hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • हूफ प्रिंट - 1

    माने हुए व्यापारी किशनचंद भगनानी के बेटे मानस भगनानी की इंगेजमेंट श्वेता रामचंद्...

  • स्पीड ब्रेकर

    स्पीड ब्रेकर गोविन्द सेन हफ्ते-दो हफ्ते में कोई न कोई स्पीड ब्रेकर मिल ही जाता ह...

  • प्रगल्भा

    प्रगल्भा “मेम, हमें नाम लिखवाना है.” घनानन्द की आंसुओं में डूबी कविताओं वाली क्ल...

मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 15 By Neelima Sharma

मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 15 लेखक: अमरेंद्र यादव बीमारी के दो दिन चाय की तलब उसे किचन में खींच लाई. बड़े दिनों बाद इच्छा हुई थी, क्यों न उबली हुई चाय पी जाए. उबली चाय का मेघना कनेक्श...

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ज़िन्दगी कुछ और ही होती... By Lajpat Rai Garg

ज़िन्दगी कुछ और ही होती... मध्य दिसम्बर की एक संध्या। सूर्य क्षितिज के पश्चिमी छोर पर बड़े से वृताकार में नीचे की ओर तेजी से जाता हुआ। शहर का मशहूर पार्क जहां शहर के हर भाग से लोग...

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देह की दहलीज पर - 6 By Kavita Verma

साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा अब तक आपने पढ़ा :-मुकुल की उपेक्षा से कामिनी समझ नही...

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हूफ प्रिंट - 1 By Ashish Kumar Trivedi

माने हुए व्यापारी किशनचंद भगनानी के बेटे मानस भगनानी की इंगेजमेंट श्वेता रामचंद्रन के साथ होती है। इस इंगेजमेंट की सुर्खियां सही तरह से मीडिया में फैलती उससे पहले ही मानस के स्टड फ...

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स्पीड ब्रेकर By Govind Sen

स्पीड ब्रेकर गोविन्द सेन हफ्ते-दो हफ्ते में कोई न कोई स्पीड ब्रेकर मिल ही जाता है। अमूमन सुबह घूमकर लौटने में मुझे सवा घंटा लगता है। लेकिन जब कोई स्पीड ब्रेकर मिल जाता है तो पन्द्र...

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खोह By Amitabh Mishra

खोह वह राजधानी का सबसे अधिक जनसंख्या वाला जनसंख्या केघनत्व वाला इलाका होगा । बहुत छोटे से क्षेत्रफल का किफायती इस्तेमाल ऊंचाईमें कर तमाम बहुमंजिला इमारतें बना दी गई थीं...

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हलंत By Hrishikesh Sulabh

हलंत हृषीकेश सुलभ बात बहुत पुरानी नहीं है। कुछ ही महीनों पहले की बात है। वह हादसों का मौसम था। उन दिनों सब कुछ अप्रत्याशित रूप से घटता। जिस बात की दूर-दूर तक उम्मीद नहीं होती, वह ब...

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प्रगल्भा By Dr Lakshmi Sharma

प्रगल्भा “मेम, हमें नाम लिखवाना है.” घनानन्द की आंसुओं में डूबी कविताओं वाली क्लास अभी-अभी खत्म हुई ही है. मैंने स्टाफ रूम में आ कर अभी राहत की साँस भी नहीं ली है कि ये सिरदर्द सिर...

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सुनो पुनिया - 1 By Roop Singh Chandel

सुनो पुनिया (1) घाम की चादर आंगन के पूर्वी कोने में सिकुड़ गई थी. पुनिया ने मुंडेर की ओर देखा और अनुमान लगाया सांझ होने में अधिक देर नहीं है. ठंड का असर काफी देर पहले से ही बढ़ने लगा...

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कुबेर - 28 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 28 कल की बात काल के गर्भ में थी मगर आने वाले कल को कौन जान सका है! आज में जीते हुए डीपी ने बीते कल को तो पीछे छोड़ दिया था परन्तु आने वाले कल की नियति को पहचान न...

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राज - भाग -२ By Anil Sainger

अगला एक हफ्ता पास-पड़ोस का आना-जाना और पार्टी का माहौल बना रहा | देर रात जब भी अंकुर सोने के लिए कमरे में आता तो दादा-दादी उसके साथ ही बेड पर बैठ उसका माथा बारी-बारी से तब तक सहलाते...

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और कहानी मरती है - 3 - अंतिम भाग By PANKAJ SUBEER

और कहानी मरती है (कहानी - पंकज सुबीर) (3) ‘अच्छा’ माही कुछ निर्णायक स्वर में बोला, और कुर्सी से उठकर खड़ा हो गया। अपने शरीर पर लिपटा एकमात्र टावेल भी उतारकर फ़ैंक दिया उसने। अब वह ए...

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काले कोस, अंधेरी रातें - 3 - अंतिम भाग By Kavita Sonsi

काले कोस, अंधेरी रातें (3) छोट उम्र से ही सबका सपोर्ट थी ...सबका खयाल रखती थी ...देहरादून से भी जब आती तो मेरे लिए कुछ- न –कुछ जरूर लेकर आती, दो डिब्बा चूड़ी, नेलपालिस चाहे फिर घर क...

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तन्हाईयाँ By Husn Tabassum nihan

तन्हाईयाँ जैसे ही उन्होंने व्हिस्की के पैग को हलक़ में उंडेला, व्हिस्की खिलखिला उठी- ‘‘पी डालूंगी ढक्कन को! जनबूझ के हमसे पंगा ले रहा है। खंजड़ न कर दूं तब कहना....पी...डालूंगी‘‘ पैग...

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चंपा पहाड़न - 3 By Pranava Bharti

चंपा पहाड़न (3) “शी नीड्स ए डॉक्टर ---” जैक्सन बुदबुदाए और पास खड़े मह्तू से आस-पास के बारे में पूछताछ करने लगे | “साहेब ! दूसरे गाँव में एक बैद जी रहते हैं, नाथूराम बैद, वो बहुत मशह...

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होने से न होने तक - 12 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 12. डाक्टर दीपा वर्मा उठ कर खड़ी हो गयी थीं,‘‘चलिए मैं आपको स्टाफ रूम दिखा दूं और आपको सबसे मिलवा दूं।’’ वे बहुत तेज़ी से बाहर निकल गयी थीं...छोटा सा कद, छोटे छोटे...

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किसी ने नहीं सुना - 5 By Pradeep Shrivastava

किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 5 मगर इन सब के बावजूद मैंने कभी भी संजना के तन को पाने के लिए गंभीरता से नहीं सोचा था। इसलिए जब अचानक ही उसने एल.ओ.सी. अतिक्रमण का अधिकार म...

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मारिया By Zakia Zubairi

मारिया ज़किया ज़ुबैरी सभी एक दूसरे से आँखें चुरा रहे थे। अजब-सा माहौल था। हर इंसान पत्र-पत्रिकाओं को इतना ऊँचा उठाए पढ़ रहा था कि एक दूसरे का चेहरा तक दिखाई नहीं दे रहा था। सिर्फ़...

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बड़ी बहू By Kumar Gourav

-----------मदना का हाथ आ गया थ्रेसर में ,देखते ही ट्रैक्टर का ड्राईवर और मजदूर सब फरार हो गया । बगल केे खेत में फसल काटते मजदूर ने जमींदार साहब के घर पर खबर किया "अपने थ्रेसर में ह...

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धनिया - 5 - अंतिम भाग By Govardhan Yadav

धनिया गोवर्धन यादव 5 पहाड़ की चोटी से उतरती देनवा अपनी अधिकतम गति से शोर मचाती हुई आती है और फिर एक बड़ी-सी पहाड़ी पर से झरना का आकार लेते हुए गहराईयों में छलांग लगा जाती है। तेजी...

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सुखदेव की सुबह By Govind Sen

सुखदेव की सुबह गोविन्द सेन सुखदेव सुबह पाँच बजे उठ जाते हैं । उनकी उम्र का काँटा 50-55 के बीच कहीं अटका है । जब से उन्हें शुगर निकली है और डॉक्टर ने रोज घूमने की सलाह दी है, वे निय...

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अहसास. By Amitabh Mishra

अहसास बरसों बाद रामेश्वर मिला। मुलाकात रेलवे स्टेशन पर हुई थी। मैं छोटे भाईको छोड़ने गया था। वही वह दिखा। किसी सरकारी काम से आया था । सुबह हीआया था और अब वापस जा रहा है। उसने यह बत...

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फ्लाई किल्लर - 3 By SR Harnot

फ्लाई किल्लर एस. आर. हरनोट (3) एक दिन पंक्ति में खड़ी-खड़ी वह अचानक गिरी और बेहोश हो गई। उसने अपने नोटों की परवाह न करते हुए तत्काल उसे अपनी बोतल से पानी पिलाया और 108 एंबुलैंस को बु...

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परित्यक्त By Dr Lakshmi Sharma

परित्यक्त “माँ....मुझे कुछ पैसे चाहिये.” सारांश की आवाज पौष माह का पाला मारी सी है, ठंडी से जकड़ी और ठिठुरती सी. “फिर से? अभी महीना पहले ही तो तुम्हारे अकाउंट में दस हजार ट्रांसफर ....

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ये चकलेवालियां, ये चकलेबाज - 3 - अंतिम भाग By Neela Prasad

ये चकलेवालियां, ये चकलेबाज नीला प्रसाद (3) शाम शाम होते - होते ऐसा लगा जैसे हम सब एक दूसरे के सामने नंगे हो गए। मैं तो खैर नई थी पर लगा कि जैसे सबों को सबों का पता था पर फिर भी किस...

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स्वप्न जैसे पाँव By Hrishikesh Sulabh

स्वप्न जैसे पाँव हृषीकेश सुलभ यह एक हरा-भरा क़स्बाई शहर था, जिसे कोशी नदी की उपधाराओं ने चारों तरफ़ से घेर रखा था। एक तो, जिसका नाम सौरा था, शहर को दो भागों में बाँटती हुई ठीक ब...

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चोर. By Pawan Chauhan

चोर रात के खाने का निबाला अभी मुहॅं में डाला ही था कि चोरऽऽ चोरऽऽ का शोर मेरे कानों से टकराया। मैं चैंका लेकिन यह सोचकर खाने में मशगूल हो गया कि रोज़ रात को गॉव में रहने लगे ईंट बना...

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सीप में बंद घुटन.... - 2 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

सीप में बंद घुटन.... ज़किया ज़ुबैरी (ब्रिटेन) (2) “अब मेरा यही काम रह गया है कि मै तेरा जी बहलाऊं.....? मज़दूरी तू करेगा..?.तेरे पेट का नरख कौन भरेगा..?” एयर कन्डीशन कमरे मे गदीले क़...

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कापुरुष By Kishanlal Sharma

बस से उतरकर देवेन वेटिंग रूम में चला आया था।वेटिंग रूम मे प्रवेश करते ही उसकी नज़र वहां बैठी औरत पर पड़ी थी।उसे देखकर चोंकते हुए बोला"तुम यहां?""देवेन तुम?"श्वेता,देवेन को देखकर आश्च...

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हस तुस अर कोरोना By Chinmayee

1st लक्डाउन् खतम होने मे बस् 1 दिन् बाकि था। लेकिन उस् एक दिन का इन्तेजार खुसि को ऐसा था जैसे क प्यासे को पानि का रेहता हे। पर शुभा का एक न्युज् सारे उमिद् पे पानि फैर् दिया था ।...

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क्या फर्क पडना चाहिए ? By Afzal Malla

क्या हमे किसी की बात से फर्क पड़ना चाहिए ?, पर क्यो ? जब के हम क्या करते है, हम कोन है हमारी परिस्थिति क्या है ये किसी को पता नही है, ना ही ये पता है की हम कैसे माहौल म...

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मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 15 By Neelima Sharma

मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 15 लेखक: अमरेंद्र यादव बीमारी के दो दिन चाय की तलब उसे किचन में खींच लाई. बड़े दिनों बाद इच्छा हुई थी, क्यों न उबली हुई चाय पी जाए. उबली चाय का मेघना कनेक्श...

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ज़िन्दगी कुछ और ही होती... By Lajpat Rai Garg

ज़िन्दगी कुछ और ही होती... मध्य दिसम्बर की एक संध्या। सूर्य क्षितिज के पश्चिमी छोर पर बड़े से वृताकार में नीचे की ओर तेजी से जाता हुआ। शहर का मशहूर पार्क जहां शहर के हर भाग से लोग...

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देह की दहलीज पर - 6 By Kavita Verma

साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा अब तक आपने पढ़ा :-मुकुल की उपेक्षा से कामिनी समझ नही...

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हूफ प्रिंट - 1 By Ashish Kumar Trivedi

माने हुए व्यापारी किशनचंद भगनानी के बेटे मानस भगनानी की इंगेजमेंट श्वेता रामचंद्रन के साथ होती है। इस इंगेजमेंट की सुर्खियां सही तरह से मीडिया में फैलती उससे पहले ही मानस के स्टड फ...

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स्पीड ब्रेकर By Govind Sen

स्पीड ब्रेकर गोविन्द सेन हफ्ते-दो हफ्ते में कोई न कोई स्पीड ब्रेकर मिल ही जाता है। अमूमन सुबह घूमकर लौटने में मुझे सवा घंटा लगता है। लेकिन जब कोई स्पीड ब्रेकर मिल जाता है तो पन्द्र...

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खोह By Amitabh Mishra

खोह वह राजधानी का सबसे अधिक जनसंख्या वाला जनसंख्या केघनत्व वाला इलाका होगा । बहुत छोटे से क्षेत्रफल का किफायती इस्तेमाल ऊंचाईमें कर तमाम बहुमंजिला इमारतें बना दी गई थीं...

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हलंत By Hrishikesh Sulabh

हलंत हृषीकेश सुलभ बात बहुत पुरानी नहीं है। कुछ ही महीनों पहले की बात है। वह हादसों का मौसम था। उन दिनों सब कुछ अप्रत्याशित रूप से घटता। जिस बात की दूर-दूर तक उम्मीद नहीं होती, वह ब...

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प्रगल्भा By Dr Lakshmi Sharma

प्रगल्भा “मेम, हमें नाम लिखवाना है.” घनानन्द की आंसुओं में डूबी कविताओं वाली क्लास अभी-अभी खत्म हुई ही है. मैंने स्टाफ रूम में आ कर अभी राहत की साँस भी नहीं ली है कि ये सिरदर्द सिर...

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सुनो पुनिया - 1 By Roop Singh Chandel

सुनो पुनिया (1) घाम की चादर आंगन के पूर्वी कोने में सिकुड़ गई थी. पुनिया ने मुंडेर की ओर देखा और अनुमान लगाया सांझ होने में अधिक देर नहीं है. ठंड का असर काफी देर पहले से ही बढ़ने लगा...

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कुबेर - 28 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 28 कल की बात काल के गर्भ में थी मगर आने वाले कल को कौन जान सका है! आज में जीते हुए डीपी ने बीते कल को तो पीछे छोड़ दिया था परन्तु आने वाले कल की नियति को पहचान न...

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राज - भाग -२ By Anil Sainger

अगला एक हफ्ता पास-पड़ोस का आना-जाना और पार्टी का माहौल बना रहा | देर रात जब भी अंकुर सोने के लिए कमरे में आता तो दादा-दादी उसके साथ ही बेड पर बैठ उसका माथा बारी-बारी से तब तक सहलाते...

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और कहानी मरती है - 3 - अंतिम भाग By PANKAJ SUBEER

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काले कोस, अंधेरी रातें - 3 - अंतिम भाग By Kavita Sonsi

काले कोस, अंधेरी रातें (3) छोट उम्र से ही सबका सपोर्ट थी ...सबका खयाल रखती थी ...देहरादून से भी जब आती तो मेरे लिए कुछ- न –कुछ जरूर लेकर आती, दो डिब्बा चूड़ी, नेलपालिस चाहे फिर घर क...

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तन्हाईयाँ By Husn Tabassum nihan

तन्हाईयाँ जैसे ही उन्होंने व्हिस्की के पैग को हलक़ में उंडेला, व्हिस्की खिलखिला उठी- ‘‘पी डालूंगी ढक्कन को! जनबूझ के हमसे पंगा ले रहा है। खंजड़ न कर दूं तब कहना....पी...डालूंगी‘‘ पैग...

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चंपा पहाड़न - 3 By Pranava Bharti

चंपा पहाड़न (3) “शी नीड्स ए डॉक्टर ---” जैक्सन बुदबुदाए और पास खड़े मह्तू से आस-पास के बारे में पूछताछ करने लगे | “साहेब ! दूसरे गाँव में एक बैद जी रहते हैं, नाथूराम बैद, वो बहुत मशह...

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होने से न होने तक - 12 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 12. डाक्टर दीपा वर्मा उठ कर खड़ी हो गयी थीं,‘‘चलिए मैं आपको स्टाफ रूम दिखा दूं और आपको सबसे मिलवा दूं।’’ वे बहुत तेज़ी से बाहर निकल गयी थीं...छोटा सा कद, छोटे छोटे...

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किसी ने नहीं सुना - 5 By Pradeep Shrivastava

किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 5 मगर इन सब के बावजूद मैंने कभी भी संजना के तन को पाने के लिए गंभीरता से नहीं सोचा था। इसलिए जब अचानक ही उसने एल.ओ.सी. अतिक्रमण का अधिकार म...

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मारिया By Zakia Zubairi

मारिया ज़किया ज़ुबैरी सभी एक दूसरे से आँखें चुरा रहे थे। अजब-सा माहौल था। हर इंसान पत्र-पत्रिकाओं को इतना ऊँचा उठाए पढ़ रहा था कि एक दूसरे का चेहरा तक दिखाई नहीं दे रहा था। सिर्फ़...

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बड़ी बहू By Kumar Gourav

-----------मदना का हाथ आ गया थ्रेसर में ,देखते ही ट्रैक्टर का ड्राईवर और मजदूर सब फरार हो गया । बगल केे खेत में फसल काटते मजदूर ने जमींदार साहब के घर पर खबर किया "अपने थ्रेसर में ह...

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धनिया - 5 - अंतिम भाग By Govardhan Yadav

धनिया गोवर्धन यादव 5 पहाड़ की चोटी से उतरती देनवा अपनी अधिकतम गति से शोर मचाती हुई आती है और फिर एक बड़ी-सी पहाड़ी पर से झरना का आकार लेते हुए गहराईयों में छलांग लगा जाती है। तेजी...

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सुखदेव की सुबह By Govind Sen

सुखदेव की सुबह गोविन्द सेन सुखदेव सुबह पाँच बजे उठ जाते हैं । उनकी उम्र का काँटा 50-55 के बीच कहीं अटका है । जब से उन्हें शुगर निकली है और डॉक्टर ने रोज घूमने की सलाह दी है, वे निय...

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अहसास बरसों बाद रामेश्वर मिला। मुलाकात रेलवे स्टेशन पर हुई थी। मैं छोटे भाईको छोड़ने गया था। वही वह दिखा। किसी सरकारी काम से आया था । सुबह हीआया था और अब वापस जा रहा है। उसने यह बत...

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ये चकलेवालियां, ये चकलेबाज - 3 - अंतिम भाग By Neela Prasad

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स्वप्न जैसे पाँव By Hrishikesh Sulabh

स्वप्न जैसे पाँव हृषीकेश सुलभ यह एक हरा-भरा क़स्बाई शहर था, जिसे कोशी नदी की उपधाराओं ने चारों तरफ़ से घेर रखा था। एक तो, जिसका नाम सौरा था, शहर को दो भागों में बाँटती हुई ठीक ब...

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चोर. By Pawan Chauhan

चोर रात के खाने का निबाला अभी मुहॅं में डाला ही था कि चोरऽऽ चोरऽऽ का शोर मेरे कानों से टकराया। मैं चैंका लेकिन यह सोचकर खाने में मशगूल हो गया कि रोज़ रात को गॉव में रहने लगे ईंट बना...

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सीप में बंद घुटन.... - 2 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

सीप में बंद घुटन.... ज़किया ज़ुबैरी (ब्रिटेन) (2) “अब मेरा यही काम रह गया है कि मै तेरा जी बहलाऊं.....? मज़दूरी तू करेगा..?.तेरे पेट का नरख कौन भरेगा..?” एयर कन्डीशन कमरे मे गदीले क़...

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कापुरुष By Kishanlal Sharma

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हस तुस अर कोरोना By Chinmayee

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क्या फर्क पडना चाहिए ? By Afzal Malla

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