hindi Best Poems Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Poems in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultures. Th...Read More


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मेरे शब्द मेरी पहचान - 8 - My words My Identity By Shruti Sharma

I am here with you with some of my poems. You have read my poems in hindi but in this chapter I am here with English poems.I hope you will all like it.?Here we goes .....? ? ? ? ?...

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बेटी - 1 By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

काव्य संकलन ‘‘बेटी’’ (भ्रूण का आत्म कथन) वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ समर्पणः- माँ की जीवन-धरती के साथ आज के दुराघर्ष मानव चिंतन की भीषण भयाबहिता के बीच- बेटी बचा- बेटी पढ़ा के स...

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कलम मेरी लिखती जाएँ - 5 By navita

?? कलम मेरी लिखती जाएँ ??✍️✍️✍️✍️☺️☺️☺️✍️✍️✍️✍️☺️☺️☺️✍️✍️✍️?? सपनो से डरना नहीं ??ए ज़िन्दगी तू लेकर चली कहा चली मैं लेकर तेरे सपनो के जहाँ सपने टूटे दर्द बहुत होये हिम्मत कर सपने प...

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नि.र.स. - 4 - एहसास हमारा, जिक्र तुम्हारा By Rajat Singhal

नि.र.स. - एहसास हमारा, जिक्र तुम्हारा

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वो रेलगाड़ी का सफ़र!! जीवन का अनुपम प्रहर!! By Gautam Kothari sanatni

?️वो रेलगाड़ी का सफ़र️?️? जीवन का है अनुपम प्रहर?️~••~••~••~••~••~••~••~••~••~••~ये रचना रेलगाड़ी में मुसाफ़िर के रुप में सयोंग से मिले दो पात्रो जो अपनो के षड्यंत्रों का शिकार हुए है,...

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में और मेरे अहसास - 34 By Dr Darshita Babubhai Shah

  हारी हुई बाज़ी हम जीत कर दिखा देगे lतुम्हें और खुद को मुस्कुराना सिखा देगे ll सुबह और शाम खुदा से दुआएँ कर के lतेरी तक़दीर मे खुशियो को लिखा देगे ll बहोत हों चुकी नादानी सुन...

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हाईकू By Alok Mishra

हाईकू हाईकू एक शब्दिक छंद है ।इसका तुकांत या अतुकांत होना उतना महत्व नहीं रखता जितना कि पूरे भाव का व्यक्त होना । छोटा छंद होने के बावजूद यह भाव व्यक्त करने का सशक्त माध्यम...

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इश्क By Vyas Dhara

" बन जाऊं जो में ...? " बन जाऊं अल्फाज अगर में ,तो क्या तू वो अल्फाज पढ़ पाएगा ? बन जाऊं मैं एक राज जो,तो क्या तू उससे दिल में छुपा पाएगा ? बन जााऊं...

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उमंग - संक्राति काल By DrAnamika

परशुराम का तेज~~~~~||||~~~~शस्त्र,शास्त्र दोनों बल हैं इससे मानव रचता है इतिहासमानवता जब पूजी गयी हुआ तम का ह्रासरक्षक बने परशुरामदधीचि की हड्डियों का करते नित्य अभिषेकहड्डी अमूर्त...

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मेरा भारत दिखा तुम्‍हें क्‍या? - 10 By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

मेरा भारत दिखा तुम्‍हें क्‍या? 10 काव्‍य संकलन- मेरा भारत दिखा तुम्‍हें क्‍या? वेदराम प्रजापति ‘’मनमस्‍त’’ समर्पण -- धरती के उन महा सपूतों, जिनके श्रम...

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काव्य संग्रह - भाग 1 - माँ By Shivani M.R.Joshi

मातृ दिवस विशेष माँ पर लिखी मेरी कुछ कविताओं का संग्रह है जिसे आप जरूर पढ़े वैसे अगर बात की जाए तो दुनिया का हर रिश्ता बहुत कीमती होता है पर मां का एक ऐसा रिश्ता जो...

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मैरी कविता तुम हो By Deepak Pradhan

मैने जब जब लिखा तुम्हे ही देख देख लिखा मुझे लिखने का कोई सोख नही था तुम्हे जब भी देखा मेरी अंतर आत्मा से अनेक शब्दों की जैसे उत्पत्ति हो रही हो ओर मेने उन शब्दों की एक सुन्दर सी म...

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मां संतोषी व्रत - 1 By Anita Sinha

मां संतोषी की महिमा बड़ी अपरम्पार है। मां संतोषी व्रतहमने जब शुरू किया , उस समय हम पढ़ रहे थे। मुझेइच्छा हुई कि मैं संतोषी माता का व्रत करुं । मैंने मां सेकहा कि मैं व्रत शुरू कर ल...

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कुछ धुनें कलम की By Arin Kumar Shukla

कुछ धुनें कलम कीमेरे 5 गीत अरिन कुमार शुक्ला सरिणीदो शब्द तेरे प्यार ने हे भारत के वीर जगो राष्ट्र धुन राम धुन हिन्दी धुन दो शब्द "कुछ धुने कलम की" मेरा पहला काव्य संग्रह है। यद्यप...

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गांव की तलाश - 9 - अंतिम भाग By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

गांव की तलाश 9 काव्‍य संकलन- वेदराम प्रजापति ‘’मनमस्‍त’’ - समर्पण – अपनी मातृ-भू के, प्‍यारे-प्‍यारे गांवों को, प...

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कविताएँ By Amrita Sinha

1* माँ का बरगद होना—-++————माँ जो कभी बरगद सी थीं , हर तरफअब व्हीलचेयर पर बैठी हैं , सिमट करन बोलना, न चलना,न खाना बस देखती जाती हैं एकटक , निहारती रहती हैं अपलकजैसे पूरी देह का द...

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मेरे शब्द मेरी पहचान - 8 - My words My Identity By Shruti Sharma

I am here with you with some of my poems. You have read my poems in hindi but in this chapter I am here with English poems.I hope you will all like it.?Here we goes .....? ? ? ? ?...

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बेटी - 1 By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

काव्य संकलन ‘‘बेटी’’ (भ्रूण का आत्म कथन) वेदराम प्रजापति ‘‘मनमस्त’’ समर्पणः- माँ की जीवन-धरती के साथ आज के दुराघर्ष मानव चिंतन की भीषण भयाबहिता के बीच- बेटी बचा- बेटी पढ़ा के स...

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कलम मेरी लिखती जाएँ - 5 By navita

?? कलम मेरी लिखती जाएँ ??✍️✍️✍️✍️☺️☺️☺️✍️✍️✍️✍️☺️☺️☺️✍️✍️✍️?? सपनो से डरना नहीं ??ए ज़िन्दगी तू लेकर चली कहा चली मैं लेकर तेरे सपनो के जहाँ सपने टूटे दर्द बहुत होये हिम्मत कर सपने प...

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नि.र.स. - 4 - एहसास हमारा, जिक्र तुम्हारा By Rajat Singhal

नि.र.स. - एहसास हमारा, जिक्र तुम्हारा

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वो रेलगाड़ी का सफ़र!! जीवन का अनुपम प्रहर!! By Gautam Kothari sanatni

?️वो रेलगाड़ी का सफ़र️?️? जीवन का है अनुपम प्रहर?️~••~••~••~••~••~••~••~••~••~••~ये रचना रेलगाड़ी में मुसाफ़िर के रुप में सयोंग से मिले दो पात्रो जो अपनो के षड्यंत्रों का शिकार हुए है,...

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में और मेरे अहसास - 34 By Dr Darshita Babubhai Shah

  हारी हुई बाज़ी हम जीत कर दिखा देगे lतुम्हें और खुद को मुस्कुराना सिखा देगे ll सुबह और शाम खुदा से दुआएँ कर के lतेरी तक़दीर मे खुशियो को लिखा देगे ll बहोत हों चुकी नादानी सुन...

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हाईकू By Alok Mishra

हाईकू हाईकू एक शब्दिक छंद है ।इसका तुकांत या अतुकांत होना उतना महत्व नहीं रखता जितना कि पूरे भाव का व्यक्त होना । छोटा छंद होने के बावजूद यह भाव व्यक्त करने का सशक्त माध्यम...

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इश्क By Vyas Dhara

" बन जाऊं जो में ...? " बन जाऊं अल्फाज अगर में ,तो क्या तू वो अल्फाज पढ़ पाएगा ? बन जाऊं मैं एक राज जो,तो क्या तू उससे दिल में छुपा पाएगा ? बन जााऊं...

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उमंग - संक्राति काल By DrAnamika

परशुराम का तेज~~~~~||||~~~~शस्त्र,शास्त्र दोनों बल हैं इससे मानव रचता है इतिहासमानवता जब पूजी गयी हुआ तम का ह्रासरक्षक बने परशुरामदधीचि की हड्डियों का करते नित्य अभिषेकहड्डी अमूर्त...

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मेरा भारत दिखा तुम्‍हें क्‍या? - 10 By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

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काव्य संग्रह - भाग 1 - माँ By Shivani M.R.Joshi

मातृ दिवस विशेष माँ पर लिखी मेरी कुछ कविताओं का संग्रह है जिसे आप जरूर पढ़े वैसे अगर बात की जाए तो दुनिया का हर रिश्ता बहुत कीमती होता है पर मां का एक ऐसा रिश्ता जो...

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मैरी कविता तुम हो By Deepak Pradhan

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मां संतोषी व्रत - 1 By Anita Sinha

मां संतोषी की महिमा बड़ी अपरम्पार है। मां संतोषी व्रतहमने जब शुरू किया , उस समय हम पढ़ रहे थे। मुझेइच्छा हुई कि मैं संतोषी माता का व्रत करुं । मैंने मां सेकहा कि मैं व्रत शुरू कर ल...

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कुछ धुनें कलम की By Arin Kumar Shukla

कुछ धुनें कलम कीमेरे 5 गीत अरिन कुमार शुक्ला सरिणीदो शब्द तेरे प्यार ने हे भारत के वीर जगो राष्ट्र धुन राम धुन हिन्दी धुन दो शब्द "कुछ धुने कलम की" मेरा पहला काव्य संग्रह है। यद्यप...

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गांव की तलाश - 9 - अंतिम भाग By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

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1* माँ का बरगद होना—-++————माँ जो कभी बरगद सी थीं , हर तरफअब व्हीलचेयर पर बैठी हैं , सिमट करन बोलना, न चलना,न खाना बस देखती जाती हैं एकटक , निहारती रहती हैं अपलकजैसे पूरी देह का द...

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