे दिमाग में घुसा हुआ था। हालांकि मैं रेडियो स्टेशन और टी.वी. पर कार्यक्रम...

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केसरिया बालम - 8 By Hansa Deep

केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 8 गर्माहट पर पानी के छींटे बेकरी में धानी का काम जम जाने व उसे अच्छी तनख्वाह मिलने से बाली अब निश्चिंत हो गया था कि एक ओर से इतना पैसा आ रहा है तो वह खतरो...

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आधी दुनिया का पूरा सच - 15 By Dr kavita Tyagi

आधी दुनिया का पूरा सच (उपन्यास) 15. कुछ समय बाद पुजारी जी कोठरी में वापिस आये और रानी से कहा - "बिटिया, मुझे पूछना तो नहीं चाहिए, पर पूछे बिना मन नहीं मानता ! तू अकेली इतने सवेरे य...

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गवाक्ष - 4 By Pranava Bharti

गवाक्ष 4=== मंत्री जी स्वयं इस लावण्यमय दूत से वार्तालाप करना चाहते थे। वे भूल जाना चाहते थे कि बाहर कितने व्यक्ति उनकी प्रतीक्षा कर हैं, वे यह भी याद नहीं रखना चाहते थ...

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अनूठा प्रयोग By Ram Nagina Maurya

अनूठा प्रयोग मौका था, स्कूली दिनों के अपने एक दोस्त के यहांॅ गृह-प्रवेश आयोजन में सम्मिलित होने का। बाकी आमंत्रित मेहमानों के साथ मैं भी नवनिर्मित मकान के उस हाॅलनुमा बड़े से ड्राइं...

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उर्वशी - 7 By Jyotsana Kapil

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 7 दूसरे दिन उसे बेसब्री से भाई के आने का इंतज़ार था। जी चाह रहा था जल्दी से जल्दी वह इस स्थान से दूर चली जाए। आखिर वह समय आया और दोनो भाई आ गए। उनका काफी...

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जननम - 7 By S Bhagyam Sharma

जननम अध्याय 7 सब लोगों से अपने को छुड़वा कर कार से घर की ओर रवाना हुआ। हिंदी में अच्छी तरह बात करना जानती है, वह उत्तर भारत के इलाके में पली-बड़ी होगी। यहां कहां आकर फंस गई ? उसके...

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मंथरा By Deepak sharma

मंथरा इस बार हम पति-पत्नी मेरी स्टेप-मॉम की मृत्यु की सूचना पर इधर पापा के कस्बापुर आये हैं। “मंथरा अभी भी जमी हुई है,” हमारे गेट खोलने की आवाज़ पर बाहर के बरामदे में मालती के प्रकट...

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आधा आदमी - 19 By Rajesh Malik

आधा आदमी अध्‍याय-19 ज्ञानदीप पढ़ते-पढ़ते रूक गया। न जाने दीपिकामाई की डायरी का अगला पेज कहा चला गया था। उसे रह-रहकर अपने ऊपर क्रोध आ रहा था। उसने उठकर पानी पिया और खिड़की से बाहर की त...

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महामाया - 25 By Sunil Chaturvedi

महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – पच्चीस नौगाँव से नैनीताल आये दस दिन गुजर गये थे। इन दस दिनों में अखिल यहाँ रम सा गया। आश्रम में भक्त आते। दो-चार दिन रूकते। फिर लौट जाते। भक्तों के...

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होने से न होने तक - 40 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 40. लॉन के दॉए तरफ के कोने में फूलों की गज्झिन सजावट है। किनारे पर रखी मेज़ पर बहुत सारे बुके रखे हैं। मुझे तो कुछ ध्यान ही नही था। मैं तो ऐसे ही ख़ाली हाथ ही आ गयी...

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अहंकार By ललिता अय्यर

पंकजजी सुबह की सैर से लौटकर घर के आंगन की लान में रखी हुई कुर्सी में जैसे ही बैठे उनकी धर्मपत्नी सुधा ने उनके हाथ में अखबार पकडाया और वहीं दूसरी कुर्सी में बैठ गई। वह भी एक दूसरा अ...

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चिडि़या की उड़ान By Sonali Misra

अभी अभी विधान सभा के चुनाव हुए थे। रिकोर्डतोड़ मतों से जीते थी अम्बर जी! जीत का स्वाद कितना सुन्दर होता है! वह जब सारे अवरोध तोड़कर झोली में गिरती है तो मानो दुनिया भर के चाँद सितारे...

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शहादत By Abhinav Singh

शाम के 6 बज रहे हैं। श्यामलाल धीरे धीरे कदमों से घर को लौट रहे थे, घर के मोड़ पर पहुँचे तो सामने अपने द्वार पर बैठे ननकू ने टोका,’ का श्यामलाल कछु बात बनी कि नाहीं’। अपने कदमों पर...

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 13 By Sarvesh Saxena

कुछ दिनों बाद… अर्पित - “यार मैं ठीक तो हो जाऊंगा ना” |मोहित - “अरे क्या बात कर रहा है, अब हम दोनों ही ठीक हो गए हैं, एक-दो दिन में हमारी रिपोर्ट आ जाएगी और मुझे पता है नेगेटिव ही...

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शहर का उदास स्केच By प्रतिभा चौहान

शहर का उदास स्कैच ओस की बूंदें पत्तों-टहनियों से रूख़सती लेतीं … टिपटिपाती हुई ज़मींदोज़ ... सुबह की धुंध के बीच आलीशान किंतु बुज़ुर्गियत झेल रहा अंग्रेजी जमाने का पांच कमरे का र...

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वह सुबह कुछ और थी By Hansa Deep

कहानी वह सुबह कुछ और थी हंसा दीप “नमस्ते जी, आज तो जल्दी निकल पड़े हो।” खन्ना साहब की आवाज सुनकर चौंका नील। आज से पहले कभी काम पर जाते हुए उनसे मुलाकात नहीं हुई थी। शाम को टहलते...

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इनाम By Pranava Bharti

इनाम ------ बहते हुए पानी में जैसे कोई छोटा बच्चा कागज़ की नाव चला दे, कुछ ऐसे ही उसने अपने जीवन की नाव को जीवन के समुद्र में बहने के लिए छोड़ दिया ।आख़िर कब तक लड़ सकता है...

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आत्मदीपो भव By Poonam Singh

आत्मदीपो भव: ( कहानी ) -------------------- ' इतनी सुबह फोन की घंटी..? भला किसकी हो सकती है ? नंबर भी कुछ अजीब सा दिख रहा है। फिर भी सोचा उठा कर देखती हूँ क्या पता किसी रिश्ते...

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बडी प्रतिमा - 9 By Sudha Trivedi

बडी प्रतिमा (9.) दोपहर बाद हाॅस्टल में जयलक्ष्मी मैम, फजली सर और कुमुद मैम के साथ एक मौलाना आए । वे कोई पीर फकीर नहीं, बल्कि फजली सर के फुफेरे भाई ही थे ।अभिनय के बडे पक्के निकले...

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बेआवाज़ तमाचा By Vandana Bajpai

बेआवाज़ तमाचा “उफ़ दीदी कितना पढ़ोगी ?” छोटे भाई के सवाल पर एकता ने मुस्कुरा कर कहा, “बिट्टू किताबें तो मेरी जान हैं | तू भी अपना समय बर्बाद ना कर | जा गणित की किताब ले आ, तुझे भी पढ़ा...

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प्रतिकर्षण By Kailash Banwasi

प्रतिकर्षण कैलाश बनवासी बस से उतरकर उसने घड़ी देखी-ग्यारह दस. यह गाँव उसका नहीं है. वह तो यहाँ से दस मील दूर दक्षिण-पूर्व में है.यह तो उसके गाँव के लिए बस स्टैंड है.उसका गाँव भी अजी...

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समय की यात्रा By Swati Solanki Shahiba

यह कहानी है उस मंजीरी की जिसने समय पटल पर बहुत कुछ बातें बहुत कुछ खो दिया। तो आइए मिलते हैं इस मंजीरी से । हेलो मंजीरी !मैं सरल बोल रहा हूं ,सेवा संस्थान की तरफ से। आज साउथ से एक ब...

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शेष भाग आगामी अंक में By Ram Nagina Maurya

‘शेष भाग आगामी अंक में’, उन गौरैय्यों के इधर-उधर फुदकते दाना चुगते, चहचहाने, की वजह से हाथ में ली हुई डाॅयरी में कुछ नोट करते, नवाजुद्दीन साहब का ध्यान अचानक भंग हुआ था। हर रोज की...

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दूसरा फैसला By Vandana Bajpai

दूसरा फैसला मीरा ने नंबर देखा, माँ का फोन था, एक बार होठों पर मुस्कराहट तैर गयी, ये नंबर उसके लिए कितना कितना खास रहा है, उसके जीवन का संबल रहा है. तभी एक झटका सा महसूस हुआ, कुछ तल...

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गोमती एक नदी का नाम है By Kailash Banwasi

गोमती एक नदी का नाम है कैलाश बनवासी मौका पाते ही मैंने बिसाहिन बाई से पूछ लिया, “ कइसे, ये गोमती चलही नहीं?” बिसाहिन बाई खोली में पानी पी रही थी, गिलास के ऊपर दीखती उसकी आँखें मुझे...

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भूत-बाधा By Deepak sharma

भूत-बाधा बचपन में हमें एक कहानी पढ़ायी जाती थी-द ओल्ड मैन एन्ड द सी-समुंदर और बूढ़ा आदमी। कहानी अलिफ़ लैला के सिंदबाद से संबंध रखती थी: सिंदबाद की एक समुद्र यात्रा के दौरान वहाँ का ए...

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मेरा बचपन और ऊंट वाली तकनीक By Anurag mandlik_मृत्युंजय

#Blog कल रात को ही मैं अपने गांव आया ये सोचकर कि कुछ आराम करूँगा घर जाकर, पर जब मैं यहाँ आया तो कुछ अलग ही अहसास हुआ,जिसे मैं सोचता हूँ कि हर किसी में ये एहसास भीतरी रूप से समाये ह...

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जिंदगी By Trisha R S

ज़िन्दगी... काले बादल छाये थे, बादलों की हल्की-हल्की फुहार दोपहरी को शाम की सुहानी छटा दे रही थी। कई महीनों के लॉकडाउन के बाद लोग सड़कों पर दिखने लगे थे पर आधे- अधूरे चेहरे से। वैसे...

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विदा रात(भाग 4 अन्तिम) By Kishanlal Sharma

"यह इल्ज़ाम नही हकीकत है,"बरखा बोली,"तुमने धारीरिक कमी को दूर करने के लिए शराब का सहारा लिया।शराब तुम्हे पुरसार्थ प्रदान नही कर सकी।तब तुम मुझसे कतराने लगे।मुझ से दूर रहने का प्रयास...

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रेप जिम्मेदार कौन? By pratibha singh

रेप- जिम्मेदार कौन?"क्या कर रहे हो बेटा।" रमा ने अपने बेटे अनुज को आवाज़ दी। "कुछ नही माँ टीवी देख रहा हूँ।" अनुज कमरे से ही चिल्ला-या।रमा चालीस साल की एक हाउ...

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भुइंधर का मोबाइल - 3 By Pradeep Shrivastava

भुइंधर का मोबाइल - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 3 जानती हैं अम्मा आपका पूत बड़ा जबरा है। इतना जबरा कि मारे भी और रोने भी न दे। मगर मेरी भी एक ही धुन थी कि इन्हें रास्ते पर लाना है, तो मैं...

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आँखों देखा हाल - क्रिकेट By Siniwali Sharma

आँखों देखा हाल क्रिकेट आइये चलते हैं ३२- ३३ साल पहले जब भारत के गांवों में क्रिकेट अपनी पैठ बना रहा था। ठीक उसी समय कपिल देव की अगुआई में भारत ने क्रिकेट का विश्व कप जीता था। इस जी...

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अपनों के बीच By Asha Pandey Author

अपनों के बीच गर्मी में झुलसता मई का महीना। जीवन-मरण के बीच झूलती अम्मा । सबको खबर कर दी गई थी कि अम्मा अब नहीं बचेंगी। ये शायद उनकी अन्तिम बीमारी होगी। बेटे एवं बहू सभी अलग-अलग शहर...

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राम रचि राखा - 1 - 4 By Pratap Narayan Singh

राम रचि राखा अपराजिता (4) दिन बहुत तेजी से निकल रहे थे। दो सप्ताह कब बीत गये पता भी नहीं चला। इस बीच अनुराग से फोन पर और इ-मेल से बातचीत की आवृत्ति बढ़ गई थी। जिस भी रुप में वे मेरी...

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समंदर और सफेद गुलाब - 2 - 2 By Ajay Sharma

समंदर और सफेद गुलाब 2 पता नहीं क्यों मुम्बई मेरे दिलो-दिमाग से निकलती ही नहीं थी। मुम्बई नगरी का कीड़ा मेरे दिमाग में घुसा हुआ था। हालांकि मैं रेडियो स्टेशन और टी.वी. पर कार्यक्रम...

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केसरिया बालम - 8 By Hansa Deep

केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 8 गर्माहट पर पानी के छींटे बेकरी में धानी का काम जम जाने व उसे अच्छी तनख्वाह मिलने से बाली अब निश्चिंत हो गया था कि एक ओर से इतना पैसा आ रहा है तो वह खतरो...

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आधी दुनिया का पूरा सच - 15 By Dr kavita Tyagi

आधी दुनिया का पूरा सच (उपन्यास) 15. कुछ समय बाद पुजारी जी कोठरी में वापिस आये और रानी से कहा - "बिटिया, मुझे पूछना तो नहीं चाहिए, पर पूछे बिना मन नहीं मानता ! तू अकेली इतने सवेरे य...

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गवाक्ष - 4 By Pranava Bharti

गवाक्ष 4=== मंत्री जी स्वयं इस लावण्यमय दूत से वार्तालाप करना चाहते थे। वे भूल जाना चाहते थे कि बाहर कितने व्यक्ति उनकी प्रतीक्षा कर हैं, वे यह भी याद नहीं रखना चाहते थ...

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अनूठा प्रयोग By Ram Nagina Maurya

अनूठा प्रयोग मौका था, स्कूली दिनों के अपने एक दोस्त के यहांॅ गृह-प्रवेश आयोजन में सम्मिलित होने का। बाकी आमंत्रित मेहमानों के साथ मैं भी नवनिर्मित मकान के उस हाॅलनुमा बड़े से ड्राइं...

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उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 7 दूसरे दिन उसे बेसब्री से भाई के आने का इंतज़ार था। जी चाह रहा था जल्दी से जल्दी वह इस स्थान से दूर चली जाए। आखिर वह समय आया और दोनो भाई आ गए। उनका काफी...

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जननम - 7 By S Bhagyam Sharma

जननम अध्याय 7 सब लोगों से अपने को छुड़वा कर कार से घर की ओर रवाना हुआ। हिंदी में अच्छी तरह बात करना जानती है, वह उत्तर भारत के इलाके में पली-बड़ी होगी। यहां कहां आकर फंस गई ? उसके...

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मंथरा By Deepak sharma

मंथरा इस बार हम पति-पत्नी मेरी स्टेप-मॉम की मृत्यु की सूचना पर इधर पापा के कस्बापुर आये हैं। “मंथरा अभी भी जमी हुई है,” हमारे गेट खोलने की आवाज़ पर बाहर के बरामदे में मालती के प्रकट...

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आधा आदमी - 19 By Rajesh Malik

आधा आदमी अध्‍याय-19 ज्ञानदीप पढ़ते-पढ़ते रूक गया। न जाने दीपिकामाई की डायरी का अगला पेज कहा चला गया था। उसे रह-रहकर अपने ऊपर क्रोध आ रहा था। उसने उठकर पानी पिया और खिड़की से बाहर की त...

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महामाया - 25 By Sunil Chaturvedi

महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – पच्चीस नौगाँव से नैनीताल आये दस दिन गुजर गये थे। इन दस दिनों में अखिल यहाँ रम सा गया। आश्रम में भक्त आते। दो-चार दिन रूकते। फिर लौट जाते। भक्तों के...

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होने से न होने तक - 40 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 40. लॉन के दॉए तरफ के कोने में फूलों की गज्झिन सजावट है। किनारे पर रखी मेज़ पर बहुत सारे बुके रखे हैं। मुझे तो कुछ ध्यान ही नही था। मैं तो ऐसे ही ख़ाली हाथ ही आ गयी...

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अहंकार By ललिता अय्यर

पंकजजी सुबह की सैर से लौटकर घर के आंगन की लान में रखी हुई कुर्सी में जैसे ही बैठे उनकी धर्मपत्नी सुधा ने उनके हाथ में अखबार पकडाया और वहीं दूसरी कुर्सी में बैठ गई। वह भी एक दूसरा अ...

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चिडि़या की उड़ान By Sonali Misra

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शहादत By Abhinav Singh

शाम के 6 बज रहे हैं। श्यामलाल धीरे धीरे कदमों से घर को लौट रहे थे, घर के मोड़ पर पहुँचे तो सामने अपने द्वार पर बैठे ननकू ने टोका,’ का श्यामलाल कछु बात बनी कि नाहीं’। अपने कदमों पर...

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 13 By Sarvesh Saxena

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शहर का उदास स्केच By प्रतिभा चौहान

शहर का उदास स्कैच ओस की बूंदें पत्तों-टहनियों से रूख़सती लेतीं … टिपटिपाती हुई ज़मींदोज़ ... सुबह की धुंध के बीच आलीशान किंतु बुज़ुर्गियत झेल रहा अंग्रेजी जमाने का पांच कमरे का र...

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वह सुबह कुछ और थी By Hansa Deep

कहानी वह सुबह कुछ और थी हंसा दीप “नमस्ते जी, आज तो जल्दी निकल पड़े हो।” खन्ना साहब की आवाज सुनकर चौंका नील। आज से पहले कभी काम पर जाते हुए उनसे मुलाकात नहीं हुई थी। शाम को टहलते...

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इनाम By Pranava Bharti

इनाम ------ बहते हुए पानी में जैसे कोई छोटा बच्चा कागज़ की नाव चला दे, कुछ ऐसे ही उसने अपने जीवन की नाव को जीवन के समुद्र में बहने के लिए छोड़ दिया ।आख़िर कब तक लड़ सकता है...

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आत्मदीपो भव By Poonam Singh

आत्मदीपो भव: ( कहानी ) -------------------- ' इतनी सुबह फोन की घंटी..? भला किसकी हो सकती है ? नंबर भी कुछ अजीब सा दिख रहा है। फिर भी सोचा उठा कर देखती हूँ क्या पता किसी रिश्ते...

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बडी प्रतिमा - 9 By Sudha Trivedi

बडी प्रतिमा (9.) दोपहर बाद हाॅस्टल में जयलक्ष्मी मैम, फजली सर और कुमुद मैम के साथ एक मौलाना आए । वे कोई पीर फकीर नहीं, बल्कि फजली सर के फुफेरे भाई ही थे ।अभिनय के बडे पक्के निकले...

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बेआवाज़ तमाचा By Vandana Bajpai

बेआवाज़ तमाचा “उफ़ दीदी कितना पढ़ोगी ?” छोटे भाई के सवाल पर एकता ने मुस्कुरा कर कहा, “बिट्टू किताबें तो मेरी जान हैं | तू भी अपना समय बर्बाद ना कर | जा गणित की किताब ले आ, तुझे भी पढ़ा...

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प्रतिकर्षण By Kailash Banwasi

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शेष भाग आगामी अंक में By Ram Nagina Maurya

‘शेष भाग आगामी अंक में’, उन गौरैय्यों के इधर-उधर फुदकते दाना चुगते, चहचहाने, की वजह से हाथ में ली हुई डाॅयरी में कुछ नोट करते, नवाजुद्दीन साहब का ध्यान अचानक भंग हुआ था। हर रोज की...

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दूसरा फैसला By Vandana Bajpai

दूसरा फैसला मीरा ने नंबर देखा, माँ का फोन था, एक बार होठों पर मुस्कराहट तैर गयी, ये नंबर उसके लिए कितना कितना खास रहा है, उसके जीवन का संबल रहा है. तभी एक झटका सा महसूस हुआ, कुछ तल...

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गोमती एक नदी का नाम है By Kailash Banwasi

गोमती एक नदी का नाम है कैलाश बनवासी मौका पाते ही मैंने बिसाहिन बाई से पूछ लिया, “ कइसे, ये गोमती चलही नहीं?” बिसाहिन बाई खोली में पानी पी रही थी, गिलास के ऊपर दीखती उसकी आँखें मुझे...

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भूत-बाधा By Deepak sharma

भूत-बाधा बचपन में हमें एक कहानी पढ़ायी जाती थी-द ओल्ड मैन एन्ड द सी-समुंदर और बूढ़ा आदमी। कहानी अलिफ़ लैला के सिंदबाद से संबंध रखती थी: सिंदबाद की एक समुद्र यात्रा के दौरान वहाँ का ए...

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मेरा बचपन और ऊंट वाली तकनीक By Anurag mandlik_मृत्युंजय

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जिंदगी By Trisha R S

ज़िन्दगी... काले बादल छाये थे, बादलों की हल्की-हल्की फुहार दोपहरी को शाम की सुहानी छटा दे रही थी। कई महीनों के लॉकडाउन के बाद लोग सड़कों पर दिखने लगे थे पर आधे- अधूरे चेहरे से। वैसे...

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विदा रात(भाग 4 अन्तिम) By Kishanlal Sharma

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रेप जिम्मेदार कौन? By pratibha singh

रेप- जिम्मेदार कौन?"क्या कर रहे हो बेटा।" रमा ने अपने बेटे अनुज को आवाज़ दी। "कुछ नही माँ टीवी देख रहा हूँ।" अनुज कमरे से ही चिल्ला-या।रमा चालीस साल की एक हाउ...

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