hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • छोछक

    ‘बधाई हो, लाला हुआ है’ अस्पताल के रिसेप्शन के सामने सरोज की सास प्रेमावती अपनी स...

  • मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 9

    क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक...

  • और कहानी मरती है - 1

    और कहानी मरती है (कहानी - पंकज सुबीर) (1) कहानी के पात्र आज फिर बग़ावत पर उतारू ह...

छोछक By Renu Yadav

‘बधाई हो, लाला हुआ है’ अस्पताल के रिसेप्शन के सामने सरोज की सास प्रेमावती अपनी समधिन मनोहरी देवी से गले मिलते हुए कहती हैं । ‘आपको भी बधाई बहन जी... कौन-से रूम है लाला’ ? ‘रूम नं....

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मेरी आवाज़ By Shivraj Anand

मेरे मुख-मंडल में सिर्फ एक ही बात का मसला लगा रहता है । दिनों-दिन हो रहे दंगा-फसाद, चोरी-डकैती ..जैसे विषयों पर उलझा रहता हूँ आखिर ऐसे लूट पात कब तक चलेंगे ..? ऐसे में क्या हम अपने...

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धनिया - 2 By Govardhan Yadav

धनिया गोवर्धन यादव 2 खुशनुमा सुबह नहीं थी आज की। भयमिश्रित मातमी एकांत में भीगी हुई थी। दादू को तो जैसे काठ मार गया था। मां के अंदर गहरे तक मोम ही जम आई थी। दादू से गिड़गिड़ाते हुए...

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मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 9 By Neelima Sharma

क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक चक्र के भीतर हैं और बाहर है एक महामारी। अचानक आई इस विपदा ने हम सबको हतप्रभ कर दिया हैं | ऐसा समय इस...

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और कहानी मरती है - 1 By PANKAJ SUBEER

और कहानी मरती है (कहानी - पंकज सुबीर) (1) कहानी के पात्र आज फिर बग़ावत पर उतारू हैं, ऐसा पिछले एक सप्ताह से हो रहा है। अपनी इस कहानी को जब भी आगे बढ़ाने का प्रयास करता, इसके पात्र फ़...

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फ्लाई किल्लर - 2 By SR Harnot

फ्लाई किल्लर एस. आर. हरनोट (2) उसका माथा पसीने से तरबतर था। जितना पोंछता उतना ही गीला हो जाता। अपने को इतना कमजोर और असहाय कभी महसूस नहीं किया जितना उसने इन दिनों बैंक की लाइन में...

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काफिर तमन्नाएं By Husn Tabassum nihan

काफिर तमन्नाएं मै अमीरनबाई हूँ। उम्र यही कोई 80-85। वक्त के चढ़ाव-उतार खूब देखती रही हूँ। कभी अशरफियों की मलिका थी। आज फुटपाथ पे अमरूद लगाती हूँ। चंद सिक्कों की कमाई पर जिंदगी धकेल...

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बापवाली ! By Deepak sharma

बापवाली ! “बाहर दो पुलिस कांस्टेबल आए हैं,” घण्टी बजने पर बेबी ही दरवाज़े पर गयी थी, “एक के पास पिस्तौल है और दूसरे के पास पुलिस रूल. रूल वाला आदमी अपना नाम मीठेलाल बताता है. कहता ह...

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चंपा पहाड़न - 1 By Pranava Bharti

चंपा पहाड़न (1) आसमान की साफ़-शफ्फाक सड़क पर उन रूई के गोलों में जैसे एक सुन्दर सा द्वार खुल गया | शायद स्वर्ग का द्वार ! और उसमें से एक सुन्दर, युवा चेहरा झाँकने लगा, उसने देखा चेहरे...

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होने से न होने तक - 10 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 10. ‘‘बुआ मैं आपकी कुछ मदद करुं?’’ मैंने अपनेपन से पुकारा था। उन्होने चौंक कर मेरी तरफ देखा था। कुछ क्षण को हाथ ठहरे थे,‘‘नहीं बेटा।’’और वे फिर से काम में व्यस्त...

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बिकी हुई लड़कियां - 3 - अंतिम भाग By Neela Prasad

बिकी हुई लड़कियां नीला प्रसाद (3) ‘और एक अच्छा लड़का जुगाड़ने की भी’, तरु बोली. ‘आंटी, हम बानी को जल्दी- से- जल्दी ब्याह देना चाहते हैं. दिल्ली में यह सब कोई सोचता नहीं होगा कि बूढ...

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किसी ने नहीं सुना - 3 By Pradeep Shrivastava

किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 3 संयोग यह कि इसे मैंने एक बार संजना के यह कहने पर ही खरीदा था कि यार कब तक पुराने मोबाइल पर लगे रहोगे। इससे आवाज़ साफ नहीं आती। नया लो न। आ...

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सीप में बंद घुटन.... - 1 By Zakia Zubairi

सीप में बंद घुटन.... ज़किया ज़ुबैरी (ब्रिटेन) (1) आज वह घुट रही थी कि रवि चुप क्यों है---!! जब रवि की बड़ी बड़ी शरबती आँखों में शीला की गहरी काली काली आँखों ने झाँका था तो रवि ने अपन...

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सुकून By Renu Gupta

सुकून “पापा..... पापा..... अरे मुग्द्धा, पापा को कहीं देखा है क्या? अपने कमरे में नहीं हैं। बाहर लॉन में भी नहीं हैं। कहां गए?" "अरे वहीं कहीं होंगे। ठीक से देखो, जाएंगे क...

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देह की दहलीज पर - 3 By Kavita Verma

साझा उपन्यास देह की दहलीज पर लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा *** कथा कड़ी 3 उस दिन कामिनी अन्य दिनों की अपेक्षा शाम से पहले ही घर आ ग...

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बाड़े का हीरो By Govind Sen

बाड़े का हीरो गोविन्द सेन इन दिनों पीपलवाला बाड़ा यानि जम्बू गली की एक जीवन्त कोशा एक विशेष उत्तेजना से ग्रस्त है। कोई सीटी बजा रहा है तो कोई गुनगुना रहा है। हर कोई जता रहा है अपने ह...

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अन्नदाता By Amitabh Mishra

अन्नदाता दुनिया इधर की उधर हो जाए । सूरज उगना भूल जाए। मौसम कैसा भी हो, आंधी तूफान हो, सर्दी हो, गर्मी कि बरसात हो, मगनीराम जी नियमित रूप सेरोज सुबह शाम चीटियों को आटा डालने जाए...

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इला न देणी आपणी By Dr Lakshmi Sharma

इला न देणी आपणी मैं एकटक उसे देखे जा रही हूँ, अपलक. जनक के पूर्वज निमि अगर इस कलियुग में भी पलकों पर ही रहते हैं तो वो निश्चिन्त ही इस समय स्वयं की पलकें झपकाना भी भूल गए होंगे. सच...

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कुबेर - 25 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 25 भाईजी की बातों से जहाँ अनुभव छलकता था तो वहीं डीपी उनके अनुभव को भुनाने के लिए प्रश्न पर प्रश्न दाग देता था। “जी हाँ भाईजी, मैं पूरी तरह सहमत हूँ आपके मंतव्य...

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 3 By Sarvesh Saxena

रात आठ बजे....चारों दोस्त मंजेश के यहां मिलते हैं, मिलकर खाना बनाते हैं, और शराब पीकर खूब हंसी मजाक करते हैं |मंजेश - “अरे अर्पित जरा टीवी तो ऑन कर” |अर्पित टीवी ऑन करता है |मोहित...

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परवरिश में कमी By Saroj Verma

परवरिश में कमी...!! भाईसाहब! थोड़ी जगह मिल जाएगी क्या? बैठने के लिए,राधेश्याम जी ने सीट पर बैठे सहयात्री से पूछा।। हां.. हां..क्यो नही भाईसाहब, बहुत जगह हैं अभी,एक जन तो आराम...

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अँधेरे का गणित - 3 - अंतिम भाग By PANKAJ SUBEER

अँधेरे का गणित (कहानी पंकज सुबीर) (3) आज फ़िर वो सी.एस.टी. की आरक्षण कतार में था, अभी दो रोज़ पहले ही तो उसने यहाँ आकर क़स्बे का रिज़र्वेशन रद्द करवाया था, पर तन्मय तो जा चुका था, यह...

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काले कोस, अंधेरी रातें - 1 By Kavita Sonsi

काले कोस, अंधेरी रातें (1) ‘महावीर एन्क्लेव’ पहुँचने के बाद मैं जरा ठहरी थी, वहाँ से कई संकरी गलियां मुख्य सड़क से नीचे उतर रही थीं। बेटी को गोद मेँ उठाए कच्चे से रास्ते पर लोगों से...

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दम-दमड़ी By Deepak sharma

दम-दमड़ी रेलवे लाइन के किनारे बप्पा हमें पिछले साल लाए थे. “उधर गुमटी का भाड़ा कम है,” लगातार बिगड़ रही माँ की हालत से बप्पा के कारोबार ने टहोका खाया था, “बस, एक ख़राबी है. रेल बहुत पा...

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एक निकाह ऐसा भी By Husn Tabassum nihan

एक निकाह ऐसा भी ‘‘रूक जाईए...रूक जाईए.........एैसे नहीं होगा निकाह...‘‘ -अचानक पीछे से आती आवाज ने पण्डाल में बैठे सभी लोगों को चौंका दिया। खुद क़ाजी जी को भी। ये आवाज दुल्हन के पित...

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सांकल - 3 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

सांकल ज़किया ज़ुबैरी (3) “माँ, मैं उसको दो फ़्लैट्स, आपके दिए तमाम जेवर और पांच हज़ार पाउण्ड कैश भी दे रहा हूँ। ज़ेवर देने में आपको समस्या तो नहीं होगी क्योंकी आप औरतों को जेवर से...

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भीड़ में - 7 - अंतिम भाग By Roop Singh Chandel

भीड़ में (7) ’पोते का तिलक है---जाना ही पड़ेगा. नए कपड़े भी बनवाना होगा. पता नहीं बैंक में कितने पैसे हों. कई महीनों से पास बुक की एंट्री नहीं करवाई. कल जाकर चेक करना चाहिए. लखनऊ जाने...

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बरकत By Govind Sen

बरकत गोविन्द सेन “दराज से रुपया गायब है।’’ जगदीश ने पहला ही कौर उठाया ही था कि जीजाजी ने वज्रपात-सा किया। “...........’’ जगदीश यह अप्रत्याशित सूचना पा सकपका गया। कुछ क्षणों के लिए...

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अगले चौराहे पर By Amitabh Mishra

अगले चौराहे पर असलम मकान ढूंढते ढूंढते तंग हो गया। जो मकान उसे पसंद आता था उसका किराया उसकी पहुंच से बाहर होता था और जिस मकान का किराया उसे जमता था वह मकान उसेपसंद नहीं आता था । मक...

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अहा! जिन्दगी By Dr Lakshmi Sharma

अहा! जिन्दगी “सुन जीनत, हम फटाफट खाना निपटा लेते हैं, अभी-अभी खबर आई है कि मुख्य अतिथि एक घंटा लेट चल रहे हैं.” अर्चना ने बहाने से मुझे ऑडिटोरियम के कोने में ले जा कर कहा तो मेरा ध...

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किस्मत - भाग-२ By Anil Sainger

इसी उधेड़बुन में एक और हफ्ता गुजर गया | उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह करे तो क्या करे | इसी बीच एक अनजान नंबर से उसे कई बार फ़ोन आ चुका था लेकिन वह उठा नहीं रही थी | एक दिन परेशान...

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कोम का ढोंगी By Paras Vanodiya

भारत वर्ष में सदियों छे कहीं जाती के लोग बसते है इसमें पुराणों मे भी कहीं 4 जाती के लोगो का उल्लेख किया गया है इसमें लड़ने वाले को योद्धा, पढ़ाने वाले को ब्राम्हण कहा ज...

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भुजाएँ By Hrishikesh Sulabh

भुजाएँ हृषीकेश सुलभ अष्टभुजा लाल को अपने बीते हुए दिनों के बारे में सोचना अच्छा नहीं लगता. बीते हुए दिनों की बात याद आते ही उन्हें मितली आने लगती है. उन्हें लगता है, जैसे अपनी पत्न...

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इस बार देर नही By Pawan Chauhan

इस बार देर नही कड़क सर्दी में वह छोटी लड़की कभी यहां तो कभी वहां अपनी किस्मत आजमा रही थी। उसके कपड़े जगह-जगह से फटे पड़े थे। स्वैटर के नाम पर उसके शरीर पर मात्र चंद धागों का ताना-बाना...

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सिर्फ एक बार By Kishanlal Sharma

एक लडकी-------दो शब्द लिखने के बाद उसके हाथ रुक गए।उसे लडकी कहना सही नहीं।राजन ने एक क्षण के लिए सोचा और फिर कागज फाडकर फेेंक दिया।दूसरा कागज उठाकर लिखा।एक नवयुवतीराजन लिखते...

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छोछक By Renu Yadav

‘बधाई हो, लाला हुआ है’ अस्पताल के रिसेप्शन के सामने सरोज की सास प्रेमावती अपनी समधिन मनोहरी देवी से गले मिलते हुए कहती हैं । ‘आपको भी बधाई बहन जी... कौन-से रूम है लाला’ ? ‘रूम नं....

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मेरी आवाज़ By Shivraj Anand

मेरे मुख-मंडल में सिर्फ एक ही बात का मसला लगा रहता है । दिनों-दिन हो रहे दंगा-फसाद, चोरी-डकैती ..जैसे विषयों पर उलझा रहता हूँ आखिर ऐसे लूट पात कब तक चलेंगे ..? ऐसे में क्या हम अपने...

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धनिया - 2 By Govardhan Yadav

धनिया गोवर्धन यादव 2 खुशनुमा सुबह नहीं थी आज की। भयमिश्रित मातमी एकांत में भीगी हुई थी। दादू को तो जैसे काठ मार गया था। मां के अंदर गहरे तक मोम ही जम आई थी। दादू से गिड़गिड़ाते हुए...

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मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 9 By Neelima Sharma

क्वारंटाइन...लॉक डाउन...कोविड 19... कोरोना के नाम रहेगी यह सदी। हम सब इस समय एक चक्र के भीतर हैं और बाहर है एक महामारी। अचानक आई इस विपदा ने हम सबको हतप्रभ कर दिया हैं | ऐसा समय इस...

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और कहानी मरती है - 1 By PANKAJ SUBEER

और कहानी मरती है (कहानी - पंकज सुबीर) (1) कहानी के पात्र आज फिर बग़ावत पर उतारू हैं, ऐसा पिछले एक सप्ताह से हो रहा है। अपनी इस कहानी को जब भी आगे बढ़ाने का प्रयास करता, इसके पात्र फ़...

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फ्लाई किल्लर - 2 By SR Harnot

फ्लाई किल्लर एस. आर. हरनोट (2) उसका माथा पसीने से तरबतर था। जितना पोंछता उतना ही गीला हो जाता। अपने को इतना कमजोर और असहाय कभी महसूस नहीं किया जितना उसने इन दिनों बैंक की लाइन में...

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काफिर तमन्नाएं By Husn Tabassum nihan

काफिर तमन्नाएं मै अमीरनबाई हूँ। उम्र यही कोई 80-85। वक्त के चढ़ाव-उतार खूब देखती रही हूँ। कभी अशरफियों की मलिका थी। आज फुटपाथ पे अमरूद लगाती हूँ। चंद सिक्कों की कमाई पर जिंदगी धकेल...

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बापवाली ! By Deepak sharma

बापवाली ! “बाहर दो पुलिस कांस्टेबल आए हैं,” घण्टी बजने पर बेबी ही दरवाज़े पर गयी थी, “एक के पास पिस्तौल है और दूसरे के पास पुलिस रूल. रूल वाला आदमी अपना नाम मीठेलाल बताता है. कहता ह...

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चंपा पहाड़न - 1 By Pranava Bharti

चंपा पहाड़न (1) आसमान की साफ़-शफ्फाक सड़क पर उन रूई के गोलों में जैसे एक सुन्दर सा द्वार खुल गया | शायद स्वर्ग का द्वार ! और उसमें से एक सुन्दर, युवा चेहरा झाँकने लगा, उसने देखा चेहरे...

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होने से न होने तक - 10 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 10. ‘‘बुआ मैं आपकी कुछ मदद करुं?’’ मैंने अपनेपन से पुकारा था। उन्होने चौंक कर मेरी तरफ देखा था। कुछ क्षण को हाथ ठहरे थे,‘‘नहीं बेटा।’’और वे फिर से काम में व्यस्त...

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बिकी हुई लड़कियां - 3 - अंतिम भाग By Neela Prasad

बिकी हुई लड़कियां नीला प्रसाद (3) ‘और एक अच्छा लड़का जुगाड़ने की भी’, तरु बोली. ‘आंटी, हम बानी को जल्दी- से- जल्दी ब्याह देना चाहते हैं. दिल्ली में यह सब कोई सोचता नहीं होगा कि बूढ...

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किसी ने नहीं सुना - 3 By Pradeep Shrivastava

किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 3 संयोग यह कि इसे मैंने एक बार संजना के यह कहने पर ही खरीदा था कि यार कब तक पुराने मोबाइल पर लगे रहोगे। इससे आवाज़ साफ नहीं आती। नया लो न। आ...

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सीप में बंद घुटन.... - 1 By Zakia Zubairi

सीप में बंद घुटन.... ज़किया ज़ुबैरी (ब्रिटेन) (1) आज वह घुट रही थी कि रवि चुप क्यों है---!! जब रवि की बड़ी बड़ी शरबती आँखों में शीला की गहरी काली काली आँखों ने झाँका था तो रवि ने अपन...

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सुकून By Renu Gupta

सुकून “पापा..... पापा..... अरे मुग्द्धा, पापा को कहीं देखा है क्या? अपने कमरे में नहीं हैं। बाहर लॉन में भी नहीं हैं। कहां गए?" "अरे वहीं कहीं होंगे। ठीक से देखो, जाएंगे क...

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देह की दहलीज पर - 3 By Kavita Verma

साझा उपन्यास देह की दहलीज पर लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा *** कथा कड़ी 3 उस दिन कामिनी अन्य दिनों की अपेक्षा शाम से पहले ही घर आ ग...

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बाड़े का हीरो By Govind Sen

बाड़े का हीरो गोविन्द सेन इन दिनों पीपलवाला बाड़ा यानि जम्बू गली की एक जीवन्त कोशा एक विशेष उत्तेजना से ग्रस्त है। कोई सीटी बजा रहा है तो कोई गुनगुना रहा है। हर कोई जता रहा है अपने ह...

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अन्नदाता By Amitabh Mishra

अन्नदाता दुनिया इधर की उधर हो जाए । सूरज उगना भूल जाए। मौसम कैसा भी हो, आंधी तूफान हो, सर्दी हो, गर्मी कि बरसात हो, मगनीराम जी नियमित रूप सेरोज सुबह शाम चीटियों को आटा डालने जाए...

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इला न देणी आपणी By Dr Lakshmi Sharma

इला न देणी आपणी मैं एकटक उसे देखे जा रही हूँ, अपलक. जनक के पूर्वज निमि अगर इस कलियुग में भी पलकों पर ही रहते हैं तो वो निश्चिन्त ही इस समय स्वयं की पलकें झपकाना भी भूल गए होंगे. सच...

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कुबेर - 25 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 25 भाईजी की बातों से जहाँ अनुभव छलकता था तो वहीं डीपी उनके अनुभव को भुनाने के लिए प्रश्न पर प्रश्न दाग देता था। “जी हाँ भाईजी, मैं पूरी तरह सहमत हूँ आपके मंतव्य...

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 3 By Sarvesh Saxena

रात आठ बजे....चारों दोस्त मंजेश के यहां मिलते हैं, मिलकर खाना बनाते हैं, और शराब पीकर खूब हंसी मजाक करते हैं |मंजेश - “अरे अर्पित जरा टीवी तो ऑन कर” |अर्पित टीवी ऑन करता है |मोहित...

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परवरिश में कमी By Saroj Verma

परवरिश में कमी...!! भाईसाहब! थोड़ी जगह मिल जाएगी क्या? बैठने के लिए,राधेश्याम जी ने सीट पर बैठे सहयात्री से पूछा।। हां.. हां..क्यो नही भाईसाहब, बहुत जगह हैं अभी,एक जन तो आराम...

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अँधेरे का गणित - 3 - अंतिम भाग By PANKAJ SUBEER

अँधेरे का गणित (कहानी पंकज सुबीर) (3) आज फ़िर वो सी.एस.टी. की आरक्षण कतार में था, अभी दो रोज़ पहले ही तो उसने यहाँ आकर क़स्बे का रिज़र्वेशन रद्द करवाया था, पर तन्मय तो जा चुका था, यह...

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काले कोस, अंधेरी रातें - 1 By Kavita Sonsi

काले कोस, अंधेरी रातें (1) ‘महावीर एन्क्लेव’ पहुँचने के बाद मैं जरा ठहरी थी, वहाँ से कई संकरी गलियां मुख्य सड़क से नीचे उतर रही थीं। बेटी को गोद मेँ उठाए कच्चे से रास्ते पर लोगों से...

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दम-दमड़ी By Deepak sharma

दम-दमड़ी रेलवे लाइन के किनारे बप्पा हमें पिछले साल लाए थे. “उधर गुमटी का भाड़ा कम है,” लगातार बिगड़ रही माँ की हालत से बप्पा के कारोबार ने टहोका खाया था, “बस, एक ख़राबी है. रेल बहुत पा...

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एक निकाह ऐसा भी By Husn Tabassum nihan

एक निकाह ऐसा भी ‘‘रूक जाईए...रूक जाईए.........एैसे नहीं होगा निकाह...‘‘ -अचानक पीछे से आती आवाज ने पण्डाल में बैठे सभी लोगों को चौंका दिया। खुद क़ाजी जी को भी। ये आवाज दुल्हन के पित...

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सांकल - 3 - अंतिम भाग By Zakia Zubairi

सांकल ज़किया ज़ुबैरी (3) “माँ, मैं उसको दो फ़्लैट्स, आपके दिए तमाम जेवर और पांच हज़ार पाउण्ड कैश भी दे रहा हूँ। ज़ेवर देने में आपको समस्या तो नहीं होगी क्योंकी आप औरतों को जेवर से...

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भीड़ में - 7 - अंतिम भाग By Roop Singh Chandel

भीड़ में (7) ’पोते का तिलक है---जाना ही पड़ेगा. नए कपड़े भी बनवाना होगा. पता नहीं बैंक में कितने पैसे हों. कई महीनों से पास बुक की एंट्री नहीं करवाई. कल जाकर चेक करना चाहिए. लखनऊ जाने...

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बरकत By Govind Sen

बरकत गोविन्द सेन “दराज से रुपया गायब है।’’ जगदीश ने पहला ही कौर उठाया ही था कि जीजाजी ने वज्रपात-सा किया। “...........’’ जगदीश यह अप्रत्याशित सूचना पा सकपका गया। कुछ क्षणों के लिए...

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अगले चौराहे पर By Amitabh Mishra

अगले चौराहे पर असलम मकान ढूंढते ढूंढते तंग हो गया। जो मकान उसे पसंद आता था उसका किराया उसकी पहुंच से बाहर होता था और जिस मकान का किराया उसे जमता था वह मकान उसेपसंद नहीं आता था । मक...

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अहा! जिन्दगी By Dr Lakshmi Sharma

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किस्मत - भाग-२ By Anil Sainger

इसी उधेड़बुन में एक और हफ्ता गुजर गया | उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह करे तो क्या करे | इसी बीच एक अनजान नंबर से उसे कई बार फ़ोन आ चुका था लेकिन वह उठा नहीं रही थी | एक दिन परेशान...

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कोम का ढोंगी By Paras Vanodiya

भारत वर्ष में सदियों छे कहीं जाती के लोग बसते है इसमें पुराणों मे भी कहीं 4 जाती के लोगो का उल्लेख किया गया है इसमें लड़ने वाले को योद्धा, पढ़ाने वाले को ब्राम्हण कहा ज...

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भुजाएँ By Hrishikesh Sulabh

भुजाएँ हृषीकेश सुलभ अष्टभुजा लाल को अपने बीते हुए दिनों के बारे में सोचना अच्छा नहीं लगता. बीते हुए दिनों की बात याद आते ही उन्हें मितली आने लगती है. उन्हें लगता है, जैसे अपनी पत्न...

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इस बार देर नही By Pawan Chauhan

इस बार देर नही कड़क सर्दी में वह छोटी लड़की कभी यहां तो कभी वहां अपनी किस्मत आजमा रही थी। उसके कपड़े जगह-जगह से फटे पड़े थे। स्वैटर के नाम पर उसके शरीर पर मात्र चंद धागों का ताना-बाना...

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सिर्फ एक बार By Kishanlal Sharma

एक लडकी-------दो शब्द लिखने के बाद उसके हाथ रुक गए।उसे लडकी कहना सही नहीं।राजन ने एक क्षण के लिए सोचा और फिर कागज फाडकर फेेंक दिया।दूसरा कागज उठाकर लिखा।एक नवयुवतीराजन लिखते...

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